कुत्तों के कीड़े क्या है?

कीड़ों और परजीवियों से कुत्तों को सबसे ज्यादा जोखिम होता है, क्योंकि यह जानवर रास्ते में अनेकों चीजों को सूंघते हैं, चाटते हैं, किसी दीवार या अन्य चीज पर अपने शरीर को रगड़ते हैं। ये ऐसे जानवरों के संपर्क में भी आ जाते हैं, जो गंदगी या कूड़े-कचरे वाले क्षेत्र में रहते हैं। ऐसे में आपके पालतू जानवर में कीड़े और परजीवियों का आना कोई चौंकाने वाली बात नहीं है। इन कीड़ों के जरिए कई तरह की बीमारियां पैदा हो सकती हैं। इसलिए यदि आपके कुत्ते में दस्त, उल्टी खांसी, वजन कम होना, सांस लेने में तकलीफ और पूंछ के नीचे चबाने या चाटने का निशान है, तो ऐसे में पशु चिकत्सक के पास जाकर जांच कराने की जरूरत है। बीमारी के लक्षण और उपचार स्थिति की गंभीरता पर निर्भर करता है।

  1. कुत्तों में कीड़े की दवा - Kutton me keede ki dawa
  2. कुत्तों में कीड़े के लक्षण क्या हैं? - Kutton me keede ke lakshan
  3. कुत्तों में कीड़े के कारण - Kutton me keede ke karan
  4. कुत्तों में कीड़े मारने के प्रति सावधानियां - Kutton me keede marne ke prati savdhani

इन कीड़ों के प्रभाव से बचने के लिए हम पालतू जानवरों को उनके खाने में दवाई छिपाकर देते हैं। चूंकि दवाई के कड़वे स्वाद के चलते कुत्ते उसे आसानी से नहीं खाते हैं, इसलिए उनकी दवाई को कभी-कभी शहद या किसी अन्य स्वादिष्ट चीज में मिलाकर दिया जाता है। बता दें कि पालतू जानवर जब तक पूरी तरह से बड़े नहीं हो जाते हैं, तब तक हर तीन महीने में कीड़े की दवाई देने की जरूरत होती है। जबकि पशु चिकित्सक पिल्लों को लगातार कीड़े की दवाई देने का सुझाव देते हैं।

डीवॉर्मिंग टेबलेट को ऐन्थेल्मिन्टिक यानी कीड़े मारने वाली दवा के रूप में भी जाना जाता है। यह टेपवॉर्म, हुकवॉर्म, रॉउंडवॉर्म और व्हिप्वॉर्म जैसे कीड़े या परजीवियों से छुटकारा दिलाने में मददगार होते हैं। इनमें से कुछ ऐसे कीड़े भी हैं जो गंभीर व जानलेवा बीमारी का कारण बन सकते हैं, इसलिए यह बहुत जरूरी है कि पालतू जानवरों को समय पर व उचित खुराक दी जाए। इनमें कुछ ऐसे परजीवी भी हैं जो इंसानों को भी बीमार कर सकते हैं। इसलिए बीमारी के संकेतों, लक्षणों, दवा और रोकथाम के बारे में जानना बेहद जरूरी होता है।

इस बीमारी के संकेतों में शामिल हो सकते हैं :

  • कुत्ते में सामान्य से ज्यादा थकान और सुस्ती
  • गुदा क्षेत्र के आसपास कीड़े दिखना
  • खाना कम खाना
  • खांसना
  • वजन कम होना
  • खून की कमी हो जाना
  • उल्टी आना
  • मसूड़ों का पीला होना
  • पेट के आसपास का हिस्सा फूलना
  • मल में खून आना

यदि आप उपरोक्त में से किसी भी लक्षण को देखते हैं, तो अपने कुत्ते को पशु चिकित्सक के पास ले जाएं। निदान के लिए डॉक्टर मल का सैंपल ले सकते हैं, जिससे यह पता चल सकता है कि किस प्रजाति के कीड़े ने आपके कुत्ते के स्वास्थ को प्रभावित किया है। यदि आप समय पर उपचार शुरू कर देते हैं तो बीमारी को आसानी से नियंत्रित किया जा सकता है।

यदि समय रहते उपचार शुरू कर देते हैं तो कीड़ों से जुड़ी परेशानियों का इलाज आसानी से किया जाता है, लेकिन कुछ ऐसे भी परजीवी हैं, जो पालतू जानवरों में जानलेवा बीमारियों का कारण बन सकते हैं। ये परजीवी जानवरों की आंतों तक पहुंच जाते हैं और पाचन तंत्र को धीरे-धीरे नुकसान पहुंचाते हैं। इनमें से कीड़े हैं जो खासतौर पर कुत्तों को परेशान करते हैं, उनमें से कुछ निम्न हैं :

