रात को पूरी नींद लेने के बावजूद सुबह उठने पर थकान और कमजोरी महसूस होना गंभीर विषय नहीं है. हां, अगर यह समस्या लगातार रहती है, तो इसे गंभीरता से लेने की जरूरत होती है. इसके पीछे कई कारण हो सकते हैं, जैसे - स्लीप हाइजीन की कमी, स्लीप एपनिया या फिर इंसोमनिया आदि. इस स्थिति में इन समस्याओं को जल्द से जल्द ठीक करना जरूरी है.

इस लेख में हम उन प्रमुख कारणों के बारे में बता रहे हैं, जिनके चलते सुबह उठने पर थकान महसूस होती है. साथ ही इस समस्या का समाधान भी बताया गया है -

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  1. सुबह उठते ही थकान होने के कारण
  2. सुबह उठते ही थकान होने का इलाज
  3. सारांश
  4. सुबह उठते ही थकान होने के कारण व इलाज के डॉक्टर

अगर रात को पूरी नींद लेने के बावजूद सुबह उठने पर थकान या कमजाेरी महसूस हो रही है, तो इसके पीछे कई कारण हो सकते हैं, जिनके बारे में हम यहां विस्तार से बता रहे हैं -

  1. स्लीप इनर्शिया
  2. स्लीप हाइजीन में कमी
  3. स्लीप डिसऑर्डर
  4. खराब लाइफस्टाइल
  5. एनीमिया
  6. चिंता

स्लीप इनर्शिया

आमतौर पर सुबह उठने के बाद आपका दिमाग तुरंत नहीं जागता है. यह धीरे-धीरे पूरी तरह से एक्टिव होता है. इस प्रक्रिया के दौरान हम थोड़ी-सी थकान और हल्की बेहोशी जैसा महसूस करते हैं. अगर इस दौरान हम अपने शरीर को एक्टिव न करें, तो हम फिर से सो सकते हैं. इसे ही स्लीप एनर्शिया कहा जाता है. आम भाषा में इस नींद की जड़ता कहा जाता है.

स्लीप एनर्शिया के चलते मस्तिष्क की मोटर और कॉग्नेटिव स्किल धीमी हो जाती है. यही कारण है कि जागने के ठीक बाद कभी-कभी कुछ भी करना असंभव लगता है. यह स्थिति कुछ मिनटों से लेकर 1 घंटे तक रह सकती है. आमतौर पर यह 15 से 60 मिनट के अंतर सही हो जाती है. ऐसा आमतौर पर तभी होता है, जब हम गहरी नींद से जागते हैं. इस स्थिति में हम कुछ ऐसा महसूस कर सकते हैं -

  • उनींदापन
  • ध्यान लगाने में मुश्किल होना
  • कोई निर्णय लेने में असमर्थ होना

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स्लीप हाइजीन में कमी

रात को अच्छी नींद के लिए स्लीप हाइजीन को जरूरी माना गया है. इससे व्यक्ति को आरामदायक नींद आती है. वहीं, स्लीप हाइजीन की कमी नींद को खराब कर सकती है. स्लीप हाइजीन में कमी कुछ इस प्रकार है -

  • रात को सोने व सुबह उठने का समय तय न होना.
  • दिन में देर तक सोना.
  • सोने से पहले फोन या कंप्यूटर देखना.
  • सोते समय कमरे का तापमान सही न होना, अधिक रोशनी व शोर होना.
  • बिस्तर या तकिया का सुविधाजन न होना.

स्लीप हाइजीन पर ध्यान न देने से नींद पर असर पड़ता है और सुबह उठने पर थकान व कमजोरी महसूस हो सकती है.

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स्लीप डिसऑर्डर

कुछ लोग अच्छी लाइफस्टाइल को फॉलो करने और रात को पर्याप्त नींद लेने पर भी सुबह थका हुआ महसूस करते हैं. यह समस्या स्लीप डिसऑर्डर की ओर संकेत करती है. इसमें स्लीप एपनियाइंसोमनियारेस्टलेस लेग सिंड्रोम, पीरियोडिक लिंब मूवमेंट सिंड्रोम व ब्रुक्सिज्म आदि शामिल है. अगर किसी को लगता है कि उसे इनमें से किसी भी तरह के स्लीप डिसऑर्डर के चलते यह समस्या हो रही है, तो उसे तुरंत डॉक्टर से मिलना चाहिए.

