राउंडवॉर्म, टैपवॉर्म, हुकवर्म और व्हिपवॉर्म ये चारों ऐसे परजीवी हैं, जो कुत्ते की आंतों को नुकसान पहुंचाते हैं। 'त्रिचुरिस वुलपीस' नामक व्हिपवॉर्म की वजह से कई तरह की बीमारियां हो सकती हैं। हालांकि, रिपोर्टों से पता चलता है कि इन बीमारियों के लिए रोकथाम के जो तरीके विकसित किए गए हैं, उनकी वजह से मृत्यु दर में काफी गिरावट आई है। ये आकार में छोटे, लंबाई में 30 से 50 मिलीमीटर और अक्सर आंतों से जुड़ी थैली (सेकम) में रहते हैं।
व्हिपवॉर्म सेकम की परत में चिपक जाते हैं और कुत्ते के खून को चूसकर जिंदा रहते हैं। अगर इनकी संख्या कम है, तो ये हानिकारक नहीं होते हैं और कुत्तों में किसी तरह की बीमारी के लक्षण नहीं दिखाई देते हैं। यदि इनकी संख्या ज्यादा है, तो इनकी वजह से गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल (जठरांत्र) समस्याएं जैसे कि दस्त के साथ खून आना, वजन कम होना, सुस्ती और शरीर में पानी की कमी हो सकती है।
व्हिपवॉर्म बड़ी आंत में संभोग करते हैं और अंडे देते हैं। यह अंडे मल त्यागने के दौरान शरीर से बाहर निकल जाते हैं। एक बार जब यह अंडे जमीन पर आ जाते हैं, तो वे 10 से 60 दिनों के अंदर कुत्तों को संक्रमित करने में सक्षम हो जाते हैं। ये जमीन पर पांच साल तक जीवित रह सकते हैं। इसका मतलब यह है कि मल साफ होने के बाद भी वह स्थान दूषित बना रह सकता है।
मल से संक्रमित होने वाली चीजों को निगलने से कुत्ते भी संक्रमित हो सकते हैं। अगर एक बार कीड़ा शरीर में बड़ी आंत में अपना रास्ता बना लेता है तो यह प्रक्रिया दोबारा से चलती है। फिलहाल यह परजीवी विशेष रूप से कुत्तों को ही प्रभावित करते हैं, मनुष्यों में संचारित नहीं होते हैं।
इसका स्पष्ट निदान करना मुश्किल है, क्योंकि आंतों को प्रभावित करने वाले अन्य परजीवियों की तरह व्हिपवॉर्म कई सारे अंडे नहीं देते हैं, इसलिए टेस्ट का रिजल्ट नेगेटिव आता है। इसके लिए कुत्ते के मल का टेस्ट भी किया जा सकता है, जिसमें मल के सैंपल को पानी में मिलाया जाता है और परजीवियों के अंडे तैरते हुए नजर आ जाते हैं।
इसका उपचार बीमारी के लक्षणों के आधार पर किया जाता है। अगर छोटी आंत में किसी तरह की समस्या के संकेत (जैसे दस्त के साथ खून आना) दिखाई देते हैं, तो पशुचिकित्सक इसका इलाज डीवॉर्मिंग मेडिसिन (कीड़े मारने वाली दवा) से कर सकते हैं। इसमें फेनबेंडाजोल काफी सामान्य है।
फेनबेंडाजोल कुत्तों में विभिन्न प्रकार के परजीवियों (जैसे, राउंडवॉर्म, हुकवॉर्म, लंगवॉर्म, व्हिपवॉर्म और कुछ प्रकार के टैपवॉर्म) के उपचार के लिए उपयोग की जाने वाली दवा है। इस बीमारी का प्रभाव दोबारा न पड़े, इसलिए डीवॉर्मिंग का प्रयोग बार-बार किया जा सकता है।
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