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वेगोटोमी एक सर्जिकल प्रकिया है, जिसका इस्तेमाल वेगस नर्व को काटने के लिए किया जाता है। वेगस वह नस है, जो पेट के एसिड के स्राव को नियंत्रित करती है। यह प्रक्रिया आमतौर पर पेप्टिक अल्सर (पेट में अल्सर) से ग्रस्त लोगों के लिए की जाती है, जिन्हें वजन कम होना, भूख न लगना, काले रंग का या रक्त युक्त मल आना, पेट में जलन महसूस होना, मतली और उल्टी जैसी समस्याएं होती हैं। हालांकि, यदि अन्य किसी तरह के इलाज से इन समस्याओं में आराम न मिल रहा है, तो डॉक्टर आपको यह सर्जरी करवाने की सलाह दे सकते हैं।

सर्जरी वाले दिन डॉक्टर आपको कुछ भी न खाने की सलाह देते हैं। यदि आपको किसी प्रकार की कोई एलर्जी  है, तो डॉक्टर को इस बारे में बता दें। इसके अलावा यदि आप किसी भी प्रकार की कोई दवा लेते हैं, धूम्रपान करते हैं या फिर आप गर्भवती या गर्भवती होने की योजना बना रही हैं, तो इस बारे में सर्जरी से पहले ही डॉक्टर को बता दें। सर्जरी के बाद डॉक्टर आपको कई बार अस्पताल बुला सकते हैं, ताकि आपके स्वास्थ्य की जांच की जा सके और यह पता लगाया जा सके कि सर्जरी का कोई साइड इफेक्ट तो नहीं हुआ है।

(और पढ़ें - पेट के रोग का इलाज)

  1. वेगोटोमी क्या है - What is Vagotomy in Hindi
  2. वेगोटोमी क्यों की जाती है - Why is Vagotomy done in Hindi
  3. वेगोटोमी से पहले की तैयारी - Preparations before Vagotomy in Hindi
  4. वेगोटोमी कैसे की जाती है - How is Vagotomy done in Hindi
  5. वेगोटोमी के बाद देखभाल - Vagotomy after care in Hindi
  6. वेगोटोमी की जटिलताएं - Complications of Vagotomy in Hindi

वेगोटोमी​ किसे कहते हैं?

वेगोटोमी एक सर्जरी है, जिसकी मदद से वेगस तंत्रिका को काट दिया जाता है, जिससे पेट में अम्लों का स्राव कम हो जाता है। वेगस तंत्रिका पेट को खाली करने और पेट में अम्लों का स्राव करने में मदद करती है। वेगस तंत्रिका द्वारा पेट में कुछ विशेष रसायन बनाए जाते हैं, जो गैस्ट्रिक एसिड बनाने के लिए शरीर को उत्तेजित करते हैं।

यदि पेट में गैस्ट्रिक एसिड सामान्य से अधिक मात्रा में बनने लग जाए, तो पेट व ड्यूडेनम (छोटी आंत का पहला भाग) की अंदरूनी परत में छाले बनने लग जाते हैं, जिस स्थिति को पेप्टिक अल्सर कहा जाता है। कुछ गंभीर मामलों में इससे भोजन नली में भी छाले बनने लग जाते हैं।

वेगस तंत्रिका कई अलग-अलग भागों से मिलकर बनती है, जिनमें निम्न शामिल हैं-

  • द एंटीरियर ट्रंक - जो लीवर और पित्ताशय में रसायनों की सप्लाई प्रदान करती है
  • द पोस्टीरियर ट्रंक - जिससे सोलर प्लेक्सस में शाखाएं जाती हैं। सोलर प्लेक्सस वेगस तंत्रिका का मुख्य जंक्शन होता है, जो पेट के ऊपरी और कुछ निचले भागों में सप्लाई करता है।

वेगोटोमी सर्जिकल प्रक्रिया आमतौर पर तीन प्रकार की होती है, जो इस प्रकार हैं -

  • ट्रंकल वेगोटोमी
  • सिलेक्टिव वेगोटोमी
  • हाईली सिलेक्टिव वेगोटोमी

पेप्टिक अल्सर के प्रकार, लोकेशन और जटिलता पर निर्भर करता है कि मरीज की इनमें से किस तरह की वेगोटोमी सर्जरी की जाएगी।  हालांकि, आजकल काफी एडवांस दवाएं बन चुकी हैं, जिस वजह से पेप्टिक अल्सर के काफी कम मामलों में वेगोटोमी की आवश्यकता पड़ती है। लेकिन फिर भी कुछ मामलों में ये दवाएं भी पेप्टिक अल्सर पर काम नहीं कर पाती हैं और परिणामस्वरूप वेगोटोमी करनी पड़ती है।

