पायोमेट्रा दो लेटिन शब्दों से मिलकर बना है, ‘पायो’ जिसका मतलब है मवाद और ‘मेट्रा’ जिसका मतलब है गर्भाशय। पायोमेट्रा एक संक्रमण है जो सिर्फ वयस्क मादा कुत्तों को प्रभावित करता है। इस संक्रमण की वजह से गर्भाशय फैलने लगता है और इसमें मवाद व फोड़े-फुंसी हो जाते हैं, जिसकी वजह से कई तरह की जटिलताएं होने लगती हैं। इस स्थिति में गर्भाशय की दीवारें कमजोर होने लगती हैं यह संक्रमण पूरे शरीर में फैल जाता है।
यदि इसके लिए चिकित्सीय उपचार नहीं किया जाता है, तो गर्भाशय के ऊतक मरने लगते हैं और अलग होने लगते हैं, जिसकी वजह से सेप्सिस हो सकता है। सेप्सिस एक तरह का ब्लड इन्फेक्शन है, यदि इस बीमारी का समय पर इलाज न किया गया तो यह घातक हो सकता है।
गर्भाशय हानिकारक बैक्टीरिया का रोधक होता है, लेकिन योनि हानिकारक बैक्टीरिया का रोधक नहीं होती है। ये बैक्टीरिया योनि नली के जरिए गर्भाशय तक जा सकते हैं और गर्भाशय में जलन पैदा कर सकते हैं।
प्रत्येक हीट साइकिल (प्रजनन चक्र) के बाद हार्मोनल परिवर्तन के कारण गर्भावस्था की दीवारें मोटी होने लगती हैं। प्रत्येक चक्र के बाद गर्भाशय के ऊतक बढ़ते हैं और यह वातावरण उस भाग को संक्रमण के प्रति अतिसंवेदनशील बनाता है, जिस वजह से वयस्क मादा कुत्तों में पायोमेट्रा होने का खतरा अधिक होता है।
पायोमेट्रा एक जीवन घातक स्थिति है, जिसके लक्षण दिखने पर तुरंत पशुचिकित्सक के पास जाने की जरूरत होती है। इस स्थिति में ज्यादातर मामलों में घर पर देख-रेख नहीं की जा सकती है, क्योंकि इसके इलाज में सर्जरी की भी जरूरत होती है।