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Dharishah Ayurveda Chirowin Oil बिना डॉक्टर के पर्चे द्वारा मिलने वाली आयुर्वेदिक दवा है, जो मुख्यतः त्वचा में रंग बदलाव, मुंहासे के इलाज के लिए उपयोग किया जाता है। Dharishah Ayurveda Chirowin Oil के मुख्य घटक हैं गिलोय, हल्दी, मंजिष्ठा, विडंग जिनकी प्रकृति और गुणों के बारे में नीचे बताया गया है। Dharishah Ayurveda Chirowin Oil की उचित खुराक मरीज की उम्र, लिंग और उसके स्वास्थ्य संबंधी पिछली समस्याओं पर निर्भर करती है। यह जानकारी विस्तार से खुराक वाले भाग में दी गई है।
गिलोय |
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हल्दी |
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मंजिष्ठा |
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विडंग |
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Dharishah Ayurveda Chirowin Oil इन बिमारियों के इलाज में काम आती है -
मुख्य लाभ
चिकित्सा साहित्य में Dharishah Ayurveda Chirowin Oil के दुष्प्रभावों के बारे में कोई सूचना नहीं मिली है। हालांकि, Dharishah Ayurveda Chirowin Oil का इस्तेमाल करने से पहले हमेशा अपने डॉक्टर से सलाह-मशविरा जरूर करें।
क्या Dharishah Ayurveda Chirowin Oil का उपयोग गर्भवती महिला के लिए ठीक है?
प्रेग्नेंट महिलाएं भी Dharishah Ayurveda Chirowin Oil का सेवन कर सकती हैं।
क्या Dharishah Ayurveda Chirowin Oil का उपयोग स्तनपान करने वाली महिलाओं के लिए ठीक है?
स्तनपान कराने वाली माताओं के लिए Dharishah Ayurveda Chirowin Oil पूरी तरह सुरक्षित है।
क्या Dharishah Ayurveda Chirowin Oil का उपयोग बच्चों के लिए ठीक है?
बच्चों पर Dharishah Ayurveda Chirowin Oil का क्या असर होगा इस बारे में जानकारी मौजूद नहीं है, क्योंकि इस विषय में अब तक कोई रिसर्च नहीं हुई है।
इस जानकारी के लेखक है -
BAMS, गैस्ट्रोएंटरोलॉजी, डर्माटोलॉजी, मनोचिकित्सा, आयुर्वेद, सेक्सोलोजी, मधुमेह चिकित्सक
10 वर्षों का अनुभव
संदर्भ
Ministry of Health and Family Welfare. Department of Ayush: Government of India. [link]. Volume 1. Ghaziabad, India: Pharmacopoeia Commission for Indian Medicine & Homoeopathy; 1986: Page No 53-55
Ministry of Health and Family Welfare. Department of Ayush: Government of India. [link]. Volume 1. Ghaziabad, India: Pharmacopoeia Commission for Indian Medicine & Homoeopathy; 1986: Page No 60-61
Ministry of Health and Family Welfare. Department of Ayush: Government of India. [link]. Volume 1. Ghaziabad, India: Pharmacopoeia Commission for Indian Medicine & Homoeopathy; 1986: Page No163 - 165