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हार्ट लीड एक्सट्रैक्शन एक सर्जरी प्रोसीजर है, जिसे हृदय से कोई विशेष तार निकालने के किया जाता है। हृदय में यह तार आमतौर पर किसी उपकरण के लिए लगाई जाती है जैसे पेसमेकर या इम्प्लांटेबल कार्डियोवर्टर डिफिब्रिलेटर आदि। ये लीड (तार) उपकरण से हृदय तक विशेष इलेक्ट्रिकल एनर्जी पहुंचाती हैं। हार्ट लीड एक्सट्रैक्शन सर्जरी आमतौर पर तब की जाती है, जब लीड के आसपास के हिस्से में संक्रमण, स्कार ऊतक या फिर कोई अन्य स्थिति हो गई है।

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इस सर्जरी प्रोसीजर से पहले डॉक्टर व सर्जन आपके स्वास्थ्य की करीब से जांच करते हैं। आपको सर्जरी से पहले खाली पेट रहने को कहा जाता है। यदि आप कोई दवा खा रहे हैं, तो सर्जरी से कुछ समय पहले तक उन्हें भी बंद करने को कहा जा सकता है। यह सर्जरी जनरल एनेस्थीसिया का इंजेक्शन लगाकर की जाती है। सर्जरी के बाद भी कुछ विशेष देखभाल रखने की सलाह दी जाती है, जैसे समय पर दवाएं लेना, घाव की देखभाल रखना और एक सीमित सीमा में ही शारीरिक गतिविधियां करना आदि।

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  1. हार्ट लीड एक्सट्रैक्शन क्या है - What is Heart lead extraction in Hindi
  2. हार्ट लीड एक्सट्रैक्शन किसलिए की जाती है - Why is Heart lead extraction done in Hindi
  3. हार्ट लीड एक्सट्रैक्शन से पहले - Before Heart lead extraction in Hindi
  4. हार्ट लीड एक्सट्रैक्शन के दौरान - During Heart lead extraction in Hindi
  5. हार्ट लीड एक्सट्रैक्शन के बाद - After Heart lead extraction in Hindi
  6. हार्ट लीड एक्सट्रैक्शन की जटिलताएं - Complications of Heart lead extraction in Hindi

हार्ट लीड एक्सट्रैक्शन सर्जरी क्या है?

हृदय रोगों से ग्रस्त मरीजों के शरीर में कई ऐसे उपकरण फिट किए जाते हैं, जो हृदय को सामान्य रूप से काम करने में मदद करते हैं। इन उपकरणों में आमतौर पर पेसमेकर और इम्प्लांटेबल कार्डियोवर्टर डिफिब्रिलेटर (आईसीडी) आदि शामिल हैं, इनसे कुछ तारें निकल कर हृदय से जोड़ी जाती हैं, जिन्हें लीड कहा जाता है। कई बार इन तारों से संक्रमण, स्कार ऊतक होना व अन्य कई समस्याएं होने लगती हैं और ऐसे में इन तारों को निकालना पड़ता है। तारों को निकालने की सर्जरी प्रोसीजर को ही हार्ट लीड एक्सट्रैक्शन कहा जाता है। हालांकि, सभी मामलों में ये समस्याएं नहीं होती हैं, क्योंकि तारों को शरीर के अंदर स्थायी रूप से लगाने के अनुसार ही डिजाइन किया जाता है।

हालांकि, तारों के आसपास स्कार ऊतक, संक्रमण व अन्य समस्याएं, धीरे-धीरे कई सालों बाद विकसित होती हैं और अंत में इन्हें निकालना ही पड़ता है। तारों के आस-पास स्कार ऊतक लगातार बनते ही रहते हैं, इसलिए तारों को निकालने में जितनी देरी होती है सर्जरी के दौरान हृदय और रक्त वाहिकाओं को उतना ही नुकसान होता है। हालांकि, यदि उपकरण को लगाने के कुछ महीनों के भीतर ही तारों से दिक्कत होने लगी हैं, तो उन्हें तुरंत निकलवा देना चाहिए ऐसे में हृदय और रक्त वाहिकाओं में अधिक क्षति नहीं हो पाती है।

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हार्ट लीड एक्सट्रैक्शन सर्जरी क्यों की जाती है?

