हुकवर्म आंतों को प्रभावित करने वाला परजीवी है, जो छोटे कुत्ते या पिल्ले के लिए एक घातक स्थिति है। यह आकार में 3 मिमी से छोटे होते हैं, इसलिए इन्हें देख पाना मुश्किल हो सकता है। कुत्तों में 'एंकिलोस्टोमा कैनाइनम' हुकवर्म संक्रमण का सबसे आम प्रकार है। इसके अलावा, अन्य हुकवर्म जो पालतू जानवरों को बीमार कर सकते हैं, उनमें एंकिलोस्टोमा ब्रासिलिएंस और दुर्लभ रूप अनसिनैरिया स्टेनोसेफला शामिल हैं।
हुकवर्म अपने हुक जैसे मुंह की वजह से छोटी आंतों की परत पर चिपक जाते हैं और खून को चूसने लगते हैं, जिससे कुत्तों में एनीमिया (खून की कमी), भूख न लगना और सुस्ती जैसे लक्षण दिखाई देने लगते हैं। कुछ मामलों में, विशेष रूप से पिल्लों में इस संक्रमण के कारण मौत भी हो सकती है।
हालांकि, सभी हुकवर्म कुत्तों में वजन घटने और एनीमिया जैसे लक्षणों का कारण नहीं होते हैं। कुछ ऊतकों में छिपे होते हैं और ये तब कुत्ते के शरीर में प्रवेश करते हैं जब वह सो रहा या सुस्ती की अवस्था में होता है। शरीर के अंदर जाकर ये सिस्ट में चिपक जाते हैं, जिसे इंसिस्टेड नाम से जाना जाता है।
हुकवर्म कई तरीकों से फैल सकते हैं :
- ओरल-फीकल रूट : यदि कुत्ता किसी संक्रमित जानवर के मल (कुत्तों में कोप्रोफागिया) को सूंघता या खाता है।
- एक्सीडेंटल इंजेक्शन : जब कुत्ते को टहलाने के लिए बाहर जाते हैं, तो ये कीड़े उनकी त्वचा और पंजे पर चिपक सकते हैं। इसके बाद जब कुत्ता अपनी त्वचा या पंजे को साफ करने के लिए चाटता है, तो यह कीड़े मुंह के माध्यम से शरीर के अंदर चले जाते हैं।
- संक्रमित जानवर को खाना : यदि कुत्ता किसी ऐसे जीव को सूंघता या खाता है, जिनमें कीड़े होते हैं (जैसे चूहा और गिलहरी) तो भी हुकवर्म संक्रमण की समस्या हो सकती है।
- संक्रमण पारित होना : कई बार गर्भाशय के दौरान या स्तनपान कराते समय ये कीड़े बच्चों में पारित हो सकते हैं।
हुकवर्म इतने मजबूत होते हैं कि ये खुले वातावरण में कई महीने तक जी सकते हैं। इसलिए कुत्ता जब मल त्याग करता है, तो तुरंत ही उसे साफ कर देना चाहिए।
हुकवर्म जल्दी प्रजनन करते हैं और इन्हें आसानी से मल में देखा जा सकता है। इसलिए पशु चिकित्सक हुकवर्म रोग के निदान के लिए कुत्ते के मल की जांच कर सकते हैं।
इन परजीवियों को मारने के लिए कुत्ते की पर्याप्त देखभाल करना जरूरी है। ऐसे में कुछ दवाइयों की मदद ली जा सकती है। हालांकि, ये दवाइयां जठरांत्र पथ (गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल) से नहीं गुजर सकतीं और सिर्फ आंतों में मौजूद परजीवियों पर ही इसका असर होता है। ऐसे में दो से चार हफ्तों में यह उपचार फिर से करवाने की आवश्यकता हो सकती है।
गर्भकाल के दौरान इन कीड़ों को बच्चों में पारित होने से रोकने के लिए मादा कुत्तों में कीड़ों को मारा (डीवॉर्म) जा सकता है। इसके लिए आप पशुचिकित्सक से बात करें।
एंकिलोस्टोमा ब्रासिलिएंस जैसे कुछ प्रकार के हुकवर्म मनुष्यों को भी प्रभावित कर सकते हैं। ये कीड़े त्वचा के जरिए शरीर में प्रवेश करते हैं और इनकी वजह से 'क्यूटेनियस लार्वा माइग्रेंस' नामक समस्या हो सकती है। इस स्थिति को रोकने का सबसे अच्छा तरीका है कि अपने पालतू जानवर के साथ खेलने के बाद अपने हाथ-पैर अच्छे से धो लें। जहां कुत्ते मल त्याग करते हैं वहां की सफाई तुरंत करें और उस स्थान पर नंगे पांव चलने से बचें।
आमतौर पर, क्यूटेनियस लार्वा माइग्रेंस मनुष्यों की आंतों तक नहीं पहुंच पाते हैं, लेकिन जिन मामलों में ऐसा होता है, उन मामलों में दस्त की समस्या हो सकती है। मनुष्यों में क्यूटेनियस लार्वा माइग्रेंस के निम्न संकेत हो सकते हैं :
- त्वचा पर लाल घाव : लार्वा जैसे ही त्वचा के अंदर पहुंचता है, तो प्रभावित हिस्से पर लाल निशान पड़ जाते हैं। ये एक दिन में दो सेंटीमीटर तक बढ़ सकते हैं।
- सूजन
- खुजली
- बेचैनी
- दस्त (दुर्लभ मामलों में)
यदि कोई व्यक्ति त्वचा पर लाल और घाव जैसे लक्षणों को नोटिस करता है, तो इस बारे में अपने डॉक्टर से सलाह लें। आमतौर पर, हुकवर्म पांच-छह हफ्तों से अधिक समय तक इंसानों में जीवित नहीं रह सकते हैं।
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