यूरेथ्रोपेक्सी सर्जरी कैसे की जाती है?
सर्जरी के लिए जब आप अस्पताल पहुंचते हैं, तो सबसे पहले आपको पहनने के लिए एक विशेष ड्रेस दी जाती है। इस ड्रेस को “हॉस्पिटल गाउन” कहा जाता है। इसके बाद आपकी बांह या हाथ की नस में सुई लगाकर उसे इंट्रावेनस लाइन से जोड़ दिया जाता है। इंट्रावेनस लाइन की मदद से आपको सर्जरी के दौरान दवाएं व आवश्यक द्रव दिए जाते हैं। इसके बाद, सर्जन आपके मूत्राशय में एक कैथीटर लगा देते हैं, जिसकी मदद से पेशाब निकलता रहता है।
हालांकि, यूरेथ्रोपेक्सी को कई अलग-अलग तरीकों से किया जा सकता है, जिसमें “बर्च कोल्पोसस्पेंशन” आमतौर पर सबसे अधिक इस्तेमाल किया जाने वाला मेथड है। बर्च कोल्पोसस्पेंशन की मदद से मूत्राशय के द्वार को सहारा प्रदान किया जाता है।
बर्च कोल्पोसस्पेंशन सर्जरी को जनरल एनेस्थीसिया का इंजेक्शन लगाकर किया जाता है। इससे आपको गहरी नींद आ जाती है और सर्जरी के दौरान कुछ महसूस नहीं होता है। बर्च कोल्पोसस्पेंशन को दो सर्जरी प्रक्रियाओं के रूप में किया जाता है -
- ओपन सर्जरी -
इसमें पेट के निचले हिस्से में एक बड़ा चीरा लगाया जाता है, जिसकी मदद से ब्लैडर, मूत्रमार्ग और योनित तक पहुंचा जाता है और कमजोर हुई मांसपेशियों की मरम्मत की जाती है।
- लेप्रोस्कोपिक सर्जरी -
इस प्रोसीजर में पेट के निचले हिस्से में कई छोटे-छोटे चीरे लगाते हैं। इनमें से एक चीरे के भीतर एक ट्यूब जैसा उपकरण डाला जाता है, जिसे लेप्रोस्कोप कहा जाता है। लेप्रोस्कोप के जिस हिस्से को अंदर डाला जाता है, उस पर कैमरा व लाइट लगी होती है। इन छिद्रों में अन्य उपकरण डाले जाते हैं, जिनकी मदद से सर्जरी की जाती है।
चीरा लगने के बाद की प्रक्रिया -
- चीरे के माध्यम से योनि की अंदरूनी परत, मूत्राशय और मूत्रमार्ग के कुछ हिस्से को टांके लगाकर बंद कर दिया जाता है। इससे मांसपेशियों से एक झूले जैसी आकृति बनती है, जो मूत्राशय को सहारा प्रदान करती है।
- सर्जिकल प्रोसीजर होने के बाद बाहरी त्वचा पर लगाए गए चीरे को बंद करके उसमें टांके लगा दिए जाते हैं।
इस सर्जिकल प्रोसीजर को पूरा करने में लगभग 90 मिनट का समय लग जाता है। जिन लोगों की लेप्रोस्कोपी सर्जरी की गई है, उन्हें बाद में कम दर्द होता है और घाव भी जल्दी भरते हैं। लेप्रोस्कोपिक सर्जरी के बाद आपको अस्पताल में भी कम समय तक ही रुकना पड़ता है, जबकि जिनकी ओपन सर्जरी की गई है उनके घाव बड़े होते हैं जो अधिक समय में भरते हैं।
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सर्जरी के बाद जब आपको होश आता है, तो आप खुद को थका हुआ व कमजोर महसूस करते हैं, साथ ही आपको कुछ समय तक बेचैनी, मुंह या गला सूखने जैसी समस्याएं भी हो सकती हैं। ये एनेस्थीसिया से होने वाले साइड इफेक्ट हैं, जो धीरे-धीरे कम हो जाते हैं। सर्जरी के बाद आपको उसी दिन घर जाने के लिए छुट्टी दी जा सकती है। हालांकि, यदि आपका स्वास्थ्य स्थिर नहीं है तो आपको एक या दो दिन अस्पताल में रुकना पड़ सकता है।
ऐसा भी संभव है कि आपको घर पर जाने के बाद भी कुछ समय तक मूत्राशय में कैथेटर लगाकर रखना पड़े। ऐसा आमतौर पर तब किया जाता है, जब आप सामान्य रूप से पेशाब नहीं कर पा रहे हों। कुछ मामलों में कैथेटर का इस्तेमाल सिर्फ तब ही किया जाता है, जब आपको पेशाब करने की आवश्यकता होती है।
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