कुत्तों में कैनाइन पर्वो वायरस क्या है?

पर्वो या कैनाइन पर्वो वायरस (सीपीवी) एक अत्यधिक संक्रामक वायरल संक्रमण है, जो कुत्तों के जठरांत्र पथ को प्रभावित करता है। ज्यादातर मामलों में यह रोग 6 से 20 सप्ताह के पिल्लों को होता है। हालांकि ऐसा नहीं है कि सिर्फ छोटे कुत्ते (पिल्ले) ही इस बीमारी की चपेट में आते हैं, कई बार बड़े कुत्तों को भी यह बीमारी प्रभावित करती है।

यदि दुर्लभ मामलों की बात की जाए, तो पर्वो वायरस हृदय के कार्यों को प्रभावित कर सकता है और मायोकार्डिटिस (हृदय की मांसपेशियों की सूजन) का कारण बनता है। डॉक्टरों को अभी तक इस बीमारी का कारण समझ नहीं आया है लेकिन इस पर शोध चल रहा है। कुछ नस्लें जैसे रॉटवीलर, पिटबुल, लैब्राडोर रिट्रीवर, डॉबरमैन पिंसर, जर्मन शेफर्ड, इंग्लिश स्प्रिंगर स्पैनियल्स और अलास्का स्लेज इस बीमारी के प्रति ज्यादा अतिसंवेदनशील होते हैं।

  1. कुत्तों में कैनाइन पर्वो वायरस के लक्षण - Kutton me kenain parvo virus ke lakshan
  2. कुत्तों में कैनाइन पर्वो वायरस के कारण - Kutton me kenain parvo virus ke karan
  3. कुत्तों में कैनाइन पर्वो वायरस का [परीक्षण - Kutton me kenain parvo virus ka parikshan
  4. कुत्तों में कैनाइन पर्वो वायरस का इलाज - Kutton me kenain parvo virus ka ilaj

कुत्तों में कैनाइन पर्वो वायरस के संकेतों को कैसे पहचाना जा सकता है?

कैनाइन पर्वो वायरस के लक्षणों में शामिल है:

  • गंभीर व खूनी दस्त
  • भूख न लगना
  • अचानक तेज बुखार
  • मतली
  • सुस्ती
  • अवसाद 

किसी पिल्ले में गंभीर रूप से दस्त व उल्टी की स्थिति चिंता का विषय हो सकती है ऐसे में जल्द पशुचिकित्सक के पास जाने की जरूरत है।

myUpchar के डॉक्टरों ने अपने कई वर्षों की शोध के बाद आयुर्वेद की 100% असली और शुद्ध जड़ी-बूटियों का उपयोग करके myUpchar Ayurveda Urjas Capsule बनाया है। इस आयुर्वेदिक दवा को हमारे डॉक्टरों ने कई लाख लोगों को सेक्स समस्याओं के लिए सुझाया है, जिससे उनको अच्छे प्रभाव देखने को मिले हैं।
Long Time Capsule
₹712  ₹799  10% छूट
खरीदें

कुत्तों में कैनाइन पर्वो वायरस (सीपीवी) की वजह क्या हो सकती है?

पर्वो वायरस किसी संक्रमित जानवर के संपर्क में आने पर हो सकता है। उदाहरण के तौर पर जब एक कुत्ता किसी संक्रमित कुत्ते की गुदा या उसके मल को सूंघता है, तो वह भी संक्रमित हो जाता है। इसके अलावा यदि कुत्ता किसी संक्रमित कुत्ते को या जहां पर संक्रमित कुत्ता बैठा है उस जगह को चाटता है, तो भी वायरस स्वस्थ कुत्ते के शरीर में चले जाते हैं। 

सीपीवी का एक कारण कैनाइन पर्वो वायरस टाइप II हो सकता है, जिसे पहली बार 1976 में रिपोर्ट किया गया था, जब एक महामारी की वजह से युवा कुत्तों में जठरांत्र और हृदय से संबंधित गंभीर समस्या हो गई थी। तब से यह वायरस कुछ कोयोट (उत्तरी अमरीका में पाया जाने वाला छोटा भेड़िया), भेड़ियों, लोमड़ियों और साथ ही साथ रैकून के शरीर में भी मिल चुका है। यह फेलाइन पैलुकूपेनिया वायरस के समान है, जो 1920 के दशक में प्रचलित हुआ था। यह बिल्लियों को भी प्रभावित करता है।

