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सिम्फिसियोटमी एक सर्जरी प्रोसीजर है, जिसमें सिम्फाइसिस को काटा जाता है। सिम्फाइसिस एक प्रकार का कार्टिलेज है, जो कूल्हे की निचली हड्डी के बीच में स्थित होता है। इस सर्जरी को मुख्य रूप से पेल्विस के आकार को बढ़ाने के लिए किया जाता है, ताकि बच्चे को जन्म देते समय कोई जटिलता न हो। सिम्फिसियोटमी सर्जरी को जनरल एनेस्थीसिया का इंजेक्शन लगाकर सिजेरियन सेक्शन के विकल्प के रूप में किया जाता है। इस सर्जरी के दौरान सर्जन सिम्फाइसिस के ऊपर की त्वचा को काट देते हैं, जिससे यह कार्टिलेज पूरी तरह से अलग हो जाता है। 

सर्जरी के बाद आपको कम से कम एक हफ्ते तक अस्पताल में रहना पड़ता है। डॉक्टर आपको सर्जरी के बाद लगभग तीन महीने तक पूरी तरह से आराम करने की सलाह देते हैं और इस दौरान कोई भी अधिक मेहनत वाली शारीरिक गतिविधि करने से मना करते हैं।

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  1. सिम्फिसियोटमी क्या है - What is Symphysiotomy in Hindi
  2. सिम्फिसियोटमी किसलिए की जाती है - Why is Symphysiotomy done in Hindi
  3. सिम्फिसियोटमी से पहले - Before Symphysiotomy in Hindi
  4. सिम्फिसियोटमी के दौरान - During Symphysiotomy in Hindi
  5. सिम्फिसियोटमी के बाद - After Symphysiotomy in Hindi
  6. सिम्फिसियोटमी की जटिलताएं - Complications of Symphysiotomy in Hindi

सिम्फिसियोटमी सर्जरी किसे कहते हैं?

सिम्फिसियोटमी एक सर्जरी प्रोसीजर है, जिसकी मदद से बच्चे को जन्म देते समय महिला को होने वाली जटिलताएं कम हो जाती हैं। इस प्रक्रिया के दौरान प्यूबिक सिम्फाइसिस में मौजूद कार्टिलेज को काट कर पेल्विस के आकार को बढ़ा दिया जाता है।

पेल्विस कूल्हे की हड्डियों के बीच का हिस्सा है, जिसमें गर्भाशय, गर्भाशय ग्रीवा और योनि जैसे अंग होते हैं। पुरुषों की तुलना में महिलाओं का पेल्विस बड़ा होता है, जिसकी मदद से बच्चे को जन्म देने की प्रक्रिया संभव हो पाती है। साथ ही महिलाओं के पेल्विस में मौजूद हड्डियां व लिगामेंट में भी खिंचाव आता है, जो बच्चे को जन्म देने की प्रक्रिया में मदद करती है। हालांकि, कुछ जटिलताओं में जैसे गर्भ में बच्चे की पोजीशन असामान्य होना या जन्म देने के दौरान बच्चे का सिर फंस जाना आदि स्थितियों में सर्जन प्यूबिक सिम्फाइसिस को काटने पर विचार कर सकते हैं।

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इससे प्यूबिक हड्डियां अलग-अलग हो जाती हैं और बच्चे के बाहर आने के लिए पर्याप्त जगह बन जाती है।

सिम्फिसियोटमी सर्जरी को सी-सेक्शन सर्जरी के विकल्प के रूप में भी किया जा सकता है। ऐसा आमतौर पर तभी किया जाता है, जब किसी कारण से सी सेक्शन सर्जरी करना संभव न हो जैसे मेडिकल सुविधाएं कम होना या महिला द्वारा सी सेक्शन करवाने से मना कर देना आदि।

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सिम्फिसियोटमी किसलिए की जाती है?

