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यूरेटेरोस्कोपी (Ureteroscope) मूत्रनली (Ureter) और गुर्दे (Kidney) के अंदर देखने के लिए यूरेटेरोस्कोप (Ureteroscope) का उपयोग करता है। यूरेटेरोस्कोप में एक छोर पर एक आईपीस (Eyepiece) होता है, मध्य में एक कठोर या लचीली ट्यूब, और ट्यूब के दूसरे छोर पर एक छोटा लेंस और लाइट होती है। हालांकि, यूरेटेरोस्कोप एक सिस्टोस्कोप की तुलना में अधिक लंबा और पतला होता है ताकि यूरोलॉजिस्ट (Urologist; मूत्र रोग विशेषज्ञ) मूत्रनली और गुर्दे की लाइनिंग के विस्तृत चित्र देख सकें। मूत्रनली और गुर्दे भी मूत्र पथ के भाग हैं।
यूरोलॉजिस्ट मूत्रनली में मूत्र के ब्लॉकेज या मूत्रनली या गुर्दे की असामान्यताएं का आंकलन करने हेतु युरेटेरस्कोपी करते हैं।
युरेटेरस्कोपी के दौरान, यूरोलॉजिस्ट मूत्रनली या गुर्दे का स्टोन, या गुर्दे या मूत्रनली की लाइनिंग पर असामन्य ऊतकों, जंतु, ट्यूमर या कैंसर को देख सकते हैं और इन समस्याओं का इलाज भी कर सकते हैं।
इस प्रक्रिया का उपयोग मूत्रनली या गुर्दे की बायोप्सी करने के लिए भी किया जाता है। बायोप्सी या स्टोन रिमूवल के लिए की गयी युरेटेरेस्कोपी में लगाए हुए स्टेंट को हटाने के लिए सिस्टोस्कोपी (Cystoscopy) का उपयोग कर सकते हैं।
सर्जरी की तैयारी के लिए आपको निम्न कुछ बातों का ध्यान रखना होगा और जैसा आपका डॉक्टर कहे उन सभी सलाहों का पालन करना होगा:
इन सभी के बारे में जानकारी प्राप्त करने के लिए इस लिंक पर जाएँ - सर्जरी से पहले की तैयारी
युरेटेरेस्कोपी के दौरान, महिलाएं पीठ के बल घुटने ऊपर की तरफ करके (टाँगे फैलाकर) लेटेंगी।
एनेस्थीसिया का असर शुरू होने पर, यूरोलॉजिस्ट धीरे-धीरे युरेटेरेस्कोप की टिप को मूत्रमार्ग में डालेंगे। फिर धीरे से उसे मूत्रमार्ग से खिसकाकर मूत्राशय की तरफ ले जायेंगे। यूरेटेरोस्कोप द्वारा एक संक्रमण रहित द्रव (Sterile Liquid), जिसे सेलाइन (Saline) कहा जाता है, से मूत्राशय को भरा जाता है जिससे मूत्राशय स्ट्रेच (फ़ैल) हो जाए और मूत्राशय भित्ति (Bladder Wall) को ढंग से देखा जा सके। यूरोलॉजिस्ट मूत्रनली की लाइनिंग की जांच करते हैं। वे युरेटेरेस्कोप को गुर्दे तक भी ले जा सकते हैं। मूत्रनली या गुर्दे की परेशानियों के उपचार के लिए युरेटेरेस्कोप के साथ छोटे उपकरण भी लगाए जा सकते हैं।
मूत्रशय के द्रव से भर जाने से रोगी को बेचैनी या परेशानी हो सकती है और मूत्रत्याग करने की इच्छा हो सकती है। प्रक्रिया के दौरान, यूरोलॉजिस्ट थोड़ा द्रव निकाल सकते हैं। प्रक्रिया के समाप्त होने पर, यूरोलॉजिस्ट द्वारा मूत्राशय से द्रव निकाल दिया जायेगा या मरीज़ को स्वयं ही मूत्राशय खाली करने के लिए कह दिया जाएगा।
इस प्रक्रिया में 15 से 30 मिनट लग सकते हैं। यह समय बढ़ सकता है अगर युरेटेरेस्कोपी का प्रयोग स्टोन के उपचार या बायोप्सी के लिए किया जा रहा हो।
प्रक्रिया के बाद, आम तौर पर मरीज़ सीधा घर जा सकते हैं। हालांकि अस्पताल में कितने समय तक रुकना होगा, यह एनेस्थीसिया के प्रभाव पर निर्भर करता है। अपने चिकित्सक द्वारा दिए गए निर्देशों का पालन करें।
युरेटेरस्कोपी के बाद मरीज़ों को निम्न समस्याएं हो सकतीं हैं। आम तौर पर ये परेशानियां 24 घंटों में ठीक हो जाएँगी लेकिन अगर समस्याएं गंभीर हैं या 24 घंटों में ठीक नहीं होती तो अपने चिकित्सक को अवश्य सूचित करें।
संक्रमण न हो इसके लिए आपको 1 या 2 दिन के लिए एंटीबायोटिक निर्धारित की जा सकती है। संक्रमण के लक्षण जैसे दर्द, ठंड लगना या बुखार दिखने पर चिकित्सक से परामर्श करें। (और पढ़ें – बुखार के घरेलू उपचार)
युरेटेरोस्कोपी से जुड़े जोखिम निम्न हैं:
निम्न समस्याएं या जटिलताएं होने पर तुरंत अपने चिकित्सक से संपर्क करें: