कुत्तों में लाइम रोग क्या है?

लाइम रोग को "लाइम बोरेलिओसिस" के नाम से में भी जाना जाता है। यह एक टिक संचारित रोग है, जो ज्यादातर कुत्तों, घोड़ों और बिल्लियों को प्रभावित करता है। लाइम रोग बोरेलिया बर्गडोर्फेरी नामक एक बैक्टीरिया के कारण होता है। यह टिक उड़ नहीं सकते हैं, इसलिए यह कुत्ते के शरीर पर लंबे समय तक रहते हैं। आमतौर पर इस बीमारी में अवसाद और भूख की कमी जैसी समस्या होती है। यदि इस बीमारी का इलाज समय पर न किया जाए, तो किडनी फेल और न्यूरोलॉजिकल समस्याएं भी हो सकती हैं। हालांकि, कुछ दुर्लभ स्थितियों में ह्रदय से जुड़ी बीमारी भी हो सकती है।

जब ये टिक कुत्ते की त्वचा पर पहुंचते हैं तो अगले 24 से 48 घंटों तक संक्रमण नहीं फैलता है, लेकिन इसके बाद संक्रमण के लक्षण दिखना शुरू हो सकते हैं। ज्यादातर इन टिक्स का खतरा वसंत और शरद ऋतु के दौरान होता है, क्योंकि इस समय ये शिकार की तलाश में रहते हैं। लाइम रोग एक जानवर से दूसरे जानवर या फिर जानवर से इंसान में नहीं फैलता है।

  1. कुत्तों में लाइम रोग के खतरे - Kutton me lyme rog ke khatre
  2. कुत्तों में लाइम रोग के लक्षण - Kutton me lyme rog ke lakshan
  3. कुत्तों में लाइम रोग के कारण - Kutton me lyme rog ke karan
  4. कुत्तों में लाइम रोग का परीक्षण - Kutton me lyme rog ka parikshan
  5. कुत्तों में लाइम रोग के लिए उपचार - Kutton me lyme rog ke lie ilaj
  6. कुत्तों में लाइम रोग से बचाव - Kutton me lyme rog se bachav
कुत्तों में लाइम रोग के डॉक्टर

कुत्तों में लाइम रोग से जोखिम क्या हो सकते हैं?

कई बार इन टिक्स के जरिए कुछ अन्य प्रकार के बैक्टीरियल रोग जैसे एनाप्लाज्मोसिस और बेबियोसिस होने का खतरा भी रहता है।

एनाप्लाज्मोसिस मुख्य रूप से एनाप्लाज्मा फेगोसाइटोफिलम नामक एक बैक्टीरिया के कारण होता है, जिसके लक्षण लाइम रोग के समान दिखाई दे सकते हैं। बेबीसियोसिस के कारण कुत्तों में कई लक्षण दिखाई दे सकते हैं, जैसे अचानक व गंभीर रूप से सदमा, तेज बुखार और गहरे रंग की पेशाब आना। कई बार इन दोनों बैक्टीरियल रोगों के निदान के लिए ब्लड टेस्ट की जरूरत पड़ती है।

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कुत्तों में लाइम रोग के संकेतों को कैसे पहचाना जा सकता है?

टिक्स से प्रभावित होने वाले 90 फीसदी कुत्तों में लक्षण दिखाई नहीं देते हैं और ये टिक्स बिना कोई खास नुकसान पहुंचाए कुत्ते की त्वचा से चिपके रह सकते हैं। हालांकि जब इनसे संक्रमण होता है, तो कुत्तों में निम्न लक्षण देखे जा सकते हैं:

  • बदन दर्द
  • लंगड़ापन
  • भूख न लगना
  • बुखार
  • जोड़ों में सूजन व अकड़न

जिन मामलों में इस संक्रमण की वजह से कुत्ते की किडनी को नुकसान पहुंचता है, तो ऐसे में उल्टी, सुस्ती और वजन कम होने जैसी समस्या हो सकती है।

कुत्तों में लाइम रोग किस वजह से होता है?

लाइम रोग बोरेलिया बर्गडोर्फेरी प्रजाति के एक बैक्टीरिया के कारण होता है। बोरेलिया बर्गडोर्फेरी डियर टिक के जरिए फैलता है। जब यह टिक्स किसी जानवर की त्वचा से चिपकने की तलाश में होते हैं तो ये घास या वनस्पति पर बैठे होते हैं। जैसे ही कोई जानवर इन टिक्स के पास से गुजरता है तो ये टिक्स उन जानवरो के शरीर पर चिपक जाते हैं। ये उड़ नहीं सकते, लेकिन रेंग सकते हैं। जब यह बैक्टीरिया कुत्ते की त्वचा पर आ जाते हैं तो ये संक्रमण फैलाना शुरू कर देते हैं, जिसके लक्षण एक से दो दिन बाद दिखने लग जाते हैं।

कुत्तों में लाइम रोग का निदान कैसे किया जा सकता है?

