यावसा एक पौधा है जो लोक चिकित्सा, विशेष रूप से ईरान के पारंपरिक चिकित्सा में व्यापक स्तर पर औषधीय और चिकित्सीय गुणों से भरपूर माना जाता है। यह जड़ी-बूटी एंटी-इंफ्लेमेटरी (सूजन कम करने वाली), एंटीऑक्सीडेंट और एंटीमाइक्रोबियल (सूक्ष्मजीवों को मारने और उनकी वृद्धि को रोकने वाले एजेंट) है। इसके अलावा यह मूत्रवर्धक और एक्सपेक्टोरेंट (खांसी में इस्तेमाल की जाने वाली दवा) भी मानी जाती है। (और पढ़ें - खांसी के घरेलू उपाय)
भारत में, यावसा को अफगानिस्तान और ईरान से आयात किया जाता है और इसे 'टोरजबिन' (torajabin) नाम से बेचा जाता है। यहां, इसका उपयोग मुख्य रूप से लैक्सटिव (वे पदार्थ हैं जो मल को ढीला करते हैं और मल त्याग को बढ़ाते हैं), मूत्रवर्धक और कॉस्मेटिक में किया जाता है।
यावसा के बारे में कुछ सामान्य जानकारी :
- वानस्पतिक नाम : अल्हागी कैमलोरम (Alhagi camelorum), अल्हागी स्यूडाल्हागी (Alhagi pseudalhagi) और अल्हागी मॉरोरम (Alhagi maurorum)
- परिवार : फेबेकिआ (Fabaceae)
- सामान्य नाम : कैमल थ्रोन, कैस्पियन मन्ना, फारसी मन्ना, हिब्रू मन्ना, मूर अल्हागी
- हिंदी नाम : भारभरा, जवासा
- संस्कृत का नाम : यवास्का
- पौधे के इस्तेमाल किए जाने वाले हिस्से : पूरा पौधा
- भौगोलिक वितरण : यवासा मध्य पूर्व, उत्तरी अफ्रीका और दक्षिण-पूर्व यूरोप में मूल रूप से पाया जाता है। यह एशिया (भारत, चीन, पाकिस्तान, अफगानिस्तान, चीन सहित), यूरोप (रूस, साइप्रस और चेक गणराज्य सहित), उत्तरी अमेरिका और ऑस्ट्रेलिया में भी पाया जाता है। भारत में, यावसा के पौधे मुख्य रूप से उत्तर प्रदेश, गुजरात, पंजाब और राजस्थान में पाए जाते हैं।
- रोचक जानकारी : कुरान में स्वीट मन्ना के स्रोत के रूप में यावसा का उल्लेख किया गया है। कुरान के अनुसार, मन्ना ईश्वर द्वारा मानव जाति को प्रदान किया जाने वाला एक दिव्य खाद्य पदार्थ है। अल्हागी को ईरान में मन्ना के नाम से जाना जाता है।