कुत्तों को सामान्य रूप से कई तरह की समस्याएं हो सकती हैं, जिसमें से एक कान से खून आना है। जिन कुत्तों (जैसे कॉकर स्पैनिएल्स) के कान लटके हुए होते हैं, उनमें संक्रमण का खतरा ज्यादा रहता है। 

कुत्तों के कान मनुष्यों की तरह नहीं होते हैं, इनके कान बड़े और लंबे होते हैं, जिसकी वजह से इनके कानों में नमी बनी रहती है और इस स्थिति में कान के संक्रमण का खतरा होता है। कई मामलों में कान में संक्रमण होने से कान से खून आने की समस्या भी हो सकती है।

यह संक्रमण ज्यादातर बाहरी कान में होता है जहां कान का एक हिस्सा परजीवी (जैसे माइट्स या मेंजे), खुजली या किसी चोट द्वारा जख्मी हो जाता है।

कुत्तों के कान से खून आने का एक और कारण 'ऑरल हिमेटोमा' नामक चिकित्सकीय स्थिति हो सकती है। इसमें कुत्तों के कान की रक्त वाहिकाएं फट जाती हैं और उनके कान में सूजन आ जाती है जिस कारण त्वचा और उपास्थि के बीच खून का रिसाव होने लगता है। ऐसा अत्यधिक खरोंचने या चोट के कारण होता है।

  1. कुत्तों के कान से खून क्यों आता है? - Why would a dog's ear bleed in hindi?
  2. कुत्तों के कान से खून आने के लक्षण - Symptoms of ear bleed in dogs in Hindi
  3. कुत्तों के कान से खून आने का निदान - Diagnosis of ear bleed in dogs in Hindi
  4. कुत्तों के कान से खून आने का इलाज - Treatment for ear bleed in dogs in Hindi
  5. कुत्तों के कान से खून आने की जटिलताएं - Prognosis of ear bleed in dogs in Hindi

कुत्तों के कान से खून आने के कारण निम्नलिखित हो सकते हैं :

दुर्घटना : कुत्तों के कान से खून आने का मुख्य कारण कान पर या उसके आसपास चोट लगना होता है, जो किसी एक्सीडेंट की वजह से हो सकता है। हो सकता है कि उसकी किसी दूसरे कुत्ते से लड़ाई हो गई हो या किसी प्रकार के खेल के दौरान उसे चोट लग गई हो। कुत्तों के कान में बहुत सी वाहिकाएं होती हैं, जिसका मतलब है कि छोटी-सी खरोंच या चोट से भी खून आने का जोखिम रहता है।

नमी : नमी की वजह से कुत्तों में संक्रमण होने का खतरा अधिक होता है। इसलिए ध्यान दें कि अगर आपका कुत्ता अक्सर पानी में खेलना पसंद करता है, तो इसके बाद उनके कान को अच्छी तरह से साफ करें ताकि वहां नमी न रहे।

यीस्ट ओटिटिस : बाहरी कान में संक्रमण के मुख्य जोखिमों में से एक यीस्ट की समस्या है। ज्यादातर मालास्सेजिया पैकाइडरमैटिस नामक यीस्ट की वजह से यह समस्या होती है। यह स्वाभाविक रूप से कान की सतह पर मौजूद रहता है और कान में सूजन का कारण बनता है। यह कान पर चिपचिपा, हरा-भूरा पेस्ट छोड़ देता है, जिसकी वजह से कुत्ते बेचैन महसूस करने लगते हैं। कुत्ते प्रभावित हिस्से को खरोचने लगते हैं व अपने सिर को जोर से हिलाते हैं, जिससे उनके कानों को और नुकसान होता है।

कान के कीड़े : पिल्लों और कुत्तों के कान में घुन की समस्या बहुत आम है। कुत्तों के कान में मौजूद ये छोटे या सूक्ष्म कीड़े मैल और अन्य कचरों को खाकर जिन्दा रहते हैं। अगर इसका इलाज नहीं किया जाता है, तो कान की नली बंद भी हो सकती है। इस स्थिति में यदि कोई कुत्ता अपने कान को खरोंचता है, तो उसे हिमेटोमा हो सकता है।

(और पढ़ें - कुत्तों के कान में कीड़े के लक्षण)

