वाराही कंद को अपने अद्भुत औषधीय गुणों की वजह से जाना जाता है. इसमें छोटे-छोटे धागे जैसे रेशे होते हैं, जो सुअर के बाल की तरह दिखाई देते हैं. इसी कारण से इस जड़ी-बूटी को वाराही कंद कहा जाता है. आयुर्वेद में वाराही कंद को वात, कफ व पित्त दोष को संतुलित करने वाला माना जाता है. साथ ही बवासीर जैसे रोगों के इलाज में वाराही कंद का प्रयोग फायदेमंद हो सकता है. शहद के साथ वाराही कंद के पाउडर का मिश्रण लेने से शरीर की सूजन जैसी समस्या कम हो सकती है. वहीं, इसका अधिक सेवन पित्त दोष को बढ़ा सकता है.

आज इस लेख में आप वाराही कंद के फायदे, उपयोग, औषधीय गुण व नुकसान के बारे में जानेंगे -

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  1. वाराही कंद के औषधीय गुण
  2. वाराही कंद के फायदे
  3. वाराही कंद का उपयोग
  4. वाराही कंद के नुकसान
  5. सारांश
वाराही कंद के फायदे व नुकसान के डॉक्टर

वाराही कंद में एंटी एजिंग, एंटी बैक्टीरियल, एंटीऑक्सीडेंट, एंटी ट्यूमर, याददाश्त को बढ़ाने वाले व बुखार को कम करने वाले गुण पाए जाते हैं. इसके अलावा, वाराही कंद को कैल्शियम, मैग्नीशियम, सोडियमजिंकविटामिन-बी1विटामिन-बी3, विटामिन-सी और प्रोटीन का अच्छा स्रोत माना जाता है.

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वाराही कंद को औषधि की तरह इस्तेमाल करने से पाइल्स, डायबिटीज व अस्थमा जैसी समस्याओं को ठीक किया जा सकता है. आइए, वाराही कंद को इस्तेमाल करने से होने वाले फायदों के बारे में विस्तार से जानते हैं -

कैंसर से बचाए

लैब में किए गए शोध में पाया गया है कि वाराही कंद के एक्सट्रेक्ट में एंटी कैंसर गुण पाया जाता है. इस गुण के कारण यह औषधि शरीर में कैंसर के सेल्स को पनपन से रोक सकती है. खासकर ब्रेस्ट कैंसर में इसे सबसे ज्यादा फायदेमंद पाया गया है. फिलहाल, इस संबंध में और शोध किया जा रहा है.

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वजन संतुलित रखे

जैसा कि इसके औषधीय गुणों के तहत बताया गया है कि इसमें प्रोटीन पर्याप्त मात्रा में होता है. इस लिहाज से कहा जा सकता है कि इसका सेवन करने से मोटापे को कुछ कम किया जा सकता है. साथ ही जो लोग वजन को नियंत्रित रखना चाहते हैं, वो भी इसका सेवन कर सकते हैं.

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पाइल्स

वाराही कंद में विटामिन-सी और मैग्नीशियम की भी मात्रा पाई जाती है, इसलिए इसका इस्तेमाल बवासीर के इलाज में किया जा सकता है. फिलहाल, इस संबंध में शोध की कमी है कि इसे कितनी मात्रा में और कब लेना चाहिए, इसलिए बवासीर के अवस्था में इसे लेने से पहले डॉक्टर से एक बार जरूर पूछना चाहिए.

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डायबिटीज

इसमें विटामिन-सी भी होता है और कुछ वैज्ञानिक शोध कहते हैं कि विटामिन-सी का सेवन करने से इम्यून सिस्टम में सुधार होता है, जिसके जरिए शरीर में डायबिटीज के स्तर को कुछ हद तक नियंत्रित किया जा सकता है. वहीं, लेख में पहले से स्पष्ट किया जा चुका है कि वाराही कंद में विटामिन-सी पाया जाता है.

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अस्थमा

विटामिन-सी में एंटीऑक्सीडेंट गुण पाए जाते हैं, जो फेफड़ों को साफ करने का काम कर सकते हैं. वहीं, इस लेख में स्पष्ट हो चुका है कि वाराही कंद में विटामिन-सी पाया जाता है. इस लिहाज से कहा जा सकता है कि अस्थमा जैसी समस्या होने पर वाराही कंद का सेवन करने से कुछ फायदा हो सकता है, लेकिन बेहतर यही होगा कि इसका सेवन डॉक्टर की सलाह पर ही किया जाए.

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वाराही कंद का प्रयोग अन्य जड़ी-बूटियों के साथ मिलाकर कई स्वास्थ्य स्थितियों में फायदेमंद हो सकता है. आइए जानते हैं -

पाचन शक्ति के लिए

30ml वाराही कंद का काढ़ा बनाकर, उसमें 1 ग्राम के करीब मुलेठी पाउडर मिला लें. फिर लगभग 4-5 ग्राम मिश्री पाउडर मिक्स करें. इस मिक्सचर को पीने से पाचन शक्ति अच्छी हो सकती है.

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बवासीर का इलाज

2 ग्राम वाराही कंद पाउडर लें और उसको भूनें लें. फिर उसमें मिश्री पाउडर व घी मिलायें. इस मिक्सचर का सेवन बवासीर के इलाज में फायदेमंद हो सकता है.

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सूजन के लिए

1 चम्मच शहद में 1 ग्राम वाराही कंद पाउडर को मिलाकर खाने से शरीर की सूजन कम हो सकती है.

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किडनी के लिए

चावल के मांड में 2 ग्राम वाराही कंद पाउडर को मिलाकर पीने से किडनी में जमा टॉक्सिक पदार्थों को बाहर निकाला जा सकता है.

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वैसे तो वाराही कंद औषधीय गुणों का खजाना है, लेकिन इसका अधिक सेवन नुकसानदायक भी हो सकता है. ये निम्न प्रकार से है -

  • वाराही कंद के हेपेटोटॉक्सिसिटी गुण के कारण इसका अधिक सेवन करने से लिवर को नुकसान हो सकता है.
  • इसके अधिक सेवन से पित्त दोष बढ़ सकते हैं.

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वाराही कंद एक महत्वपूर्ण औषधीय गुणों से युक्त जड़ी-बूटी है. बवासीर व अस्थमा जैसे रोगों में इसका प्रयोग फायदेमंद हो सकता है. चावल के मांड के साथ मिलाकर इसका पाउडर सेवन करने से किडनी को साफ किया जा सकता है. इसका प्रयोग किसी भी शारीरिक स्थिति में डॉक्टर की सलाह से करना फायदेमंद है. स्वयं से इसका सेवन नुकसानदायक हो सकता है.

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