भारत की जनसंख्या तेजी से बढ़ रही है. ऐसा भी अनुमान है कि भारत आने वाले समय में जनसंख्या के मामले में चीन से भी आगे होगा. वहीं, हाल ही में चौकाने वाली रिपोर्ट सामने आई है, जिनमें माना गया है कि भारतीय पुरुषों में स्पर्म काउंट तेजी से कम हो रहा है. यह हालत न सिर्फ भारत में बल्कि विश्व भर में हैं. इस रिसर्च में दावा किया गया है कि बीते 46 वर्षों में करीब 50 प्रतिशत तक स्पर्म काउंट में गिरावट दर्ज हुई है.

आज इस रिपोर्ट में आप जानेंगे कि भारतीय पुरुषों में स्पर्म काउंट की स्थिति कैसी है -

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  1. क्या खास है इस स्टडी में
  2. सारांश
  3. भारतीय पुरुषों के स्पर्म काउंट में आ रही कमी - स्टडी के डॉक्टर

जर्नर ह्यूमन रिप्रोडक्शन में प्रकाशित इस रिसर्च में कहा गया है कि विश्वभर के पुरुषों में स्पर्म काउंट तेजी से कम हो रहा है. यह रिसर्च 2011 से 2018 के बीच की गई है, जिसमें 53 देशों के करीब 57 हजार पुरुषों के स्पर्म के सैंपल लेकर लगभग 223 अध्ययन किए गए. इन देशों में भारत भी शामिल है.

इस स्टडी में वैज्ञानिकों की टीम ने दावा किया गया है स्पर्म काउंट में कमी न सिर्फ पुरुषों की प्रजनन क्षमता में आ रही कमी की ओर इशारा करती है, बल्कि क्रोनिक रोग, टेस्टिकुलर कैंसर व कम जीवनकाल का भी कारण बन सकती है. इस समस्या के पीछे वैज्ञानिकों ने वातावरण में आ रहे बदलाव व खराब होते लाइफस्टाइल को मुख्य कारण माना है. इस स्टडी में पाया गया है कि 2000 के बाद से इसमें तेजी से कमी आई है.

इस रिसर्च टीम का हिस्सा रहे इस्राइल में स्थित हिब्रू यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर हेगाई लेविन का कहना है कि यह हालात किस महामारी के जैसे हैं. जहां तक भारत की बात है, तो यहां भी स्पर्म काउंट में कमी तेजी से नजर आ रही है. फिर भी भारत में अलग से स्टडी करने की जरूरत है, क्योंकि यहां परिस्थितियां अन्य देशों के मुकाबले अलग हैं.

इकान स्कूल ऑफ मेडिसिन, अमेरिका की प्रोफेसर शन्ना स्वान ने जोर देकर कहा कि स्पर्म काउंट में हर साल 1 प्रतिशत से अधिक की गिरावट दर्ज की जा रही है. इसका असर पुरुषों के अन्य स्वास्थ्य समस्याओं के रूप में भी नजर आता है, जैसे - टेस्टिकुलर कैंसर, हार्मोनल असंतुलन, जननांग जन्म दोष आदि. इसका असर महिला की प्रजनन क्षमता पर भी प्रड़ता है.

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हाल ही में प्रकाशित यह रिपोर्ट चौंकाने वाली है. बेशक, स्पर्म काउंट में कमी कोई बड़ी समस्या नजर नहीं आती, लेकिन इससे पुरुषों को अन्य स्वास्थ्य समस्याएं होने का अंदेशा भी है, जो चिंताजनक है. इस समस्या के पीछे मुख्य कारण प्रदूषित वातावरण और लाइफस्टाइल में आई बदलाव को माना जा रहा है. ऐसे में वातावरण का ध्यान रखने के साथ-साथ बेहतर जीवन का पालन करना भी जरूरी है.

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