यदि बच्चे की डिलीवरी के दौरान निम्न जटिलताएं हो रही हैं, तो सिम्फिसियोटमी सर्जरी करने पर विचार किया जा सकता है -

  • लगभग एक घंटे तक बच्चे का सिर फंसा रहना और वैक्यूम डिवाइस का भी काम न कर पाना 
  • डिलीवरी के दौरान बच्चे के पैर आना और सिर फंस जाना
  • महिला का सी-सेक्शन सर्जरी कराने से मना कर देना या फिर सी-सेक्शन के लिए पर्याप्त सुविधाएं न होना
  • बच्चे का सिर मां के पेल्विस की तुलना में अत्यधिक बड़ा होना (सिफेलोपेल्विक डिस्प्रॉपोर्शन)
  • मां के कूल्हे की निचली हड्डियों में बच्चे का कंधा अटक जाना (शोल्डर डिस्टॉसिया)
  • डिलीवरी की दूसरी स्टेज में अधिक समय लगना (इस स्टेज में सर्विक्स पूरी तरह से खुल जाता है)
  • किसी अन्य तरीके से बच्चे के बच्चे की डिलीवरी करने में असमर्थ होना

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सिम्फिसियोटमी किसे नहीं करवानी चाहिए?

कुछ ऐसी स्थितियां हैं, जिनमें सिम्फिसियोटमी सर्जरी नहीं की जाती है और यदि की जाती है तो विशेष सावधानियां बरती जाती हैं। इनमें निम्न स्थितियां शामिल हैं -

  • यदि बच्चा जीवित न हो
  • सर्विक्स पूरी तरह से खुला न हो
  • यदि डिलीवरी के दौरान बच्चे का सिर न फंसा हो
  • शिशु का गर्भ में एक तरफ हो जाना 
  • गर्भ में शिशु की पोजीशन असामान्य होना, जिससे डिलीवरी संबंधी जटिलताएं होने लगती हैं।

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सिम्फिसियोटमी सर्जरी से पहले क्या तैयारी की जाती है?

सिम्फिसियोटमी सर्जरी से पहले डॉक्टर निम्न की सलाह देते हैं -

  • यदि आप किसी भी प्रकार की दवा, विटामिन, मिनरल या अन्य कोई सप्लीमेंट ले रहे हैं, तो इस बारे में डॉक्टर को बता दें।
  • यदि आपको किसी दवा, भोजन या अन्य किसी चीज से एलर्जी है, तो डॉक्टर को इस बारे में बता दें। 
  • यदि आपको रक्त संबंधी कोई बीमारी है, जैसे ब्लीडिंग या क्लॉटिंग डिसऑर्डर आदि तो डॉक्टर को इस बारे में बता दें।

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सिम्फिसियोटमी सर्जरी कैसे की जाती है?

जब आप सर्जरी के लिए अस्पताल पहुंच जाते हैं, तो मेडिकल स्टाफ आपको एक विशेष ड्रेस पहनने को देते हैं जिसे “हॉस्पिटल गाउन” कहा जाता है। आपको टेबल पर लेटकर अपने घुटने पेट के ऊपर लाने को कहा जाता है। सर्जरी वाले हिस्से को एंटीसेप्टिक दवाओं के साथ साफ किया जाता है। आपके मूत्राशय में एक ट्यूब लगा दी जाती है, ताकि सर्जरी के दौरान पेशाब निकल सके। इसके बाद आपको सर्जरी वाले हिस्से को सुन्न करने के लिए एनेस्थीसिया का इंजेक्शन लगाया जाता है।

सिम्फिसियोटमी का सर्जिकल प्रोसीजर कुछ इस प्रकार है -

  • योनि में दो उंगलियां डाली जाती है, जिसकी मदद से मूत्रमार्ग को एक तरफ कर दिया जाता है।
  • इसके बाद सर्जिकल उपकरण (स्केलपेल) की मदद से प्यूबिक सिम्फाइसिस में एक चीरा लगाया जाता है।
  • इसके बाद सर्जन कार्टिलेज में तब तक चीरा लगाते हैं, जब तक डाली गई उंगलियों को स्केलपेल का दबाव महसूस न हो।
  • सिम्फाइसिस को काटने के लिए स्केलपेल को ऊपर व नीचे की तरफ फेरा जाता है।
  • जब सिम्फाइसिस अलग हो जाता है, तो प्यूबिक बोन को अलग किया जाता है।
  • इसके बाद एपिसियोटमी सर्जरी की जाती है और वैक्यूम एक्सट्रैक्टर की मदद से शिशु को निकाल लिया जाता है।
  • इसके बाद सर्जरी के चीरे को बंद करके उसमें टांके लगा दिए जाते हैं।

