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ट्यूब थोराकोस्टोमी एक ऐसी सर्जरी है जिसमें अतिरिक्‍त तरल पदार्थ, हवा या खून को निकालने के लिए प्‍लूरल गुहा में एक ट्यूब डाली जाती है। फेफड़ों को कवर करने और छाती की दीवार के अंदर की लाइन की झिल्लियों द्वारा बनी पतली-सी जगह को प्‍लूरल गुहा कहते हैं।

सांस खींचते और छोड़ते समय दो झिल्लियां एक-दूसरे पर रपटती हैं। यह मूवमेंट प्‍लूरल गुहा में मौजूद फ्लूइड की पतली फिल्‍म से चिकनी होती है। हालांकि, कुछ बीमारियों और स्थितियों में प्‍लूरल गुहा में हवा, फ्लूइड या खून जमने लगता है जिससे फेफड़ों के काम में बाधा उत्‍पन्‍न होने लगती है।

मरीज की स्थिति के अनुसार, प्‍लूरल गुहा से अतिरिक्‍त हवा और फ्लूइड को पूरी तरह से निकालने में कुछ घंटे या दिन लग सकते हैं।

जब तक कि पूरा ड्रेनेज निकल नहीं जाता तब तक डॉक्‍टर आपको अस्‍पताल में रूकन के लिए कह सकते हैं या चेस्‍ट ट्यूब के साथ ही डिस्‍चार्ज कर सकते हैं। ट्यूब लगाने के लिए कुछ चेस्‍ट एक्‍स-रे से सर्जन देखते हैं कि कितना ड्रेनेज निकल रहा है।

इसके पूरा निकलने के बाद एक आसान प्रक्रिया से ट्यूब को हटा दिया जाता है। इसमें सर्जन आराम से ट्यूब को खींचते हैं और मरीज को सांस रोक कर रखनी होती है।

  1. ट्यूब थोराकोस्टोमी क्या है - What is Tube thoracostomy in Hindi
  2. ट्यूब थोराकोस्टोमी क्यों की जाती है - Why Tube thoracostomy is done in Hindi
  3. ट्यूब थोराकोस्टोमी कब नहीं करवानी चाहिए - When Tube thoracostomy is not done in Hindi
  4. ट्यूब थोराकोस्टोमी से पहले की तैयारी - Preparations before Tube thoracostomy in Hindi
  5. ट्यूब थोराकोस्टोमी कैसे की जाती है - How Tube thoracostomy is done in Hindi
  6. ट्यूब थोराकोस्टोमी के बाद देखभाल - Tube thoracostomy after care in Hindi
  7. ट्यूब थोराकोस्टोमी की जटिलताएं - Tube thoracostomy Complications in Hindi
ट्यूब थोराकोस्टोमी के डॉक्टर

इस सर्जरी में चीर-फाड़ कम होती है। हमारे फेफड़े विस्‍केरल प्‍लूरा नाम की पतली-सी झिल्‍ली से ढके होते हैं और छाती के अंदर की दीवार पेरिएटल प्‍लूरा से कवर होती है। इन दो झिल्लियों को प्‍लूरेल गुहा अलग करती है।

कुछ बीमारियों या चोट या सर्जरी आदि की वजह से इस गुहा पर खून, फ्लूइड या हवा जमने लगती है जिससे फेफड़ों की कार्यक्षमता और सांस लेने में दिक्‍कत होने लगती है।

प्‍लूरेल जगह से अतिरिक्‍त खून, हवा या फ्लूइड को निकालने, फेफड़ों को फैलाने और सांस लेने में मदद करने के लिए ट्यूब थोरेकोस्टॉमी सर्जरी की जाती है। इस सर्जरी को आइसोलेशन में ओपन हार्ट सर्जरी के दौरान किया जा सकता है।

