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कोरोनरी एंजियोप्लास्टी (Coronary Angioplasty) या परक्यूटेनियस कोरोनरी इंटरवेंशन (Percutaneous Coronary Intervention) का उपयोग हृदय की ब्लॉक्ड धमनियों को खोलने के लिए किया जाता है। दिल का दौरा पड़ने पर, आदर्श रूप से पहले 1 से 1.5 घंटों के अंदर रोगी की एंजियोप्लास्टी की जानी चाहिए। यह समय बहुत महत्वपूर्ण होता है। इस समय सीमा के बाद, हृदय की मांसपेशियों की कोशिकाओं को अपरिवर्तनीय रूप से क्षतिग्रस्त हो जाती हैं। एंजियोप्लास्टी के इस प्रकार को प्राथमिक एंजियोप्लास्टी (Primary Angioplasty) के रूप में जाना जाता है। ऐसी स्थितियों में जहां एंजियोप्लास्टी संभव नहीं है, वहां इंट्रावेनस क्लॉट बस्टर (Intravenous Clot Buster) को विकल्प के रूप में दिया जाता है। हालांकि क्लॉट बस्टर का प्रयोग करना एक आसान विकल्प है, लेकिन यह एंजियोप्लास्टी से कम प्रभावी है।
एंजियोप्लास्टी सर्जरी अवरुद्ध धमनियों के लक्षणों को ठीक करने में मदद करती है। इन लक्षणों में सांस लेने में तकलीफ और सीने में दर्द शामिल है। यह दिल का दौरा पड़ने पर यह अवरुद्ध धमनी को जल्दी से खोलने के लिए उपयोगी है। यह हृदय को हुई क्षति को कम करने में मदद करती है। यह कोरोनरी धमनियों से प्लाक (Plaque) को साफ करने में भी मददगार है। एंजियोप्लास्टी सर्जरी इसलिए फायदेमंद है क्योंकि इसमें बड़ी सर्जरी की आवश्यकता के बिना ही धमनी को सामान्य आकार में वापस लाया जा सकता है।
दिल का दौरा पड़ने पर, स्टेंटिंग के साथ या स्टेंटिंग के बिना, आपातकालीन एंजियोप्लास्टी को सामान्य रूप से उपचार के पहले विकल्प के रूप में किया जाता है। निम्न स्थितियों में एंजियोप्लास्टी की आवश्यकता होती है:
सर्जरी की तैयारी के लिए आपको निम्न कुछ बातों का ध्यान रखना होगा और जैसा आपका डॉक्टर कहे उन सभी सलाहों का पालन करना होगा:
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एंजियोप्लास्टी कैथीटेराइजेशन प्रयोगशाला (Cathetarization Laboratory) में की जाती है। इसमें हाथ या पैर की धमनी में पहले से डाली गई म्यान (Sheath) के माध्यम से कैथेटर डाला जाता है। कोरोनरी धमनियों को और अच्छे से देखने के लिए, रोगियों को इंजेक्शन से एक रेडियो-अपारदर्शी डाई (Radio-Opaque Dye) दी जाती है। हृदय के विभिन्न भागों से रक्तचाप दर्ज किया जाता है। वाल्वों की कार्यप्रणाली की जांच भी की जाती है। विशिष्ट कैमरों का उपयोग करते हुए, प्रक्रिया के दौरान हृदय की छवियों को कैप्चर किया जा सकता है। एक बैलून कैथेटर को रुकावट के स्थान पर रखा जाता है और धीरे-धीरे फैटी प्लाक की स्फीति के लिए भी प्रयोग किया जाता है। यह हृदय की मांसपेशियों को आसानी से रक्त प्रवाहित करने में मदद करता है।
रुकावट स्थल में कार्डियोलॉजिस्ट (Cardiologist; ह्रदय रोग विशेषज्ञ) द्वारा स्टेंट निवेशन (Stent Insertion) और गुब्बारे की मदद से उसी का विस्तार करने से बेहतर परिणाम मिलते हैं। स्टेंट धमनी के माध्यम से रक्त प्रवाह के लिए बेहतर माध्यम प्रदान करता है। यह लम्बे समय तक बेहतर परिणाम देता है।
जिन मरीज़ों के साथ दिल का दौरा पड़ने या स्ट्रोक (Stroke) का जोखिम रहता है उनके लिए सर्जन ह्रदय की बायपास सर्जरी के बजाय एंजियोप्लास्टी का चुनाव करता है। मरीज़ की स्थिति के अनुसार, एंजियोप्लास्टी का प्रकार चुना जाता है। एंजियोप्लास्टी के मुख्य प्रकार निम्न हैं:
