जब आप ऑपरेशन के लिए अस्पताल पहुंच जाते हैं, तो आपको आपको हॉस्पिटल गाउन ड्रेस और सर्जिकल स्टॉकिंग्स पहने को दी जाती है। इसके बाद डॉक्टर आपको सर्जरी के बारे में कुछ समझाते है और फिर प्रोसीजर को शुरू कर दिया जाता है।
कोलेक्टॉमी सर्जरी की शुरूआत कुछ इस प्रकार से की जाती है -
- नर्स आपको कुछ दवाएं देती हैं, जिससे आप ऑपरेशन थिएटर में जाने से पहले ही पूरी तरह से रिलैक्स हो जाते हैं
- डॉक्टर आपकी बांह की नस में इंट्रावेनस सुई लगा देते हैं, जिसकी मदद से आपको सर्जरी के दौरान आवश्यक द्रव व दवाएं दी जाती हैं।
- आपके मूत्राशय को एक यूरिनरी कैथीटर से जोड़ दिया जाता है, ताकि सर्जरी के दौरान निकलने वाला पेशाब उससे जुड़ी थैली में जमा होता रहे।
- इसके बाद एनेस्थीजियोलॉजिस्ट आपको एनेस्थीसिया का इंजेक्शन देते हैं, जिससे आप सर्जरी के दौरान गहरी नींद में सो जाते है और आपको कुछ महसूस नहीं होता है।
जब आप गहरी नींद में सो जाते हैं, तो ऑपरेशन प्रोसीजर शुरू की जाती है -
- ओपन सर्जरी -
इस सर्जरी प्रोसीजर में सर्जन रोगग्रस्त कोलन के ऊपर पेट में चीरा लगाते हैं। इस चीरे के अंदर से सर्जरी के ऊपकरण अंदर डाले जाते हैं, जिनकी मदद से बड़ी आंत के रोगग्रस्त हिस्से को बाहर निकाल दिया जाता है।
- लेप्रोस्कोपिक सर्जरी -
इस सर्जरी प्रोसीजर में सर्जन एक बड़े चीरे की जगह कई छोटे-छोटे चीरे लगाते हैं। इन चीरों के माध्यम से लेप्रोस्कोप को अंदर डाला जाता है। लेप्रोस्कोप के सिरे पर कैमरा व लाइट लगी होती है, जिसकी मदद से सर्जन अंदर वाले सभी हिस्सों को बाहर मॉनिटर स्क्रीन पर देख पाते हैं। इसके बाद सर्जन सर्जरी वाले अन्य उपकरणों को अंदर डालते हैं और मॉनिटर स्क्रीन में देखते हुए रोगग्रस्त हिस्से को निकाल दिया जाता है।
जब उपरोक्त दोनों प्रोसीजरों में किसी का इस्तेमाल करके कैंसरग्रस्त कोलन को निकाल दिया जाता है, तो पेट में बचे हुए बड़ी आंत के दोनों हिस्से को आपस में जोड़ दिया जाता है, जिस प्रक्रिया को एनास्टोमोसिस कहा जाता है।
कुछ मामलों में सर्जन आंत के अंतिम हिस्से को पेट में छिद्र करके उससे जोड़ देते हैं, जिसे स्टोमा कहा जाता है। स्टोमा को कुछ समय के लिए या फिर स्थायी रूप से इस्तेमाल करने के लिए बनाया जा सकता है। ऐसी स्थिति में स्टोमा के साथ एक विशेष बैग को जोड़ दिया जाता है, जिसमें मल जमा होता रहता है। इस बैग को समय-समय पर खाली किया जाता है या फिर नए बैग से बदल दिया जाता है।
वैसे तो अधिकतर मामलों में पार्शियल कोलेक्टॉमी (हेमिकोलेक्टॉमी) और टोटल कोलेक्टॉमी ही की जाती है, हालांकि, कोलन का कौन सा हिस्सा प्रभावित हुआ है उसके अनुसार दूसरी सर्जिकल प्रोसीजर भी की जा सकती हैं, जिनमें आमतौर पर निम्न शामिल हैं -
- लेफ्ट हेमीकोलेक्टॉमी - इस सर्जरी में कोलन के बाएं हिस्से को हटा दिया जाता है।
- राइट हेमीकोलेक्टॉमी - इस प्रोसीजर की मदद से बड़ी आंत का दायां हिस्सा हटाया जाता है।
- ट्रांसवर्स कोलेक्टॉमी - इसमें कोलन के बीच वाले हिस्से को हटाया जाता है, जिससे ट्रांसवर्स कोलन कहा जाता है।
- सिगमोइड कोलेक्टॉमी - इसमें कोलन के सिगमोइड हिस्से को सर्जरी की मदद से हटाया जाता है।
- सबटोटल कोलेक्टॉमी - इस सर्जरी प्रोसीजर में कोलन का अधिकतर हिस्सा ही निकाल दिया जाता है। और बचे हुए सिगमोइड हिस्से को छोटी आंत से जोड़ दिया जाता है।
यह सर्जरी होने में लगभग एक घंटे का समय लगता है, जिसके बाद निम्न कार्य किए जाते हैं -
- आपको रिकवरी वार्ड में शिफ्ट कर दिया जाएगा, जहां पर नर्स आपके सभी शारीरिक संकेतों जैसे ब्लड प्रेशर, ब्लड ऑक्सीजन लेवल, हार्ट रेट व अन्य पर करीब से नजर रखती है। आपको 3 से 7 दिन बाद अस्पताल से छुट्टी मिल जाती है।
- एनेस्थीसिया का असर कम होने के बाद आपको होश आ जाता है और कुछ समय तक आपको उलझन सी महसूस होती है। हालांकि, इस दौरान नर्स आपकी मदद करती है और आपको सभी जरूरी चीजों के बारे में बताती हैं।
- आपको इंट्रावेनस और नैसोगैस्ट्रिक ट्यूब लगाकर रखी जाती है। नैसोगैस्ट्रिक ट्यूब की मदद से पेट में जमा हो रहे द्रव को साथ ही साथ निकाला जाता है, ताकि यह आंत में न जा पाए।
- यूरीनरी कैथीटर को सर्जरी के बाद 24 घंटों तक लगाकर रखा जाता है और उसके बाद निकाल दिया जाता है।
- 24 से 48 घंटों के बाद आपको द्रव पीने की अनुमति दे दी जाती है और शुरुआत एक छोटी घूंट पानी से की जाती है।
- सर्जरी के बाद होने वाले दर्द को कम करने के लिए दर्दनिवारक दवाएं और संक्रमण को रोकने के लिए एंटीबायोटिक दवाओं का इस्तेमाल किया जाता है। यदि आपको जी मिचलाने की समस्या हो रही है, तो उसके लिए भी दवाएं दी जा सकती हैं।
- सर्जरी वाले घाव पर पट्टी कर दी जाती है। सर्जरी के दौरान आमतौर पर ऐसे टांकों का इस्तेमाल किया जाता है जो कुछ समय बाद त्वचा में ही अवशोषित हो जाते हैं अर्थात् इन्हें निकलवाने की आवश्यकता नहीं पड़ती है। हालांकि, यदि अवशोषित होने वाले टांके नहीं हैं, तो डॉक्टर टांके निकालने के लिए कुछ समय बाद फिर से अस्पताल बुलाते हैं।
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