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क्रायोसर्जरी स्किन के ऊपर असामान्‍य ग्रोथ और शरीर के अंदर के ट्यूमर को नष्‍ट करने के लिए की जाती है जिसमें आर्गन गैस या नाइ‍ट्रोजन लिक्विड का इस्‍तेमाल किया जाता है।

शरीर के बाहर की असामान्‍य ग्रोथ के इलाज के लिए स्‍प्रे डिवाइस या रूई के फाहे से कोल्‍ड गैस को लगाया जाता है जबकि अंदरूनी ट्यूमरों का इलाज प्रोब नामक उपकरण से किया जाता है। इसे स्किन पर छोटा-सा टांका लगाकर अंदर डाला जाता है।

अल्‍ट्रासाउंड और एमआरआई जैसी तकनीकों की मदद से प्रोब को ट्यूमर पर प्रोब लगाया जाता है। अंदरूनी ट्यूमरों के इलाज के लिए ओपन सर्जरी भी की जा सकती है। हालांकि, इसमें बड़ा कट लगाना पड़ता है। सर्जरी वाले दिन अस्‍पताल से छुट्टी लेकर घर जा सकते हैं।

  1. क्रायोसर्जरी क्‍या है - What is cryosurgery in hindi
  2. क्रायोसर्जरी क्‍यों करवाई जाती है - Why is cryosurgery recommended in hindi
  3. क्रायोसर्जरी कौन नहीं करवा सकता है - Who can and cannot get cryosurgery in hindi
  4. क्रायोसर्जरी से पहले की तैयारी - What preparations are needed before cryosurgery in hindi
  5. क्रायोसर्जरी कैसे की जाती है - How is cryosurgery done in hindi
  6. क्रायोसर्जरी के बाद देखभाल - How to care for yourself after cryosurgery in hindi
  7. डॉक्‍टर को कब दिखाएं - When to see the doctor in hindi
  8. क्रायोसर्जरी से जुड़ी जटिलताएं - What are the possible complications/risks of cryosurgery in hindi
  9. क्रायोसर्जरी के बाद डॉक्‍टर के पास चेकअप के लिए कब जाएं - When to follow up with your doctor after cryosurgery in hindi

क्रायोसर्जरी (क्रायोएब्‍लेशन) की प्रक्रिया में बहुत तेज ठंडे तापमान से शरीर के अंदर के बीमारी वाले ऊतकों या क्षतिग्रस्‍त हो चुके असामान्‍य ऊतकों को जमा दिया जाता है।

हालांकि इस प्रक्रिया को शुरू में शरीर के बाहर मौजूद ट्यूमर और असामान्य ऊतकों के इलाज के लिए विकसित किया गया था। आजकल शरीर के अंदर के ट्यूमरों को भी इससे नष्‍ट किया जाता है। हालांकि, क्रायोसर्जरी सिर्फ एक जगह के ट्यूमर का ही इलाज करती है और इससे आसपास के ऊतकों या अंगों में फैले ट्यूमर को खत्‍म नहीं किया जा सकता है।

इस प्रक्रिया के दौरान बीमारी वाले ऊतक को हाई प्रेशर से आर्गन गैस या लिक्विड नाइट्रोजन (कोल्‍ड गैस) से जमा दिया जाता है। बहुत ज्‍यादा ठंड से निम्‍न तरह से ऊतकों को खत्‍म किया जाता है :

  • लीथल आईस क्रिस्‍टल बनाकर, -40 डिग्री सेल्सियस पर, कोशिकाओं के अंदर।
  • कोशिकाओं के बाहर फ्लूइड में आईस बनानकर, इससे कोशिकाओं में डिहाइड्रेशन हो जाती है।
  • को‍शिकाओं से पानी निकालना जिससे को‍शिकाएं सिकुड़ जाती हैं।
  • कोशिकाओं के अंदर आईस की चौड़ाई को बढ़ाकर जिससे कोशिकाएं फट जाती हैं।
  • रक्‍त‍ वाहिकाओं के अंदर आईस बनाकर जिससे ऊतक में खून की सप्‍लाई रूक जाती है।
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निम्‍न स्थितियों में इस सर्जरी की सलाह दी जाती है :

  • त्‍वचा से जुड़ी समस्‍याएं, जैसे कि :
  • रेटिनोब्‍लास्‍टोमास : इसके लक्षण हैं :
    • आंखों की रोशनी कम होना
    • भेंगापन
    • आंखों का लाल होना
    • आंख की पुतली का रंग का बदलना
  • लिवर कैंसर : इसके लक्षण हैं :
    • पेट के अंदर गांठ बनना
    • भूख कम होना
    • थकान
    • आंखों और स्किन का रंग पीला पड़ना
    • फ्लू जैसे लक्षण दिखना
  • सर्वाइकल कैंसर : इसके लक्षण हैं :
  • प्रोस्‍टेट कैंसर और फेफड़ों, किडनी, ब्रेस्‍ट और हड्डियों में ट्यूमर होना

