कैनाइन डिस्टेंपर वायरस क्या है?

पालतू जानवरों के स्वास्थ्य संबंधी समस्या का पता लगाना कई बार मुश्किल हो जाता है, लेकिन यह पता लगाना जरूरी है कि हमारे पालतू जानवर कब अस्वस्थ महसूस कर रहे हैं। पालतू कुत्ते का बार-बार छींकना, उनकी आंखों में पानी आना या फिर भोजन न खाना आदि कुत्ते में संक्रमण का संकेत हो सकता है। कैनाइन डिस्टेंपर वायरस से होने वाले संक्रमण में भी कुत्तों में कुछ इसी प्रकार के लक्षण दिखाई देते हैं।

कैनाइन डिस्टेंपर एक वायरल संक्रमण है, जो किसी भी उम्र के कुत्तों को गंभीर रूप से बीमार बना सकता है। हालांकि बड़ी उम्र के कुत्तों में कैनाइन डिस्टेंपर वायरस इन्फेक्शन के मामले अभी तक दुर्लभ हैं। यह पैरामाइक्सोवायरस के कारण होता है, जिसे सीडीवी (कैनाइन डिस्टेंपर वायरस) भी कहा जाता है। कैनाइन डिस्टेंपर अत्यधिक संक्रामक और जानलेवा संक्रमण है। यह वायरस एक ही समय में कई शारीरिक प्रणालियों को प्रभावित करता है, जिसकी वजह से गंभीर संक्रमण होता है। इसका इलाज करना मुश्किल है क्योंकि यह कुत्ते के श्वसन, जठरांत्र और तंत्रिका तंत्र को प्रभावित करता है।

कैनाइन डिस्टेंपर के लक्षणों में छींकना, खांसी, आंखो से कोई पदार्थ निकलना, बुखार, सक्रिय न रहना, उल्टी, दस्त और भूख न लगना शामिल हो सकते हैं।

ऐसे कुत्ते जिन्हें पहले कभी कैनाइन डिस्टेंपर संक्रमण हुआ हो, उन्हें जीवन में बाद में केंद्रीय तंत्रिका तंत्र से संबंधित समस्याएं हो सकती है। कैनाइन डिस्टेंपर के लिए टीका मौजूद है, लेकिन कोई दवा उपलब्ध नहीं है। इसलिए सुनिश्चित करें कि पशु चिकित्सक छह से आठ सप्ताह की उम्र में पिल्ले को वैक्सीन जरूर लगाएं। यदि पिल्ले को जन्म के समय से या उसके बचपन से नहीं पाला गया है या बड़े कुत्ते को लिया है तो ऐसे में हमे पता नहीं होता है कि उसे टीका लगा है या नहीं। ऐसे में अपने पशु चिकित्सक को जानकारी दें, ताकि वे आपके पालतू जानवर के लिए उचित टीकाकरण योजना तैयार कर सकें।

  1. कुत्तों में कैनाइन डिस्टेंपर के लक्षण - canine distemper ke lakshan
  2. कुत्तों में कैनाइन डिस्टेंपर का कारण - Canine distemper ka karan
  3. कुत्तों में कैनाइन डिस्टेंपर से रोकथाम - canine distemper se roktham
  4. कुत्तों में कैनाइन डिस्टेंपर का परीक्षण - canine distemper ka parikshan
  5. कुत्तों में कैनाइन डिस्टेंपर का इलाज - canine distemper ka ilaaj
  6. कुत्तों में कैनाइन डिस्टेंपर की जटिलताएं - canine distemper ki jatiltayen

कुत्तों में कैनाइन डिस्टेंपर के संकेत क्या हैं?

डिस्टेंपर आमतौर पर तीन से छह महीने की उम्र के पिल्लों में देखा जाता है, लेकिन कभी-कभी बड़ी उम्र के पालतू कुत्तों में भी पाया जा सकता है। प्रारंभिक चरण के दौरान कुत्ते की आंखों से पानी के साथ मवाद जैसा पदार्थ निकलता है। इसके बाद बुखार, भूख न लगना और नाक बहने जैसे लक्षण देखे जा सकते हैं। आमतौर पर, कुत्तों में डिस्टेंपर से जुड़े लक्षण शरीर में आम संक्रमण के समान हो सकते हैं। ऐसे में यह जरूरी है कि पालतू कुत्तों में इन लक्षणों को नजरअंदाज न करें। इस बीमारी के सामान्य लक्षणों में शामिल है: 

  • लगातार बुखार आना
  • खांसी और उल्टी होना
  • दस्त लगना
  • नाक बहना
  • आंख में मवाद आना
  • बहुत ज्यादा सुस्ती महसूस होना
  • कम भूख लगना
  • मवाद से भरे दाने या छाले बनना
myUpchar के डॉक्टरों ने अपने कई वर्षों की शोध के बाद आयुर्वेद की 100% असली और शुद्ध जड़ी-बूटियों का उपयोग करके myUpchar Ayurveda Urjas Capsule बनाया है। इस आयुर्वेदिक दवा को हमारे डॉक्टरों ने कई लाख लोगों को सेक्स समस्याओं के लिए सुझाया है, जिससे उनको अच्छे प्रभाव देखने को मिले हैं।
Long Time Capsule
₹712  ₹799  10% छूट
खरीदें

कुत्तों में कैनाइन डिस्टेंपर क्यों होता है?

