मोटापा और मधुमेह से ग्रस्त लोगों को धीरे धीरे तमाम प्रकार की बीमारियां घेरने लगती हैं। इस तरह के कोमोरबिडिटी से जूझ रहे लोगों के लिए गैस्ट्रिक बाईपास सर्जरी, जिसे बैरिएट्रिक सर्जरी भी कहा जाता है, यही एक विकल्प शेष बचता है। इस सर्जरी को आम बोलचाल की भाषा में वजन घटाने की सर्जरी भी कहा जाता है। इससे पाचन तंत्र में विशेष प्रकार का बदलाव आ जाता है। हालांकि, भविष्य में कुपोषण जैसी समस्याओं का भी डर बना रहता है। सर्जन आमतौर पर इस सर्जरी के लिए उन्हीं लोगों को सलाह देते हैं जिनका बॉडी मास इंडेक्स (बीएमआई) 40 से अधिक होता हो। इसके अलावा जो लोग मधुमेह, हृदय रोग या उच्च रक्तचाप जैसी अन्य बीमारियों से परेशान हों और उनका बीएमआई 35 से ऊपर हो, वह लोग भी बैरिएट्रिक सर्जरी करा सकते हैं।
भारत में भी चूंकि मोटापे की समस्या से ग्रस्त लोगों की संख्या बहुत तेजी से बढ़ती जा रही है, यही कारण है कि धीरे-धीरे यह प्रक्रिया यहां भी काफी लोकप्रिय हो रही है। सर्जरी की इस प्रक्रिया में पेट के चारों ओर एक बैंड या स्लीव सेट किया जाता है, इसके बाद पेट के एक हिस्से को सर्जरी के जरिए उसके मूल आकार से एक चौथाई तक कम कर दिया जाता है। ऐसा करने से न सिर्फ वजन घट जाता है, साथ ही मोटापे से जुड़ी अन्य बीमारियों का खतरा भी कम हो जाता है।
वजन कम करने के लिए वर्षों से प्रयास कर रहे लोगों के लिए यह काफी अच्छा उपाय माना जाता है। इससे रोगी थोड़े समय में ही वजन घटाने का अनुभव कर सकते हैं। इतना ही नहीं सर्जरी के बाद पहले दो वर्षों में अन्य गंभीर बीमारियों का जोखिम भी 70 फीसदी तक कम हो सकता है। हालांकि, कुछ शोध से यह भी पता चला है कि बैरिएट्रिक सर्जरी के पांच साल बाद आधे से ज्यादा रोगियों में दोबारा से वजन बढ़ने की शिकायत देखने को मिली। ऐसे में यह कहा जा सकता है कि बैरिएट्रिक सर्जरी जैसे उपायों को बहुत लंबे समय के लिए टिकाऊ नहीं माना जा सकता है। जिन लोगों ने इस तरह की सर्जरी कराई हो उनके लिए सर्जरी के बाद अपनी जीवनशैली को स्वस्थ्य रखना काफी महत्वपूर्ण हो जाता है। सर्जरी के बाद ऐसे लोगों को पौष्टिक आहार के साथ दैनिक रूप से व्यायाम और शारीरिक गतिविधियों पर विशेष ध्यान देने की सलाह दी जाती है।
इस लेख में हम आपको बैरिएट्रिक सर्जरी के बाद किस तरह से व्यायाम करें, क्या करें और क्या न करें, इस बारे में विस्तार से जानकारी देंगे।