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यूरेथ्रोपेक्सी एक सर्जरी प्रोसीजर है, जिसे स्ट्रेस यूरिनरी इनकॉन्टिनेंस का इलाज करने के लिए किया जाता है। स्ट्रेस यूरिनरी इनकॉन्टिनेंस ऐसी स्थिति है, जिसमें छींकने, खांसने और व्यायाम करने जैसी कुछ खास गतिविधियां करते समय थोड़ा सा पेशाब लीक हो जाता है। पेशाब का रिसाव होने से त्वचा संबंधी समस्याएं होने लगती हैं और सामान्य जीवन भी प्रभावित हो जाता है। यह स्थिति मूत्राशय और मूत्रमार्ग को सहारा देने वाली मांसपेशियों के कमजोर पड़ने पर होती है। ऊतक व मांसपेशियां कमजोर पड़ने पर ये दोनों अंग अपनी सामान्य जगह से नीचे की तरफ लटक जाते हैं। यूरेथ्रोपेक्सी सर्जरी की मदद से मूत्राशय और मूत्रमार्ग को फिर से ऊपर उठाने में मदद करती है और परिणामस्वरूप पेशाब का रिसाव होने के लक्षण कम हो जाते हैं।

इस ऑपरेशन में लगभग 90 मिनट का समय लगता है और अधिकतर मरीजों के सर्जरी वाले दिन ही छुट्टी मिल जाती है। हालांकि, सर्जरी के बाद मरीज को एक या दो दिन तक अस्पताल में भर्ती रहना पड़ सकता है, जो आमतौर पर आपके स्वास्थ्य पर निर्भर करता है। सर्जरी के बाद पूरी तरह से स्वस्थ होने में आपको छह हफ्तों का समय लग सकता है।

(और पढ़ें - पेशाब रिसने के लक्षण)

  1. यूरेथ्रोपेक्सी क्या है - What is Urethropexy in Hindi
  2. यूरेथ्रोपेक्सी किसलिए की जाती है - Why is Urethropexy done in Hindi
  3. यूरेथ्रोपेक्सी से पहले - Before Urethropexy in Hindi
  4. यूरेथ्रोपेक्सी के दौरान - During Urethropexy in Hindi
  5. यूरेथ्रोपेक्सी के बाद - After Urethropexy in Hindi
  6. यूरेथ्रोपेक्सी की जटिलताएं - Complications of Urethropexy in Hindi

यूरेथ्रोपेक्सी सर्जरी क्या है?

यूरेथ्रोपेक्सी पेट के निचले हिस्से में किया जाने वाला एक सर्जरी प्रोसीजर है, जिसे स्ट्रेस यूरिनरी इनकॉन्टिनेंस (SUI) का इलाज करने के लिए किया जाता है। एसयूआई आमतौर पर ब्लैडर और यूरेथ्रा के नीचे लटकने के कारण होता है। एसयूआई से होने वाली समस्याएं पुरुषों की तुलना में महिलाओं में अधिक देखी जाती हैं

यूरीनरी ब्लैडर पेडू के हिस्से में मौजूद एक थैलीनुमा अंग होता है, जिसमें पेशाब जमा होती है। जब आप पेशाब करते हैं, तो ब्लैडर की मांसपेशियां इसे सिकोड़ने लगती हैं, जिससे पेशाब को बाहर की तरफ धकेला जाता है। यूरेथ्रा यानी मूत्रमार्ग एक नली नुमा अंग है, जो पेशाब को मूत्राशय से शरीर के बाहर ले जाता है। ब्लैडर और यूरेथ्रा के बीच स्फिंक्टर लगा होता है। स्फिंक्टर मांसपेशियों से बनी एक छल्लेनुमा आकृति होती है, जो मूत्राशय के सिकुड़ने के दौरान ढीली होकर खुल जाती है। पेल्विक फ्लोर मांसपेशियां और फैशिया नामक ऊतक ब्लैडर व मूत्राशय दोनों को पेल्विक में स्थिर रखते हैं। हालांकि, कुछ स्थितियां हैं, जिनसे ये मांसपेशियां व ऊतक कमजोर पड़ जाते हैं। इन स्थितियों में आमतौर पर मोटापा, बच्चे को जन्म देना या पीठ के निचले हिस्से में चोट लगना आदि हैं। इसके अलावा यदि मूत्रमार्ग के आसपास कोई चोट लगी है, तो उसके कारण भी स्फिंक्टर काम करना बंद कर सकता है और पेशाब रिसने जैसी समस्याएं हो सकती हैं।

