कुत्तों में कान का संक्रमण होना आम है। पशु चिकित्सक के पास पहुंचने वाले मामलों में ज्यादातर शिकायतें इसी बीमारी को लेकर होती हैं। कान के बाहरी हिस्सों में होने वाला संक्रमण जिसे ओटिटिस एक्सटर्ना भी कहा जाता है, कुत्तों में होने वाली आम समस्या है। कुत्तों के कान पर स्वाभाविक रूप से यीस्ट और बैक्टीरिया मौजूद रहते हैं, जो कि नुकसान नहीं पहुंचाते। हालांकि, एलर्जी जैसी समस्याओं में कानों की परत में जलन हो सकती है।
इसमें कान की परतों पर मोम जैसा तत्व जमा होने लगता है। यह बैक्टीरिया और यीस्ट को बढ़ने के लिए अनुकूल वातावरण प्रदान करता है जो बाद में संक्रमण का रूप ले लेती है। इंसान के कानों की बनावट सीधी रूप से होती है, इसके विपरीत कुत्तों के कान एल-आकार के बने होते हैं। कुत्तों के कानों की बनावट की वजह से उनमें संक्रमण का खतरा ज्यादा होता है। ऐसा इसलिए है क्योंकि उनकी बनावट इस तरह से होती है, जिससे इनमें आसानी से नमी इकट्ठा हो सके।
कौन सी नस्लों में होता है सबसे ज्यादा खतरा
स्पैनील्स और टेरियर्स जैसी कुत्तों की नस्लें संक्रमण से ज्यादा प्रभावित रहती हैं। इस नस्लों वाले कुत्तों के कान की बनावट लंबी, झुकी हुई और एलर्जी के प्रति अति संवेदनशील होती है। कुत्तों के कान में होने वाले संक्रमण की प्रमुख वजह उनके कान के कण हो सकते हैं, लेकिन यह कम उम्र वाले कुत्तों में अधिक देखने को मिलता है।