रेडियोफ्रीक्वेंसी एब्लेशन कैसे की जाती है?
जब आप सर्जरी के लिए अस्पताल पहुंच जाते हैं, तो सबसे पहले मेडिकल स्टाफ आपको एक विशेष ड्रेस पहनने को देते हैं जिसे “हॉस्पिटल गाउन” कहा जाता है। इसके बाद सर्जरी प्रोसीजर शुरू किया जाता है -
- आपको एक टेबल पर लिटाया जाता है और आपकी बांह या हाथ की नस में सुई लगाई जाती है। इंट्रावेनस लाइन की मदद से आपको सर्जरी के दौरान दवाएं व अन्य आवश्यक द्रव दिए जाते हैं।
- इसके बाद जिस हिस्से की सर्जरी करनी है उसे एंटीसेप्टिक से साफ किया जाता है, इससे संक्रमण होने का खतरा नहीं रहता है।
- सर्जरी वाले हिस्से को सुन्न करने के लिए लोकल एनेस्थीसिया का इंजेक्शन लगाया जाता है। इसके अलावा आपको सीडेटिव दवाएं भी दी जाती हैं, ताकि आप सर्जरी के दौरान शांत रहें।
- सर्जरी के दौरान कुछ इमेजिंग स्कैन भी किए जाते हैं, जैसे एमआरआई आदि।
रेडियोफ्रीक्वेंसी एब्लेशन की सटीक सर्जरी प्रोसीजर शरीर के प्रभावित हिस्से की जगह और स्थिति की गंभीरता पर निर्भर करती है। एमआरआई, सीटी स्कैन, एक्स रे या अल्ट्रासाउंड के मार्गदर्शन में सर्जन सर्जरी वाले हिस्से में एक विशेष सुई डालते हैं। इस सुई से प्रोब मशीन जुड़ी होती है और इसे कैथेटर की मदद से प्रभावित हिस्से में डाला जाता है। इसके बाद सुई से जुड़ी मशीन इलेक्ट्रिक करंट या रेडियो तरंगों की मदद से सुई को गर्म किया जाता है, जिससे असामान्य ऊतकों को नष्ट किया जाता है।
स्थितियों के अनुसार रेडियोफ्रीक्वेंसी एब्लेशन सर्जरी को भी अलग-अलग तरीके से किया जाता है -
वेरीकोज वेन्स
जब आपकी टांग सुन्न हो जाती है, तो इस स्थिति का इलाज करने के लिए सर्जन रेडियोफ्रीक्वेंसी एब्लेशन को निम्न सर्जिकल प्रोसीजर के अनुसार करते हैं -
- सबसे पहले प्रभावित नस में एक छोटा सा छिद्र किया जाता है और इसके बाद कैथेटर ट्यूब के माध्यम से आरएफ डिवाइस को नस में डाला जाता है।
- जब कैथेटर ठीक से लग जाता है, तो सर्जन इसे नस से वापस खींच लेते हैं।
- इससे नस का प्रभावित हिस्सा गर्म होकर सिकुड़ जाता है और रक्त की सप्लाई बंद हो जाती है।
- इसके बाद वेरीकोज वेन्स के आसपास की शाखाओं को निकालने के लिए अन्य कई छोटे-छोटे कट लगाए जाते हैं।
- जब नसें बंद हो जाती हैं, तो कैथेटर ट्यूब को निकाल दिया जाता है और उस जगह पर थोड़ा दबाव दिया जाता है, ताकि ब्लीडिंग न हो पाए
- टांग के ऊपर पट्टी कर दी जाती है या एक विशेष इलास्टिक स्टॉकिंग्स लगा दिए जाते हैं।
बिनाइन प्रोस्टेट हाइपरप्लासिया
बिनाइन प्रोस्टेट हाइपरप्लासिया के इलाज के लिए रेडियोफ्रीक्वेंसी एब्लेशन की सर्जरी प्रोसीजर को कुछ इस प्रकार से किया जाता है -
- लिंग के अंदर से सिस्टोस्कोप नामक उपकरण को मूत्रमार्ग में डाला जाता है। इस उपकरण की मदद से छोटी-छोटी सुइयों को प्रोस्टेट ग्रंथि तक पहुंचाते हैं।
- जब सुई उस जगह तक पहुंच जाती है, तो सर्जन इनके माध्यम से रेडियो तरंगें भेजते हैं।
- रेडियो तरंगों से पैदा होने वाली एनर्जी सुई को गर्म कर देती है, जिससे प्रोस्टेट ग्रंथि के कुछ ऊतकों को नष्ट करके उसका आकार कम किया जाता है।
- प्रोसीजर के बाद ध्यानपूर्वक सिस्टोस्कोप को बाहर निकाल दिया जाता है।
अंत में मूत्राशय में कैथेटर लगा दिया जाता है, जो सर्जरी के घाव ठीक होने तक पेशाब को निकालने का काम करता है। इसी प्रकार स्लीप एपनिया में सर्जन मुंह और गले के अंदर से उपकरण को निकालकर अतिरिक्त ऊतकों को नष्ट करते हैं।
इस सर्जरी प्रोसीजर को पूरा करने में लगभग 45 से 60 मिनट का समय लगता है। सर्जरी के बाद जब तक आपके शारीरिक संकेत (हार्ट रेट, ब्लड प्रेशर और पल्स रेट आदि) सामान्य नहीं होते हैं, आपको रिकवरी रूम में ही रखा जाता है। हालांकि, कुछ जटिलताएं होने पर डॉक्टर आपको लंबे समय तक भी अस्पताल में भर्ती रख सकते हैं। सर्जरी के एक से तीन दिन बाद कैथेटर को भी निकाल दिया जाता है।
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