(और पढ़ें - चोट लगने के उपाय)

ऐसी स्थितियों में मूत्राशय या मूत्र मार्ग अपनी सामान्य पोजीशन से नीचे की तरफ लटकने लग जाते हैं। इसी कारण से खांसने, छींकने या अन्य कोई शारीरिक गतिविधि करते समय पेशाब लीक होने लगती है। इसी स्थिति को स्ट्रेस यूरिनरी इनकॉन्टिनेंस कहा जाता है और यह पुरुषों से अधिक महिलाओं में देखा गया है। पेशाब का रिसाव होने से त्वचा संबंधी समस्याएं भी होने लगती है, जैसे जांघ में लंबे समय तक गीलापन रहने के कारण त्वचा में जलन, खुजली व दाग होना। यूरेथ्रोपेक्सी सर्जरी के दौरान ब्लैडर और मूत्रमार्ग को फिर से ऊपर उठा दिया जाता है, जिससे पेशाब के रिसाव संबंधी समस्याएं होने लगती हैं।

(और पढ़ें - खुजली का आयुर्वेदिक इलाज)

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यूरेथ्रोपेक्सी सर्जरी क्यों की जाती है?

जब दवाएं, कीगल एक्सरसाइज, ब्लैडर ट्रेनिंग या अन्य किसी उपचार प्रक्रिया की मदद से भी स्ट्रेस यूरिनरी इनकॉन्टिनेंस की समस्या को ठीक नहीं किया जा रहा हो, तो यूरेथ्रोपेक्सी सर्जरी करने पर विचार किया जाता है।

यूरेथ्रोपेक्सी सर्जरी किसे नहीं करवानी चाहिए?

यदि आपको निम्न में से कोई भी समस्या है, तो सर्जरी यूरेथ्रोपेक्सी सर्जरी न करवाने पर विचार कर सकते हैं, जिनमें निम्न शामिल हैं -

  • टाईप 2 स्ट्रेस यूरिनरी इनकॉन्टिनेंस -
    इस स्थिति में यूरेथ्रा का स्फिंक्टर ठीक से काम नहीं करता है और परिणामस्वरूप मूत्रमार्ग खुला रहता है।
     
  • सेंट्रल डिफेक्ट सिस्टोसील -
    इसमें मूत्राशय योनि की अंदरूनी परत पर दबाव डालने लगता है, जिससे योनि का कुछ हिस्सा योनिद्वार से बाहर की तरफ निकल जाता है। (और पढ़ें - सिस्टोसील के लक्षण)
     
  • रेक्टोसील -
    इसमें गुदा की पिछली सतह कमजोर पड़ने से गुदा का कुछ हिस्सा योनि पर दबाव डालने लगता है। (और पढ़ें - रेक्टोसील के कारण)
     
  • इंट्रोइटल डेफिसिएंसी -
    ​इसमें योनिद्राव संबंधी समस्याएं होने लगती हैं।

इसके अलावा प्रसव से कुछ समय पहले भी पेल्विक की मांसपेशियां कमजोर पड़ जाती हैं या फिर यदि किसी अन्य कारण से स्वस्थ नहीं है, तो ऐसी स्थितियों में भी डॉक्टर आपको यूरेथ्रोपेक्सी सर्जरी न करवाने की सलाह देते हैं।

(और पढ़ें - मांसपेशियां कमजोर होने के कारण)

यूरेथ्रोपेक्सी सर्जरी से पहले क्या तैयारी का जाती है?