बैलून एंजियोप्लास्टी आमतौर पर इस्तेमाल किया जाने वाला एंजियोप्लास्टी का प्रकार है। इसमें कैथेटर नामक एक पतली और लंबी ट्यूब को बांह या जांघ में एक छोटा चीरा काटकर अवरुद्ध धमनी में डाला जाता है। एक्स-रे की सहायता से, कैथेटर को रक्त वाहिकाओं के माध्यम से आसानी से धमनी में डाला जाता है। संकुचित धमनी में प्रवेश करने पर, कैथेटर टिप से जुड़े बैलून (गुब्बारा) को फुलाया जाता है। फूला हुआ बैलून प्लाक को दबाता है और चपटा कर देता है जिससे धमनी चौड़ी हो जाती है। एक बार धमनी साफ़ हो जाए, रक्त प्रवाह वापस ठीक हो जाता है।
बैलून लगाने के बाद, रोगी द्वारा छाती में परेशानी का अनुभव करना सामान्य है। आमतौर पर बैलून एंजियोप्लास्टी के दौरान स्टेंट्स का इस्तेमाल होता है। ये धातु से बने छोटे उपकरण हैं जो एंजियोप्लास्टी प्रक्रिया को पूरा करने के बाद कैथेटर की मदद से रखे जा सकते हैं। यह उपचार के तहत धमनी के संकुचन को रोकने के लिए धमनी के अंदर रहता है।
ज्यादातर बैलून एंजियोप्लास्टी स्टेंट निवेशन वाले मरीजों में लाभकारी होता है। कभी-कभी स्टेंट निवेशन के परिणामस्वरूप कमजोर दिल वाले मरीज़ों में रक्त के थक्के विकसित हो सकते हैं।
लेज़र एंजियोप्लास्टी में, कैथेटर का प्रयोग किया जाता है लेकिन बैलून की जगह लेज़र का उपयोग किया जाता है। लेज़र को फिर प्लाक तक लेकर जाय जाता है और ब्लॉकेज वेपराइज़ (भाप बन जाना) हो जाता है। बैलून और लेज़र एंजियोप्लास्टी का प्रयोग एक के बाद एक किया जाना आम है। बैलून का प्रयोग सख्त प्लाक को हटाने के लिए और बचे हुए प्लाक को हटाने के लिए लेज़र का प्रयोग किया जाता है। दोनों प्रक्रियाओं के बिच का अंतर कार्डियोलॉजिस्ट द्वारा तय किया जाता है। लाज़र एंजियोप्लास्टी का उपयोग अन्य एंजियोप्लास्टी तकनीकों के मुकाबले बहुत कम होता है।
इसका उपयोग तब किया जाता हिअ जब बैलून और लेज़र एंजियोप्लास्टी से भी सख्त प्लाक को न हटाया जा सके। प्लाक को सर्जिकल ब्लेड की मदद से पूरी तरह काट दिया जाता है। ब्लेड से प्रभावित धमनी की दीवारों से हटाने में मदद करता है।
एंजियोप्लास्टी में ज़्यादा समय नहीं लगता। इसमें लगभग एक घंटा लगता है। लेकिन एंजियोप्लास्टी के बाद, अतिरिक्त 12-16 घंटे लगते हैं रिकवरी में।
गौर आपातकालीन एंजियोप्लास्टी में मरीज़ को उसकी स्वास्थ्य की स्थिति के अनुसार अस्पताल में रखा जाता है। आम तौर पर, मरीज़ एक हफ्ते बाद अपनी दिनचर्या में लौट सकए हैं। दिल का दौरा पड़ने पर एंजियोप्लास्टी करने पर, अस्पताल में रहने की अवधि और रिकवरी की अवधि बढ़ सकती है।
एंजियोप्लास्टी के बाद रोगियों को दवाओं के बारे में सर्जन की सलाह का पालन करना बहुत आवश्यक है। अधिकांश समय, एंजियोप्लास्टी रोगियों को सर्जरी के बाद अनिश्चितकाल के लिए एस्पिरिन (Aspirin) लेने की जरूरत होती है। स्टेंट प्लेसमेंट के साथ मरीजों को Blood Thinners (रक्त को पतला करने वाली दवाओं) की आवश्यकता होगी। ऐसी स्थितियों में एक वर्ष या उससे अधिक की अवधि के लिए क्लोपिडोग्रेल (Clopidogrel) दी जाती है।
एंजियोप्लास्टी के बाद ह्रदय का स्वास्थ्य बनाये रखना बहुत जरूरी है। इस सर्जरी के बाद:
जिन स्थितियों में एंजियोप्लास्टी वांछित परिणाम नहीं दे पाती, वहां हृदय की क्षति को रोकने के लिए बायपास सर्जरी की जाती है।
घर पहुँचने के बाद, मरीज़ों को अत्यधिक द्रव का सेवन करना चाहिए जिससे शरीर से कंट्रास्ट डाई निकल जाए। थकाने वाले व्यायाम न करें और भारी वजन न उठायें। अन्य गतविधियां अपने सर्जन के कहे अनुसार करें। सर्जरी के बाद, कैथेटर निशेचन की जगह पर दर्द या परेशानी या सूजन या रक्तस्त्राव होने पर, बुखार, स्त्राव जैसे संक्रमण के लक्षण, तापमान में अस्थिरता, थकान या कमज़ोरी, छाती में दर्द, सांस लेने में तकलीफ होने पर अपने डॉक्टर को बताएं।