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Vanalaya Forest Honey मुख्यतः पोषण की कमी के इलाज के लिए उपयोग किया जाता है। इसके अलावा Vanalaya Forest Honey का उपयोग कुछ दूसरी समस्याओं के लिए भी किया जा सकता है। इनके बारे में नीचे विस्तार से जानकारी दी गयी है। Vanalaya Forest Honey के मुख्य घटक हैं शहद जिनकी प्रकृति और गुणों के बारे में नीचे बताया गया है।
शहद |
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Vanalaya Forest Honey 500gm इन बिमारियों के इलाज में काम आती है -
मुख्य लाभ
अन्य लाभ
चिकित्सा साहित्य में Vanalaya Forest Honey के दुष्प्रभावों के बारे में कोई सूचना नहीं मिली है। हालांकि, Vanalaya Forest Honey का इस्तेमाल करने से पहले हमेशा अपने डॉक्टर से सलाह-मशविरा जरूर करें।
क्या Vanalaya Forest Honey 500gm का उपयोग गर्भवती महिला के लिए ठीक है?
Vanalaya Forest Honey का गर्भवती महिलाओं पर कोई दुष्प्रभाव नहीं पड़ता है।
क्या Vanalaya Forest Honey 500gm का उपयोग स्तनपान करने वाली महिलाओं के लिए ठीक है?
Vanalaya Forest Honey का कोई भी बुरा प्रभाव स्तनपान कराने वाली महिलाओं पर नहीं पड़ता है।
Vanalaya Forest Honey 500gm का पेट पर क्या असर होता है?
Vanalaya Forest Honey को पेट के लिए सुरक्षित माना जाता है।
क्या Vanalaya Forest Honey 500gm का उपयोग बच्चों के लिए ठीक है?
बच्चों के लिए Vanalaya Forest Honey सुरक्षित है।
क्या Vanalaya Forest Honey 500gm का उपयोग शराब का सेवन करने वालों के लिए सही है
इसके बारे में फिलहाल कोई शोध कार्य नहीं किया गया है। सही जानकारी मौजूद न होने की वजह से Vanalaya Forest Honey का क्या असर होगा इस विषय पर अनुमान लगा पाना मुश्किल होगा।
क्या Vanalaya Forest Honey 500gm शरीर को सुस्त तो नहीं कर देती है?
Vanalaya Forest Honey लेने के बाद आपको नींद नहीं आएगी। इसलिए आप गाड़ी चलाने या दूसरे कामों को आसानी से कर सकते हैं।
क्या Vanalaya Forest Honey 500gm का उपयोग करने से आदत तो नहीं लग जाती है?
नहीं, इसका कोई प्रमाण नहीं है कि Vanalaya Forest Honey को लेने से आपको इसकी लत पड़ जाएगी। कोई भी दवा डॉक्टर से पूछ कर ही लें, जिससे कोई हानि न हो।
इस जानकारी के लेखक है -
BAMS, गैस्ट्रोएंटरोलॉजी, डर्माटोलॉजी, मनोचिकित्सा, आयुर्वेद, सेक्सोलोजी, मधुमेह चिकित्सक
10 वर्षों का अनुभव
संदर्भ
Ministry of Health and Family Welfare. Department of Ayush: Government of India. [link]. Volume VI. Ghaziabad, India: Pharmacopoeia Commission for Indian Medicine & Homoeopathy; 2008: Page No CCXLVIII-CCXLIX