कुत्तों में पैरामाइक्सोवायरस नामक वायरस के कारण डिस्टेंपर होता है, जो खसरा (मनुष्यों में होने वाली एक घातक बीमारी) से संबंधित है। कैनाइन डिस्टेंपर निम्न तरीकों से फैल सकता है:

आपका पालतू कुत्ता जब किसी संक्रमित जानवर के संपर्क में आता है। यह वायरस किसी संक्रमित जानवर के साथ भोजन या पानी का बर्तन साझा करने से भी फैल सकता है। इस वायरस की सबसे हानिकारक बात यह है कि ये वायरस कई महीनों तक कुत्तों के शरीर में बिना किसी लक्षण के रह सकते हैं, जिससे उसके आस-पास रहने वाले अन्य कुत्तों में भी संक्रमण फैलने का खतरा अधिक रहता है।

जिस तरह मनुष्यों में सर्दी जुकाम फैलता है वैसे ही कुत्तों में यह बीमारी संक्रमित हवा के संपर्क में आने से होती है। यह वायरस नाक, आंख या मुंह के जरिए शरीर में प्रवेश करते हैं। जब संक्रमित कुत्ता या जानवर खांसता, छींकता या भौंकता है, तो वह एरोसोल की सूक्ष्म बूंदों को हवा में छोड़ता है, जिससे आस-पास के जानवर संक्रमित हो जाते हैं।

मादाओं से उनके पिल्लों में प्लेसेंटा के माध्यम से यह वायरस फैल सकता है, इसलिए प्रजनन से पहले कुत्तों को टीका लगवाना बेहद जरूरी है।

कुत्तों में कैनाइन डिस्टेंपर को कैसे रोका जा सकता है?

कैनाइन डिस्टेंपर की रोकथाम के लिए कैनाइन डिस्टेंपर का रोकथाम महत्वपूर्ण है। छह से आठ सप्ताह की आयु के भीतर अपने पिल्ले का टीकाकरण सही तरीके से किया जाना चाहिए। जब तक आपका कुत्ता 16 से 20 सप्ताह का नहीं हो जाता, तब तक हर तीन सप्ताह में टीकाकरण किया जाना चाहिए। एक बूस्टर टीकाकरण हर एक से तीन साल तक दिया जाना चाहिए या आपके डॉक्टर द्वारा पांच महीने की आयु प्राप्त करने के बाद आपके डॉक्टर द्वारा तय किया जाना चाहिए। पिल्लों या बिना काटे हुए कुत्तों को पार्क, पिल्ला कक्षाओं और अन्य स्थानों पर कुत्तों को अलग करने के लिए सावधानी बरतें।

कुत्तों में कैनाइन डिस्टेंपर की पहचान कैसे करते हैं?

कैनाइन डिस्टेंपर के कुछ शुरुआती लक्षण काफी सामान्य हो सकते हैं इसलिए, कैनाइन डिस्टेंपर के निदान की पुष्टि करना कठिन है। परीक्षण करने या उसकी पुष्टि करने के लिए उपयोग किए जाने वाले कुछ परीक्षणों में शामिल हैं:

  • एंटीबॉडी टेस्ट:
    डॉक्टर सीडीवी को ठीक करने के लिए एंटीबॉडी टेस्ट कर सकते हैं, जिसके लिए नाक से बलगम और पैरों के तलवे के नीचे से सैंपल लिया जा सकता है।
     
  • रिवर्स-ट्रांसक्रिप्शन पॉलीमरेज चेन रिएक्शन:
    जरूरत पड़ने पर डॉक्टर खून की जांच कर सकते हैं, जिसे रिवर्स-ट्रांसक्रिप्शन पॉलीमरेज चेन रिएक्शन (आरटी-पीसीआर) टेस्ट कहा जाता है।
     
  • पेशाब की जांच:
    कुत्तों में डिस्टेंपर का निदान बायोकेमिकल टेस्ट (जैव रासायनिक परीक्षण) और यूरिन एनालिसिस (पेशाब की जांच) करके भी किया जा सकता है। इस टेस्ट के जरिए प्रतिरक्षा प्रणाली में कार्य करने वाली सफेद रक्त कोशिकाओं की कम संख्या के बारे में भी पता चल सकता है।
     
  • एमआरआई और सीटी स्कैन:
    मस्तिष्क में संक्रमण की वजह से होने वाली समस्या का पता लगाने के लिए सीटी और एमआरआई स्कैन किया जा सकता है।

कुत्तों में कैनाइन डिस्टेंपर का उपचार क्या है?

