इंसानों की तरह कुत्तों की भी आंखो में कई प्रकार की समस्याएं होती रहती हैं। वह चश्मे से अपनी आंखों की सुरक्षा नहीं कर सकते, लेकिन कुदरत ने उन्हे अपनी आंखों के रखरखाव के लिए विशेष गुण दिए हैं। इंसानों के विपरीत कुत्तों में तीन पलकें होती हैं। मुख्यरूप से तीसरी पलक और इसकी ग्रंथि का कार्य आंखों को सुरक्षा और चिकनाई प्रदान करना होता है। कुत्तों की तीसरी पलक की ग्रंथि 30-50 प्रतिशत आंसुओं का निर्माण करती है। इस ग्रंथि को निक्टिटंस ग्रंथि या एक्सेसरी लैक्रिमल ग्रंथि भी कहा जाता है। आमतौर पर यह तीसरी पलक दिखाई नहीं देती है।
कुत्तों की आंखों में चेरी जैसा लाल दाना निकल आना आम समस्या है। कुत्तों में चेरी आई तब होती है जब संयोजी ऊतक जो ग्रंथि को जगह में रखता है वह कमजोर, दोषपूर्ण या क्षतिग्रस्त हो जाता है। इस समस्या में आंख के निचले हिस्से में मांस जैसा निकल आता है। आमतौर पर चेरी आई हो जाने की स्थिति में कुत्तों को दर्द जैसा अनुभव नहीं होता है।
चेरी आई की समस्या ज्यादातर दो साल से कम उम्र और छोटे से मध्यम नस्ल के कुत्तों में देखने को मिलती है। कॉकर स्पैनियल्स, बीगल, बुलडॉग, ल्हासा अप्सोस, शिहत्ज़ुस नस्लों वाले कुत्तों में यह समस्या ज्यादा देखने को मिलती है। मुख्यरूप से सर्जरी करके इस समस्या से निजात पाया जा सकता है। अगर इसका समय रहते उपचार नहीं किया जाता तो आंखों में सूखापन और कई मामलों में हमेशा के लिए आंखें खराब हो सकती हैं।