निम्‍न स्थितियों में इस सर्जरी की सलाह नहीं दी जाती है :

  • क्रायोफाइब्रिनोजेनेमिया
  • रायनॉड डिजीज
  • मल्‍टीपल माइलोमा
  • क्रायोग्‍लोबुलिनेमिया
  • एगामाग्‍लोबुलिनेमिया
  • कोल्‍ड अर्टिकेरिया
  • निओप्‍लाज्‍म
  • ऑपरेशन वाली जगह में पहले ठंड की वजह से चोट लगना या रक्‍त प्रवाह खराब होना
  • प्राइमरी लिवर ट्यूमर

सर्जरी से कुछ दिन पहले चेकअप के लिए आपको अस्‍पताल जाना होगा जिस दौरान आपको निम्‍न चीजें बतानी होंगी :

  • आपकी मेडिकल हिस्‍ट्री
  • पहले एलर्जी रही है या नहीं
  • एनेस्‍थीसिया की हिस्‍ट्री
  • प्रेगनेंट तो नहीं हैं
  • जो भी दवा, जड़ी बूटी, विटामिन या डॉक्‍टर के पर्चे के बिना मिलने वाली दवा ले रहे हैं, तो डॉक्‍टर को बताएं।

आप सर्जरी करवा सकते हैं या नहीं, यह जानने के लिए निम्‍न टेस्‍ट करवाए जाएंगे :

सर्जरी के लिए निम्‍न निर्देश दिए जाएंगे :

  • सर्जरी से एक रात पहले वार‍फरिन, इबुप्रोफेन या खून पतला करने वाली दवाएं न लें।
  • रोज सिगरेट पीते हैं तो बंद कर दें।
  • सर्जरी से एक रात पहले कुछ भी खाएं-पिएं नहीं। इससे सर्जरी के दौरान एनेस्‍थीसिया से उल्‍टी नहीं होगी।
  • सर्जरी के बाद घर ले जाने के लिए कोई दोस्‍त या परिवार का सदस्‍य होना चाहिए।
  • अगर आपको सर्जरी से कुछ दिन पहले फ्लू, जुकाम या बुखार हुआ है तो सर्जरी टालनी पड़ सकती है।
  • ऑपरेशन से पहले नहा लें और मेकअप, ज्‍वेलरी, नेल पॉलिश उतार दें।
  • प्रक्रिया से पहले आपसे एक फॉर्म साइन करवाया जाएगा।
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अस्‍पताल पहुंचने के बाद आपको हॉस्‍पीटल गाउन पहनाई जाएगी। बांह में ड्रिप लगाकर जरूरी दवाएं और फ्लूइड दिए जाएंगे। अगर शरीर के ऊपर मस्‍से और अन्‍य असामान्‍य ऊतकों के इलाज के लिए क्रायोसर्जरी की जा रही है तो निम्‍न तरीके से सर्जरी की जाती है :

  • जिस जगह का ऑपरेशन होना है, वहां पर लोकल एनेस्‍थीसिया दिया जाएगा और छोटे चाकू से असामान्‍य ऊतक या मस्‍से को काट दिया जाएगा।
  • अब स्‍प्रे असामान्‍य ऊतक को जमाने के लिए लिक्‍विड नाइट्रोजन को स्‍प्रे किया जाएगा या मस्‍से पर स्‍प्रे डिवाइस या रूई के फाहे से असामान्‍य ऊतक को जमा दिया जाएगा।
  • फिर सर्जन ऊतक को पिघला देंगे और फिर उसे ठंडा कर देंगे। ऐसा दो से तीन बार किया जाएगा।
  • हर एक प्रक्रिया के बीच एक से तीन हफ्ते का अंतर होगा और इलाज में कई प्रक्रियाओं की जरूरत पड़ सकती है।

यदि शरीर के अंदर के ट्यूमरों को नष्‍ट करने के लिए यह सर्जरी की जा रही है तो इसमें निम्‍न तरीके से स्किन के जरिए ऑपरेशन होगा :

  • बांह में सुईं लगाकर मरीज को बेहोश कर दिया जाएगा। कुछ मामलों में जनरल एनेस्‍थीसिया देकर बेहोश किया जाता है।
  • अब जिस जगह प्रोब डालना है, उस हिस्‍से की स्किन को साफ कर के वहां से बाल हटाए जाएंगे। फिर यहां पर एक छोटा कट लगाया जाएगा।
  • प्रोब को इस कट से अंदर डालकर उसे ट्यूमरों के पास ले जाया जाएगा।
  • डॉक्‍टर अल्‍ट्रासाउंड, एमआरआई या सीटी स्‍कैन से शरीर के अंदर प्रोब डालकर तस्‍वीरें लेंगे।
  • प्रोब के ट्यूमर तक पहुंचने पर सर्जन आर्गन गैस या लि‍क्विड नाइट्रोजन से प्रभावित ऊतक को जमा देते और आईस बॉल बना देंगे।
  • जमाने के बाद उस हिस्‍से को पिघला दिया जाएगा और इस तरीके को कई बार दोहराया जाएगा।
  • इसके बाद प्रोब को हटा दिया जाता है और डॉक्‍टर टांके की बजाय कट पर बैंडेज लगा देंगे।