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खराब लाइफस्टाइल

स्लीप हाइजीन के अलावा खराब लाइफस्टाइल व डाइट भी नींद को प्रभावित कर सकती है, जो इस प्रकार है -

  • व्यायाम न करना - नियमित व्यायाम करने से रात को अच्छी नींद आती है, लेकिन रात को सोने से पहले हैवी एक्सरसाइज करने से बचना चाहिए.
  • रात में अधिक पेशाब आना - रात को सोते हुए बार-बार पेशाब आने से नींद खराब होती है और फिर से सोने में दिक्कत हो सकती है. इससे सुबह उठने पर सिर में भारीपन और थकान महसूस हो सकती है. इसलिए, शाम के बाद तरल पदार्थों का सेवन कम कर देना चाहिए.
  • खराब डाइट - रात को सोने से पहले वसायुक्त या मसालेदार भोजन करने से उसे पचाना मुश्किल हो जाता है, जिससे नींद आने में समय लगता है. नींद की मात्रा और गुणवत्ता दोनों प्रभावित हो सकती हैं.
  • रात को कैफीन लेना - कैफीन व्यक्ति के केंद्रीय तंत्रिका तंत्र को उत्तेजित कर सकता है. नतीजतन, जो लोग चॉकलेट खाते हैं या सोने से पहले कैफीन युक्त पेय पदार्थ पीते हैं, उन्हें नींद आने में परेशानी हो सकती है.
  • सोने से पहले शराब पीना - रात को शराब पीने से स्लीप एपनिया की समस्या हो सकती है और नींद की गुणवत्ता खराब हो सकती है.

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एनीमिया

शरीर में आयरन की कमी से होने से भी सुबह उठने के बाद दिनभर थकान महसूस हो सकती है. एनीमिया के लक्षण कुछ इस प्रकार हो सकते हैं -

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चिंता

चिंता से ग्रस्त व्यक्ति की नींद भी प्रभावित हो सकती है. पूरे दिन चिंता में रहना थकान का कारण बन सकता है. चिंता के लक्षण कुछ इस प्रकार हैं -

इनके अलावा, कुछ अन्य कारण भी हैं, जो सुबह उठने पर थकान व कमजोरी का कारण बनते हैं -

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इस समस्या को निम्न प्रकार से इलाज किया जा सकता है -

  • स्लीप हाइजीन - रात को सोने और सुबह उठने का समय तय करें और रोज उसे फॉलो करें. साथ ही सोने वाले कमरे को साफ रखें और सोते समय उसमें पूरा अंधेरा व शांति होनी चाहिए.
  • गैजेट्स से दूरी - कोशिश करें कि रात को 8 बजे के बाद कोई भी इलेक्ट्रोनिक गैजेट खासकर मोबाइल का इस्तेमाल न करें.
  • कैफीन न लें - रात को सोने से पहले कैफीन युक्त पेय पदार्थों का सेवन बिल्कुल न करें. एक तो कैफीन से नींद नहीं आती और बार-बार पेशाब भी आ सकता है.
  • शराब को कहें न - शराब को सेहत के लिए सबसे हानिकारक माना गया है. इससे न सिर्फ नींद खराब होती है, बल्कि अन्य स्वास्थ्य समस्याएं भी हो सकती हैं.
  • बेहतर डायजेशन - रात के समय पाचन संबंधी समस्याएं होने से ठीक तरह से नींद नहीं आती. इसलिए, रात को हल्का खाएं और साथ ही ऐसे खाद्य पदार्थों से बचें जो पाचन तंत्र को खराब करते हैं.
  • नियमित व्यायाम - रोज सुबह 15 से 20 मिनट की एक्सरसाइज, योग या मेडिटेशन जरूर करना चाहिए. बस इस बात का ध्यान रखें कि रात को सोने से पहले किसी भी तरह की हैवी एक्सरसाइज न करें. इसकी जगह हल्की-फुल्की स्ट्रेचिंग एक्सरसाइज की जा सकती है.

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रात को नींद से जुड़ी कोई भी समस्या अगली सुबह थकान व सिर में भारीपन का कारण बन सकती है. इसलिए, रात को पर्याप्त नींद लेना जरूरी है. साथ ही उन सभी तरह की गतिविधियों से बचना चाहिए, जो रात में आपकी नींद खराब कर सकती हैं. इसके अलावा, अच्छी डाइट व नियमित व्यायाम पर भी फोकस करने की जरूरत है. इससे रात को पर्याप्त और गहरी नींद सोने में मदद मिल सकती है. अगर फिर स्थिति में सुधार नहीं होता है, तो तुरंत डॉक्टर से संपर्क करना चाहिए.

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