सर्जरी से कुछ दिन पहले आपको अस्पताल बुलाया जाता है और आपके स्वास्थ्य संबंधी कुछ विशेष सवाल पूछे जाते हैं। साथ ही इस दौरान कुछ विशेष टेस्ट व शारीरिक परीक्षण भी किए जाते हैं, जिनमें निम्न शामिल हैं -

  • ब्लड टेस्ट -
    जिसमें रक्त का सैंपल लिया जाता है और उस पर विभिन्न परीक्षण किए जाते हैं। (और पढ़ें - ब्लड टेस्ट क्या है)
     
  • यूरिन टेस्ट -
    पेशाब का सैंपल लेकर मूत्र प्रणाली संबंधी विभिन्न रोगों व संक्रमण आदि की जांच की जाती है। (और पढ़ें - यूरिन टेस्ट क्या है)
     
  • पैड टेस्ट -
    इसकी मदद से शारीरिक गतिविधियों के दौरान पेशाब के रिसाव की जांच की जाती है।
     
  • सिस्टोस्कोपी -
    इस टेस्ट में मूत्राशय में एक विशेष पतली ट्यूब डाली जाती है, जिसके सिरे पर कैमरा व लाइट लगी होती है। सिस्टोस्कोपी की मदद से मूत्राशय के अंदरूनी हिस्से की जांच की जाती है।
     
  • यूरोडायनेमिक स्टडी -
    इस टेस्ट की मदद से मूत्राशय, मूत्र मार्ग और स्फिंक्टर की क्षमता की जांच की जाती है कि वे कितनी कुशलतापूर्वक पेशाब को छोड़ व रोक पा रहे हैं।

डॉक्टर आपको एक डायरी लगाने की सलाह दे सकते हैं, ताकि आप जितनी बार पेशाब जाएं और जितनी बार पानी पिएं उसे लिख सकें। इसके अलावा आपको सर्जरी से पहले निम्न की सलाह दी जाती है -

  • डॉक्टर पता करते हैं कि आप गर्भवती तो नहीं हैं या फिर गर्भधारण करने की योजना तो नहीं बना रही हैं।
  • अगर आप कोई भी दवा, हर्बल उत्पाद, विटामिन, मिनरल या अन्य कोई सप्लीमेंट लेते हैं, तो डॉक्टर को इस बारे में बता दें। डॉक्टर आपको कुछ दवाएं न लेने के लिए कह सकते हैं, जिनमें रक्त पतला करने वाली दवाएं शामिल हैं - जैसे वारफेरिन, एस्पिरिन और आइबुप्रोफेन आदि।
  • यदि आप सिगरेट या शराब पीते हैं, तो आपको सर्जरी से कुछ दिन पहले और बाद तक इनका सेवन न करने की सलाह दी जाती है। क्योंकि इसका सेवन करने से सर्जरी के बाद घाव भरने की प्रक्रिया प्रभावित हो जाती है।
  • यदि आपको सर्जरी से एक या दो दिन पहले बुखार या फ्लू के लक्षण महसूस हो रहे हैं, तो डॉक्टर को इस बारे में बता दें। ऐसे में डॉक्टर सर्जरी की तारीख को कुछ दिन आगे बढ़ा सकते हैं।
  • आपको सर्जरी के लिए खाली पेट अस्पताल आने को कहा जाता है। इसके लिए आपको सर्जरी वाले दिन से पहली आधी रात के बाद कुछ भी न खाने या पीने की सलाह दी जा सकती है।
  • ऑपरेशन के लिए अस्पताल जाने से पहले आपको नहाने और सभी आभूषण, गैजेट व मेकअप आदि उतार कर घर पर ही रखने की सलाह दी जाती है।
  • सर्जरी वाले दिन अपने साथ किसी करीबी रिश्तेदार या मित्र को लेकर आएं, जो सर्जरी से पहले के कार्यों में आपकी मदद कर सके और सर्जरी के बाद आपको घर ले जा सके।
  • अस्पताल में आपको सहमति पत्र दिया जाता है, जिस पर हस्ताक्षर करके आप सर्जन को सर्जरी करने की अनुमति दे देते हैं। हालांकि, सहमति पत्र पर हस्ताक्षर करने से पहले उसे एक बार अच्छे से पढ़ लेना चाहिए।

(और पढ़ें - सिगरेट छोड़ने के घरेलू उपाय)

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यूरेथ्रोपेक्सी सर्जरी कैसे की जाती है?

