एडिसियोलिसिस एक विशेष सर्जरी प्रोसीजर है, जिसका इस्तेमाल त्वचा से स्कार ऊतकों को निकालने के लिए किया जाता है। जब किसी कारण से त्वचा पर कोई घाव बनकर ठीक हो जाता है और उस जगह पर कोई स्थायी निशान बन जाता है, तो उसे स्कार ऊतक कहा जाता है। यह आमतौर पर रेडियोथेरेपी, सर्जरी, ट्रामा, संक्रमण व अन्य सूजन से संबंधित समस्याओं के कारण विकसित होते हैं। स्कार ऊतकों को एढीशन (Adhesion) भी कहा जाता है, जो शरीर के किसी भी हिस्से में बन सकते हैं। हालांकि, अधिकतर मामलों में इन्हें जोड़ों, पेट, पेल्विस और आंखों के आसपास देखा जाता है।

अधिकतर मामलों में स्कार ऊतक से किसी प्रकार के लक्षण विकसित नहीं होते हैं। हालांकि, यदि स्कार टिश्यू से दर्द, कब्ज, दस्त, आंत्र रुकावट, बांझपन या प्रभावित जोड़ को हिला न पाना आदि में से कोई लक्षण होने लगा है, तो इन्हें निकालने के लिए एडिसियोलिसिस सर्जरी की जा सकती है।

सर्जरी से पहले डॉक्टर आपकी मेडिकल हिस्ट्री के बारे में जानेंगे जिसमें आपके स्वास्थ्य संबंधी पिछली सभी जानाकारियों के बारे में पूछा जाता है। साथ ही साथ आपके कुछ टेस्ट किए जाते हैं, जिनकी मदद से यह पता लगाया जाता है कि आप इस सर्जरी के लिए पूरी तरह से फिट हैं या नहीं। एडिसियोलिसिस सर्जरी को आमतौर पर लेप्रोस्कोपी मेथड से किया जाता है, जिसमें लगभग एक से तीन घंटों का समय लगता है। सर्जरी के बाद आपको एक दिन के लिए अस्पताल में भर्ती रहना पड़ता है और फिर आपको घर जाने के लिए अस्पताल से छुट्टी दी जा सकती है। डॉक्टर आपको कुछ बाद फिर से अस्पताल बुला सकते हैं, जिस दौरान यह पता लगाया जाता है कि सर्जरी के बाद आप सामान्य रूप से स्वस्थ हो रहे हैं या नहीं।

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  1. एडिसियोलिसिस क्या है - What is Adhesiolysis in Hindi
  2. एडिसियोलिसिस किसलिए की जाती है - Why is Adhesiolysis done in Hindi
  3. एडिसियोलिसिस से पहले - Before Adhesiolysis in Hindi
  4. एडिसियोलिसिस के दौरान - During Adhesiolysis in Hindi
  5. एडिसियोलिसिस के बाद - After Adhesiolysis in Hindi
  6. एडिसियोलिसिस की जटिलताएं - Complications of Adhesiolysis in Hindi
  7. एडिसियोलिसिस के डॉक्टर

एडिसियोलिसिस एक सर्जरी प्रोसीजर है, जिसकी मदद से शरीर के किसी हिस्से में विकसित हुए स्कार ऊतकों को निकाला जाता है और स्कार टिश्यू के कारण आपस में चिपके अंगों को अलग किया जाता है। एडिसियोलिसिस सर्जरी को “लाइसिस ऑफ एढीशन” के नाम से भी जाना जाता है।

स्कार टिश्यू त्वचा पर घाव होने के कारण बन जाते हैं, जिन्हें आम भाषा में ठीक हुई चोट का निशान भी कहा जा सकता है। स्कार टिश्यू वैसे तो शरीर के किसी भी हिस्से में विकसित हो सकते हैं, हालांकि, मुख्य रूप से इन्हें पेट, पेल्विस, जोड़ों व आंखों के पास देखा जाता है। स्कार ऊतकों के कारण कई बार प्रभावित अंग आसपास की त्वचा से चिपक जाते हैं। हालांकि, यदि स्कार ऊतक आंखों के पास विकसित हुए हैं, तो उन्हें इरिडोटॉमी और साइनेकायलिसिस सर्जरी से किया जाता है

पेट में स्कार ऊतक आमतौर पर सर्जरी, पेट या पेल्विस के हिस्सों में रेडिएशन थेरेपी करवाना, पेट अधिक सूजन होना और संक्रमण के कारण होती है। वहीं जोड़ों में स्कार ऊतक आमतौर पर किसी प्रकार की सर्जरी करवाने, अर्थराइटिस, ट्रामा और यहां तक कि शारीरिक जोड़ का अधिक इस्तेमाल करने के कारण बन सकते हैं।

