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पल्मोनरी लोबेक्टमी एक ऐसी सर्जरी प्रक्रिया है, जिसकी मदद से फेफड़ों के रोग ग्रस्त लोब या हिस्से को हटाया जाता है। इस सर्जिकल प्रक्रिया का उपयोग फेफड़ों के सामान्य रूप से कार्य करने की क्षमता को सुनिश्चित करने और रोग को फैलने से रोकने के लिए किया जाता है। सर्जरी के दौरान आपको नींद की दवा दे दी जाती है, जिससे आप सर्जरी होने तक गहरी नींद में सोते रहते हैं। पल्मोनरी लोबेक्टोमी को अलग-अलग तरीकों से किया जाता है, जिसमें प्रभावित हिस्से के ऊपर एक बड़ा कट या छोटे-छोटे तीन से चार कट लगाए जाते हैं। सर्जरी के बाद आमतौर पर दो से चार दिन तक ही आपको अस्पताल में रहना पड़ता है।

(और पढ़ें - पल्मोनरी एम्बोलिज्म क्या है)

  1. पल्मोनरी लोबेक्टोमी क्या है - What is Pulmonary Lobectomy in Hindi
  2. पल्मोनरी लोबेक्टोमी क्यों की जाती है - Why is Pulmonary Lobectomy done in Hindi
  3. पल्मोनरी लोबेक्टोमी से पहले की तैयारी - Preparations before Pulmonary Lobectomy in Hindi
  4. पल्मोनरी लोबेक्टोमी कैसे की जाती है - How is Pulmonary Lobectomy done in Hindi
  5. पल्मोनरी लोबेक्टोमी के बाद देखभाल - Pulmonary Lobectomy after care in Hindi
  6. पल्मोनरी लोबेक्टोमी की जटिलताएं - Pulmonary Lobectomy Complications in Hindi

पल्मोनरी लोबेक्टोमी एक सर्जिकल प्रक्रिया है, जिसकी मदद से फेफड़ों के प्रभावित लोब (हिस्से) को निकाला जाता है, जो आमतौर पर संक्रमण, ट्यूमर या किसी अन्य रोग के कारण क्षतिग्रस्त हो जाते हैं।

मुंह और नाक के द्वारा शरीर के अंदर ली जाने वाली हवा श्वास नली से होते हुऐ आगे दो नलियों में बंट जाती है और उसके बाद फेफड़ों तक पहुंचती है। फेफड़े छोटे-छोटे हिस्सों में बंटे होते हैं, जिन्हें लोब कहते हैं। बाएं फेफड़े में दो और दाएं फेफड़े में तीन लोब होते हैं। जब किसी रोग के कारण इनमें से कोई भी लोब प्रभावित हो जाता है, तो डॉक्टर पल्मोनरी लोबेक्टोमी सर्जरी की सलाह देते हैं। इस सर्जरी की मदद से प्रभावित लोब को निकाल दिया जाता है, जिसके बाद बाकी के लोब सामान्य रूप से काम कर पाते हैं।

इस सर्जरी को आमतौर पर दो तरीकों से किया जाता है, जिन्हें थोरैकोटोमी या वीडियो-असिस्टेड थोरैकोस्कोपिक सर्जरी (VATS) के नाम से जाना जाता है। थोरैकोटोमी में एक बड़ा कट लगाया जाता है, जबकि वीडियो-असिस्टेड थोरैकोस्कोपिक सर्जरी में तीन से चार छोटे-छोटे कट लगाए जाते हैं।

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डॉक्टर आपको आमतौर पर निम्न रोगों से होने वाली समस्याओं के कारण पल्मोनरी लोबेक्टोमी करवाने की सलाह देते हैं-

  • वातस्फीति- इस रोग में फेफड़ों के लचीले फाइबर क्षतिग्रस्त हो जाते हैं, जिससे सांस लेने के दौरान फेफड़ों की हिलने-ढुलने या मोशन की क्षमता प्रभावित हो जाती है। वातस्फीति के लक्षणों में शामिल हैं-
  • फेफड़ों में घाव होना - इस स्थिति में फेफड़ों में कम या अधिक मात्रा में पस जमा हो जाता है। यह पस आमतौर पर बैक्टीरियल संक्रमण के कारण होता है और अगर यह एंटीबायोटिक दवाओं से ठीक न हो पाए तो डॉक्टर पल्मोनरी लोबेक्टोमी का सुझाव देते हैं। फेफड़ों में घाव होने पर निम्न लक्षण देखे जा सकते हैं -
    • बुखार व कंपकंपी होना
    • शरीर का वजन कम होना
    • रात के समय पसीना आना
       