चेस्‍ट ट्यूब अलग-अलग चौड़ाई में आती हैं। कोई पतली होती है तो कोई मोटी। यह ट्यूब बाहरी तौर पर स्‍टेराइल पानी से युक्‍त एक बोतल से जुड़ी होती है। यह पानी गुहा से निकल रहे ड्रेनेज यानि फ्लूइड या हवा को वापिस जाने से रोकता है।

कुछ मामलों में ड्रेनेज को निकालने के लिए इस ट्यूब को सक्‍शन पंप से जोड़ा जाता है। प्‍लूरल गुहा में दवाएं भेजने के लिए चेस्‍ट ट्यूब का भी इस्‍तेमाल किया जाता है।

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निम्‍न स्थितियों में इस सर्जरी की सलाह दी जाती है :

निम्‍न स्थितियों में इस सर्जरी के लिए मना किया जा सकता है :

  • प्‍लूरल सिंफिसिस (फेफड़ों के आसपास दो फिल्लियों में फ्यूजन)
  • कोएगुलोपैथी
  • पल्‍मोनरी डिजीज
  • डायफ्राग्‍मेटिक हर्निया
  • पहले की किसी सर्जरी की वजह से पल्‍मोनरी घाव
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सर्जरी से पहले मरीज से निम्‍न जानकारी ली जाती है :

  • मेडिकल हिस्‍ट्री
  • एलर्जी
  • प्रेगनेंट तो नहीं हैं
  • जड़ी बूटियों और डॉक्‍टर के पर्चे के बिना मिलने वाली दवाएं ले रहे हैं

डॉक्‍टर निम्‍न टेस्‍ट करवा सकते हैं :

इसके बाद सर्जन निम्‍न रूप से तैयार होने के लिए कहेंगे :

  • एस्प्रिन जैसी खून पतला करने वाली दवाएं सर्जरी से पहले लेना बंद कर दें। डॉक्‍टर आपको लिस्‍ट देंगे कि सर्जरी तक आप कौन-सी दवाएं ले सकते हैं।
  • सर्जरी से कुछ हफ्ते पहले सिगरेट पीना बंद कर दें।
  • सर्जरी के लिए जनरल एनेस्‍थीसिया दिया जाना है, तो एक रात पहले कुछ भी खाने-पीने से मना किया जाता है।
  • घर ले जाने के लिए कोई दोस्‍त या परिवार के सदस्‍य का होना।
  • मरीज की अनुमति के लिए एक फॉर्म साइन करवाया जाता है।

अस्‍पताल पहुंचने के बाद मरीज को हॉस्‍पीटल गाउन पहनाई जाती है। इसके बाद बॉडी टेंपरेचर, हार्ट रेट और ब्‍लड प्रेशर चेक किया जाता है और बांह में ड्रिप लगाई जाती है। सर्जरी के दौरान दर्द, इंफेक्‍शन और मतली से बचने के लिए दवाएं दी जाएंगी।

इस ड्रिप से बेहोश करने वाली दवाएं और ऑपरेशन वाली जगह को सुन्‍न करने के लिए लोकल एनेस्‍थीसिया एकसाथ दिया जाता है। हालांकि, कुछ मामलों में जनरल एनेस्‍थीसिया भी दिया जाता है। अगर ओपन चेस्‍ट सर्जरी के बाद यह प्रक्रिया की जाती है तो मरीज पहले से ही नींद में होता है।

इस सर्जरी को निम्‍न तरह से किया जाता है :