स्व-प्रतिरक्षित समस्याएं : अगर कुत्तों की प्रतिरक्षा प्रणाली कमजोर है, तो उनके शरीर पर मस्से विकसित हो सकते हैं। ये मस्से कैनाइन पेपिलोमावायरस-1 (सीपीवी-1) के कारण होते हैं और अगर ऐसी स्थिति में उनके रंग-रूप और आकृति में बदलाव होता है, तो उन्हें चिकित्सीय जांच की जरूरत होती है। ये हानिरहित भी हो सकते हैं और इन्हें काटकर अलग भी किया जा सकता है।

अगर कुत्ते की कान में मस्सा है और इससे कुत्ते को तकलीफ हो रही हो, तो ऐसी स्थिति में वह खुद को खरोंचने की बार बार कोशिश कर सकता है, जिससे खून निकलने का खतरा रहता है। इसलिए अपने कुत्ते के कान की निगरानी करते रहें, क्योंकि यदि मस्सा गिर भी जाए तो वहां खुला घाव बन जाता है, जिनमें कीड़े लग सकते हैं।

हाइपोथायराडिज्म : अगर दवा देने के बाद भी कुत्ते के कान में संक्रमण, सूजन और लालिमा रहती है, तो यह हाइपोथायराडिज्म का संकेत हो सकता है। यह स्थिति कान में संक्रमण से जुड़ी कई तरह की समस्याओं का कारण बनती है।

एलर्जी : फूड एलर्जी से भी कुत्तों को कान में संक्रमण हो सकता है, जिसकी वजह से कान से खून आने की समस्या हो सकती है। आमतौर पर यह प्रोटीन रिएक्शन की वजह से होता है, जिसका पता लगाने के लिए डॉक्टर ब्लड टेस्ट करवाने की सलाह दे सकते हैं।

(और पढ़ें - कुत्तों में पिस्सू से एलर्जी के लक्षण)

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कान से खून आने की समस्या से पहले कुछ तरह के संकेत निम्नलिखित हैं, जिन्हें आसानी से कुत्तों में पहचाना जा सकता है।

  • कुत्ते जब अपने कानों को किसी सतह पर बार-बार खरोंचने या रगड़ने लगें
  • कानों को खरोंचने पर अजीब सी गंध आना
  • कानों से बदबू, सूजन और चिपचिपा डिस्चार्ज होना
  • कान की त्वचा पपड़ीदार होना
  • अगर बीमारी कान के अंदर तक बढ़ गई है तो न्यूरोलॉजिकल संकेतों का दिखना
  • चेहरे पर लखवा, लार टपकना या सुस्ती से मुंह खोलना

कान का संक्रमण आपके कुत्ते के लिए बहुत ज्यादा पीड़ादायक हो सकता है, इसलिए जरूरी है कि आप इन संकेतों पर ध्यान दें और पशु चिकित्सक के पास जाकर अपने कुत्ते की स्थिति के बारे में बताएं।

कुत्तों के कान से खून आने के कई कारण हो सकते हैं, ऐसे में पशुचिकित्सक निम्नलिखित तरीकों का इस्तेमाल कर सकते हैं :

  • अगर कुत्ते को बाहरी कान का संक्रमण है और उसके कान में ज्यादा कचरा नहीं है, तो पशुचिकित्सक स्थिति के आधार पर कीटनाशकों और एंटीबायोटिक्स के साथ कान को साफ करने का निर्णय ले सकते हैं, इससे खून आने की समस्या बंद हो सकती है।
  • कई मामलों में पशुचिकित्सक कान से गंदगी का सैंपल लेकर लैब में भेज सकते हैं।
  • लंबे समय तक कान में संक्रमण होने पर डॉक्टर प्रभावित कुत्ते का ब्लड और इमेजिंग टेस्ट करवाने की सलाह दे सकते हैं।
  • मस्से और हेमाटोमस का निदान करने के लिए कुत्ते का शारीरिक परीक्षण (फिजिकल एग्जाम) किया जा सकता है।

(और पढ़ें - कुत्तों में हार्टवर्म डिजीज के कारण)

कुत्तों के कान से खून आने का इलाज इसके कारणों पर निर्भर करता है :

कान का संक्रमण : कुत्ते के कानों में संक्रमण यीस्ट व बैक्टीरिया या दोनों की वजह से हो सकता है। इसके अलावा घुन के कारण भी संक्रमण की समस्या हो सकती है। अगर संक्रमण कान में अंदर तक नहीं फैला है, तो पशुचिकित्सक एंटीसेप्टिक से कान और उसकी ऊपरी सतह को साफ कर सकते हैं। कई पशुचिकित्सक घर पर कुत्ते के कान को साफ करने के लिए सेलाइन सोल्यूशन भी दे सकते हैं। यह एक घोल है, जिसमें नमक और पानी का मिश्रण है। सामान्य सेलाइन सोल्यूशन में 0.9 प्रतिशत सोडियम क्लोराइड (नमक) होता है। अगर जरूरत हो तो डॉक्टर एंटीबायोटिक देने की भी सलाह दे सकते हैं।