  • टीबी - यह लंबे समय तक रहने वाला एक बैक्टीरियल संक्रमण है, जो मुख्य रूप से फेफड़ों को ही प्रभावित करता है। टीबी के लक्षणों में शामिल है -
  • फंगल संक्रमण - फेफड़ों में कवक या फंगस का ग्रोथ होने लगे तो इसकी वजह से भी संक्रमण हो सकता है। फंगल संक्रमण के लक्षणों में शामिल हैं-
  • बिना कैंसर वाला ट्यूमर - फेफड़ों के किसी हिस्से में बिना कैंसर वाला ट्यूमर विकसित होने पर उसके आसपास की रक्त वाहिकाओं पर दबाव पड़ जाता है और फेफड़े ठीक से काम नहीं कर पाते हैं। यदि ट्यूमर का आकार अधिक बड़ा नहीं है, तो उससे किसी प्रकार के लक्षण विकसित नहीं होते हैं। ऐसी स्थिति में आमतौर पर किसी अन्य बीमारी के लिए छाती का इमेजिंग स्कैन करने पर ही यह ट्यूमर सामने आता है। हालांकि, कभी-कभी निम्न लक्षण भी देखे जा सकते हैं-
    • खांसी के साथ खून आना
    • लगातार घरघराहट या खांसी रहना
    • फेफड़ों से असामान्य आवाज आना
       
  • फेफड़ों में कैंसर - इस रोग में फेफड़ों में कैंसर कोशिकाएं विकसित होने लगती हैं, जो फेफड़ों के श्वसनमार्गों और अन्य ऊतकों को प्रभावित करने लगती हैं। यह फेफड़ों से शरीर के अन्य हिस्सों में फैल सकता है। लंग कैंसर के लक्षणों में शामिल  हैं-
    • लगातार सांस फूलने की समस्या रहना
    • खांसी के साथ खून निकलना
    • खांसने या सांस लेने पर दर्द होना
    • भूख न लगना

पल्मोनरी लोबेक्टोमी किसे नहीं करवानी चाहिए?

यदि आपके लंग फंक्शन टेस्ट का रिजल्ट अच्छा नहीं आ रहा है, तो सर्जन आपको पल्मोनरी लोबेक्टोमी न करवाने की सलाह दे सकते हैं। इसके अलावा यदि आपको हृदय से संबंधी कोई समस्या है, तो भी डॉक्टर आपको यह सर्जरी न करवाने की सलाह देते हैं।

यदि फेफड़ों में ट्यूमर है और उसका आकार 6 सेंटीमीटर से बढ़ गया है, तो डॉक्टर आपको वीडियो-असिस्टेड थोरैकोस्कोपिक सर्जरी न करवाने  की सलाह देते हैं।

(और पढ़ें - बच्चों में भूख न लगने के कारण)

सर्जरी से पहले किए जाने वाले कुछ आवश्यक परीक्षणों (प्री-ऑपरेटिव टेस्ट) के रूप में डॉक्टर आपके स्वास्थ्य संबंधी पिछली जानकारियों के बारे में पूछेंगे और आपका शारीरिक परीक्षण करेंगे। डॉक्टर आपके हाल ही में ली गई दवाओं के बारे में पूछेंगे और साथ ही पूछेंगे कि आपको कोई रक्त संबंधी रोग तो नहीं है। सर्जरी के शुरू होने से पहले डॉक्टर कुछ अन्य मेडिकल टेस्ट भी कर सकते हैं -