स्कार ऊतक होने से आमतौर पर कोई लक्षण विकसित नहीं होता है, हालांकि, कुछ लोगों में यदि लक्षण विकसित हो सकत हैं जिस स्थिति को एढीसिव डिजीज कहा जाता है। एडिसियोलिसिस सर्जरी को आमतौर पर उन लोगों के लिए किया जाता है, जिनको स्कार ऊतकों के कारण विकसित होने लग जाते हैं।

एडिसियोलिसिस सर्जरी को आमतौर पर लेप्रोस्कोपिक मेथड के साथ किया जाता है। हालांकि, कुछ दुर्लभ मामलों में इस प्रोसीजर को ओपन सर्जरी के रूप में भी किया जा सकता है। हालांकि, ओपन सर्जरी के बाद फिर से स्कार ऊतक विकसित होने का खतरा काफी बढ़ जाता है।

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एडिसियोलिसिस सर्जरी को मुख्य रूप से पेट में बने हुए स्कार ऊतकों को निकालने के लिए किया जाता है। पेट में स्कार ऊतक बनने पर निम्न लक्षण विकसित हो सकते हैं -

  • बांझपन
  • आंतों में रुकावट
  • दर्द
  • लंबे समय तक पेट फूला रहना
  • पेट में मरोड़
  • पेट गुड़गुड़ाना

एडिसियोलिसिस सर्जरी किसे नहीं करवानी चाहिए?

कुछ स्थितियां हैं जिनमें एडिसियोलिसिस सर्जरी नहीं की जा सकती है और यदि किसी कारण से सर्जरी करनी जरूरी है, तो प्रोसीजर के दौरान विशेष ध्यान रखा जाता है -

  • किसी सर्जरी के दो या तीन हफ्तों के बाद ही एडिसियोलिसिस सर्जरी करवाना, जिससे सामान्य ऊतक क्षतिग्रस्त होने या जठरांत्र पथ में छिद्र बनने का खतरा बढ़ जाता है।
  • रक्त वाहिकाएं रेडिएशन थेरेपी के संपर्क में आना जिसके कारण एडिसियोलिसिस सर्जरी में काफी जटिलताएं हो सकती हैं।
  • रेडिएशन थेरेपी के संपर्क में आकर कोई ऊतक अधिक क्षतिग्रस्त हो जाना और जिस कारण से सर्जरी से होने वाली क्षति को सहन न कर पाना
  • किसी ट्यूमर के आसपास स्कार ऊतक बन जाना और इस कारण से पूरे हिस्से को निकालने की आवश्यकता पड़न क्योंकि ट्यूमर आसपास के हिस्से में भी फैल सकता है।

एडिसियोलिसिस सर्जरी की लेप्रोस्किपक प्रोसीजर को निम्न कारणों से मना किया जा सकता है -

  • पेट के अंदरूनी अंगों को ढकने वाली परत में सूजन आना
  • किसी प्रकार का ब्लीडिंग डिसऑर्डर होना
  • हृदय या फेफड़ों से संबंधित समस्याएं होना
  • पेट में सूजन आना
  • ब्लड प्रेशर सामान्य न रहना (अंदरूनी अंगों में सामान्य रूप से रक्त न पहुंच पाने के कारण)

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एडिसियोलिसिस सर्जरी से कुछ दिन पहले आपको अस्पताल बुलाया जाता है, जिस दौरान आपका शारीरिक परिक्षण किया जाता है व साथ ही आपके स्वास्थ्य संबंधी पिछली सभी जानकारियां भी प्राप्त की जाती हैं। इसके अलावा आपको कुछ टेस्ट भी करवाने को कहा जा सकता है, जिनका रिजल्ट देखकर ही डॉक्टर यह निर्धारित करते हैं कि आपकी यह सर्जरी की जा सकती है या नहीं। इन टेस्टों में निम्न शामिल हैं -