(और पढ़ें - पेट में अल्सर के घरेलू उपाय)

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वेगोटोमी आमतौर पर पेप्टिक अल्सर से ग्रस्त उन लोगों के लिए की जाती है, जिनका उपचार दवाओं या अन्य इलाज प्रक्रियाओं से नहीं हो पाता है। यदि आपको पेप्टिक अल्सर से जुड़े निम्न लक्षणों में से कोई भी महसूस हो रहा है, तो डॉक्टर वेगोटोमी करवाने की सलाह दे सकते हैं-

  • ब्रेस्टबोन और नाभि के बीच के हिस्से में दर्द व जलन महसूस होना। यह आमतौर पर खाली पेट या खाना खाने के 2 से 4 घंटों के बाद होता है। यह कुछ मिनटों से घंटों तक रह सकता है।
  • जी मिचलाना या उल्टी आना
  • थोड़ा सा भोजन खाने पर ही पेट भर जाना
  • मल में खून आना या काले रंग का मल आना
  • कम भूख लगना या बिलकुल न लगना
  • शरीर का वजन कम होना
  • खून की उल्टी आना

कई बार दवाओं से इलाज के बाद भी पेप्टिक अल्सर की स्थिति गंभीर हो जाती है और कुछ जटिलताएं उत्पन्न हो सकती हैं जैसे-

  • पेट या ड्यूडेनम में मौजूद छालों से रक्तस्राव होना
  • छाले के कारण पेट या ड्यूडेनम की परत में छिद्र हो जाना (पर्फोरेशन)
  • गैस्ट्रिक आउटलेट ऑब्सट्रक्शन (पेट का अंतिम हिस्सा जो ड्यूडेनम से जुड़ा होता है, उसमें रुकावट हो जाना जिसके कारण पेट खाली न हो पाना)
  • पेरिटोनिटिस (पेट के अंदरूनी अंगों को ढक कर रखने वाली सतह में सूजन व लालिमा हो जाना, इस परत को पेरिटोनियम कहा जाता है)
  • पहले की हुई वेगोटोमी के बाद फिर से छाले बनने लगना

वेगोटोमी​ किसे नहीं करवानी चाहिए?

स्वास्थ्य संबंधी कुछ समस्याएं हैं, जिनमें वेगोटोमी करवाना स्वास्थ्य को नुकसान पहुंचा सकता है। इन स्वास्थ्य समस्याओं में निम्न शामिल हैं -

  • पेरिटोनियम के किसी हिस्से में गंभीर सूजन व लालिमा हो जाना
  • इंट्रा-एब्डॉमिनल एब्सेस (पेट के ऊतकों में सूजन, लालिमा व पस बन जाना)
  • प्री-ऑपरेटिव शॉक (एक घातक स्वास्थ्य समस्या जिसमें  शरीर में पर्याप्त रक्त संचरण नहीं हो पाता है)

इसके अलावा, बीमारी का पता लगाने व सर्जरी करने में 24 घंटे या उससे अधिक देरी कर देना भी बाद में वेगोटोमी की जटिलताएं बढ़ा देता है। हर व्यक्ति के अनुसार कुछ भिन्न स्वास्थ्य समस्याएं भी हो सकती हैं, जिनमें वेगोटोमी करने पर जटिलताएं बढ़ सकती हैं।

वेगोटोमी सर्जरी करने से पहले आपको कुछ विशेष तैयारियां करने की आवश्यकता पड़ सकती है, जिनके बारे में डॉक्टर आपको पहले ही बता देते हैं। सर्जरी से पहले आपको खाली पेट रहना होता है, इसलिए जिस दिन आपकी सर्जरी होनी है उस दिन आधी रात के बाद कुछ भी खाएं या पिएं नहीं।

यदि आप किसी भी प्रकार की दवा खाते हैं या फिर अन्य कोई हर्बल उत्पाद या सप्लीमेंट लेते हैं, तो इस बारे में डॉक्टर को पहले ही बता दें। कुछ दवाएं रक्त को पतला करती हैं, जो सर्जरी के बाद ठीक होने की प्रक्रिया में बाधा डाल सकती हैं, ऐसी दवाओं को डॉक्टर कुछ समय के लिए बंद करने की सलाह दे सकते हैं। हालांकि, कोई भी दवा डॉक्टर की सलाह के बिना बंद न करें। यदि आपको किसी चीज से एलर्जी है या स्वास्थ्य संबंधी अन्य कोई समस्या है, तो भी डॉक्टर को इस बारे में बता दें। यदि आपके शरीर में कोई डिवाइस लगाया गया है, तो इस बारे में भी डॉक्टर को बता दें।

