आपने सुना होगा कि डॉक्टर आपको कुछ विशेष टेस्ट करवाने के लिए कहते हैं जैसे एक्स रे, ब्लड टेस्ट और जिन मामलों में ब्लैडर या यूरेथ्रा (वह ट्यूब जो शरीर से यूरिन को बाहर ले जाती है) से संबंधित कोई समस्या होती है तो यूरिन टेस्ट आदि टेस्ट करवाने को कहा जाता है। लेकिन कुछ मामलों में डॉक्टर को ब्लैडर के अंदर देखना होता है, तो वे सिस्टोस्कोपी कराने की सलाह देते हैं। सिस्टोस्कोपी दो प्रकार की होती है - फ्लेक्सिबल और रिजिड। इन दोनों प्रकारों में एक पतली ट्यूब को जिसमें कैमरा और लाइट लगी होती है, उसे ब्लैडर में अलग-अलग तरीके से डाला जाता है। सर्जरी से पहले डॉक्टर आपको एक यूरिन टेस्ट करवाने के लिए कहेंगे साथ ही आपको कुछ एंटीबायोटिक दिए जाएंगे, ताकि आपको कोई संक्रमण न हो। ध्यान रहे कि आप इस प्रक्रिया से जुड़े प्रश्नों के बारे में डॉक्टर से पूछ लें। यदि आपने फ्लेक्सिबल सिस्टोस्कोपी करवाई है, तो आप सर्जरी के दिन ही घर जा सकते हैं। वहीं अगर आपने रिजिड सिस्टोस्कोपी करवाई है तो आपको तब तक अस्पताल में रहने को कहा जाएगा जब तक एनेस्थीसिया का असर खत्म नहीं हो जाता है। इस प्रक्रिया के बाद कुछ समस्याएं हो सकती हैं जैसे सूजन, यूरिन में ब्लड और पेट के निचले हिस्से में थोड़ी बहुत तकलीफ आदि। हालांकि, ये एक दो दिन तक ही रहता है इसके बाद खुद ही ठीक हो जाता है। कुछ गंभीर समस्याएं भी हो सकती हैं जैसे मूत्राशय क्षतिग्रस्त होना और मूत्राशय पथ में संक्रमण आदि। अपने स्वास्थ्य को ठीक रखें और स्वस्थ आहार खाएं व व्यायाम करें, पैदल चलें, साइकिल चलाएं। इस प्रक्रिया के बाद डॉक्टर के साथ संपर्क में रहें। सिस्टोस्कोपी के बारे में अधिक जानने के लिए इस लेख को अंत तक पढ़ें।