सर्जरी के लिए जब आप अस्पताल पहुंचते हैं, तो सबसे पहले आपको पहनने के लिए एक विशेष ड्रेस दी जाती है। इस ड्रेस को “हॉस्पिटल गाउन” कहा जाता है। इसके बाद आपकी बांह या हाथ की नस में सुई लगाकर उसे इंट्रावेनस लाइन से जोड़ दिया जाता है। इंट्रावेनस लाइन की मदद से आपको सर्जरी के दौरान दवाएं व आवश्यक द्रव दिए जाते हैं। इसके बाद, सर्जन आपके मूत्राशय में एक कैथीटर लगा देते हैं, जिसकी मदद से पेशाब निकलता रहता है।

हालांकि, यूरेथ्रोपेक्सी को कई अलग-अलग तरीकों से किया जा सकता है, जिसमें “बर्च कोल्पोसस्पेंशन” आमतौर पर सबसे अधिक इस्तेमाल किया जाने वाला मेथड है। बर्च कोल्पोसस्पेंशन की मदद से मूत्राशय के द्वार को सहारा प्रदान किया जाता है।

बर्च कोल्पोसस्पेंशन सर्जरी को जनरल एनेस्थीसिया का इंजेक्शन लगाकर किया जाता है। इससे आपको गहरी नींद आ जाती है और सर्जरी के दौरान कुछ महसूस नहीं होता है। बर्च कोल्पोसस्पेंशन को दो सर्जरी प्रक्रियाओं के रूप में किया जाता है -

  • ओपन सर्जरी -
    इसमें पेट के निचले हिस्से में एक बड़ा चीरा लगाया जाता है, जिसकी मदद से ब्लैडर, मूत्रमार्ग और योनित तक पहुंचा जाता है और कमजोर हुई मांसपेशियों की मरम्मत की जाती है।
     
  • लेप्रोस्कोपिक सर्जरी -
    इस प्रोसीजर में पेट के निचले हिस्से में कई छोटे-छोटे चीरे लगाते हैं। इनमें से एक चीरे के भीतर एक ट्यूब जैसा उपकरण डाला जाता है, जिसे लेप्रोस्कोप कहा जाता है। लेप्रोस्कोप के जिस हिस्से को अंदर डाला जाता है, उस पर कैमरा व लाइट लगी होती है। इन छिद्रों में अन्य उपकरण डाले जाते हैं, जिनकी मदद से सर्जरी की जाती है।

चीरा लगने के बाद की प्रक्रिया -

  • चीरे के माध्यम से योनि की अंदरूनी परत, मूत्राशय और मूत्रमार्ग के कुछ हिस्से को टांके लगाकर बंद कर दिया जाता है। इससे मांसपेशियों से एक झूले जैसी आकृति बनती है, जो मूत्राशय को सहारा प्रदान करती है।
  • सर्जिकल प्रोसीजर होने के बाद बाहरी त्वचा पर लगाए गए चीरे को बंद करके उसमें टांके लगा दिए जाते हैं।

इस सर्जिकल प्रोसीजर को पूरा करने में लगभग 90 मिनट का समय लग जाता है। जिन लोगों की लेप्रोस्कोपी सर्जरी की गई है, उन्हें बाद में कम दर्द होता है और घाव भी जल्दी भरते हैं। लेप्रोस्कोपिक सर्जरी के बाद आपको अस्पताल में भी कम समय तक ही रुकना पड़ता है, जबकि जिनकी ओपन सर्जरी की गई है उनके घाव बड़े होते हैं जो अधिक समय में भरते हैं।

(और पढ़ें - घाव भरने के उपाय)