सर्जरी करने से पहले डॉक्टर आपके स्वास्थ्य संबंधी सभी पिछली जानकारियां लेते हैं, ताकि आपके स्वास्थ्य की स्थिति का पता लगाया जा सके। आपका शारीरिक परीक्षण किया जाता है और कुछ विशेष टेस्ट भी किए जाते हैं, जिनमें निम्न शामिल हैं-

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वेगोटोमी को निम्न तरीके से किया जाता है -

  • मरीज को सबसे पहले ऑपरेशन थिएटर में ले जाया जाएगा
  • सर्जरी शुरू होने से 30 मिनट पहले एंटीबायोटिक दवाएं दी जाएंगी
  • पेट पर सर्जरी वाले स्थान के आस-पास यदि बाल हैं, तो उन्हें शेव करके हटा दिया जाता है और उस भाग को एंटीसेप्टिक से साफ कर दिया जाता है
  • आपको एक विशेष मेडिकल टेबल पर पीठ के बल लेटने को कहा जाएगा और फिर आपको एनेस्थीसिया का इंजेक्शन लगा दिया जाएगा जिससे आपको गहरी नींद आ जाएगी।
  • सर्जरी के दौरान पेशाब निकलने के लिए कैथीटर लगा दिया जाएगा, जिसमें एक थैली से जुड़ी ट्यूब को आपके ब्लैडर में डाला जाएगा
  • इसके बाद सर्जिकल उपकरणों से आपकी नाभि से छाती तक पेट में चीरा लगाया जाएगा, जिससे सर्जन अंदरूनी अंगों तक पहुंच कर सर्जरी प्रक्रिया शुरू देते हैं।

वेगोटोमी को तीन अलग-अलग सर्जिकल तरीकों से किया जाता है, जो इस प्रकार हैं -

ट्रंकल वेगोटोमी

  • जब सर्जन वेगस तंत्रिका का पता लगा लेते हैं, तो पेट व इसोफेगस के जंक्शन और पेट के पास दो क्लिप लगा देते हैं।
  • दोनों क्लिप के बीच से वेगस तंत्रिका का लगभग 2सेमी लंबा टुकड़ा निकाल देते हैं।
  • यदि पेट में छाले पड़े हुऐ हैं, तो हो सकता है सर्जन पेट के उस हिस्से को भी अलग कर सकते हैं।

सिलेक्टिव वेगोटोमी

  • इस सर्जिकल प्रक्रिया में सर्जन वेगस तंत्रिका की शाखाओं को उन अंगों के पास से काट देते हैं, जिन्हें वे सप्लाई कर रही होती हैं, जिससे भी रसायन की सप्लाई कम हो जाती है।

हाइली सिलेक्टिव वेगोटोमी

  • इस सर्जिकल प्रक्रिया में वेगस तंत्रिका के सिर्फ उस हिस्से को हटा दिया जाता है, जो पेट को प्रभावित कर रहा होता है। इस प्रक्रिया की मदद से इस तंत्रिका के कार्य प्रक्रिया को भी बंद करने की आवश्यकता नहीं पड़ती है और पेप्टिक अल्सर समस्या का भी समाधान हो जाता है। हाइली सिलेक्टिव वेगोटोमी को आमतौर पर ट्रंकल वेगोटोमी के साथ ही किया जाता है।

सर्जरी के बाद सर्जन पेट में चीरे वाले स्थान पर चर्बी को वापस उसी प्रकार जोड़ कर टांके लगा देते हैं। सर्जरी होने के लगभग एक हफ्ते बाद तक आपको अस्पताल में रहना पड़ता है। इस दौरान मेडिकल टीम आपके बीपी व अन्य शारीरिक गतिविधियों पर नजर रखते हैं। इस दौरान आपके पेट में बना रहे अधिक अम्लीय द्रवों को भी समय-समय पर निकाल दिया जाता है।

(और पढ़ें - बीपी क्या है)

वेगोटोमी के बाद देखभाल कैसे करें?