1. व्हिपवॉर्म

व्हिपवॉर्म बेहद पतले (धागे के समान या इससे भी पतले) परजीवी हैं, इसलिए उन्हें पहचानना मुश्किल हो जाता है। इन परजीवियों के अंडे मिट्टी में रहते हैं। जब कुत्ते खेलने, खाने या किसी अन्य चीज की तलाश में मिटटी में जाते हैं, तो ये अंडे उनके पैर के पंजो के जरिए शरीर से चिपक जाते हैं। व्हिपवॉर्म की वजह से ज्यादातर पालतू जानवरों में बार-बार दस्त की समस्या होने का जोखिम रहता है। व्हिपवॉर्म आंतों की सूजन का भी कारण बनता है। इस दौरान एनीमिया (शरीर में आयरन की कमी), शरीर में पानी की कमी, सुस्ती और वजन कम होने जैसी गंभीर समस्याएं भी हो सकती हैं। यह परजीवी कुत्ते के मालिक को प्रभावित नहीं करता।

2. राउंडवॉर्म

राउंडवॉर्म हल्के भूरे या ऑफ-व्हाइट रंग (सफेद रंग का एक शेड) के कीड़े होते हैं, जो कुत्तों की आंतों में रहते और बड़े होते हैं। इन्हें कुत्ते के मल में आसानी से देखा जा सकता है। जब आपका पालतू जानवर किसी राउंडवॉर्म कीड़ों के अंडे से दूषित जगह पर जाता है तो यह अंडे पंजों के जरिए कुत्तों के शरीर में प्रवेश करते हैं। हालांकि, कुछ पिल्लों में राउंडवॉर्म के अंडे उनकी माता से भी फैल सकते हैं। अधिकांश मामलों में मादा कुत्ते के ऊतकों में राउंडवॉर्म के निष्क्रिय लार्वा होते हैं। ये लार्वा गर्भावस्था के अंतिम चरण में पिल्लों के फेफड़ों तक फैल जाते हैं। राउंडवॉर्म के हल्के लक्षणों में पेट दर्द, वजन कम होना, पोषक तत्वों की कमी के कारण सुस्त दिखना, त्वचा शुष्क होना, कमजोरी और कभी-कभी पॉटबेली शामिल है। पॉटबेली में कोर्टिसोल नामक हार्मोन का सामान्य से ज्यादा उत्पादन होने लगता है, जिसके कारण मोटापा, त्वचा मोटी होना, वजन बढ़ने जैसी समस्या हो सकती है। राउंडवॉर्म से लीवर खराब होने या आंतों के ब्लॉक होने जैसी समस्या भी हो सकती है। यह पालतू जानवरों से मनुष्यों में भी फैल सकता है, इसलिए हमेशा कुत्ते के मल को फेंकने के बाद अपने हाथों को अच्छी तरह से धोएं और जिस स्थान पर पालतू कुत्ता मल त्याग करता है उसके आसपास अपने बच्चों को खेलने से रोकें।

3. हुकवॉर्म

हुकवॉर्म भी आंतों पर पाए जाते हैं और खून पीकर जिन्दा रहते हैं। जब कुत्ता संक्रमित मल के आसपास या गीली घास, बालू या ऐसी जगह जाता है, जहां संक्रमण फैलने का जोखिम है तो हुकवॉर्म कुत्ते के शरीर में पहुंच जाते हैं। यह दूसरे जानवरों के संपर्क में आने से भी फैल सकता है। इसमें दस्त आना, मसूड़े पीले पड़ना, कमजोरी, थकान और एनीमिया जैसे लक्षण दिखाई दे सकते हैं। वैसे हुकवॉर्म मनुष्यों को भी प्रभावित कर सकते हैं, इसलिए कुत्ते के मालिक व घर के अन्य सदस्यों को भी साफ-सफाई पर विशेष ध्यान देने की जरूरत है।

4. टेपवॉर्म

टेपवॉर्म क्रीमी रंग के कीड़े होते हैं, जो छोटी आंत में रहते हैं। हालांकि, वे कुत्तों और अन्य पालतू जानवरों के गुदा क्षेत्र के आसपास भी पाए जाते हैं। ये मिटटी में होते हैं और जब कुत्ता इस संक्रमित मिटटी में जाने के बाद खुद की सफाई करता है तो इस दौरान ये संक्रमण उनके शरीर के अंदर चले जाते हैं।

कुछ कुत्तों को डीवॉर्मिंग टैबलेट लेने से दस्त, उल्टी, कुछ समय के लिए भूख की कमी, दवा लेने के बाद थोड़े समय के लिए स्वस्थ न महसूस करना या अत्यधिक लार आने जैसा अनुभव हो सकते हैं। यदि बीमारी के संकेत कुछ घंटों से ज्यादा बने रहें तो ऐसे में अपने पशु चिकित्सक से परामर्श लें।

पशु चिकित्सक कुत्ते को पिस्सू के संपर्क में आने से रोकने के लिए उचित कदम लेने की सलाह देते हैं, क्योंकि इन पिस्सुओं के जरिए कई तरह की बीमारियां कुत्तों से इंसानों में फैल सकती हैं।

यदि आप अपने पालतू जानवर की इस बीमारी से परेशान हैं तो आपको दो बातों पर तुरंत ध्यान देने की जरूरत है-

  • उन्हें खुद को या परिवार के सदस्यों को चाटने से रोकना।
  • उन्हें उन्ही के बिस्तर पर सोने के लिए आदेश देना, ना कि परिवार के किसी अन्य सदस्य के बिस्तर पर सोने की अनुमति देना।
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