दमबेल एक औषधीय पौधा है। इस पौधे का उपयोग श्वसन रोगों के लिए किया जाता है। यह फेफड़ों से अतिरिक्त श्लेष्म (mucus) को बाहर निकालने के काम आता है। इसमें कफ को दूर करने वाले गुण होते हैं, इसलिए यह अस्थमा और ब्रोंकाइटिस का इलाज करने के लिए उपयोगी होता है। यह अत्यधिक श्लेष्म के कारण खांसी, सांस की तकलीफ और घरघराहट को ठीक करने में भी फायदेमंद है। अस्थमा के दौरान होने वाली खांसी में बहुत ही यह लाभकारी हो सकता है।

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  1. दमबेल के फायदे - Dambel ke fayde
  2. दमबेल के नुकसान - Dambel ke Nuksan
  3. दमबेल की खुराक - Dambel ki Khurak
  4. सारांश

विभिन्न अध्ययनों के अनुसार दमबेल में मौजूद एल्केलाइड में सेलुलर प्रतिरक्षा प्रतिक्रिया को दबाने की क्षमता है। इसलिए, यह प्रतिरक्षा प्रणाली को प्रभावित करने वाले विकारों का उपचार करने में फायदेमंद होता है। यह जड़ी बूटी ब्रोन्कियल अस्थमा के उपचार में बहुत ही उपयोगी होती है।

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तो आइये जानते हैं इसके लाभों के बारे में:

अस्थमा से बचाव के लिए दमबेल के फायदे - Dambel ke aushdhiya gun karen asthma se bachaav

दमबेल में ऐसे औषधीय तत्व पाए जाते हैं जो अस्थमा के इलाज में लाभकारी हो सकते हैं। इस पौधे की पत्तियां एक कफ निकालने वाली दवा के रूप में कार्य करती हैं और फेफड़ों के ऊतकों में जमा अतिरिक्त बलगम से छुटकारा दिलाने में मदद करती हैं।

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यह एक एंटीबैक्टीरियल एजेंट के रूप में भी कार्य करता है और फेफड़ों के संक्रमण को ठीक करता है। फेफड़ों का संक्रमण अस्थमा को बढ़ा सकता है या सांस लेने में तकलीफ पैदा कर सकता है। इसलिए जो लोग इस बीमारी से पीड़ित हैं, उन्हें अस्थमा अटैक को रोकने के लिए नियमित रूप से दो से तीन दमबेल पत्तियों का सेवन करना चाहिए। इन पत्तों का उपयोग चाय बनाने के लिए भी किया जा सकता है।

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अस्थमा से पीड़ित बच्चों के लिए इस जड़ी बूटी का सेवन बहुत ही लाभकारी होता है। लगभग एक-चौथाई दमबेल पत्तियों के रस को एक चम्मच शहद में मिक्स करें। इस मिश्रण को अस्थमा से पीड़ित बच्चों को खिलाएं। इसके अलावा 3-4 दमबेल पत्ते लें और उन्हें अच्छे से साफ़ करके धोएं तथा खाली पेट चबाएं। इसके बाद एक गिलास गर्म पानी का सेवन करें।

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श्वसन प्रणाली के लिए दमबेल के फायदे - Dambel ka sewan rakhen swsan prnali ko swsth

दमबेल औषधीय गुणों से भरपूर होती है। इस जड़ी बूटी से अस्‍थमा के इलाज के अलावा अन्य लाभ भी हैं। यह श्वसन पथ जैसे ब्रोंकाइटिस और काली खांसी के इलाज में भी उपयोगी होती है। एक क्लीनिकल टेस्ट के अनुसार सुबह खाली पेट दमबेल की ताजा पत्तियों को चबाने से श्वसन रोगों के लक्षणों से राहत पाने में मदद मिल सकती है।

इस जड़ी बूटी के सेवन से 3 से 4 सप्ताह के भीतर ही श्वसन रोगों के लक्षणों में सुधार दिखाई देने लगता है। यह जड़ी बूटी बलगम को ख़त्म करके बंद गले और बंद छाती को खोलने में लाभकारी है। दमबेल की दो ताजा पत्तिया, तुलसी के पत्ते, लौंग और अदरक लें। इन सब को मिक्स करके काढ़ा तैयार करें। अब काढ़े को छान लें। यह काढ़ा सर्दी और खांसी को ठीक करने में मदद करता है।

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एनर्जी के लिए दमबेल के फायदे - Dambel ke labh badhaye energy