लाइम रोग के लक्षण अन्य बीमारियों से मिलते हैं इसलिए कई बार इस बीमारी का निदान करना मुश्किल हो जाता है। इस रोग का इलाज करने के लिए पशु चिकित्सक को कुत्ते का ब्लड टेस्ट, यूरिन टेस्ट और स्टूल करने की जरूरत पड़ सकती है। इस टेस्ट के दौरान कुत्ते के शरीर की जांच की जाती है और मालिक से उसके स्वास्थ्य संबंधी पिछली जानकारी भी ली जाती है।

इसके अलावा सी6 ब्लड टेस्ट भी किया जा सकता है। सी6 एक तरह का प्रोटीन होता है और जब इस प्रोटीन के खिलाफ एंटीबॉडी बनने लगती है, तो सी6 ब्लड टेस्ट के जरिए कुत्तों में लाइम रोग का पता आसानी से लग जाता है। सी6 प्रोटीन बैक्टीरिया के शरीर में पाया जाता है और इसकी संरचना में कोई बदलाव नहीं होता है। इसलिए इस प्रोटीन की उपस्थिति सटीक रूप से लाइम रोग का संकेत देती है।

कुत्तों में लाइम रोग का इलाज कैसे किया जा सकता है? 

यदि आपको अपने पालतू जानवर में लाइम रोग के हल्के लक्षण दिखते हैं, तो ऐसे में इलाज को लेकर घबराने  की की जरूरत नहीं है। इस संक्रमण के इलाज के लिए अस्पताल में ज्यादा समय नहीं लगता है। ऐसे मामलों में पशु चिकित्सक कुत्ते को डॉक्सीसाइक्लिन जैसे एंटीबायोटिक्स देने की सलाह देते हैं। आमतौर पर इन दवाइयों का सेवन महीने भर तक किया जा सकता है।

यदि इस संक्रमण से ग्रस्त कुत्ते को उचित आहार दिया जाए तो जोड़ों के दर्द जल्दी ठीक हो सकते हैं। हालांकि, कुछ मामलों में इससे थोड़े समय के लिए ही आराम मिलता है और लक्षण फिर से विकसित होने की आशंका रहती है।

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कुत्तों में लाइम रोग से सावधानी कैसे बरतें?

यदि आपका कुत्ता झाड़ियों या घास वाले क्षेत्रों में जाता है, तो वापस आने के बाद उसके शरीर पर टिक आदि की जांच करनी चाहिए। कुत्तों में ये टिक्स विशेष रूप से उनके पैरों पर (उंगलियों के बीच), होंठों पर, आंखों के चारों ओर, कान के अंदर, गुदा के पास व पूंछ के नीचे पाए जाते हैं।

यदि आप जल्दी इन टिक्स को पहचानकर निकाल देते हैं तो, आपके पालतू जानवर में संक्रमण या अन्य किसी तरह की बीमारी होने का खतरा बहुत कम रहेगा। ऐसे में इन टिक्स को हटाने की विधि के बारे में जानना जरूरी है। इसके लिए अच्छी क्वॉलिटी वाली चिमटी का इस्तेमाल किया जा सकता है। यदि आप खुद से सावधानीपूर्वक इन टिक्स को निकालने में असमर्थ हैं, तो पशु चिकित्सक से परामर्श करें।

चूंकि टिक्स और पिस्सू के जरिए पालतू जानवर को संक्रमण होने का खतरा ज्यादा होता है। मार्केट में ऐसे कई प्रोडक्ट मौजूद हैं, जिनकी मदद से आपके कुत्ते को कीट, पिस्सू या टिक्स आदि से बचा कर रखा जाता है, इन्हें आप डॉक्टर की सलाह से इस्तेमाल कर सकते हैं।

अपने कुत्ते को उचित समय पर जांच व टीका लगवाने के लिए नियमित रूप से पशु चिकत्सक के पास जाएं। क्योंकि टीकाकरण के जरिए आपके कुत्ते को लाइम रोग के जोखिम को कम किया जा सकता  है। हालांकि, ये टीके कुछ मामलों में असरदार साबित नहीं होते हैं, ऐसे में अपने पशु चिकत्सक को इस बारे में बताएं।

Dr. Manish Sharma

Dr. Manish Sharma

पशुचिकित्सा
1 वर्षों का अनुभव

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