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फेमोरल ऑस्टियोटोमी एक विशेष सर्जरी प्रोसीजर है, जिसकी मदद से कूल्हे के जोड़ या फीमर हड्डी में होने वाली असामान्यताओं का इलाज किया जाता है।

सर्जरी से पहले डॉक्टर आपके स्वास्थ्य से संबंधित पिछली सभी जानकारियां लेते हैं और साथ ही आपके कुछ टेस्ट भी करते हैं। टेस्टों के रिजल्ट बताते हैं, कि फेमोरल ऑस्टियोटोमी सर्जरी आपके लिए कितनी उचित है। यह प्रोसीजर जनरल एनेस्थीसिया का इंजेक्शन लगाकर की जाती है। सर्जरी के दौरान कूल्हे के बाहरी हिस्सों की तरफ चीरा लगाया जाता है, जिसकी मदद से फीमर हड्डी एक टुकड़े को काट दिया जाता है और उसे सही सीधा करके फिर से लगा दिया जाता है।

सर्जरी के बाद आपको लगभग चार से पांच दिन तक अस्पताल में रखा जाता है और इस दौरान आपको फिजिकल थेरेपी की आवश्यकता पड़ती है। आप छह हफ्तों में चलने लग जाते हैं,लेकिन शुरूआत में आपको वॉकर की आवश्यकता पड़ती है।

ऑपरेशन के लगभग एक या दो हफ्तों के बाद आपको फिर से अस्पताल बुलाया जाता है, जिस दौरान यह जांच की जाती है कि सर्जरी से कितना सुधार हुआ है और आप सामान्य रूप से स्वस्थ हो रहे हैं या नहीं। फेमोरल ऑस्टियोटोमी सर्जरी के बाद यदि आपको बुखार या सर्जरी वाले घाव में सूजन आदि कोई भी लक्षण दिखाई दे तो डॉक्टर से बात कर लें।

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  1. फेमोरल ऑस्टियोटोमी क्या है - What is Femoral osteotomy in Hindi
  2. फेमोरल ऑस्टियोटोमी क्यों की जाती है - Why is Femoral osteotomy done in Hindi
  3. फेमोरल ऑस्टियोटोमी से पहले - Before Femoral osteotomy in Hindi
  4. फेमोरल ऑस्टियोटोमी के दौरान - During Femoral osteotomy in Hindi
  5. फेमोरल ऑस्टियोटोमी के बाद - After Femoral osteotomy in Hindi
  6. फेमोरल ऑस्टियोटोमी की जटिलताएं - Complications of Femoral osteotomy in Hindi
फेमोरल ऑस्टियोटोमी के डॉक्टर

फेमोरल ऑस्टियोटोमी सर्जरी की मदद से कूल्हे के जोड़ या फीमर हड्डी में किसी प्रकार की असामान्यता (टेढ़ापन आदि) का इलाज करने के लिए किया जाता है।

जांघ में मौजूद लंबी हड्डी को फीमर कहा जाता है। इसके सिरे पर विशेष वक्र (मोड़) होता है, जिसे फीमोरल नेक (Femoral neck) कहा जाता है। फीमोरल नेक के ऊपर एक टोपी जैसी संरचना (एसिटाब्युलम) बनी होती है, जिसमें फीमर हड्डी का ऊपरी सिरा पूरी तरह से फिट बैठता है। इन दोनों हड्डियों की मदद से कूल्हे का जोड़ बनता है और ठीक से काम कर पाता है।

कूल्हे के जोड़ या हड्डी में किसी प्रकार की असामान्यता होने पर चलने व दौड़ने जैसी जटिलताएं सामान्य रूप से काम नहीं कर पाती हैं। कूल्हे को जोड़ों व फीमर हड्डी से संबंधित समस्याएं आमतौर पर पुरुषों की तुलना में महिलाओं में देखी जाती हैं और अक्सर जन्म से ही मौजूद होती है। इन स्थितियों का इलाज करने के लिए फेमोरल ऑस्टियोटोमी सर्जरी की जाती है, जिसमें फीमर हड्डी के मुड़े हुए हिस्से को काटकर उसे सीधा करके वापस लगा दिया जाता है।

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यह सर्जरी आमतौर निम्न स्थितियां होने पर की जाती है -

  • जन्म से ही कूल्हे के जोड़ में कोई असामान्यता होना (फीमर का ऊपरी गोल हिस्सा हिप सॉकेट में ठीक से फिट न बैठ पाना)
  • पैर के पंजे पर जोर देते हुए चलने की आदत
  • दोनों टांगों की लंबाई समान न होना
  • कूल्हे के जोड़ की कोई हड्डी टूटकर असाधारण तरीके से जुड़ जाना
  • कूल्हे की हड्डियों के आसपास की मांसपेशियां अधिक लचीली होना

इसके अलावा कूल्हे में डेवलपमेंटल डिस्पेसिया के कारण भी समस्याएं होने लगती हैं, जिससे निम्न लक्षण हो सकते हैं -

  • प्रभावित फीमर की लंबाई सामान्य से कम होना
  • पैर के पंजों के सहारे चलना
  • लगड़ाते हुए चलना
  • कूल्हे के जोड़ में अकड़न
  • कूल्हे में दर्द

फेमोरल ऑस्टियोटोमी सर्जरी किसे नहीं करवानी चाहिए?

