बैरिएट्रिक सर्जरी कैसे की जाती है?
बैरिएट्रिक सर्जरी की हर प्रोसीजर अलग-अलग होती हैं। ये सभी सर्जिकल प्रक्रियाएं लैप्रोस्कोपी मेथड से की जा सकती हैं, जैसे -
- डॉक्टर आपको सबसे पहले एनेस्थीसिया देंगे, जिससे आपको गहरी नींद जाएगी और आपको सर्जरी के दौरान कुछ भी महसूस नहीं होगा।
- जब आप सो जाते हैं, तो पेट में एक या कई चीरे लगाए जाते हैं।
- इनमें से एक चीरे में लेप्रोस्कोप डाला जाता है, जिसके सिरे पर कैमरा और लाइट लगी होती है।
- इसके बाद अन्य उपकरण चीरों में डाले जाते हैं, जिनकी मदद से सर्जरी करने में मदद मिलती है।
लेप्रोस्कोपिक एडजस्टेबल गैस्ट्रिक बैंड
एलएजीबी (LAGB) सर्जिकल प्रक्रिया को करने में 30 से 60 मिनट का समय लगता है। जब पेट में लेप्रोस्कोप और अन्य उपकरण डाल दिए जाते हैं, तो निम्न प्रक्रियाएं की जाती हैं -
- सर्जन पेट के ऊपरी भाग में एक बैंड लगाते हैं, जिसे वह निचले हिस्से से अलग हो जाता है।
- बैंड लगने के बाद पेट के ऊपरी हिस्से की एक थैली बन जाती है, जिससे एक नली निचले हिस्से में जाती है।
- इस सर्जरी में पेट के अंदरूनी हिस्से में कोई चीरा आदि नहीं लगाया जाता है। एक छोटा पोर्ट जो गैस्ट्रिक बैंड से जुड़ा होता है, जो बैंड को एडजस्ट करने का काम करता है। इस पोर्ट से बैंड में सेलाइन भी डाला जा सकता है, जिससे पेट को सिकोड़ने या खोलने में मदद मिलती है।
- जब सर्जरी के बाद आप कुछ खाते हैं, तो पहले पेट के ऊपरी हिस्से में बनी थैली भरती है, जिससे आपको तृप्ती महसूस होती है। इसके बाद, भोजन धीरे-धीरे ऊपरी हिस्से से निचले हिस्से की तरफ जाने लगता है।
सर्जरी वाले दिन की आपको घर जाने की अनुमति मिल जाती है। हालांकि, कुछ लोगों को एक या दो दिन अस्पताल में भी भर्ती रहना पड़ सकता है, जो उनके स्वास्थ्य पर निर्भर करता है।
गैस्ट्रिक बाइपास सर्जरी
बैरिएट्रिक सर्जरी की इस प्रक्रिया को करने में 2 से 4 घंटों का समय लगता है। गैस्ट्रिक बाइपास सर्जरी के लिए पेट में चीरे लगाकर लेप्रोस्कोप व अन्य उपकरण डाले जाते हैं, जिसके बाद निम्न प्रक्रियाएं की जाती हैं -
- पेट के ऊपरी हिस्से में थैली बनाने के लिए लेप्रोस्कोपिक स्टेपल का इस्तेमाल किया जाता है।
- इसके बाद, इस पाउच को आंत के बीच वाले हिस्से (जेजुनम) से जोड़ दिया जाता है।
- सर्जरी प्रक्रिया पूरी होने के बाद घाव में टांके सिल दिए जाते हैं।
सर्जरी के बाद जब आप खाते हैं, तो भोजन पहले पाउच में जाता है और फिर जेजुनम में चला जाता है। इस प्रक्रिया के कारण बहुत कम भूख लगती है और खाए गए भोजन से कम मात्रा में कैलोरी अवशोषित होती है।
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गैस्ट्रिक बाइपास सर्जरी को ओपन सर्जरी के रूप में भी किया जाता है, जिसमें पेट में एक बड़ा कट बनाया जाता है।
गैस्ट्रिक स्लीव सर्जरी
इस सर्जरी प्रक्रिया में 60 से 90 मिनट का समय लगता है। जब पेट में चीरा लगाकर लेप्रोस्कोप और अन्य उपकरण पेट में भेज दिए जाते हैं, तो उसके बाद निम्न प्रक्रियाएं की जाती हैं -
- लेप्रोस्कोप स्टेपलर की मदद से पेट को दो भागों में बांट देते हैं, जिससे पेट का एक हिस्सा केले की आकृति का बन जाता है और बाकी के पेट के हिस्से को काटकर हटा दिया जाता है।
- इस प्रक्रिया के बाद लेप्रोस्कोप व अन्य उपकरण शरीर के छिद्रों में से निकाल दिए जाते हैं और टांके लगाकर सर्जरी के चीरों को बंद कर दिया जाता है।
- पेट का आकार छोटा होने पर उसमें भोजन कम आने लगता है और आपका पेट जल्दी भर जाता है। सर्जरी के 2 दिन बाद आप घर जा सकते हैं, हालांकि, कुछ लोगों को इससे अधिक समय भी लग सकता है।
बिलियोपैन्क्रिएटिक डाइवर्जन विद ड्यूडेनल स्विच
इस सर्जिकल प्रक्रिया को बीपीडी/डीएस (BPD/DS) भी कहा जाता है, जिसे निम्न तरीके से किया जाता है -
- इसमें सर्जन लेप्रोस्कोप स्टेपलर की मदद से पेट के हिस्से को काटकर पेट की ट्यूब जैसी संरचना बना देते हैं।
- छोटी आंत के ऊपरी हिस्से (ड्यूडेनम) को छोटी आंत के निचले हिस्से के जोड़ दिया जाता है।
- इस बाइपास रास्ते की मदद से पित्तरस और अग्नाशय के एंजाइम मिलते हैं, जो वसा व कैलोरी को पचाने का काम करते हैं। इस भाग को छोटी आंत के अंतिम हिस्से से फिर से जोड़ दिया जाता है, जिस प्रक्रिया को बिलियोपैन्क्रिएटिक डाइवर्जन कहा जाता है।
- इसके बाद चीरे से उपकरणों को निकाल दिया जाता है और फिर टांके लगाकर चीरे को बंद कर दिया जाता है। (और पढ़ें - टांके कैसे लगाते हैं)
बिलियोपैन्क्रिएटिक डाइवर्जन को ओपन सर्जरी के रूप में भी किया जा सकता है।
प्रक्रिया के बाद जब आप खाना खाते हैं, तो वह भोजन सिर्फ नई थैली से होकर गुजरता है और आंत के अंतिम हिस्से में जाकर जमा हो जाता है। इस कारण से कम से कम भोजन पच पाता है और कम मात्रा में ही उनसे पोषक तत्व मिल पाते हैं।
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सर्जरी के बाद आपको अस्पताल के कमरे में शिफ्ट कर दिया जाएगा। डॉक्टर आपकी स्वास्थ्य स्थिति के अनुसार आपको थोड़ा-बहुत चलने फिरने की सलाह दे सकते हैं। जब तक आप अस्पताल में भर्ती रहते हैं, आपको भोजन में तरल पदार्थ दिए जाते हैं।