हर कुत्ते का मालिक इस बात को मानता है कि कुत्तों में टिक्स की समस्या आम है। यह आपके कुत्ते के साथ-साथ आपमें भी खतरनाक संक्रमण फैला सकते हैं। सामान्य तौर पर टिक्स से होने वाले संक्रमण कुत्तों से इंसानों में पारित नहीं होते हैं। हालांकि, टिक्स निकालते समय यह कभी-कभी आपको भी प्रभावित कर सकते हैं।
टिक बोर्न इंफेक्शन परजीवियों के कारण होते हैं। यह परजीवी कुत्ते के रक्तप्रवाह में प्रवेश कर संक्रमण फैलाते हैं। ज्यादातर मामलों में, हफ्तेभर में संक्रमण के लक्षण दिखने लगते हैं, लेकिन कई बार टिक्स के काटने से कोई खतरा नहीं होता है। यह परजीवी रक्त कोशिकाओं को नुकसान पहुंचाते हैं, जिसकी वजह से कई समस्याएं हो सकती हैं जैसे एनीमिया, क्लॉटिंग डिसआर्डर।
इसके अलावा यह संक्रमण लिवर, किडनी और प्लीहा में भी फैल सकता है।
टिक बोर्न इंफेक्शन की वजह से कुत्तों में सुस्ती, खाने की इच्छा न करना, दस्त व उल्टी और खून बहने जैसी समस्या हो सकती है। इसलिए बीमारी का निदान जल्द से जल्द जरूरी है, क्योंकि उचित समय पर उपचार शुरू करने से बड़े खतरे से बचा जा सकता है। बीमारी का निदान करने के लिए 'स्पेशिएलाइज्ड एंटीबॉडी टेस्ट' और पीसीआर टेस्ट की जरूरत पड़ती है।
शुरू में सटीक निदान के लिए जरूरी प्रक्रियाओं की मदद नहीं ली जाती है, क्योंकि इसका परिणाम आने में समय लग सकता है। इसलिए पशुचिकित्सक सामान्य तौर पर एंटीबायोटिक देने की सलाह देते हैं, ताकि बीमारी को कुछ हद तक दबाया जा सके। इस मामले में आमतौर पर भारत में डॉक्सीसाइक्लिन नामक दवा का इस्तेमाल किया जाता है। इस दवा को लगभग एक माह के लिए कुत्ते को दिया जाता है और यदि कोर्स पूरा होने के बाद भी लक्षण दिखाई देते हैं तो ऐसे में पशुचिकित्सक दवाइयों को जारी रखने की सलाह दे सकते हैं।
गंभीर मामलों में, सप्लीमेंट्री ट्रीटमेंट जैसे ब्लड ट्रांसफ्यूजन और एंटी इंफ्लेमेटरी दवाइयों की जरूरत पड़ती है। लेकिन जिन मामलों में संक्रमण का पता जल्दी चल जाता है, उनमें निदान बेहतर तरीके से हो सकता है।
यदि आपके घर में एक से अधिक पालतू जानवर हैं तो ऐसे में टिक दूसरे कुत्तों को भी प्रभावित कर सकती है। जरूरत पड़ने पर पशुचिकित्सक आपको भी एंटीबायोटिक लेने की सलाह दे सकते हैं।
भारत में किए गए एक सर्वे (A survey of canine tick-borne diseases in India) के अनुसार, कम से कम छह प्रकार के ऐसे परजीवी हैं, जिन्हें प्रतिरोधक के रूप में इस्तेमाल किया जाता है :
- रिकेट्सिया कोनोरी
- बेबेसिया पैरासाइट
- एर्लिचिया कैनिस
- एनाप्लाज्मा पैरासाइट
- हेपाटोजून कैनिस
- बोरेलिया बर्गदोर्फेरी
भारत में इन परजीवियों को फैलाने वाले सबसे सामान्य टिक में ब्राउन डॉग टिक और आइक्सोडेस या 'डियर टिक' शामिल हैं।
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