कुछ स्थितियां हैं जिनमें डॉक्टर आपको फेमोरल ऑस्टियोटोमी सर्जरी न करवाने की सलाह दे सकते हैं। हालांकि, यदि यह सर्जरी जरूरी है, तो विशेष ध्यान रखते हुए यह ऑपरेशन किया जाता है -

  • सूजन व लालिमा से संबंधित रोग
  • घुटने अस्थिर होना
  • बोन मास कम होना

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फेमोरल ऑस्टियोटोमी सर्जरी से कुछ दिन पहले आपको अस्पताल बुलाया जाता है और इस दौरान आपका शारीरिक परीक्षण किया जाता है। साथ ही साथ आपसे आपके स्वास्थ्य से संबंधी पिछली सभी जानकारियां ली जाती हैं और कुछ टेस्ट करवाने को कहा जाता है जिनमें आमतौर पर निम्न शामिल हैं -

इसके अलावा फेमोरल ऑस्टियोटोमी सर्जरी करवाने से पहले आपको निम्न निर्देश दिए जाते हैं -

  • यदि आप किसी भी प्रकार की दवा, हर्बल उत्पाद, विटामिन या अन्य कोई सप्लीमेंट लेते हैं, तो इसके बारे में डॉक्टर को बता दें। ऐसा इसलिए क्योंकि डॉक्टर इनमें से कुछ दवाओं को एक निश्चित समय के लिए बंद करवा सकते हैं, जिनमें आमतौर पर रक्त पतला करने वाली दवाएं शामिल हैं।
  • यदि आप सिगरेट या शराब पीते हैं, तो डॉक्टर सर्जरी से कुछ दिन पहले और बाद तक इसका सेवन न करने की सलाह दे सकते हैं।
  • फेमोरल ऑस्टियोटोमी सर्जरी को खाली पेट किया जाता है, जिसके लिए सर्जरी से कम से कम आठ घंटे पहले आपको कुछ भी खाने या पीने से मना किया जाता है।
  • ऑपरेशन के लिए जाने से पहले नहा लें और साफ व आरामदायक कपड़े पहनें और साथ ही यदि आपने कोई आभूषण या गैजेट पहना है तो उसे घर पर ही उतार दें।
  • अस्पताल में अपने साथ किसी करीबी रिश्तेदार या मित्र को ले जाएं ताकि सर्जरी से पहले और बाद की प्रक्रियाओं में आपको मदद मिल सके।
  • अंत में आपको एक विशेष पत्र दिया जाता है, जिसपर हस्ताक्षर करके आप सर्जन को सर्जरी करने की अनुमति दे सकते हैं। सहमति पत्र पर हस्ताक्षर करने से पहले उसे एक बार अच्छे से पढ़ व समझ लेना चाहिए।

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ऑपरेशन करवाने के लिए जब आप अस्पताल पहुंच जाते हैं, तो मेडिकल टीम आपको एक विशेष ड्रेस पहनने को देती है जिसे “हॉस्पिटल गाउन” कहा जाता है। इसके बाद आपकी बांह की नस में सुई लगाकर उसे इंट्रावेनस लाइन से जोड़ दिया जाता है, जिसकी मदद से आपको सर्जरी के दौरान आपको दवाएं व अन्य आवश्यक द्रव दिए जाते हैं। इंट्रावेनस लाइन के माध्यम से आपको एनेस्थीसिया का इंजेक्शन भी दिया जाता है, जिससे आप गहरी नींद में सो जाते हैं और सर्जरी के दौरान कुछ महसूस नहीं होता है।

जब एनेस्थीसिया का असर होना शुरू हो जाता है, तो फेमोरल ऑस्टियोटोमी सर्जरी प्रोसीजर शुरू की जाती है जो इस प्रकार है -