  • मरीज को ऑपरेशन थिएटर में मेडिकल टेबल पर लिटाया जाता है जिसमें एक बांह को सिर के ऊपर रखना होता है।
  • चेस्‍ट ट्यूब डालने के लिए डॉक्‍टर छाती में जगह देखने के लिए छाती का अल्‍ट्रासाउंड करेंगे।
  • सर्जरी के दौरान ऑक्‍सीजन लेवल, ब्‍लड प्रेशर, हार्ट रेट और पल्‍स चेक करने के लिए कुछ डिवाइस लगाए जाएंगे।
  • मरीज को  बेहोश करने के लिए ड्रिप के जरिए शामक दवाएं दी जाती हैं।
  • इसके बाद मार्क की गई जगह को साफ किया जाएगा और उस जगह को सुन्‍न करने के लिए लोकल एनेस्‍थीसिया दिया जाएगा।
  • अब इस जगह पर एक छोटा कट लगाया जाएगा।
  • इसके बाद छाती की दीवार की स्किन और मांसपेशियों को हटाकर प्‍लूरल गुहा के अंदर कट के जरिए चेस्‍ट ट्यूब डाली जाती है।
  • कुछ मामलों में सर्जन पहले सुईं के जीिए एक तार डालते हैं जो कि ट्यूब डालने के लिए एक ट्रैक की तरह काम करता है। इस प्रक्रिया के दौरान मरीज को थोड़ा दबाव या बंधा हुआ महसूस हो सकता है।
  • इसके बाद टांकों से चेस्‍ट ट्यूब को लगा देंगे और इसे एयरटाइट स्‍टेराइल पट्टी से ढक देंगे।

इस प्रक्रिया में लगभग 30 से 45 मिनट का समय लगता है। चेस्‍ट ट्यूब को लगाने के बाद सर्जन इसे जमीन पर रखे प्‍लास्टिक कंटेनर से जोड़ देंगे। जरूरत पड़ी तो ड्रेनेज के लिए बोतल को सक्‍शन पंप से जोड़ा जाएगा। जब तक कि चेस्‍ट ट्यूब निकल नहीं जाती, तब तक मरीज को अस्‍पताल में रूकना पड़ेगा।

कुछ मामलों में मरीज को चेस्‍ट ट्यूब के साथ ही छुट्टी मिल जाती है और उसे पोर्टेबल ड्रेनेज सिस्‍टम दिया जाता है। मरीज की स्थिति के आधार पर पूरा फ्लूइड निकलने में कुछ घंटों से लेकर कुछ दिन लग सकते हैं। अगर आप अस्‍पताल में रूक रहे हैं, तो आपको चेस्‍ट ट्यूब की देखभाल के लिए निम्‍न निर्देश दिए जाते हैं :

  • सर्जरी के तुरंत बाद चेस्‍ट एक्‍स-रे करवाया जाता है जिससे पता चल सके कि ट्यूब किस जगह लगी है। अस्‍पताल में रूकने के दिनों के दौरान कुछ एक्‍सरे और करवाए जाएंगे जिससे पता चले कि फ्लूइड वगैरह ठीक से निकल रहा है या नहीं।
  • अगर सर्जरी के बाद दर्द हो रहा है तो थोड़ी-थोड़ी देर में दर्द निवारक दवाएं दी जाएंगी।
  • सर्जन मरीज की फेफड़ों की क्षमता मापने के लिए स्पिरोमीटर लगाएंगे।
  • आपको चलने के लिए ड्रेनेज बेातल को अपनी कमर के नीचे तक रखना होगा।
  • अगर बोतल सक्‍शन पंप से जुड़ी है तो बिस्‍तर के नजदीक ही रहें।
  • अगर छाती में दर्द हो रहा है या आपको लग रहा है कि ट्यूब अपनी जगह से हट गई है तो नर्स को बताएं।
  • प्‍लूरल गुहा से फ्लूइड, हवा या खून के निकलने के बाद नर्स कुछ सेकंड में ही एक आसान प्रक्रिया से चेस्‍ट ट्यूब को निकाल देगी। पट्टी निकालने के बाद दो गहरी सांस लेने और फिर ट्यूब निकालने के लिए सांस को रोकने के लिए कहा जाएगा।
  • चेस्‍ट ट्यूब निकलने के बाद नर्स चीरे को बंद करने के लिए टाइट से टांकों को खींचेगी। अगर ट्यूब का साइज छोटा है तो टांकों की जरूरत नहीं होगी। इसकी जगह घाव को अपने आप भरने दिया जाएगा। इसके बाद सूखी पट्टी से ऑपरेशन वाली जगह को ढक दिया जाएगा।