सर्जरी के बाद जब आपको होश आता है, तो आप खुद को थका हुआ व कमजोर महसूस करते हैं, साथ ही आपको कुछ समय तक बेचैनी, मुंह या गला सूखने जैसी समस्याएं भी हो सकती हैं। ये एनेस्थीसिया से होने वाले साइड इफेक्ट हैं, जो धीरे-धीरे कम हो जाते हैं। सर्जरी के बाद आपको उसी दिन घर जाने के लिए छुट्टी दी जा सकती है। हालांकि, यदि आपका स्वास्थ्य स्थिर नहीं है तो आपको एक या दो दिन अस्पताल में रुकना पड़ सकता है।

ऐसा भी संभव है कि आपको घर पर जाने के बाद भी कुछ समय तक मूत्राशय में कैथेटर लगाकर रखना पड़े। ऐसा आमतौर पर तब किया जाता है, जब आप सामान्य रूप से पेशाब नहीं कर पा रहे हों। कुछ मामलों में कैथेटर का इस्तेमाल सिर्फ तब ही किया जाता है, जब आपको पेशाब करने की आवश्यकता होती है।

(और पढ़ें - गला सूखने के घरेलू उपाय)

यूरेथ्रोपेक्सी सर्जरी के बाद क्या देखभाल की जाती है

सर्जरी के बाद आपको पूरी तरह से ठीक होने में लगभग छह महीनों का समय लगता है। यूरेथ्रोपेक्सी के बाद अस्पताल से छुट्टी मिलने के बाद आपको कुछ विशेष बातों का ध्यान रखने की सलाह दी जाती है, जिनमें निम्न शामिल हैं -

  • सर्जरी के बाद आपको कुछ समय तक दर्द रह सकता है, जिसके लिए कुछ विशेष दर्द निवारक दवाएं दी जाती हैं। इन सभी दवाओं को डॉक्टर की सलाह के अनुसार ही लेना चाहिए।
  • जब तक डॉक्टर अनुमति न दें तब तक कोई भी ऐसी शारीरिक गतिविधि न करें जिसमें अधिक मेहनत लगती हो और न ही 5 किलोग्राम से अधिक वजन उठाएं।
  • रोजाना कम से कम एक से दो लीटर पानी पिएं।
  • कब्ज - आपको सर्जरी के बाद कुछ दिनों तक कब्ज की शिकायत रह सकती है, जिसके लिए आप निम्न उपायों को अपना सकते हैं -
    • मल त्याग करने के लिए रोजाना एक ही समय रखें
    • पर्याप्त मात्रा में तरल पेय पदार्थ लें
    • अपने आहार में पकी सब्जी, फलसलाद लें और साथ ही फाइबर युक्त खाद्य पदार्थ भी लें।
  • सर्जरी के बाद आपको नहाना व शॉवर लेना कब शुरू करना है, इस बारे में डॉक्टर से पूछ लें।
  • जब तक सर्जरी के घाव पूरी तरह से ठीक नहीं हो जाते हैं, तब तक कोई यौन गतिविधि न करें और न ही टैम्पोन आदि का इस्तेमाल करें।

डॉक्टर को कब दिखाएं?

सर्जरी के बाद आपको यदि निम्न में से कोई भी समस्या होती है, तो डॉक्टर से इस बारे में बात कर लेनी चाहिए -

(और पढ़ें - बार बार पेशाब आने के उपाय)

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यूरेथ्रोपेक्सी सर्जरी से क्या जोखिम हो सकते हैं?

यूरेथ्रोपेक्सी सर्जरी के बाद निम्न जोखिम व जटिलताएं देखने को मिल सकती हैं -

इसके अलावा सर्जरी के लिए इस्तेमाल की गई जनरल एनेस्थीसिया से साइड इफेक्ट के रूप में कुछ अन्य समस्याएं भी हो सकती हैं जैसे स्ट्रोक, लंग इन्फेक्शन या उलझन महसूस होना।

(और पढ़ें - फेफड़ों को स्वस्थ रखने के लिए क्या खाएं)

संदर्भ

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