कोप्रोफागिया क्या होता है

कुछ कुत्तों में आदत होती है कि वह अपने सामने आने वाली किसी भी चीज को चबाने या खाने लगते हैं। यदि पालतू कुत्ते में ऐसी आदत है, तो उसके मालिक को थोड़ा सतर्क रहने की जरूरत है, क्योंकि ऐसी स्थिति में कुत्ते कई बार हानिकारक या जरूरत से ज्यादा खा लेते हैं, जिससे उनके स्वास्थ्य पर बुरा असर पड़ सकता है। कुछ मामलों में ऐसा भी देखा गया है कि कुत्ते अपने या दूसरे कुत्ते के मल को खाने लगते हैं। हालांकि, यह आदत कुछ और पालतू जानवरों में होती है। इस स्थिति को मेडिकल भाषा में कोप्रोफागिया कहते हैं। ऐसे बहुत सारे शारीरिक और व्यवहारिक कारण हैं, जिनके परिणामस्वरूप कुत्तों में कोप्रोफागिया की समस्या हो सकती है।

  1. कुत्ते पॉटी क्यों खाते हैं - Kutte potty kyon khate hain
  2. कुत्ते में कोप्रोफागिया का निदान कैसे किया जा सकता है - Kutte me coprophagia ka parikshan kaise hota hai
  3. कुत्ते में कोप्रोफागिया का इलाज कैसे करें - Kutte me coprophagia ka treatment kaise karen

मल खाने की आदत सभी कुत्तों में नहीं होती है। कुछ ऐसी स्वास्थ्य संबंधी स्थितियां हैं, जो कुत्तों में कोप्रोफागिया (मल खाना) को ट्रिगर कर सकते हैं। कुत्तों में मल खाने के पीछे चिकित्सीय कारण निम्नलिखित है :

  • मालएब्जॉर्प्शन सिंड्रोम : यह पाचन संबंधी गड़बड़ी है, जिसमें शरीर भोजन से पोषक तत्वों का सही से अवशोषण नहीं कर पाता है। ऐसा या तो छोटी आंत या फिर पाचन में मदद करने वाले एंजाइम्स की कमी के कारण होता है।
  • कॉर्टिकोस्टेरॉइड थेरेपी : कुत्ते को एलर्जी रिएक्शन या किसी ऑटोइम्यून बीमारी होने पर कॉर्टिकोस्टेरॉइड थेरेपी दी जाती है।
  • कुशिंग सिंड्रोम : इस स्थिति में शरीर में कोर्टिसोल नामक हार्मोन का स्तर बढ़ जाता है, जिससे कुत्ते में भूख बढ़ जाती है और वह अपने या दूसरे कुत्ते के मल को खाने लगते हैं।
  • कुपोषण : कभी-कभी कुत्ते के आहार में नुट्रिएंट्स (पोषक तत्वों) की कमी रह जाती है या वे अपने भोजन में से पोषक तत्वों को पचाने में असमर्थ होते हैं, ऐसे में वे अपनी पोषण संबंधी जरूरतों को पूरा करने के लिए मल से पचे हुए भोजन को खाने लगते हैं।
  • परजीवी : अक्सर कुत्ते की आंतों में हुकवर्म, व्हिपवर्म, राउंडवर्म आदि परजीवियों के पहुंचने का खतरा रहता है, जिनकी वजह से जठरांत्र संबंधित समस्याएं हो सकती हैं। इन परजीवियों की वजह से कुत्तों में भूख बढ़ जाती है, जिसकी वजह से उनमें कोप्रोफागिया हो जाता है। (और पढ़ें - कुत्तों में हार्टवर्म डिजीज)
  • डायबिटीज : जिन कुत्तों को डायबिटीज है, उन्हें भूख, प्यास अधिक लगती है और बार-बार पेशाब करने की भी जरूरत होती है। इसके अलावा पर्याप्त मात्रा में खाना खाने के बाद भी उनमें अधिक भूख लगती है, जिस वजह से वे अपना ही मल खाने लगते हैं।

पिल्लों को बहुत जल्द भूख लगती है और उनका दूध भी जल्दी छुड़वा दिया जाता है, कई बार इसी वजह से उन्हें खाने के लिए दूसरे पिल्लों से लड़ना या मालिक पर निर्भर रहना पड़ता है। इसके अलावा कई हफ्तों तक उन्हें एक ही जगह (जैसे उनका बिस्तर या घर) पर रखने से भी यह समस्या ट्रिगर हो सकती है।

कुत्तों में कोप्रोफागिया के अन्य व्यावहारिक कारणों में शामिल हैं :

