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थोरेसिक एंडोवस्कुलर एरोटिक रिपेयर सर्जरी एओर्टा में एन्यूरिज्म (उभार) के इलाज के लिए की जाती है। हार्ट से पूरे शरीर तक ऑक्‍सीजन युक्‍त खून पहुंचाने वाली धमनी को एओर्टा कहते हैं। इस प्रक्रिया में स्‍टेंट ग्राफ्ट लगाकर कपड़े से ढकी मेटल की ट्यूब से एन्यूरिज्म को अटैच और बंद किया जाता है।

ग्राफ्ट प्रभावित हिस्‍से में खून की सप्‍लाई रोक देता है और एओर्टा फटने से बच जाता है। सर्जरी से एक रात पहले मरीज को कुछ भी खाने-पीने से मना किया जाता है। इस ऑपरेशन के लिए जनरल एनेस्‍थीसिया दिया जाएगा।

ऑपरेशन के बाद मरीज को तीन से चार दिन तक अस्‍पताल में रहना होगा। ब्रीदिंग एक्‍सरसाइजदवाओं (खून पतला करने वाली और कोलेस्‍ट्रॉल घटाने वाली), कुछ काम न करे और घाव की देखभाल कर के मरीज की रिकवरी होती है।

  1. थोरेसिक एंडोवस्कुलर एरोटिक रिपेयर क्या है - What is Thoracic Endovascular Aortic Repair in Hindi
  2. थोरेसिक एंडोवस्कुलर एरोटिक रिपेयर क्यों की जाती है - Why Thoracic Endovascular Aortic Repair is done in Hindi
  3. थोरेसिक एंडोवस्कुलर एरोटिक रिपेयर कब नहीं करवानी चाहिए - When Thoracic Endovascular Aortic Repair is not done in Hindi
  4. थोरेसिक एंडोवस्कुलर एरोटिक रिपेयर से पहले की तैयारी - Preparations before Thoracic Endovascular Aortic Repair in Hindi
  5. थोरेसिक एंडोवस्कुलर एरोटिक रिपेयर कैसे की जाती है - How Thoracic Endovascular Aortic Repair is done in Hindi
  6. थोरेसिक एंडोवस्कुलर एरोटिक रिपेयर के बाद देखभाल - Thoracic Endovascular Aortic Repair after care in Hindi
  7. थोरेसिक एंडोवस्कुलर एरोटिक रिपेयर की जटिलताएं - Thoracic Endovascular Aortic Repair Complications in Hindi
थोरेसिक एंडोवस्कुलर एरोटिक रिपेयर के डॉक्टर

एओर्टा में एन्‍यूरिज्‍म को ठीक करने के लिए थोरेसिक एंडोवस्कुलर एरोटिक रिपेयर सर्जरी की जाती है।

एओर्टा सबसे बड़ी धमनी होती है जो ऑक्‍सीजन युक्‍त खून हार्ट से शरीर के बाकी हिस्‍सों तक पहुंचाती है। यह हार्ट से लेकर छाती के जरिए पेट तक पहुंचती है। पेट से रक्‍त वाहिकाएं आगे बंट जाती हैं और टांगों तक खून पहुंचाती हैं।

एओर्टा की मोटी दीवारें होती हैं जो इसकी दीवारों के विरोध में प्रेशर को ने पाती हैं। हालांकि, कुछ स्थितियों में ये दीवारें कमजोर या क्षतिग्रस्‍त हो सकती हैं और इनमें सूजन या उभार आ सकता है जो कि खून के प्रेशर की वजह से होता है। ऐसी स्थिति को एन्‍यूरिज्‍म कहते हैं।

यदि इसका इलाज न किया जाए तो उभड़ी हुई धमनी फट सकती है। इसलिए इस स्थिति के इलाज के लिए यह सर्जरी की जाती है। इस प्रक्रिया में उभड़ी हुई धमनी के अंदर स्‍टेंट ग्राफ्ट, कपड़े से ढकी मेटल ट्यूब को डाला जाता है।

एओर्टा के अंदर की दीवारों को चौड़ा करने और उससे जुड़ी पतली सी ट्यूब यानि ग्राफ्ट घुल जाता है। एओर्टा एन्‍यूरिज्‍म में खून के प्रवाह को रोकने के लिए स्‍टेंट ग्राफ्ट और दीवार के बीच सील लगाई जाती है। रक्‍त प्रवाह रूकने के बाद एन्‍यूरिज्‍म सिकुड़ जाता है जिससे एओर्टा फटती नहीं है।

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यदि थोरेसिक एंडोवस्कुलर एरोटिक एन्‍यूरिज्‍म का व्‍यास 5 से.मी से ज्‍यादा हो तो इस सर्जरी की सलाह दी जाएगी। इसके कुछ लक्षण हैं :

इसके अलावा निम्‍न स्थितियों में भी इस सर्जरी की सलाह दी जा सकती है :

