एक अध्ययन के मुताबिक, मध्यम आयुवर्ग के लोगों में यौन संचारित संक्रमण (एसटीआई) होने का खतरा ज्यादा होता है। इस स्टडी की मानें तो 45 वर्ष या उससे अधिक उम्र के लोग सेक्स संबंधी जोखिमों की कम जानकारी होने के चलते एसटीआई के अधिक खतरे में होते हैं। स्वास्थ्य पत्रिका 'इंटरनेशनल जर्नल ऑफ एनवायरन्मेंटल रिसर्च एंड पब्लिक हेल्थ' में प्रकाशित अध्ययन के अनुसार, हाल के वर्षों में मध्यम आयुवर्ग और उससे ज्यादा उम्र के वयस्कों में एसआईटी से जुड़े मामलों में नाटकीय रूप से वृद्धि हुई है। यह ट्रेंड उन लोगों में विशेष रूप से देखने को मिला है, जो सिंगल) है। हालांकि माना यह जाता है कि एक उम्र के बाद सेक्स संबंधी गतिविधियों में कमी देखी जाती है, विशेषकर महिलाओं, जिनमें प्री-मेनोपॉज और पोस्ट मेनोपॉज के दौरान यौन इच्छा में कमी होती है। लेकिन नया अध्ययन अलग तस्वीर सामने रखता है। इसके मुताबिक, कई मध्यम आयुवर्ग के वयस्कों में सेक्स संबंध बनाने की इच्छा होती है। लेकिन जिन परिस्थितियों में वे सेक्स गतिविधियों में शामिल होते हैं, वे उनमें एसटीआई के जोखिम को बढ़ा सकती हैं।

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साल 2018 में 'हावर्ड हेल्थ पब्लिशिंग' में प्रकाशित एक रिपोर्ट में बताता गया है कि मध्यम वर्ग के वयस्कों में एसटीआई के बढ़ते मामलों के निम्नलिखित कारण हो सकते हैं:

  • पहले से अन्य बीमारियों की चपेट में होने के कारण मध्यम आयु वर्ग के लोगों का इम्यून रेस्पॉन्स कमजोर होता है, जो एसटीआई से लड़ने के लिए जरूरी क्षमता को प्रभावित कर सकता है
  • मध्यम आयुवर्ग की महिलाओं में गर्भावस्था का जोखिम कम या फिर शून्य होता है, इसलिए वे सेक्स को लेकर किसी प्रकार की सुरक्षा की चिंता नहीं करतीं
  • किसी भी कारण से सेक्स पार्टनर नहीं होने के चलते मध्यम आयुवर्ग के वयस्क असुरक्षित सेक्स करना शुरू कर देते हैं, जो एसटीआई का खतरा बढ़ा सकता है
  • वियाग्रा जैसी दवाओं की आसान उपलब्धता के कारण पिछली पीढ़ी के मुकाबले इन वयस्कों को सेक्स करना आसान लगता है
  • एसटीआई के बारे में जागरूकता की कमी भी इसके ट्रांसमिशन के जोखिम को बढ़ा सकती है

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यूके और यूरोप में 'सेक्शुअल हेल्थ इन ओवर फॉरटी-फाइव्स (शिफ्ट)' नाम के प्रोजेक्ट के तहत मध्यम आयुवर्ग के लोगों के यौन स्वास्थ्य को लेकर एक नया अध्ययन चल रहा है। इसमें शोधकर्ताओं ने पाया है कि मध्यम आयुवर्ग के वयस्कों में एसटीआई को कलंक की तरह देखा जाता है और इस बारे में बात नहीं करने की प्रवृत्ति भी उनमें बढ़ती जा रही है। यह भी एक कारण है कि इस उम्र समूह के बीच यौन संचारित संक्रमण का खतरा बढ़ रहा है। इससे यौन स्वास्थ्य को नजरअंदाज करने का ट्रेंड देखने को मिला है, जो एसटीआई की दर में वृद्धि का कारण बन रहा है, साथ ही ऐसे लोगों को इन बीमारियों के लिए आसानी से उपलब्ध उपचार से भी वंचित कर रहा है।

अध्ययन की प्रारंभिक रिपोर्ट से पता चलता है कि इस उम्र के लोग, जो पहले से अन्य स्वास्थ्य समस्याओं से ग्रसित हैं, में यह कंडीशन अधिक गंभीर बीमारी  का कारण बन सकती है। सामाजिक या आर्थिक रूप से कमजोर और स्वास्थ्य सेवाओं से वंचित लोगों पर यह खतरा और भी ज्यादा है। ऐसे में शोधकर्ताओं ने कुछ बिंदुओं पर जोर दिया है, जिनको ध्यान में रखते हुए मध्यम आयु वर्ग के वयस्कों में एसटीआई के बढ़े हुए जोखिम को कम करने के समाधान के लिए तत्काल रूप से इस्तेमाल किया जा सकता है:

  • 45 वर्ष और उससे अधिक आयु के लोगों को यौन संचारित संक्रमणों के जोखिम, लक्षण, उपचार और रोकथाम के बारे में बेहतर जानकारी उपलब्ध कराई जानी चाहिए; इसमें सोशल मीडिया का प्रभावी इस्तेमाल किया जा सकता है
  • यौन स्वास्थ्य जागरूकता की अधिक आवश्यक है ताकि इस आयु वर्ग के लोगों को एसटीआई के लिए नियमित रूप से स्क्रीनिंग मिल सके
  • हेल्थकेयर प्रोफेशनल, नर्स और ट्रेनीज को ऐसे मरीजों के बेहतर ट्रीटमेंट और सपोर्ट के लिए विशेष रूप से प्रशिक्षित किया जाना चाहिए
  • एसटीआई की रोकथाम और बचाव के साथ-साथ आसपास के यौन स्वास्थ्य केंद्रों के बारे में विश्वसनीय और सत्यापित जानकारी सभी के लिए आसानी से उपलब्ध हो
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