कुछ स्थितियां हैं, जिनमें हार्ट लीड एक्सट्रैक्शन सर्जरी करने पर विचार किया जाता है जैसे -

  • लीड या उपकरण के आस-पास के ऊतकों में संक्रमण हो जाना
  • तार का कोई हिस्सा टूट या क्षतिग्रस्त हो जाना
  • स्कार ऊतक या रक्त के थक्के बनने से नसें रुक जाना
  • तार का ठीक से काम न कर पाना
  • कोई अन्य तार लगाने के लिए रक्त वाहिकाओं तक पहुंचने के लिए
  • उपकरण या आसपास की त्वचा क्षतिग्रस्त होना
  • लीड के सिरे पर एक बड़ा स्कार ऊतक विकसित हो जाना
  • तार से इलेक्ट्रिकल एनर्जी पास न हो पाना
  • उपकरण या तार के कारण दर्द रहना
  • लीड के कारण हृदय की गति सामान्य न हो पाना

हार्ट लीड एक्सट्रैक्शन सर्जरी किसे नहीं करवानी चाहिए?

कुछ समस्याएं हैं, जिनमें हार्ट लीड एक्सट्रैक्शन सर्जरी करवाने से मना किया जा सकता है और यदि सर्जरी करवाना जरूरी है, तो विशेष ध्यान रखते हुए हार्ट लीड एक्सट्रैक्शन प्रोसीजर किया जाता है। इनमें निम्न समस्याएं शामिल हैं -

  • हृदय के अंदर किसी रक्त वाहिका में कैल्शियम जमना (कैल्सीफिकेशन)
  • लीड के आस-पास स्कार ऊतक या अन्य चर्बी बढ़ जाना
  • लीड गलती से हृदय के अंदर की बजाय आसपास लग जाना

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हार्ट लीड एक्सट्रैक्शन सर्जरी से पहले क्या तैयारी का जाती है?

सर्जरी से कुछ दिन पहले आपको अस्पताल बुलाया जाता है, जिस दौरान आपका शारीरिक परीक्षण किया जाता है और साथ ही कुछ अन्य टेस्ट भी किए जा सकते हैं। सर्जरी से पहले किए जाने वाले टेस्टों में निम्न शामिल हैं -

  • वेनोग्राम -
    इस टेस्ट की मदद से उपकरण के आस-पास की नसों को देखा जाता है।
     
  • इलेक्ट्रोकार्डियोग्राम -
    इसे ईसीजी टेस्ट भी कहा जाता है, जिसकी मदद से हृदय की धड़कनें देखी जाती हैं।
     
  • इकोकार्डियोग्राफी -
    इसे ईको टेस्ट भी कहा जाता है, जिसकी मदद से हृदय की संरचना और कार्य प्रक्रिया की जांच की जाती है।
     
  • ब्लड टेस्ट -
    स्वास्थ्य संबंधी अन्य किसी समस्या (यदि है) का पता लगाने के लिए ब्लड टेस्ट किया जाता है

इसके अलावा डॉक्टर आपको सर्जरी से पहले कुछ विशेष बातों का ध्यान रखने की सलाह भी दे सकते हैं -

  • यदि आप किसी भी प्रकार की दवा, हर्बल उत्पाद, विटामिन, मिनरल या अन्य कोई सप्लीमेंट ले रहे हैं, तो इस बारे में डॉक्टर को बता दें। डॉक्टर आपको इनमें से कुछ दवाओं को एक निश्चित समय के लिए बंद कर देते हैं, जिनमें मुख्य रूप से रक्त पतला करने वाली दवाएं शामिल हैं जैसे एस्पिरिन, वारफेरिन और आइबुप्रोफेन आदि।
  • आपको सर्जरी के लिए खाली पेट अस्पताल आने को कहा जाता है, जिसके लिए आपको सर्जरी वाले दिन से पहली आधी रात के बाद कुछ भी न खाने या पीने की सलाह दी जाती है।
  • यदि आपको सर्जरी से पहले कोई दवा लेनी जरूरी है या फिर डॉक्टर ने ही आपको कोई दवा दी है, तो उसे कम से कम पानी के साथ लिया जाता है।
  • यदि आप गर्भवती हैं या गर्भधारण करने की योजना बना रही हैं, तो इस बारे में डॉक्टर को अवश्य बता दें।
  • यदि आप धूम्रपान या शराब का सेवन करते हैं, तो सर्जरी से कुछ समय पहले ही डॉक्टर इन्हें छोड़ने की सलाह दे सकते हैं। ऐसा इसलिए क्योंकि सिगरेट या शराब पीने से घावों के भरने की प्रक्रिया धीमी पड़ जाती है।
  • ऑपरेशन वाले दिन आपको अपने साथ किसी करीबी रिश्तेदार या मित्र को लाने की सलाह दी जाती है, ताकि सर्जरी से पहले और बाद के कार्यों में आपको मदद मिल सके।
  • जब आप अस्पताल पहुंच जाते हैं, तो आपको एक सहमति पत्र दिया जाता है जिसपर हस्ताक्षर करके आप सर्जन को सर्जरी करने की अनुमति दे देते हैं।