  • ट्रामेटिक एयोरटिक ट्रांसेक्‍शन (ट्रामा की वजह से एओर्टा का फटना)
  • टाइप बी एयोरटिक डिस्‍सेक्‍शन (थोरेसिक एओर्टा के आखिरी हिस्‍से का छिलना)
  • पेनिट्रेटिंग एयोरटिक अल्‍सर (अल्‍सर बनना जो एओर्टा की दीवार में घुस रहा हो)
  • थोरासोएब्‍डोमिनल एयोरटिक एन्‍यूरिज्‍म (छाती से पेट की ओर एन्‍यूरिज्‍म का फैलना)
 

निम्‍न स्थितियों में इस सर्जरी की सलाह नहीं दी जाती है :

  • यदि मरीज के शरीर की रचना यानि एनेटॉमी सर्जरी के लिए ठीक न हो जैसे कि एओर्टा की संरचना में असामान्‍यता।
  • सर्जरी वाली जगह में इंफेक्‍शन होना।
 
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ऑपरेशन से पहले नीचे बताए गए तरीके से तैयारी की जाती है :

  • डॉक्‍टर पहले मरीज की संपूर्ण शारीरिक जांच करेंगे और उसकी मेडिकल हिस्‍ट्री देखेंगे। इस दौरान कुछ टेस्‍ट भी करवाए जाएंगे, जैसे कि :
  • डॉक्‍टर को इन बातों के बारे में जरूर बताएं :
    • प्रेगनेंट हैं या हो सकती हैं
    • किसी दवा या सर्जरी वाली चीज जैसे कि लेटेक्‍स, टेप, आयोडीन या कंट्रास्‍ट डाई से।
    • ब्‍लीडिंग विकार है
  • जो भी दवा ले रहे हैं, डॉक्‍टर के पर्चे के बिना मिलने वाली दवा, जड़ी बूटी, विटामिन और सप्‍लीमेंट ले रहे हैं तो डॉक्‍टर को बताएं।
  • सर्जरी से पहले खून पतला करने वाली दवाएं बंद कर दें।
  • ब्‍लड प्रेशर कम करने, रक्‍त वाहिकाओं को रिलैक्‍स करने और सर्जरी होने तक एन्‍यूरिज्‍म को फटने से रोकने के लिए डॉक्‍टर कुछ दवाएं दे सकते हैं।
  • ऑपरेशन से एक रात पहले कुछ भी खाने-पीने से मना किया जाता है।
  • ऑपरेशन के बाद जल्‍दी रिकवरी के लिए सर्जरी से पहले सिगरेट पीना बंद कर दें।
  • अस्‍पताल से घर ले जाने के लिए कोई दोस्‍त या परिवार का सदस्‍य हो।
  • सर्जरी के लिए अनुमति के लिए मरीज से एक फॉर्म साइन करवाया जा सकता है।

अस्‍पताल में भर्ती होने के बाद :

  • मरीज को हॉस्‍पीटल गाउन पहनाई जाती है।
  • ऑपरेशन थिएटर में मरीज को पीठ के बल मेडिकल टेबल पर लिटाया जाता है।
  • इसके बाद दवाएं देने के लिए मरीज की बांह या हाथ में ड्रिप लगाई जाती है।
  • ऑपरेशन के दौरान बेहोश करने के लिए मरीज को जनरल एनेस्‍थीसिया दिया जाता है। कुछ मामलो में ऑपरेशन वाली जगह को सुन्‍न करने के लिए एपिड्यूरल एनेस्‍थीसिया दिया जाता है।
  • मेडिकल टीम सांस, ऑक्‍सीजन लेवल, हार्ट रेट और ब्‍लड प्रेशर को मॉनिटर करेंगे।
  • अब पेशाब निकालने के लिए मूत्राशय में एक ट्यूब डाली जाएगी।
  • मरीज के बेहोश होने के बाद गले के जरिए उसके फेफड़ों के अंदर एक ब्रीदिंग ट्यूब डाली जाएगी और सर्जरी के दौरान सांस देने के लिए वेंटिलेटर जोड़ा जाएगा।

निम्‍न तरीके से सर्जरी की जाएगी :

  • दोनों जांघों के अंदरूनी हिस्‍से में ग्रोइन वाले हिस्‍से में फेमोरल धमनियों तक पहुंचने के लिए सर्जन एक कट लगाएंगे और इस कट के जरिए फेमोरल धमनी के अंदर सुईं डालेंगे।
  • सुईं के इस्‍तेमाल से सर्जन एक गाइडवायर डालेंगे और एक्‍स-रे की मदद से एन्‍यूरिज्‍म वाली जगह को उठाते हैं।
  • अब सर्जन सुईं को हटा देंगे और वायर के ऊपर शीथ नाम की कैथेटर लगाएंगे।
  • इसके बाद एओर्टाग्राम के इस्‍तेमाल से एओर्टा में एन्‍यूरिज्‍म की पोजीशन और इससे जुड़ी रक्‍त वाहिकाओं को देखते हैं।
  • फिर सर्जन शीथ के सिरे पर स्‍टेंट ग्राफ्ट को जोड़ देंगे और फेमोरल धमनी के अंदर इसे लगा देते हैं। इसके बाद स्‍टेंट ग्राफ्ट को धीरे से एन्‍यूरिज्‍म के ऊपर उठाते हैं, जहां स्‍टेंट की मेटल फ्रेम चौड़ी होती है और एयोरटिक दीवारों से जुड़ती है।
  • स्‍टेंट इंप्‍लांट करने के बाद डॉक्‍टर देखते हैं कि एन्‍यूरिज्‍म वालीजगह से कुछ लीक तो नहीं हो रहा है।
  • अगर कोई लीकेज नहीं होती है तो सर्जन गाइडवायर और कैथेटर को निकाल देंगे।
  • अब घुलने वाले टांके लगाकर कट को बंद कर दिया जाता है और उस हिस्‍से पर पट्टी कर दी जाती है।