इस प्रक्रिया को पूरा होने में मात्र दो से तीन मिनट का समय लगता है। कैथेटर को सर्जरी के एक या दो दिन बाद हटा दिया जाता है। सर्जरी के लगभग एक हफ्ते बाद आपको घर जाने की अनुमति दे दी जाती है। सर्जरी के बाद कुछ दिन तक लगातार आपको बेडरेस्ट की सलाह दी जाती है और लगभग 5 दिन बाद आपको बैसाखी की मदद से थोड़ा-बहुत चलने फिरने की अनुमति दी जाती है। हालांकि, यदि सर्जरी के बाद आप सामान्य रूप से स्वस्थ नहीं हो पा रहे हैं या फिर आपके पेशाब में रक्त आ रहा है तो आपको 10 से 14 दिनों तक अस्पताल में रखा जा सकता है।

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सिम्फिसियोटमी सर्जरी के बाद की देखभाल कैसे करें?

सर्जरी के बाद जब आप घर पहुंच जाते हैं, तो स्वास्थ्य का ध्यान रखने के लिए निम्न सलाह दी जा सकती हैं -

  • सर्जरी के बाद आपको लगभग दो हफ्ते तक आराम करने की सलाह दी जाती है।
  • सर्जरी के बाद आपको कुछ समय के लिए दर्द रह सकता है, जिसके लिए दर्दनिवारक दवाएं दी जाती हैं। इस दौरान आपको संक्रमण होने का खतरा भी बढ़ जाता है, जिसके लिए आपको एंटीबायोटिक दवाएं दी जाती हैं।
  • आपको एक विशेष इलास्टिक पट्टी दी जा सकती है, जिससे दर्द को कम करने में मदद मिलती है और सिम्फाइसिस को स्थिर रखा जाता है।
  • रोजाना पर्याप्त मात्रा में पानी व अन्य तरल पदार्थ पिएं, ताकि शरीर में पानी की कमी न हो और नियमित रूप से पेशाब आता रहे।
  • सर्जरी के बाद आपको लगभग तीन महीने तक कोई भी भारी वस्तु उठाने या अधिक मेहनत वाली एक्सरसाइज करने से मना किया जाता है।
  • आपको कम से कम छह महीने तक अपनी टांगों को फैलाने से मना किया जाता है।

सिम्फिसियोटमी सर्जरी से क्या फायदे होते हैं :

  • गर्भाशय पर कोई निशान न पड़ना
  • शिशु की पोजीशन ठीक न होने पर भी बिना कोई हानि हुए डिलीवरी होना
  • सी सेक्शन करवाने की आशंका कम होना

डॉक्टर को कब दिखाएं?

यदि आपको सर्जरी के बाद निम्न में से कोई भी लक्षण महसूस हो रहा है, तो डॉक्टर को बता दें -

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सिम्फिसियोटमी सर्जरी से क्या जोखिम हो सकते हैं?

सिम्फिसियोटमी सर्जरी से निम्न जोखिम व जटिलताएं हो सकती हैं -

  • मूत्राशय या मूत्रमार्ग में सर्जरी के दौरान चोट लगना
  • अत्यधिक रक्तस्राव होना
  • पेल्विस अस्थिर होना
  • मूत्राशय और योनि के बीच छिद्र होना (वैसिकोवेजाइनल फिस्टुला)
  • हड्डी में संक्रमण
  • चलने में दिक्कत होना
  • संक्रमण
  • छींकते, खांसते या अन्य कोई गतिविधि करते समय पेशाब रिसना (स्ट्रेस इन्कॉन्टिनेंस)

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संदर्भ

  1. Verkuyl DA. Think globally act locally: the case for symphysiotomy. PLoS Med. 2007 Mar;4(3):e71. PMID: 17388656.
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  3. Neumayer L, Ghalyaie N. Principles of preoperative and operative surgery. In: Townsend CM Jr, Beauchamp RD, Evers BM, Mattox KL, eds. Sabiston Textbook of Surgery: The Biological Basis of Modern Surgical Practice. 20th ed. Philadelphia, PA: Elsevier; 2017:chap 10
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  5. Monjok E, Okokon IB, Opiah MM, Ingwu JA, Ekabua JE, Essien EJ. Obstructed Labour in resource–poor settings: the need for revival of symphysiotomy in Nigeria. Afr J Reprod Health. 2012 Sep;16(3):94–101. PMID: 23437503.
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