  • आपको ऑपरेशन टेबल पर लिटा दिया जाता है और आपके कूल्हे के बाहरी हिस्से में चीरा लगाया जाता है।
  • एक्स रे मशीन की मदद से यह पता लगाया जाता है कि फीमर हड्डी के किस हिस्से में चीरा लगाना है।
  • जब उचित जगह निर्धारित कर ली जाती है, तो ओस्टियोटोम नामक एक विशेष उपकरण की मदद से चीरा लगाया जाता है।
  • इसके बाद फीमर हड्डी को सही पोजीशन में कुछ इस तरह लगाया जाता है कि एंगल सही बने और एसिटाब्युलम में भी फिट आए।
  • स्क्रू या पिन की मदद से फीमर हड्डी से एक विशेष प्लेट जोड़ दी जाती है, जो हट्टी का घाव ठीक होने तक उसे सही पोजीशन में रखती है।
  • हड्डी को सही पोजीशन देने के बाद चीरे को बंद करके टांके लगा दिए जाते हैं। ये टांके आमतौर पर त्वचा के अंदर ही लगाए जाते हैं इसलिए इन्हें निकालने की आवश्यकता नहीं पड़ती है।

ऑपरेशन पूरा होने के बाद आपको रिकवरी रूम में शिफ्ट कर दिया जाता है, जहां पर मेडिकल टीम आपके सभी शारीरिक संकेतों पर नजर रखती हैं। वहां पर मेडिकल टीम आपके सभी शारीरिक संकेतों जैसे ब्लड प्रेशर, हार्ट रेट, पल्स और ऑक्सीजन लेवल आदि के स्तर पर नजर रखते हैं। इस दौरान दर्द को कम करने के लिए कुछ पेनकिलर दवाएं दे सकते हैं। सर्जरी के बाद आपको कम से कम चार दिनों तक अस्पताल में रहना पड़ सकता है।

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फेमोरल ऑस्टियोटोमी सर्जरी के बाद जब आपको घर जाने के लिए छुट्टी दे दी जाती है, तो इस दौरान डॉक्टर आपको निम्न निर्देश देते हैं -

  • फीजिकल थेरेपी -
    पहले कुछ हफ्तों तक हर हफ्ते दो से तीन बार फीजिकल थेरेपी करने की सलाह दी जाती है। जिसमें आपकी शारीरिक गतिविधियों को धीरे-धीरे शुरू कराया जाता है।
     
  • चलना फिरना -
    सर्जरी के बाद चलने फिरने के लिए पहले कुछ दिनों तक वॉकर की आवश्यकता पड़ती है। यदि आपको सर्जरी से पहले ही वॉकर की आवश्यकता पड़ती थी, तो आपको विशेष सहारे की आवश्यकता पड़ सकती है। सर्जरी के बाद आपको सामान्य रूप से चलने में लगभग चार से चह हफ्तों का समय लग सकता है।
     
  • दर्द का निवारण -
    सर्जरी के बाद आपको कुछ समय तक दर्द रह सकता है, जिसके लिए डॉक्टर आपको पेनकिलर दवाएं दे सकते हैं। इसके अलावा आपको सोने की सही पोजीशन बताई जा सकती है, ताकि दर्द बढ़ न पाए।
     
  • काम -
    सर्जरी के बाद अपने काम पर वापस जाने के लिए तीन से चार महीनों का समय लग सकता है। हालांकि, यदि आप ड्राइविंग या कोई अन्य मशीन ऑपरेट करना चाहते हैं, तो इससे पहले एक बार डॉक्टर से पूछ लें।
     
  • शारीरिक गतिविधियां -
    सर्जरी के कम से कम छह महीनों बाद डॉक्टर आपको दौड़ने व वजन उठाने जैसी शारीरिक गतिविधियां करने की अनुमति दे देते हैं। हालांकि, डॉक्टर की सलाह के बिना कोई भी शारीरिक गतिविधि शुरू न करें।

डॉक्टर को कब दिखाएं?

फेमोरल ऑस्टियोटोमी सर्जरी के बाद यदि आपको निम्न में से कोई भी लक्षण महसूस हो रहा है, तो तुरंत डॉक्टर को दिखा लें -

  • घाव से बदबू आना
  • घाव से रक्तस्राव या अन्य कोई द्रव बहना
  • बुखार होना
  • घाव में लालिमा या सूजन होना
  • जी मिचलाना या उल्टी होना
  • शरीर का कोई हिस्सा सुन्न महसूस होना

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फेमोरल ऑस्टियोटोमी सर्जरी से निम्न जटिलताएं होने का खतरा बढ़ जाता है -

  • सर्जरी वाले घाव में संक्रमण होना
  • फ्रैक्चर
  • नस क्षतिग्रस्त होना
  • ब्लीडिंग
  • गठिया रोग होना
  • हड्डी सामान्य पोजीशन में न जुड़ पाना

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संदर्भ

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