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हार्ट लीड एक्सट्रैक्शन सर्जरी कैसे की जाती है

जब आप ऑपरेशन के लिए अस्पताल पहुंच जाते हैं, तो मेडिकल स्टाफ आपको एक विशेष ड्रेस देते हैं जिसे “हॉस्पिटल गाउन” कहा जाता है। इसके बाद आपको ऑपरेटिंग टेबल पर लेटने को कहा जाता है। आपकी ग्रोइन या बांह में मौजूद धमनी को एक प्रेशर लाइन से जोड़ा जाता है और आपकी बांह या हाथ की नस में इंट्रावेनस लाइन लगा दी जाती है जिनकी मदद से आपको आवश्यक दवाएं व आवश्यक द्रव दिए जाते हैं। यह सर्जरी जनरल एनेस्थीसिया का इंजेक्शन लगाकर की जाती है, जिससे आपको सर्जरी के दौरान गहरी नींद आ जाती है और दर्द व कोई तकलीफ महसूस नहीं होती है। आपके जिस हिस्से की सर्जरी की जानी है यदि वहां पर बाल हैं, तो उन्हें शेव करके हटा दिया जाता है और फिर उस जगह को एंटीसेप्टिक सोल्यूशन से साफ कर दिया जाता है। हार्ट लीड एक्सट्रैक्शन की सर्जरी प्रोसीजर कुछ इस प्रकार है -

  • सबसे पहले आपके सीने के बाईं ओर एक चीरा लगाया जाता है, यदि पेसमेकर दाईं तरफ लगाया गया है तो चीरा भी दाएं तरफ ही लगाया जाता है।
  • इसके बाद उपकरण की बैटरी निकाल कर उसे लीड से अलग कर दिया जाता है।
  • इसके बाद एक अलग चीरा लगाया जाता है, जिसकी मदद से एक विशेष ट्यूब (शीथ) को नस में लगाया जाता है। ऐसा करने की सर्जरी प्रोसीजर कुछ इस प्रकार है -
    • सबक्लेवियन मेथड -
      इस सर्जरी प्रोसीजर में सीने के ऊपरी हिस्से में कहीं पर एक चीरा लगाया जाता है, जिसकी मदद से सबक्लेवियन वेन तक पहुंचा जाता है।
       
    • फेमोरल मेथड -
      इस सर्जरी प्रोसीजर में जांघों के आसपास एक चीरा लगाया जाता है, जिसकी मदद से फेमोरल वेन तक पहुंचा जाता है।
       
  • सर्जन इस ट्यूब को लीड के ऊपरी हिस्से तक पहुंचा देते हैं, जहां से यह हृदय से जुड़ी होती है।
  • शीथ से जुड़ी लेजर की मदद से लीड के आसपास स्कार ऊतकों को नष्ट कर देते हैं, जिसकी मदद से लीड को नस से अलग किया जाता है।
  • जब लीड पूरी तरह से अलग हो जाती है, तो इसे निकाल कर शरीर से अलग कर दिया जाता है।
  • यह एक्स रे के मार्गदर्शन से किया जाने वाला एक सर्जरी प्रोसीजर है, जिसमें फ्लोरोस्कोपी नामक एक उपकरण होता है, जो सर्जरी के दौरान लगातार एक्स रे तस्वीरें भेजता रहता है।
  • पुरानी लीड की जगह पर नई लीड लगा दी जाती है और आवश्यकता पड़ने पर नई पेसमेकर या आईसीडी मशीन भी लगाई जा सकती है।
  • सर्जरी के बाद सर्जन घाव को बंद करके उसके ऊपर पट्टी कर देते हैं।