बता दें, कि सीपीवी के संपर्क में आने पर सभी कुत्ते बीमार नहीं पड़ते हैं। यह निर्भर करता है कि कुत्ते की प्रतिरक्षा प्रणाली कितनी शक्तिशाली है और कुत्ते के शरीर में कितनी संख्या में वायरस गया है।

कुत्तों में कैनाइन पर्वो वायरस की पहचान कैसे की जा सकती है?

पशु चिकत्सक निदान के लिए एलिसा टेस्ट कर सकते हैं। इसमें कुछ संक्रमण से जुड़े एंटीबॉडी का पता लगाया जाता है। इसके लिए कुत्ते के मल के नमूने की जांच की जाती है। कुत्ते के मल में बदलाव की मदद से संक्रमण का पता लगाया जाता है।

एलिसा टेस्ट अपेक्षाकृत सस्ता और थोड़े समय में होने वाला टेस्ट है, इस टेस्ट को करने में कुल 15 मिनट का समय लगता है। हालांकि कई बार इस टेस्ट में गलत परिणाम होने की संभावना भी रहती है। जबकि फीकल पीसीआर (पॉलीमरेज चेन रिएक्शन) टेस्ट को अधिक सटीक समझा जाता है, लेकिन इसमें समय अधिक लगता है।

यदि कुत्ते के शरीर में सफेद रक्त कोशिकाएं कम हो गई हैं, तो इससे उसके शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली कमजोर हो सकती है। इस स्थिति का पता लगाने के लिए डब्लूबीसी टेस्ट किया जा सकता है।

कुत्तों में कैनाइन पर्वो वायरस का उपचार कैसे होता है?

सीपीवी का कोई इलाज नहीं है, इसलिए उपचार में लक्षणों को नियंत्रित करना और उचित देखभाल शामिल है। ऐसे जानवर (पिल्ला) जो गंभीर रूप से इस बीमारी से ग्रसित हैं उन्हें अस्पताल में भर्ती कराने की जरूरत पड़ सकती है।

जब पिल्ले को गंभीर रूप से दस्त और मालबसोर्पशन (कुअवशोषण) की समस्या होती है, तो ऐसे में नमक की पूर्ति के लिए ड्रिप का प्रयोग किया जाता है, जिससे यह पोषक तत्त्व सीधे खून के जरिए अवशोषित होते हैं। इलेक्ट्रोलाइट और शुगर के स्तर को नियंत्रित रखने के लिए ड्रिप में पोटेशियम और डेक्सट्रोज भी दिया जा सकता है। इसके अलावा जरूरत पड़ने पर एंटीबायोटिक भी दी जा सकती है। इस बीमारी के लक्षणों से राहत देने के लिए पशु चिकित्सक आपके पिल्ले को एंटीबायोटिक दवा देने की भी सलाह दे सकते हैं।

स्थिति ठीक होने की पूरी प्रक्रिया में करीबन एक सप्ताह लग सकता है। इस दौरान परजीवी संक्रमण के जोखिम से बचने के लिए डिवोर्मिंग (कुत्तों में कीड़े व कीट मारने की दवा) दवाएं दी जा सकती हैं।

यदि आंतें ठीक से काम करना बंद कर दें और संक्रमण फैलने लगे तो ऐसे में पर्वो वायरस का घर पर इलाज करने की कोशिश नहीं करनी चाहिए। सीपीवी कभी-कभी घातक हो सकता है, लेकिन अच्छी खबर यह है कि उचित समय पर उपचार शुरू करने से 70 प्रतिशत कुत्ते इस बीमारी के खतरे से बाहर आ जाते हैं और उनकी प्रतिरक्षा प्रणाली भी वायरस के खिलाफ काम करने लग जाती है।

ऐप पर पढ़ें
cross
डॉक्टर से अपना सवाल पूछें और 10 मिनट में जवाब पाएँ