इलियोस्टॉमी एक सर्जिकल प्रक्रिया है, जिसमें पेट की सतह में छेद किया जाता है। इस छेद को स्टोमा कहा जाता है, जिससे आंत को जोड़ दिया जाता है। ऐसा इसलिए, ताकि मल को गुदा से निकालने की बजाए उसे सीधा छिद्र के माध्यम से शरीर से बाहर निकाल दिया जाए। यह सर्जिकल प्रक्रिया कुछ लोगों में सिर्फ कुछ ही समय के लिए जबकि अन्य में स्थायी रूप से की जा सकती है। यह सर्जिकल प्रक्रिया आमतौर पर आंत का कैंसर, इर्रिटेबल बाउल डिजीज और आंत में चोट लगना जैसी घटनाएं होने पर की जाती है। सर्जरी से पहले कुछ टेस्ट किए जाते हैं, जिससे सुनिश्चित किया जाता है कि आप सर्जरी के लिए फिट हैं या नहीं।
इलियोस्टॉमी को ओपन व लेप्रोस्कोपिक दो सर्जिकल प्रक्रियाओं से किया जाता है। स्टोमा से एक विशेष थैली को लगाया जाता है, ताकि सारा मलमूत्र इसमें जमा होता रहे। इलियोस्टॉमी के बाद लगभग एक हफ्ते तक अस्पताल में भर्ती रहना पड़ सकता है। डॉक्टर सर्जरी के 3 हफ्ते बाद मरीज को फॉलोअप के लिए बुलाते हैं। हालांकि, यदि आपको जी मिचलाना, उल्टी, स्टोमा में कट या अन्य कोई समस्या हो तो जल्द से जल्द डॉक्टर से इस बारे में बात कर लें। यदि किसी बीमारी के कारण इलियोस्टॉमी की गई है, तो उस बीमारी के ठीक होते ही स्टोमा को बंद कर दिया जाता है।
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