  • इलेक्ट्रोकार्डियोग्राम - इलेक्ट्रोकार्डियोग्राम में हृदय की विद्युत गतिविधियों की जांच की जाती है।
  • छाती का एक्स रे - एक्स रे की मदद से फेफड़ों की स्थिति का पता लगाया जाता है और साथ ही हृदय की आकृति संबंधी जानकारियां भी मिल जाती हैं।
  • पल्मोनरी फंक्शन टेस्ट - पल्मोनरी फंक्शन टेस्ट की मदद से यह पता लगाया जाता है, कि फेफड़े ठीक से काम कर पा रहे हैं या नहीं। 
  • ब्लड टेस्ट -ब्लड टेस्ट की मदद से ब्लड ग्रुप की जांच की जाती है और संक्रमण व अन्य रोगों का भी पता लगाया जाता है।
  • ब्रोंकोस्कोपी - इस प्रक्रिया की मदद से डॉक्टर फेफड़ों व श्वसन नली के अंदरूनी हिस्से में देखते हैं और स्थिति की जांच करते हैं।
  • पॉजिट्रोन एमिशन टोमोग्राफी - इस प्रक्रिया की मदद से फेफड़ों में कैंसर की स्टेज या गंभीरता की जांच की जाती है।
  • सीटी स्कैन - सीटी स्कैन भी एक प्रकार का एक्स रे स्कैन होता है, जिसकी मदद से अंदरूनी अंगों की साफ एक्स रे तस्वीरें ली जाती हैं।
  • सीटी बायोप्सी - कंप्यूटेड टोमोग्राफी बायोप्सी की मदद से फेफड़ों से ऊतक का छोटा सा टुकड़ा सैंपल के रूप में लिया जाता है और उसकी जांच की जाती है।

सभी टेस्ट हो जाने के बाद सर्जन आपसे प्रक्रिया के बारे में चर्चा करेगा। आपको एक सहमति पत्र दिया जाएगा, जिसपर हस्ताक्षर करके आप डॉक्टर को सर्जरी करने की अनुमति दे देंगे। हस्ताक्षर करने से पहले सहमति पत्र को ध्यानपूर्वक पढ़ लें। डॉक्टर आपको उन सभी दवाइयों के बारे में बताने के लिए कहेंगे जिनका सेवन आप अब तक कर रहे थे उसमें ओटीसी दवाइयां, जड़ी बूटियां और सप्लिमेंट्स भी शामिल है।

यदि आप धूम्रपान करते हैं, तो डॉक्टर उसे  छोड़ने की सलाह देंगे। ऐसा इसलिए क्योंकि धूम्रपान से सर्जरी के बाद ठीक होने में प्रक्रिया प्रभावित हो सकती है और अन्य जटिलताएं भी पैदा हो जाती हैं।

सर्जरी के लिए अस्पताल जाने से पहले निम्न बातों का ध्यान रखें -

  • सर्जन द्वारा दिए गए सभी दिशा-निर्देशों का ध्यानपूर्वक पालन करें
  • अपने साथ परिवार के किसी व्यक्ति या मित्र को लेकर आएं

सर्जरी से पहले नहा लें, ऐसे में डॉक्टर आपको एक विशेष स्किन वॉश भी दे सकते हैं, ताकि संक्रमण का खतरा कम रहे।

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सर्जरी शुरू करने से ठीक पहले निम्नलिखित कार्य किए जाते हैं-

  • आपको एक विशेष ऑपरेशन थिएटर ड्रेस पहना दी जाएगी, जिसे सर्जिकल गाउन भी कहा जाता है।
  • उसके बाद आपको विशेष स्टॉकिंग्स दी जाएंगी, जो पैरों में रक्त का थक्के बनने से बचाती है।
  • यदि आपने कोई आभूषण या अन्य सामान पहना है तो उसे उतारने के लिए कहा जाएगा।
  • आपकी चिंता को दूर करने और आपको नींद आ जाए इसके लिए दवाएं  दी जाएंगी

इसके बाद आपको ऑपरेशन थिएटर में भेज दिया जाएगा। सर्जन आमतौर पर पल्मोनरी लोबेक्टोमी को थोरैकोटोमी प्रक्रिया से ही करते हैं, जिसे निम्न तरीके से किया जाता है-

  • सर्जन आपकी बांह की नस में सुई लगाते हैं और इंट्रावीनस लाइन शुरू करते हैं, इसकी मदद से आपको सर्जरी से पहले और बाद में एंटीबायोटिक दवाएं दी जाएंगी।
  • उसके बाद आपको एनेस्थीसिया दवा दी जाएगी, जिससे आप सर्जरी प्रक्रिया के दौरान गहरी नींद में सोते रहेंगे।