इसके अलावा सर्जरी से पहले निम्न बातों का ध्यान रखने के लिए भी कहा जा सकता है -

  • यदि आप किसी भी प्रकार की दवा, हर्बल उत्पाद या कोई विटामिन आदि ले रहे हैं, तो उनके बारे में डॉक्टर को बता दें। डॉक्टर इनमें से कुछ दवाएं व उत्पादों को बंद करवा सकते हैं, विशेष रूप से उन्हें जो हमारे शरीर में मौजूद रक्त को पतला करने का काम करते हैं।
  • यदि आप शराब या सिगरेट आदि का सेवन करते हैं, तो भी जल्द से जल्द उसे छोड़ दें। ऐसा इसलिए क्योंकि इनका सेवन करने से सर्जरी के दौरान और बाद में कई जटिलताएं हो सकती हैं।
  • सर्जरी से पहले आपको विशेष आहार लेने को कहा जा सकता है, ताकि आपका मल नरम रहे और सर्जरी से पहले आपकी आंतें पूरी तरह से खाली हो जाएं।
  • यह सर्जरी खाली पेट की जाती है, इसलिए आपको ऑपरेशन से कम से कम आठ घंटे पहले तक कुछ भी खाने या पीने से मना किया जाता है।
  • ऑपरेशन वाले दिन अस्पाल आने से पहले नहां लें और सभी आभूषण व गैजेट आदि को उतार कर घर पर रख दें।
  • ढीले-ढाले व आरामदायक कपड़े पहन कर आएं और साथ में करीबी मित्र या रिश्तेदार को ले आएं ताकि सर्जरी से पहले और बाद के कार्यों में आपको मदद मिल सके।
  • अंत में आपको एक सहमति पत्र भी दिया जाता है, जिसपर हस्ताक्षर करके आप सर्जन को सर्जरी करने की अनुमति दे सकते हैं।

जब आप ऑपरेशन के लिए अस्पताल पहुंच जाते हैं, तो सबसे पहले आपको पहनने के लिए एक विशेष ड्रेस दी जाती है, जिसे हॉस्पिटल गाउन कहा जाता है। साथ ही आपको विशेष स्टॉकिंग्स भी दी जा सकती हैं, जो टांगों में रक्त के थक्के बनने से रोकती हैं। इसके बाद आपको ऑपरेशन थिएटर में ले जाया जाता है और वहां पर आपकी बांह की नस में सुई लगाकर इंट्रावेनस लाइन शुरू कर दी जाती है। आपको एंटीबायोटिक व कुछ अन्य दवाएं भी जाती हैं, तो संक्रमण व दर्द जैसी समस्याएं विकसित होने से रोकती हैं। इसके बाद आपको जनरल एनेस्थीसिया का इंजेक्शन दिया जाता है, जिससे आप गहरी नींद में सो जाते हैं और सर्जरी के दौरान आपको कुछ महसूस नहीं होता है। जब एनेस्थीसिया का असर हो जाता है और आप गहरी नींद में सो जाते हैं, तो निम्न सर्जिकल प्रोसीजर शुरू की जाती हैं।

आपको ऑपरेशन टेबल पर लिटाया जाता है और आपके शरीर से एक विशेष मशीन को जोड़ दिया जाता है, जो आपकी नाड़ी, ब्लड प्रेशर और ऑक्सीजन लेवल की स्थिति को मॉनिटर पर दर्शाता है। इसके बाद आपके ब्लैडर में एक कैथीटर (एक विशेष ट्यूब) डाली जाती है, इस ट्यूब की मदद से सर्जरी के दौरान निकलने वाला पेशाब ट्यूब से जुड़ी थैली में जमा होता रहता है।

पेट व पेल्विक के लिए एडिसियोलिसिस की लेप्रोस्कोपिक सर्जरी प्रोसीजर कुछ इस प्रकार है -

  • पेट में दो से चार छोटे-छोटे चीरे लगाए जाते हैं।
  • इसमें से एक छिद्र के माध्यम से पेट में कार्बन डाइऑक्साइड गैस भरी जाती है, जिससे पेट में फूल जाता है और अंदर के सभी अंद स्पष्ट दिखने लगते हैं।
  • इनमें से एक कट के माध्यम से एक ट्यूब जैसे उपकरण को अंदर भेजा जाता है जिसे लेप्रोस्कोप कहते हैं और इसके सिरे पर लाइट व कैमरा लगे होते हैं। इस उपकरण की मदद से सर्जन अंदरूनी संरचनाओं को बाहर स्क्रीन पर देख पाते हैं।
  • जब स्कार ऊतक दिख जाते हैं, तो एक छिद्र की मदद से सर्जरी वाले अन्य ऊपकरणों को अंदर डाला जाता है, जिनकी मदद से स्कार ऊतकों को निकाल लिया जाता है।
  • सर्जरी के बाद सभी उपकरणों को पेट से निकाल लिया जाता है और गैस भी निकाल दी जाती है। सभी चीरों को टांके लगाकर बंद कर दिया जाता है और उनपर पट्टी कर दी जाती है। वहीं यदि इसके लिए ओपन सर्जरी की जाती है, तो कई छोटे-छोटे चीरों की जगह पर एक बड़ा चीरा लगाया जाता है और उसके अंदर से ही सर्जन स्कार टिश्यू को निकालते हैं। यदि जोड़ों में स्कार ऊतक को निकालने के लिए सर्जरी की जानी है, तो इस प्रोसीजर में भी उसी प्रोसीजर व तकनीक का इस्तेमाल करके स्कार टिश्यू को निकाला जाता है।