वेगोटोमी के बाद निम्न तरीके से मरीज की देखभाल की जाती है-

घाव की देखभाल

  • सर्जरी के बाद की गई पट्टी को आमतौर पर दो दिन तक रखा जाता है और फिर डॉक्टर खुद पट्टी को बदलते हैं। हालांकि, कभी-कभी पट्टी के नीचे खुजली, जलन या दर्द होने लगता है, तो ऐसी स्थिति में डॉक्टर पट्टी को खोलकर देख सकते हैं।
  • सर्जरी के बाद लगाए गए टांके अक्सर त्वचा में ही अवशोषित हो जाते हैं। यदि त्वचा में अवशोषित होने वाले टांके नहीं लगे हैं, तो डॉक्टर कुछ समय बाद आपको बुलाकर टांके निकाल सकते हैं।
  • पट्टी को सूखा रखें और यदि किसी कारण से पट्टी गीली हो गई है, तो इसे बदल दिया जाना चाहिए। हालांकि, ऐसी स्थिति में पट्टी को बदलने से पहले निम्न बातों का ध्यान रख लेना चाहिए -
    • पट्टी हटाने से पहले अपने हाथों  को साबुन से अच्छे से धो लें
    • घाव को छुएं नहीं और न ही नई पट्टी के अंदरूनी हिस्से को छुएं, ताकि संक्रमण न हो पाए।

खाना व पीना

  • सर्जरी के बाद डॉक्टर आपको शुरुआत में तरल पदार्थ लेने की सलाह देते हैं, जिन्हें आपका पेट आसानी से पचा सके।
  • अधिक मसालेदार या ऐसे  खाद्य पदार्थ खाने से मना किया जा सकता है, जिनसे एसिडिटी बढ़ती है।
  • इसके अलावा आपको कार्बोहाइड्रेट्स युक्त खाद्य पदार्थ खाने से भी मना किया जा सकता है।

नहाना 

  • सर्जरी के बाद घर आकर नहा लेना अक्सर सुरक्षित होता है, लेकिन फिर भी एक बार डॉक्टर से इसकी सलाह अवश्य लें
  • यदि डॉक्टर नहाने की अनुमति दे देते हैं, तो नहाते समय पट्टी को पोलिथिन आदि से ढक लें।
  • कुछ दिन के लिए बाथटब में नहाने या तैराकी आदि करने से बचें

एक्सरसाइज

  • डॉक्टर आपको सर्जरी के लगभग आठ हफ्तों तक भारी वजन उठाने या किसी प्रकार की एक्सरसाइज न करने की सलाह देते हैं। जब आपका घाव पूरी तरह से भर जाता है, तो डॉक्टर एक्सरसाइज को धीरे-धीरे शुरू करने की सलाह देते हैं। डॉक्टर शुरुआत में थोड़ा-बहुत चलने और बिना मेहनत वाली एक्सरसाइज शुरू करने की सलाह देते हैं।

डॉक्टर को कब दिखाएं?

यदि सर्जरी के बाद घर आने पर आपको तेज बुखार या अन्य कोई स्वास्थ्य समस्या महसूस हो रही है, तो डॉक्टर से इस बारे में बात करें। यदि आपको लगता है, कि घाव में संक्रमण हो गया है, तो भी जल्द से जल्द डॉक्टर से इस बारे में बात करें। घाव में संक्रमण होने पर निम्न लक्षण देखे जा सकते हैं -

  • घाव वाला हिस्से में लालिमा या सूजन हो जाना
  • घाव में खुजली, जलन या दर्द होना
  • घाव से अजीब दुर्गंध आना
  • पट्टी के नीचे से रक्त, पस या अन्य द्रव रिसना

(और पढ़ें - घाव सुखाने के घरेलू उपाय)

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वेगोटोमी से क्या जोखिम हो सकते हैं?

वेगोटोमी से होने वाली कुछ मुख्य जटिलताओं में घाव में ठेस लगना, भोजन नली या पेट में रक्त बहना और कुछ गंभीर मामलों में मरीज की मृत्यु हो जाना भी शामिल है। वेगोटोमी की अन्य जटिलताओं में निम्न शामिल हैं-

  • पेट को खाली होने में देरी होना (भोजन पेट से आंतों तक जाने की गति धीमी होना)
  • संक्रमण
  • रक्तस्राव
  • दस्त होना
  • बार-बार अल्सर होना
  • पोस्ट वेगोटोमी हाइपरगैस्ट्रीनेमिया (सर्जरी के बाद पर्याप्त मात्रा में अम्ल न बन पाना)
  • डंपिंग सिंड्रोम (भोजन के पेट से आंतों में जाने की गति अधिक बढ़ जाना जिससे मतली, उल्टी, पेट में मरोड़ और दर्द जैसे लक्षण होने लगते हैं।)

(और पढ़ें - तेज बुखार में क्या करना चाहिए)

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