इस सर्जरी प्रोसीजर को पूरा करने में दो से छह घंटे का समय लग सकता है। सर्जरी के बाद आपको रिकवरी रूम में शिफ्ट कर दिया जाता है। सर्जरी के बाद आपको अस्पताल में भी दो से दस दिन तक रहना पड़ सकता है। जब तक आप अस्पताल में भर्ती रहते हैं, नर्स आपके सभी शारीरिक संकेतों पर नजर रखती हैं, जैसे हार्ट रेट, पल्स रेट और सांस लेने की प्रक्रिया आदि। यदि फेमोरल सर्जरी की जाती है, तो आपको सर्जरी के कुछ घंटों बाद तक अपनी टांग को मोड़ने से मना किया जाता है। दर्द व संक्रमण रोकने के लिए समय-समय पर आपको आवश्यक दवाएं दी जाती हैं। फेफड़ों और हृदय की कार्यक्षमता की जांच करने के लिए सर्जरी के बाद अगली सुबह एक्स रे टेस्ट किया जाता है।

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हार्ट लीड एक्सट्रैक्शन सर्जरी के बाद क्या देखभाल की जाती है?

जब आपको अस्पताल से छुट्टी मिल जाती है, तो डॉक्टर घर पर निम्न देखभाल करने की सलाह देते हैं -

  • दवाएं
    • सर्जरी के बाद संक्रमण होने से रोकने के लिए आपको एंटीबायोटिक दवाएं दी जाती हैं, जिन्हें डॉक्टर की सलाह के अनुसार ही लेते रहना चाहिए।
    • सर्जरी के बाद होने वाले दर्द को रोकने के लिए भी दर्द निवारक दवाएं दी जा सकती हैं, जिन्हें भी डॉक्टर की सलाह के अनुसार लेते रहना चाहिए।
    • यदि आपको कोई अन्य समस्या हो रही है, तो उनके अनुसार भी डॉक्टर दवाएं दे देते हैं।
       
  • घाव की देखभाल
    • सर्जरी वाले हिस्से पर आपको कोई भी साबुन, पाउडर या क्रीम आदि लगाने से मना किया जाता है। यदि डॉक्टर ने लगाने की क्रीम दी है, तो सिर्फ उसका ही इस्तेमाल करें।
    • सर्जरी के बाद आप नहा सकते हैं, लेकिन आपको इस दौरान अपने घाव को किसी प्लास्टिक पट्टी के साथ कवर करना पड़ेगा।
    • घाव को साफ व सूखा रखें और यदि किसी कारण से गीला हो जाता है, तो साफ कपड़े से सुखा लें।
    • सर्जरी के बाद लगातार दो से तीन हफ्तों तक ऐसे कोई कपड़े न पहनें, जो घाव को नुकसान पहुंचा सकें जैसे रगड़ लगना आदि।
       
  • शारीरिक गतिविधि
    • सर्जरी के बाद कुछ हफ्तों तक आपको कोई भी भारी वस्तु उठाने से मना किया जाता है।
    • जिस तरफ पेसमेकर लगा है, उस हिस्से की बांह को कंधे से ऊपर न उठाएं और न ही कोई जोर लगने वाला काम करें। यह परहेज भी आपको कुछ हफ्तों तक रखने हैं।
    • सर्जरी के बाद कुछ दिनों तक आप बांह से खींचने या धकेलने जैसी गतिविधियां न करें
    • सर्जरी के तीन से चार दिन बाद आप अपनी दिनचर्या के सामान्य कार्य कर सकते हैं।

डॉक्टर को कब दिखाएं?

यदि आपको हार्ट लीड एक्सट्रैक्शन सर्जरी के बाद निम्न में से कोई भी समस्या हो रही है, तो जल्द से जल्द डॉक्टर को इस बारे में बता दें -

(और पढ़ें - चक्कर आने के घरेलू उपाय)

हार्ट लीड एक्सट्रैक्शन सर्जरी से क्या जोखिम हो सकते हैं?

हार्ट लीड एक्सट्रैक्शन सर्जरी से निम्न जोखिम व जटिलताएं हो सकती हैं -

  • संक्रमण
  • रक्तस्राव होना
  • एनेस्थीसिया से रिएक्शन होना
  • फेफड़ों में रक्त के थक्के जमना
  • हृदय के अंदरूनी हिस्से में क्षति होना (हार्ट वाल्व समेत)
  • फेफड़ों व हृदय के आसपास द्रव जमा होना
  • स्ट्रोक

(और पढ़ें - स्ट्रोक होने पर क्या करें)

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