कुत्तों में कान का संक्रमण होना आम है। पशु चिकित्सक के पास पहुंचने वाले मामलों में ज्यादातर शिकायतें इसी बीमारी को लेकर होती हैं। कान के बाहरी हिस्सों में होने वाला संक्रमण जिसे ओटिटिस एक्सटर्ना भी कहा जाता है, कुत्तों में होने वाली आम समस्या है। कुत्तों के कान पर स्वाभाविक रूप से यीस्ट और बैक्टीरिया मौजूद रहते हैं, जो कि नुकसान नहीं पहुंचाते। हालांकि, एलर्जी जैसी समस्याओं में कानों की परत में जलन हो सकती है।

इसमें कान की परतों पर मोम जैसा तत्व जमा होने लगता है। यह बैक्टीरिया और यीस्ट को बढ़ने के लिए अनुकूल वातावरण प्रदान करता है जो बाद में संक्रमण का रूप ले लेती है। इंसान के कानों की बनावट सीधी रूप से होती है, इसके विपरीत कुत्तों के कान एल-आकार के बने होते हैं। कुत्तों के कानों की बनावट की वजह से उनमें संक्रमण का खतरा ज्यादा होता है। ऐसा इसलिए है क्योंकि उनकी बनावट इस तरह से होती है, जिससे इनमें आसानी से नमी इकट्ठा हो सके।

कौन सी नस्लों में होता है सबसे ज्यादा खतरा

स्पैनील्स और टेरियर्स जैसी कुत्तों की नस्लें संक्रमण से ज्यादा प्रभावित रहती हैं। इस नस्लों वाले कुत्तों के कान की बनावट लंबी, झुकी हुई और एलर्जी के प्रति अति संवेदनशील होती है। कुत्तों के कान में होने वाले संक्रमण की प्रमुख वजह उनके कान के कण हो सकते हैं, लेकिन यह कम उम्र वाले कुत्तों में अधिक देखने को मिलता है।

  1. कुत्तों के कान में होने वाले संक्रमण के कारण - Kutto ke Kaan me hone wale Sankarman ke Karan
  2. कुत्तों में होने वाले ओटिटिस एक्सटर्ना के लक्षण - Kutto me hone wale Otitis Externa ke Lakshan
  3. कुत्तों में होने वाले ओटिटिस एक्सटर्ना का निदान - Kutto me hone wale Otitis Externa ka Nidaan
  4. कुत्तों में होने वाले ओटिटिस एक्सटर्ना का उपचार - Kutto me hoe wale Otitis Externa ka Upchar

कुत्तों के कान में होने वाला संक्रमण कई वजहों से हो सकता है। इनमें प्रमुख हैं -

  • परजीवी
  • एलर्जी
  • बैक्टीरिया
  • यीस्ट
  • प्रतिरोधी क्षमता संबंधी विकार
  • ग्रंथि ट्यूमर
  • हाइपर थायरायडिज्म

कुत्तों के कान के बाहरी संक्रमण ओटिटिस एक्सटर्ना के कई निदान हैं, इसके लिए सबसे ज्यादा जरूरी है कि संक्रमण के कारणों की पहचान कर उनका उपचार किया जाए।

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कुत्तों के कान में होने वाली यह समस्या काफी दर्दकारक होती है। संक्रमण की स्थिति में वह कई ऐसे ​​क्रियाकलाप करने लगते हैं, जिनको देखकर इस समस्या की पहचान की जा सकती है। संक्रमण के दौरान कुत्ते ऐसा करते हैं

  • सिर को तेजी से हिलाना
  • कानों का फड़कना
  • कानों से बदबू आना
  • कानों से पसनुमा कुछ निकलना
  • कानों पर लालिमा दिखना

यदि समय रहते संक्रमण पर ध्यान न दिया जाए और आवश्यक उपचार न मिले तो कानों का बाहरी संक्रमण धीरे-धीरे कानों के भीतर तक पहुंच जाता है। यह जटिल समस्याओं को जन्म दे सकता है। इसके चलते चेहरे पर लकवा, सिर का झुकाव और यहां तक कि दौरे पड़ने की भी समस्या हो सकती है।

उपरोक्त कोई भी लक्षण नजर आते ही सबसे पहले अपने पशु चिकित्सक से संपर्क करें। आम तौर पर चिकित्सक पशु के बारे में सारी जानकारी मांगते ​हैं, इसके बाद वह संक्रमण की जांच के लिए परीक्षण शुरू करते हैं।

  • कान की परतों पर लालिमा, कान के छेद में किसी प्रकार की रुकावट, अधिक मात्रा में मोम जैसे पदार्थ का जमा होना, कान से गहरे काले रंग का कुछ द्रव निकलना इस बात का संकेत है कि कान में संक्रमण है।
  • एक ऑटोस्कोप की सहायता से डॉक्टर कान के छेद में रुकावट और मोम आदि की बारीकी से जांच करते हैं।
  • कुत्ते को अगर ज्यादा दर्द है और वह कान की जांच नहीं करने देता तो डॉक्टर उसे बेहोश करते हैं।
  • टिशू और संक्रमण की आवश्यक जांच के लिए उसे लैब में भेजा जाता है।
  • एलर्जी का परीक्षण भी बहुत महतवपूर्ण होता है, क्योंकि कान का संक्रमण अक्सर भोजन या पर्यावरणीय एलर्जी के कारण होता है।
  • यदि यह समस्या बार-बार हो रही है तो इसके उपचार के लिए बायोप्सी की जाती है। यदि संक्रमण फैलने की आशंका हो तो एक्स-रे भी लिए जा सकते हैं।
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जांच में आई रिपोर्ट से पता चलता है कि संक्रमण किन सूक्ष्मजीवियों की वजह से हो रहा है, इसी के आधार पर डॉक्टर उपचार की प्रक्रिया शुरू करते हैं।

  • शुरुआती चरणों में  एंटीबायोटिक्स, एंटीफंगल दवाएं दी जाती हैं, जिससे संक्रमण पर काबू पाया जा सके।
  • जब तक बीमारी पूरी तरह से सही न हो या दोबारा होने का खतरा न हो, तब तक उपचार बंद न करें।
  • आमतौर पर 2-3 सप्ताह तक उपचार किया जाता है। हालांकि, जिन मामलों में संक्रमण का खतरा ज्यादा हो जाता है, उनमें एक महीने का भी समय लग सकता है।
  • यदि कान के छेद में सूजन है, तो दर्द और सूजन को कम करने के लिए कोर्टिकोस्टेरोइड की सलाह दी जाती है।
  • कई ऐसे मामले जो उपचार से सही नहीं हो सकते हैं उनमें सर्जरी की जाती है।
  • ध्यान रखें कि कुत्ते के कान की नियमित सफाई करके इस प्रकार की समस्याओं को होने से रोका जा सकता है। यदि आपका कुत्ता नमी युक्त वातावरण में रहता है या ज्यादा देर तक पानी में तैरता है तो उसके कानों को समय-समय पर सुखाते रहें।
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