बड़े ट्यूमरों के इलाज के लिए शरीर के अंदर कई प्रोब डाले जाएंगे। जैसे कि प्रोस्‍टेस्‍ट कैंसर के इलाज के लिए छह से आठ प्रोब डाले जाएंगे।

गर्भाशय ग्रीवा में ट्यूमर के इलाज के लिए क्रायोसर्जरी की जा रही है, तो योनि से प्रोब डाला जाएगा।

सर्जरी के दौरान और इसके बाद लगातार शरीर के तापमान को मॉनिटर किया जाएगा क्‍योंकि लो बॉडी टेंपरेचर क्रायोसर्जरी का साइड इफेक्‍ट है। अंदरूनी ट्यूमरों को निकालने के साथ बड़ा कट लगाकर ओपन सर्जरी की जाती है।

हालांकि, ओपन सर्जरी की तुलना में परक्‍यूटेनियस तरीके में छोटा कट लगाने की जरूरत होती है और इसमें आसपास के स्‍वस्‍थ ऊतकों को कम ट्रामा और डैमेज होता है।

सर्जरी के बाद बाहं में लगी ड्रिप को निकाल दिया जाएगा। इस सर्जरी में एक से तीन घंटे का समय लगेगा और आप उसी दिन घर जा सकते हैं। क्रायोसर्जरी से अंदरूनी हिससे के ट्यूमरों को नष्‍ट करने में मदद मिलती है और इन्‍हें निकालने की जरूरत नहीं पड़ेगी। सफेद रक्‍त कोशिकाओं से प्राकृतिक रूप से नष्‍ट किए गए ऊतक हट जाते हैं।

अस्‍पताल से छुट्टी मिलने से पहले ऑपरेशन वाली जगह की देखभाल के लिए कुछ खास निर्देश दिए जाएंगे। अगर स्किन के अंदर असामान्‍य ग्रोथ के इलाज के लिए सर्जरी की जा रही है तो सर्जरी वाली जगह पर छाला बनाया जाएगा।

सर्जरी वाली जगह को आपको सूखा रखना होगा और साफ पट्टी लगानी होगी। अगर छाला फट रहा है तो इस पर एंटीसेप्टिक क्रीम लगाएं।

छाले के ऊपर पपड़ी आ जाएगी जो दो से तीन हफ्ते के बाद हट जाएगी। अगर ऑपरेशन वाली जगह पर सूजन हो रही है तो डॉक्‍टर दर्द निवारक दवा और स्‍टरॉइड ऑइंटमेंट लिख सकते हैं।

सर्जरी के बाद पूरी तरह से ठीक होने में छह हफ्ते लग जाते हैं।

प्रीक्‍यूटेनियस क्रायोसर्जरी के बाद आप एक से तीन दिन के बाद रोजमर्रा के काम कर सकते हैं। ओपन क्रायोसर्जरी में सात से दस दिन लग सकते हैं।

इस प्रक्रिया से स्किन से और शरीर के अंदर किसी हिस्‍से से असामान्‍य और कैंसर से पहले आने वाली ग्रोथ को हटाने में मदद मिलती है।

सर्जरी के बाद निम्‍न लक्षण दिखने पर सर्जन काे बताएं :

  • बुखार
  • ऑपरेशन वाली जगह से स्किन तक लाल स्ट्रिक्‍स फैल जाएंगे।
  • स्किन पर असामान्‍य ऊतक की दोबारा ग्रोथ होना।
  • गंभीर सूजन या दर्द का दवा से ठीक न होना।
  • ऑपरेशन वाली जगह पर छूने पर दर्द होने, लालिमा या गरमाई का बढ़ना।
  • घाव से असामान्‍य डिस्चार्ज होना।
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इस प्रक्रिया से कुछ संभावित जटिलताएं और जोखिम जुड़े हो सकते हैं :

  • इंफेक्‍शन
  • लालिमा और सूजन
  • छाले होना
  • दर्द
  • स्‍कार होना
  • सनसनाहट महसूस न होना
  • स्किन का रंग उड़ना
  • स्किन पर सख्‍त और गोल ग्रोथ बनना
  • जनरल एनेस्‍थीसिया से लंग इंफेक्‍शन, हार्ट अटैक और उलझन जैसी परेशानियां होना।

सर्जरी के बाद अस्‍पताल से छुट्टी मिलने से पहले आपको बताया जाएगा कि आपको कब चेकअप के लिए आना है। आपके ब्‍लड टेस्‍ट, शारीरिक जांच और इमेजिंग टेस्‍ट करवाकर देखा जाएगा कि टांके वाली जगह ठीक हुई है या नहीं।

नोट : ऊपर दी गई संपूर्ण जानकारी शैक्षिक दृष्टिकोण से दी गई है और यह डॉक्‍टरी सलाह का विकल्‍प नहीं है।

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