पेल्विक लिम्फ नोड्स को अलग करना
ऑपरेशन थिएटर में मरीज को जनरल एनेस्थीसिया दिया जाता है, जिसके बाद ही सर्जरी शुरू होती है। इस सर्जरी में सबसे पहले पेल्विस की लिम्फ नोड्स को निकाला जाता है, जिसे पेल्विक लिम्फ नोड डिसेक्शन कहा जाता है। ये ओपन सर्जरी या लैप्रोस्कोपिक तकनीक से की जा सकती है। अब माइक्रोस्कोप की मदद से पेल्विक लिम्फ नोड्स में कैंसर कोशिकाओं की मौजूदगी की जांच की जाती है। अगर लिम्फ नोड्स में कैंसर हो तो सर्जरी रोक दी जाती है, लेकिन अगर इसमें कोई कैंसर न हो तो सर्जरी को इसके दूसरे चरण यानी रेडिकल ट्रेकिलेक्टोमी तक लाया जाता है।
रेडिकल ट्रेकिलेक्टोमी
ये सर्जरी का दूसरा चरण है, जिसमें गर्भाशय ग्रीवा, योनि के ऊपरी हिस्से और गर्भाशय ग्रीवा के आसपास के सहायक ऊतकों को निकाला जाता है। गर्भाशय, फैलोपियन ट्यूब और अंडाशय अपनी जगह पर ही रहते हैं। अगर सिर्फ गर्भाशय ग्रीवा और योनि का ऊपरी हिस्सा ही निकाला जाए तो इस प्रक्रिया को सिंपल ट्रेकिलेक्टोमी और अप्पर वजाइनेक्टोमी कहा जाता है।
रेडिकल ट्रेकिलेक्टोमी करने के कई अलग-अलग तरीके हैं, जैसे कि :
- वजाइनल रेडिकल ट्रेकिलेक्टोमी में गर्भाशय ग्रीवा और इसके आसपास के सहायक ऊतकों को योनि के जरिए निकाला जाता है।
- एब्डोमिनल (पेट) रेडिकल ट्रेकिलेक्टोमी में गर्भाशय ग्रीवा और आसपास के सहायक ऊतकों को पेट में बड़ा चीरा लगाकर निकाला जाता है।
- लैप्रोस्कोपिक रेडिकल ट्रेकिलेक्टोमी में पतली ट्यूब जैसे उपकरण को लाइट और लैंस के साथ इस्तेमाल किया जाता है, जिसे लैप्रोस्कोप कहते हैं। सर्जन पेट में छोटा-सा चीरा लगाते हैं जिसके बाद लैप्रोस्कोप और अन्य उपकरणों को उस छोटे चीरे के जरिए पेट के अंदर डालकर गर्भाशय ग्रीवा और आसपास के ऊतकों को निकाला जाता है।
सर्जरी के अंत में सर्जन एक विशेष टांके से चीरे वाली जगह को पूरा बंद न कर के थोड़ा ही बंद करते हैं। अब इसमें जो थोड़ी-सी जगह छोड़ी जाती है वहां से मासिक धर्म के दौरान ब्लीडिंग होती है। इस चीरे वाली जगह को बंद रखने के लिए कुछ समय के लिए कैथेटर लगाया जा सकता है।
सर्जरी के दौरान जिन गर्भाशय ग्रीवा के ऊतकों को बाहर निकाला जाता है, उनमें माइक्रोस्कोप के जरिए कैंसर कोशिकाओं की जांच की जाती है। अगर इनमें या इनके सिरे के आसपास कैंसर कोशिकाएं दिखाई देती हैं तो सर्जन इस स्थिति में और ऊतकों को निकालने की कोशिश कर सकते हैं। कुछ मामलों में सामान्य ऊतकों की संख्या पर्याप्त होने पर सर्जन को कैंसर को पूरी तरह से निकालने के लिए हिस्टेरेक्टोमी की जरूरत पड़ सकती है।