मरीज की स्थिति पर निर्भर करता है कि सर्जरी में कितना समय लगेगा। सर्जरी के बाद मरीज को उसक कमरे में ले जाया जाता है। अस्‍पताल में रूकने पर,

  • मुंह के अंदर ब्रीदिंग ट्यूब लगी रहती है। होश में आने के बाद और ठीक से सांस ले पाने पर ट्यूब की जगह ऑक्‍सीजन मास्‍क लगाया जाता है। ड्रिप से ही मरीज को दर्द निवाकर दवा दी जाती है।
  • अस्‍पताल में रहने पर ही पेशाब के लिए लगाई गई ड्रेनेज ट्यूब हटा ली जाती है।
  • इस दौरान बॉडी की जरूरी क्रियाओं को मॉनिटर किया जाता है।
  • शुरुआत में खाने में तरल चीजें दी जाती हैं और फिर धीरे-धीरे ठोस आहार खिलाना शुरू किया जाता है।
  • सर्जरी के बाद थोड़ा चलने-फिरने को कहा जा सकता है।
  • फिजियोथेरेपिस्‍ट कुछ ब्रीदिंग एक्‍सरसाइज बता सकते हैं और जल्‍दी रिकवरी के लिए इन्‍हें रोज करने के लिए कह सकते हैं।
  • सर्जरी के तीन से चार दिन बाद अस्‍पताल से छुट्टी मिल जाएगी। अस्‍प्‍ताल से निकलने से पहले एओर्टा के अंदर स्‍टेंट की पोजीशन देखने के लिए डॉक्‍टर एक्‍स-रे करवाएंगे।

घर पहुंचने के बाद निम्‍न तरीके से देखभाल करनी होती है :

  • नहाना :
    • सर्जरी के बाद कम से कम पांच दिन तक न नहाएं।
    • नहाने के बाद टांके वाली जगह को सुखा लें।
  • दवा :
    • ऑपरेशन के बाद ब्‍लड कोलेस्‍ट्रॉल घटाने के लिए सर्जन स्‍टेटिन लिख सकते हैं।
    • सर्जरी के बाद खून के थक्‍के बनने से रोकने के लिए खून पतला करने वाली दवाएं भी दी जा सकती हैं।
  • एक्टिविटी :
    • ज्‍यादा भारी सामान न उठाएं।
    • ब्रीदिंग एक्‍सरसाइज करते रहें।
    • रोज पैदल चलें।
    • रोजमर्रा के काम शुरू करने में तीन महीने का समय लगेगा।
  • ट्रैवल :
    • सर्जरी के दो हफ्ते बाद तक ड्राइविंग न करें।
    • सर्जरी के बाद प्‍लेन में जाने से पहले डॉक्‍टर से पूछें।

डॉक्‍टर को कब दिखाएं :

निम्‍न लक्षण दिखने पर डॉक्‍टर को दिखाएं :

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इस सर्जरी से निम्‍न जोखिम जुड़े हो सकते हैं, जैसे कि :

  • ब्‍लीडिंग
  • लकवा
  • स्‍ट्रोक
  • स्‍टेंग ग्राफ्ट के आसपास लीकेज होना
  • एनेस्‍थीसिया से एलर्जी
  • हार्ट अटैक
  • रक्‍त वाहिकाओं में चोट लगना
  • ग्राफ्ट का अपनी जगह से हटना
  • विस्‍केरल इस्‍केमिया (पेट के अंदर अंगों तक खून की सप्‍लाई अपर्याप्‍त होना)
  • किडनी को नुकसान
  • इंफेक्‍शन
  • एन्‍यूरिज्‍म का ज्‍यादा उभरना
  • स्‍टेंट ग्राफ्ट फेल होना
  • खून के थक्‍के बनना
  • अंगों को नुकसान पहुंचना

फॉलो-अप के लिए डॉक्‍टर के पास कब जाएं?

ऑपरेशन के तीन महीने बाद डॉक्‍टर के पास चेकअप के लिए जाना होगा। इस दौरान एओर्टा की दीवार के अंदर स्‍टेंट की पोजीशन देखने के लिए सी.टी स्‍कैन किया जाएगा।

नोट : ऊपर दी गई संपूर्ण जानकारी शैक्षिक दृष्टिकोण से दी गई है और यह डॉक्‍टरी सलाह का विकल्‍प नहीं है।

Dr. Farhan Shikoh

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संदर्भ

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