इस सर्जरी प्रोसीजर को करने में लगभग 3 घंटे का समय लगता है। ऑपरेशन पूरा होने के बाद आपको रिकवरी वार्ड में शिफ्ट कर दिया जाता है, जहां पर हेल्थकेयर टीम आपके सभी शारीरिक संकेतों जैसे ब्लड प्रेशर, हार्ट रेट और ऑक्सीजन लेवल आदि पर करीब से नजर रखते हैं। सर्जरी के बाद जब आपको होश आ जाता है, तो आपको थोड़ा बहुत चलने-फिरने का सुझाव दिया जाता है। हालांकि, यह निर्भर करता है कि आपके शरीर के किस हिस्से से स्कार ऊतकों को निकाला गया है और उनके लिए कितना बड़ा ऑपरेशन किया गया है। ऐसा इसलिए है, क्योंकि यदि कोई बड़ा ऑपरेशन या ओपन सर्जरी की गई है, तो हो सकता है आपको कुछ समय के लिए बेडरेस्ट के आदेश दिए जाएं।

वहीं लेप्रोस्कोपिक सर्जरी के अधिकतर मामलों में आपको ऑपरेशन वाले दिन या उससे अगले दिन अस्पताल से छुट्टी दे दी जाती है। 

एडिसियोलिसिस सर्जरी के बाद जब आपको अस्पताल से छुट्टी मिल जाती है, तो घर पर देखभाल करने के निम्न निर्देश दिए जाते हैं -

  • घाव को कम से कम 24 घंटे तक पट्टी से ढक कर रखा जाता है, इस दौरान पट्टी को गीली न होनें दें और रगड़ आदि लगने से भी बचा कर रखें।
  • यदि घाव गंदा हो गया है, तो उसे हल्की साबुन व गुनगुने पान से धोएं और तुरंत स्वच्छ कपड़े के साथ साफ कर लें।
  • घावों पर लगाए गए टांके आमतौर पर त्वचा में अवशोषित होने वाले होते हैं, हालांकि, यदि वे नहीं हैं तो टांके उतारने के लिए आपको कुछ दिन बाद फिर से अस्पताल बुलाया जा सकता है।
  • सर्जरी के बाद कुछ दिन तक आपको दर्द रह सकता है, जिनके लिए आपको पेनकिलर दी जाती हैं। वहीं कब्ज का इलाज करने के लिए भी कुछ दवाएं दी जा सकती हैं। इन सभी दवाओं को डॉक्टर की सलाह के अनुसार ही लेना चाहिए। डॉक्टर की सलाह के बिना कोई भी बाहरी दवा खाने से आपको सख्त मना किया जाता है।
  • सर्जरी के बाद आपको हल्के आहार खाने को कहा जाता है, जिसमें अन्य सभी पोषक तत्वों के साथ-साथ फाइबर भी पर्याप्त मात्रा में हो ताकि आपको कब्ज की शिकायत न हो।
  • आपको धीरे-धीरे शारीरिक गतिविधियां शुरू करने की सलाह दी जाती है। जब तक डॉक्टर न कहे आपको कोई भी अधिक मेहनत वाली एक्सरसाइज नहीं करनी है और न ही भारी वजन उठाना है।
  • ड्राइविंग और स्विमिंग जैसी गतिविधियां शुरू करने से पहले डॉक्टर से अनुमति ले लें।

डॉक्टर को कब दिखाएं?

यदि आपको सर्जरी के बाद निम्न में से कोई भी लक्षण महसूस होत है, तो जल्द से जल्द डॉक्टर से संपर्क करें -

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एडिसियोलिसिस सर्जरी करवाने से निम्न जटिलताएं होने का खतरा बढ़ सकता है -

  • सर्जरी के दौरान किसी अंदरूनी अंग में चोट लगना
  • संक्रमण
  • हर्निया
  • रक्तस्राव
  • फिर से स्कार ऊतक बन जाना
  • बाद में ओपन सर्जरी करवाने की आवश्यकता पड़ना
  • एनेस्थीसिया के साइड इफेक्ट्स होना

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