सर्जरी के दौरान शरीर के सामान्य कार्यों को बनाए रखने के लिए निम्न की मदद ली जाती है -

  • सर्जन सबसे पहले मरीज को ब्रीथिंग ट्यूब लगाते हैं, जो ब्रीथिंग मशीन से जुड़ी होती है। सर्जरी के दौरान सभी शारीरिक प्रक्रियाओं बीपी, हार्ट रेट, श्वसन दर आदि पर नजर रखी जाएगी।
  • अन्य सर्जन एक नरम ट्यूब को आपके मूत्राशय में लगा देंगे, ताकि पेशाब निकलती रहे।
  • सर्जरी वाले स्थान पर यदि बाल हैं, तो उनको साफ किया जाएगा और एंटिसेप्टिक दवा से उस भाग को साफ किया जाएगा।
  • इसके बाद फिर सर्जन उस लोब वाली जगह पर ही चीरा लगाते हैं,जिसे निकालना है। यह कट आमतौर पर निप्पल के नीचे से शुरू करके बांह तक लगाया जाता है।
  • पंसलियों को हटाने के लिए सर्जन एक विशेष उपकरण का इस्तेमाल करते हैं, जिसकी मदद से फेफड़ों तक पहुंचा जाता है। उसके बाद लोब तक रक्त पहुंचाने वाली रक्त वाहिकाओं को खाली कर दिया जाता है। उसके बाद रक्त वाहिकाओं को बांध दिया जाता है और एक तरफ कर दिया जाता है।
  • इसके बाद सर्जन श्वसन नली के उस भाग को अलग कर देते है, जो लोब को हवा प्रदान करते हैं। प्रभावित लोब को अलग कर दिया जाता है और उसके आस-पास की लिम्फ नोड को भी हटा दिया जाता है।
  • प्रभावित लोब को निकालने के बाद छाती में एक या दो ड्रेनेज ट्यूब लगा दी जाती हैं और टांके लगाकर बंद कर दिया जाता है। टांके के घाव पर पट्टी लगा दी जाती है।
  • सर्जरी के बाद आपको रिकवरी वार्ड में भेज दिया जाता है।

वीडियो असिस्टेड थोरैकोस्कोपिक सर्जरी में तीन से चार छोटे-छोटे कट लगाए जाते हैं, जिन्हें पोर्ट कहा जाता है। इन छिद्रों में थोरैकोस्कोप व अन्य उपकरणों को डाला जाता है। थोरैकोस्कोप एक ट्यूब जैसा दिखने वाला उपकरण होता है, जिसके सिरे पर लाइट व कैमरा लगा होता है। इसकी मदद से शरीर के अंदरूनी अंगों की तस्वीरें मॉनिटर में देखी जाती हैं। अन्य उपकरणों का इस्तेमाल प्रभावित लोब को बाहर निकालने के लिए किया जाता है। सर्जरी के बाद 2 से 4 दिन तक अस्पताल में ही रहना पड़ता है। इस दौरान आपको निम्नलिखित चीजें महसूस हो सकती हैं:

  • सर्जिकल प्रक्रिया से उठने के बाद आपको कुछ समय के लिए नींद आने जैसा महसूस होता है। ऐसा आमतौर पर एनेस्थीसिया के असर के कारण होता है, जो थोड़ी देर बाद कम होने लगता है।
  • रिकवरी रूम में भी आपकी शारीरिक प्रक्रियाओं बीपी, हार्ट रेट, श्वसन दर पर नजर रखी जाती है।
  • पल्मोनरी लोबेक्टोमी होने के कुछ घंटों बाद पीने के लिए तरल पदार्थ दिए जाते हैं।
  • सर्जरी के बाद एक्स रे किया जाता है, ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि फेफड़ें ठीसे काम कर रहे हैं या नहीं।
  • छाती में लगाई गई ट्यूब की वजह से आपको हिलने-ढुलने, गहरी सांस लेने या खांसने के दौरान दर्द हो सकता है। जब आपको अस्पताल से छुट्टी मिल जाती है, उससे पहले ही छाती से यह ट्यूब निकाल दी जाती है।
  • आपको अस्पताल में रहते हुए मूवमेंट करने की सलाह दी जाएगी ताकि आपके सर्जरी के घावों को जल्द से जल्द ठीक होने में मदद मिले।
  • अस्पताल में भर्ती रहने के दौरान आपको ऑक्सीजन ट्यूब लगा कर रखी जाएगी, ताकि आपको सांस लेने में आसानी हो। आपको पूरी तरह से खांसने या गहरी सांस लेने का सही तरीका सिखाया जाएगा। ये एक्सरसाइज व तकनीकें सर्जरी के बाद निमोनिया होने से बचाती हैं।
  • यदि आपकी कंडिशन स्थिर है, तो आपको अस्पताल से छुट्टी दे दी जाती है। सर्जरी के बाद डॉक्टर जितनी बार कहें जांच करवाने के लिए जाते रहें।