दुर्भाग्य से इस बीमारी का कोई इलाज नहीं है, लेकिन उपचार के तौर पर लक्षणों को नियंत्रित करना शामिल है। हालांकि कैनाइन डिस्टेंपर का इलाज इस बात पर भी निर्भर है कि पालतू जानवर की प्रतिरक्षा प्रणाली कितनी मजबूत है और वायरस का असर कितना है। इसके अलावा यदि इस बीमारी का निदान व इलाज शुरुआती चरणों में शुरू कर दिया जाए तो इसे आसाानी से नियंत्रित किया जा सकता है। लक्षणों को कम करने के लिए सहायक देखभाल दी जा सकती है उदाहरण के लिए: 

यदि आपके पालतू कुत्ते के शरीर में पानी की कमी है या उसे दस्त हो गए है, तो उसे इंजेक्शन के जरिए तरल पदार्थ दिया जा सकता है। 

आंख और नाक बहने पर नियमित रूप से उसे साफ किया जाना चाहिए। 

आपके पशु चिकित्सक सेकेंडरी बैक्टीरियल इन्फेक्शन को नियंत्रित करने के लिए एंटीबायोटिक्स दवाएं दे सकते हैं। 

ऐसे पालतू कुत्ते जिनको मांसपेशियों की ऐंठन और/या दौरे की समस्या हैं, उन्हें नियंत्रित करने के लिए डॉक्टर फेनोबार्बिटल और पोटेशियम ब्रोमाइड दवाएं दे सकते हैं।

पूरी तरह से ठीक होने पर कुत्ता संक्रमण मुक्त हो जाता है और वह अन्य कुत्तों में संक्रमण नहीं फैलाता है। 

कुत्तों में कैनाइन डिस्टेंपर वायरस से क्या समस्याएं हो सकती हैं?

कैनाइन डिस्टेंपर वायरस से ग्रस्त कुत्तों में निम्न समस्याएं हो सकती हैं:

  • हार्ड पैड डिजीज:
    भले ही डिस्टेंपर से संक्रमित कोई कुत्ता बीमारी के शुरुआती चरण में जीवित रह सकता है, लेकिन उसकी नाक और पंजो पर हाइपरकेराटोसिस (त्वचा की बहरी परत का मोटा होना) विकसित हो सकता है, जिसे मेडिकल तौर पर "हार्ड पैड डिजीज" कहा जाता है। हार्ड पैड डिजीज में कुत्ते के पैर के तलवे कठोर और बड़े हो सकते हैं, जिसकी वजह से चलने में दर्द व अन्य दिक्कतें आने लगती हैं।
     
  • सेकेंडरी संक्रमण:
    कुत्तों में डिस्टेंपर से जुड़े अन्य जोखिमों में से एक सेकेंडरी बैक्टेरियल इन्फेक्शन है। यह कुत्तों में उल्टी, दस्त, सांस फूलना, तेजी से या धीमी गति से सांस लेना और निमोनिया जैसे लक्षण पैदा कर सकता है।
     
  • नसों से संबंधित लक्षण:
    यदि पहले चरण के तुरंत बाद इलाज शुरू कर दिया जाए तो प्रभावित कुत्ते को पूरी तरह से ठीक किया जा सकता है। लेकिन अगर बीमारी बढ़ती है, तो इससे कुछ कुत्तों में न्यूरोलॉजिकल समस्याएं भी विकसित हो सकती हैं, जो केंद्रीय तंत्रिका तंत्र को प्रभावित करती हैं। जब नसों से संबंधित समस्याएं गंभीर रूप ले लेती हैं तो कुत्तों में निम्न लक्षण विकसित हो सकते हैं: 
    • सिर का बार-बार हिलना
    • लगातार चक्कर आना
    • दौरे
    • आंखों की पुतलियों का असामान्य रूप से हिलना
    • किसी हिस्से में या पूरे शरीर में लकवा
    • सिर, गला या पैरों में कंपन्न (अक्सर कुत्ते के सोते समय)
    • लड़खड़ाना 
    • पूरे शरीर की मांसपेशियां फड़फड़ाना या मरोड़ होना
    • एक साथ शरीर में ऐंठन होना और साथ में मुंह से लार आना

संदर्भ

  1. American Veterinary Medical Association: Canine Distemper
  2. "Canine Distemper: A very serious and potentially fatal disease in dogs"; Banfield Pet Hospital, US
  3. "Distemper in Dogs – Causes, Symptoms, & Treatment", By Anna Burke, November 2016
  4. Canine Distemper by pets.webmd.com
  5. Canine Distemper by Blue Cross for Pets, UK
  6. "Distemper in Dogs", by www.petmd.com
ऐप पर पढ़ें
cross
डॉक्टर से अपना सवाल पूछें और 10 मिनट में जवाब पाएँ