अगर संक्रमण कान के अंदर तक फैल जाता है, तो उसके लिए हाई एंटीबॉडीज की जरूरत हो सकती है और अगर संक्रमण दवा की मदद से ठीक नहीं होता है, तो डॉक्टर इसके लिए सर्जरी करवाने की सलाह दे सकते हैं। संक्रमण को दोबारा होने से रोकने के लिए संक्रमित कान की नली में सफाई बनाए रहने की जरूरत होती है।

हिमेटोमा : हिमेटोमा के इलाज के लिए अक्सर सर्जरी की जरूरत पड़ती है। इस प्रक्रिया में सर्जन कान के अंदर लिक्विड को सुखाकर प्रभावित हिस्से पर टांके लगा देते हैं, ताकि उसमें दोबारा से लिक्विड न भरें। इस प्रक्रिया से पहले कुत्ते को एनेस्थिसिया देकर बेहोश कर दिया जाता है। इस प्रक्रिया के जरिए खराब ऊतकों को सही होने में मदद मिलती है, लेकिन कुत्ते को सामान्य होने में समय लग सकता है।

एलर्जी : एलर्जेन (एलेर्जी पैदा करने वाले कारक) की पहचान होते ही उचित दवा के साथ ट्रीटमेंट शुरू कर दिया जाता है।

(और पढ़ें - कुत्तों में पिस्सू से एलर्जी के कारण)

मस्से : कुत्तों के कान में मौजूद मस्से को सर्जरी के जरिए निकलवाया जा सकता है और डॉक्टर इसे हटाने के लिए ट्यूमर को नियंत्रित करने वाली दवाई दे सकते हैं जो मस्से को सुखा देती और फिर मस्सा धीरे-धीरे अपने आप गिर जाता है।

हाइपोथायराडिज्म : हापोथायराडिज्म एक दीर्घकालीन बीमारी है, जिसका इलाज जीवनभर चलता है। शरीर में इसकी कमी के लिए ओरल रिप्लेसमेंट हार्मोन भी दिया जाता है।

अगर आपके कुत्ते के कान से खून बह रहा है, तो पशुचिकित्सक के पास जाने से पहले निम्नलिखित उपाए करें।

  • एक रुई या कपड़े का टुकड़ा लें और इसे एंटीसेप्टिक में भिगो दें। 
  • इसे हल्के दवाब के साथ घाव पर लगाएं। 
  • कुत्ते के कान को उसके चेहरे से हटा कर रखें और रुई या कपड़े के टुकड़े को पकड़ कर रखें।
  • ध्यान रहे कि कुत्ते को रिलैक्स महसूस कराते रहें, क्योंकि ऐसी स्थिति में रिलैक्स न होने पर वे काटने की कोशिश कर सकते हैं।

ऐसा करने से जब तक आप पशुचिकित्सक के पास नहीं पहुंच जाते तब तक उसमें संक्रमण फैलने से रोका जा सकता है।

मालिक को रोजाना अपने कुत्तें के स्वास्थ्य की निगरानी करनी चाहिए। अगर मालिक नियमित रूप से अपने कुत्ते की देख-रेख और साफ-सफाई का ध्यान रखते हैं, तो उनमें कई तरह की समस्याओं को होने से रोका जा सकता है।

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कुत्तों के कान से खून आने की जटिलताएं भिन्न हैं, इसीलिए इनका इलाज भी भिन्न है। अधिकांश कान के संक्रमण का निदान यदि उचित समय पर हो जाए तो कुछ हफ्तों में ही ये समस्या ठीक हो सकती है। डॉक्टर ट्रीटमेंट के लिए पहले कुछ दवाइयां लिख सकते हैं और मालिक को यह सुनिश्चित करने के लिए कह सकते हैं कि कुत्ते के कान की जांच करते रहें और वहां साफ-सफाई रखें।

अधिक जटिल स्थितियों के लिए, रोग का निदान भी भिन्न होता है। टीईसीए की स्थिति में, समस्या को ठीक होने में सामान्य से अधिक समय लग सकता है।

(और पढ़ें - कुत्तों में हार्टवर्म डिजीज के कारण)

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