अगर आप चेस्‍ट ट्यूब के साथ ही अस्‍पताल से डिस्‍चार्ज हो रहे हैं, तो इस तरह अपनी देखभाल करें :

  • डॉक्‍टर के बताए अनुसार दर्द निवारक दवाएं और एंटीबायोटिक लें।
  • ऑपरेशन वाली जगह के आसपास की स्किन को सूखा और साफ रखें। आप इसे पानी और साबुन से भी धो सकती हैं।
  • आप नहा सकते हैं लेकिन स्विमिंग या बाथटब में नहाने से बचें।
  • साफ पट्टी से ट्यूब लगाने वाली जगह को ढकें।
  • हर समय ड्रेनेज कंट्रेनर को छाती से नीचे रखें।
  • ड्रेनेज कंटेनर को भरने से पहले आपको निम्‍न काम करने पड़ सकते हैं :
  • एक साफ सिरिंज से कंटेनर के अंदर से फ्लूइड को खींच लें।
  • इसे टॉयलेट में फेंक दें।
  • बिस्‍तर पर लेटते समय अपनी पोजीशन बार-बार बदलते रहें।
  • रोज एक्‍सरसाइज करें या इस मामले में डॉक्‍टर की सलाह फॉलो करें।
  • रिकॉर्ड रखें कि ड्रेनेज कंट्रेनर में कितना फ्लूइड भरा है।

डॉक्‍टर को कब दिखाएं?

निम्‍न लक्षण दिखने पर तुरंत सर्जन को बताएं :

  • बुखार
  • छाती में दर्द
  • सांस लेने में दिक्‍कत
  • टांकों के ऊपर लगी पट्टी में खून आना
  • ट्यूब फटना या बाहर आना
  • ट्यूब लगी वाली जगह पर दर्द, लालिमा या सूजन होना
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इस सर्जरी से निम्‍न जटिलताएं हो सकती हैं :

  • इंफेक्‍शन
  • फेफड़ों या आसपास के अंगों जैसे कि हार्ट, डायफ्राम, लिवर आदि और रक्‍त वाहिकाओं को चोट लगना।
  • चेस्‍ट ट्यूब लगाने के बाद और दौरान दर्द
  • खून के थक्‍के बनना
  • टांके वाली जगह से ब्‍लीडिंग होना
  • पेट या प्‍लूरल गुहा में अंदरूनी ब्‍लीडिंग होना
  • चेस्‍ट ट्यूब बाहर आना या अपनी जगह से हट जाना
  • चेस्‍ट ट्यूब गलत लगना

फॉलो-अप के लिए डॉक्‍टर के पास कब जाएं?

यदि अस्‍पताल में रूकने के दौरान चेस्‍ट ट्यूब निकल जाती है तो टांके निकलवाने के लिए प्रक्रिया के सात दिन बाद सर्जन के पास जाना होगा।

प्‍लूरल गुहा में दोबारा फ्लूइड या हवा नहीं भर रहा है, ये चैक करने के लिए चेस्‍ट एक्‍स-रे करवाया जाएगा।

यदि चेस्‍ट ट्यूब के साथ ही अस्‍पताल से छुट्टी मिल गई है तो निम्‍न चीजों के लिए आपको फॉलो-अप के लिए आना होगा :

  • चेस्‍ट एक्‍स-रे और ड्रेनेज मॉनिटर करने
  • चेस्‍ट ट्यूब और टांके निकलवाने
नोट : ऊपर दी गई संपूर्ण जानकारी शैक्षिक दृष्टिकोण से दी गई है और यह डॉक्‍टरी सलाह का विकल्‍प नहीं है।
Dr Viresh Mariholannanavar

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श्वास रोग विज्ञान
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संदर्भ

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