प्लिकेशन ऑफ डायाफ्राम एक ऐसी सर्जरी है जो डायफ्राम में लकवा की वजह से हो रही सांस लेने में दिक्कत से जूझ रहे मरीजों की होती है। छाती और पेट की गुहा के बीच एक मस्कुलर शीट डायफ्राम होती है। सांस लेने की प्रक्रिया का यह महत्वपूर्ण हिस्सा होता है।
हवा में सांस लेने पर डायफ्राम खुद को पेट की गुदा में पुश करता है। इससे फेफड़ोे फैलते हैं और उनमें ज्यादा हवा आ पाती है। हालांकि, डायफ्राम में लकवा की स्थिति इसके एक सा दोनों तरफ को प्रभावित करती है जिससे फेफड़ों की फैलने और हवा को भरने की क्षमता प्रभावित होती है।
सर्जरी के दौरान डायफ्राम के लकवे वाले हिस्से की एक या दो पसलियों को नीचे लाकर छाती की दीवार की अंदरूनी तरफ टांकों से लगाया जाता है। सर्जरी के बाद मरीज को अस्पताल में सात दिनों तक रूकना पड़ सकता है।