एक रिसर्च के अनुसार यह पाया गया है कि दमबेल का नियमित रूप से सेवन आपके ऊर्जा के स्तर को बढ़ाने में मदद कर सकता है। इसका उपयोग वयस्कों और बच्चों द्वारा सहनशक्ति को बढ़ाने के लिए किया जा सकता है और साथ ही यह जड़ी बूटी शारीरिक कार्यों को करने की क्षमता बढ़ाने में भी मदद कर सकती है।

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साइनस के लिए दमबेल के फायदे - Sinus se bachaav karen dambel

दमबेल का साइनस से पीड़ित मरीजों द्वारा भी उपयोग किया जा सकता है। क्योंकि इसका सेवन साइनस के लक्षणों जैसे सिरदर्द, बंद नाक और बहती नाक आदि को कम करने में मदद करता है।

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पाचन के लिए दमबेल के फायदे - Dambel ke fayde rakhen paachan ko swsth

दमबेल की जड़ें पाचन को स्वस्थ और बेहतर रखने के लिए उपयोग की जा सकती हैं। इस पौधे की सूखी पत्तियों को आम तौर पर एक एमैटिक (उबकाई की दवा के रूप में) के रूप में उपयोग किया जाता है। जिसके कारण यह जड़ी बूटी अपच का इलाज करने में मदद कर सकती है।

यह जड़ी बूटी पेट की सामग्री को बाहर निकालने के साथ साथ शरीर से जहरीले पदार्थ से छुटकारा दिलाने में भी लाभकारी होती है। इसके अलावा इस जड़ी बूटी का उपयोग अपच के अन्य लक्षणों जैसे दस्त, पेट में दर्द और खसरा के इलाज के लिए भी किया जाता है।

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दमबेल के लाभों के साथ-साथ इसके निम्नलिखित कुछ नुकसान भी हो सकते हैं:

  • गर्भपात वाले प्रभावों के कारण, प्रेगनेंसी के दौरान इस जड़ी बूटी का उपयोग नहीं किया जाना चाहिए।
  • अधिक मात्रा में सेवन करने से यह जड़ी बूटी पाचन तंत्र को ख़राब कर सकती है।
  • अधिक सेवन से मतली या उल्टी हो सकती है। (और पढ़ें - उल्टी रोकने के घरेलू उपाय)
  • इस जड़ी बूटी का उपयोग लंबे समय तक नहीं किया जाना चाहिए। एक महीने में इस जड़ी बूटी को अधिक से अधिक दस दिनों तक उपयोग करें।
  • अपने डॉक्टर की निगरानी में ही इस दवाई का सेवन करें।
  • एलर्जी वाले लोगों को दमबेल का उपयोग नहीं करना चाहिए।

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इसकी 250 मिलीग्राम (दिन में 3 बार, 0.1% टाइलोफोरिन प्रति खुराक) या प्रति दिन 1-2 मिलीलीटर मात्रा का सेवन कर सकते हैं। इसका लंबे समय तक उपयोग करना लाभकारी नहीं है। इस बात का ध्यान रखें कि इसका दस दिन से अधिक समय तक लगातार इस्तेमाल नहीं करना चाहिए। बेहतर यह होगा कि आप अपने डॉक्टर की सलाह के अनुसार ही इसका सेवन करें।

दमबेल जड़ी बूटी, जिसे दम्बेल या दम्बुला के नाम से भी जाना जाता है, एक पारंपरिक औषधीय पौधा है जो विभिन्न स्वास्थ्य लाभ प्रदान करता है। यह जड़ी बूटी एंटीऑक्सीडेंट, एंटी-इंफ्लेमेटरी, और एंटीमाइक्रोबियल गुणों से भरपूर होती है, जो शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली को मजबूत करने में मदद करती है। दमबेल जड़ी बूटी का उपयोग पाचन तंत्र को सुधारने, पेट की समस्याओं को दूर करने, और भूख बढ़ाने के लिए किया जाता है। इसके अलावा, यह रक्त शर्करा के स्तर को नियंत्रित करने और हृदय स्वास्थ्य को बेहतर बनाने में भी सहायक है। दमबेल का सेवन जोड़ों के दर्द और सूजन को कम करने में मदद करता है, जिससे यह गठिया जैसी समस्याओं के लिए फायदेमंद है। इसके विभिन्न औषधीय गुणों के कारण, दमबेल जड़ी बूटी का उपयोग आयुर्वेद और पारंपरिक चिकित्सा में महत्वपूर्ण माना जाता है।

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