  • ध्यान आकर्षित करना : हो सकता है कि कभी आपने अपने कुत्ते को मल खाते हुए देखकर रिएक्शन या अटेंशन दिया हो, क्योंकि ऐसे में कुत्ते ध्यान आकर्षित करने के लिए दोबारा से मल खाने की कोशिश कर सकते हैं।
  • मां की नकल करना : अक्सर पिल्ले अपने निवास स्थान पर मल त्याग कर देते हैं और ऐसे में उसकी मां सफाई के लिए अपने पिल्लों के मल को खा लेती है। यह सब पिल्ले देखते व सीखते हैं और कभी-कभी वे भी ऐसा करने लगते हैं।
  • भावनात्मक दुर्व्यवहार : जब तक पिल्लों को ट्रेनिंग नहीं दी जाती वे घर में ही मल त्याग कर देते हैं। हालांकि, ज्यादातर मामलों में मालिकों को कोई दिक्कत नहीं होती है, क्योंकि कुत्ता गोद लेने से पहले से उन्हें इस बात का अंदाजा होता है कि शुरू में वह घर में कहीं भी मल त्याग कर सकता है। लेकिन सब मालिकों का व्यवहार नम्र, धैर्यपूर्ण व शांत नहीं होता है। कुछ मालिक अपने कुत्ते को मल त्याग करने पर कड़ी सजा दे देते हैं। मालिक के इस व्यवहार से वे डर सकते हैं और सबूत को मिटाने के लिए वे खुद अपने मल को खाना शुरू कर देते हैं।

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यदि आपका कुत्ता अपने मल को खाता है तो आपको अच्छे पशु चिकित्सक के पास जाने की जरूरत है। वे कुत्ते के आहार और उसकी नियमित गतिविधियों के बारे में जानने के लिए कुछ सवाल पूछ सकते हैं। अंतर्निहित बीमारी का पता लगाने के लिए वे ब्लड केमिस्ट्री, यूरिनलिसिस, फीकल फैट टेस्ट (मल में वसा को मापने वाला टेस्ट) और फीकल एग्जाम (परजीवियों का पता लगाने वाला टेस्ट) करवाने की सलाह दे सकते हैं। इसके अलावा यदि मल असामान्य रूप से नरम है या सही से पचा हुआ नहीं लगता, तो ऐसे में ब्लड टेस्ट की भी मदद ली जा सकती है।

(आगे पढ़ें - कुत्ते का स्वास्थ्य और देखभाल)

कुत्ते में कोप्रोफागिया सामान्य स्थिति नहीं है, इसलिए आपको इलाज के लिए पशु चिकित्सक के पास जाने की जरूरत होगी।

  • पशुचिकित्सक कुत्ते की टेस्ट रिपोर्ट के आधार पर इलाज निर्धारित कर सकते हैं।
  • मालिक को अपने कुत्ते को टहलाने के लिए जाना चाहिए। उसे खेलने व शारीरिक गतिविध करने के लिए माहौल व समय देना चाहिए। इसके अलावा घर के वातावरण में भी सुधार करना चाहिए।
  • मालिक को अपने कुत्ते को पर्याप्त मात्रा में समय देना चाहिए, ताकि उनके कुत्ते को अपना या दूसरे जानवर का मल खाने के लिए समय न मिल सके।
  • कोप्रोफागिया के लक्षणों को रोकने के लिए घर में साफ-सफाई बनाए रहें।
  • पशुचिकित्सक कुत्ते के आहार में कुछ जरूरी बदलाव करने की सलाह दे सकते हैं। वे डिब्बा बंद खाना, वनस्पति तेल वाला खाना, पका खाना और / ताजी संब्जियां खिलाने की सलाह दे सकते हैं।
  • पशुचिकित्सक कुत्ते के आहार में अनानास या मांस के टुकड़े शामिल करने की सलाह दे सकते हैं, क्योंकि इससे कुत्ते के मल का स्वाद बेहद खराब हो जाएगा और आपका कुत्ता अपने ही मल को खाने की कोशिश नहीं करेगा।
  • मालिक कुत्तों को व्यस्त रखने के लिए ऐसे खिलौने दे सकते हैं, जिनमें खाद्य पदार्थ छिपे होते हैं। इन्हें 'फूड स्टफ टॉयज' कहते हैं।
  • जब कुत्ता या पिल्ला मल त्याग करता है और इसके बाद उसे खाने की कोशिश करता है तो ऐसे में उसे सजा देने से बचना चाहिए। इससे वे इतना डर सकते हैं कि अगली बार से तुरंत अपने मल को खाने की कोशिश कर सकते हैं ताकि उनके मालिक को इस बात का पता न चले। इसके अलावा दोनों के बीच रिश्ता भी प्रभावित हो सकता है।

पालतू जानवरों के मालिकों को यह समझना जरूरी है कि उनका कुत्ता व्यवहारिक कारणों से भी मल खा सकता है। पिल्ले या कुत्ते को दंडित करने या डांटने के बजाय यह समझना महत्वपूर्ण है कि वह ऐसा क्यों कर रहा है। इसके उपचार के बारे में जानने के लिए आप पशु चिकित्सक के पास जाकर उन्हें इस बारे में बताएं और उनके दिशा-निर्देशों को फॉलो करें। अच्छी बात यह है कि दवाइयों और उपचार विकल्पों के साथ-साथ सरल घरेलू उपाय भी उपलब्ध हैं।

(और पढ़ें - भारत में कुत्तों की नस्ल और प्रकार)

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