पल्मोनरी लोबेक्टोमी के बाद घर पर निम्न तरह से देखभाल की जाती है-

  • दर्द निवारक दवाएं - पल्मोनरी लोबेक्टोमी सर्जरी होने के एक हफ्ते बाद तक आपको दर्द निवारक दवाएं दी जाएंगी। सर्जरी के बाद अक्सर कब्ज की समस्याएं हो जाती हैं, जिनके लिए डॉक्टर लैक्सेटिव दवाएं देते हैं।
  • एक्सरसाइज - अस्पताल में मरीज को खांसने व गहरी सांस लेने की तकनीक सिखाई जाती है, उन्हें घर पर भी किया जा सकता है। डॉक्टर मरीज को चलने-फिरने की सलाह देते हैं, लेकिन सिर्फ उतना ही करें जिसमें आप थकें नहीं।
  • नहाना - रोजाना नहाना या शॉवर लेना आवश्यक है, ताकि सर्जरी वाले स्थान को साफ रखा जा सके। हालांकि, डॉक्टर आपको सर्जरी के टांकों व उनके आस-पास किसी प्रकार के प्रोडक्ट को इस्तेमाल न करने की सलाह देते हैं।
  • धूम्रपान - सर्जरी के बाद डॉक्टर आपको धूम्रपान छोड़ने के लिए कह सकते हैं, क्योंकि ऐसा करने से घाव के ठीक होने की प्रक्रिया धीमी हो जाती है और फेफड़ों संबंधी अन्य समस्याएं भी होने लगती है।
  • अल्कोहल - डॉक्टर आपको शराब न पीने की सलाह दे सकते हैं, क्योंकि ये सर्जरी के बाद ली जाने वाली दवाओं के साथ रिएक्शन कर सकती है।
  • शारीरिक शक्ति - सर्जरी के बाद आप अपनी शारीरिक ताकत को धीरे-धीरे वापस पाएंगे। जब भी आपको थकान या सांस फूलने जैसी समस्याएं महसूस हों तो आप थोड़ी देर आराम कर लें।
  • ड्राइविंग या यात्रा करना - सर्जरी के बाद आप तब तक यात्रा न करें जब तक आपके डॉक्टर इसकी अनुमति न दें।
  • वापस काम शुरू करना - जब भी आप काम शुरू करें, तो एक बार डॉक्टर से इसकी अनुमति अवश्य लें। ऐसा इसलिए क्योंकि डॉक्टर आपके स्वास्थ्य स्थिति और आप किस तरह का काम करते हैं उसके अनुसार ही काम करने की अनुमति देते हैं।

डॉक्टर को कब दिखाएं?

यदि आपको निम्न में से कोई भी समस्या महसूस हो तो डॉक्टर से इस बारे में बात कर लेनी चाहिए -

(और पढ़ें - बेचैनी के लक्षण)

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पल्मोनरी लोबेक्टोमी सर्जरी होने के बाद कुछ जटिलताएं देखी जा सकती हैं-

  • रक्तस्राव होना
  • सर्जरी वाले स्थान पर संक्रमण हो जाना
  • फेफड़ों से तरल पदार्थ निकालने के लिए ट्यूब की जरूरत पड़ना
  • सर्जरी वाली जगह के आस-पास के अंग प्रभावित होना
  • फेफड़े प्रभावित हो जाना (फेफड़ों का सिकुड़ना)
  • सर्जरी के आस-पास वाले हिस्से में पस जमना
  • एनेस्थीसिया से होने वाले प्रभाव जैसे स्ट्रोक, हार्ट अटैक, निमोनिया और रक्त के थक्के जमना आदि।

संदर्भ

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