दुनियाभर में कई ऐसे पौधे हैं, जो मांसहारी होते हैं, लेकिन इन पौधों से हम बहुत ही अनजान हैं. यह मांसहारी पौधे छोटे-छोटे जानवरों और कीड़े-मकोड़ों को अपना भोजन बनाते हैं.
इन्हीं पौधों में से एक है घटपर्णी का पौधा. इस तरह के पौधे अक्सर ऐसी जगहों पर होते हैं, जो दलदली होती है और जहां नाइट्रोजन की कमी होती है. घटपर्णी को नेपेंथेस (Nepenthes) भी कहा जाता है. यह असम, मलेशियाई बोर्नियो , माउंट किनाबालु श्रीलंका, फिलीपींस, चीन आदि जैसे क्षेत्रों में पाया जाता है.
यह प्रमुख रूप से छोटे जानवरों जैसे छिपकली, कीड़े-मकौड़ों को अपना भोजन बनाता है. यह नेपेंथेसी कुल का पौधा है. घटपर्णी अपने तंतुओं के सहारे ऊपर की ओर चढ़ता है. यह तंतु पत्तियों के माध्यम से शिराओं के अंदर बढ़ोतरी से बनते हैं. घटपर्णी लुप्तप्राय प्रजातियों के रूप में वर्गीकृत किया गया है.
घटपर्णी अपने विशाल आकार के बनाए हुए जाल के लिए सबसे ज्यादा मशहूर है. इसका जाल 41 सेंटीमीटर ऊंचा और 20 सेंटीमीटर चौड़ा होता है जो अपने अंदर 4 लीटर तक पाचक पदार्थ रखने में सक्षम है. इसी विशालकाय जाल में चूहे, छिपकली जैसे छोटे जानवर और कीड़े-मकौड़े आसानी फंस कर अंदर चले आते हैं जिसके बाद घटपर्णी इनका शिकार कर इन्हें भोजन के रूप में ग्रहण कर लेता है.
आज हम इस लेख में घटपर्णी के प्रकार, फायदे और नुकसान के बारे में विस्तार से जानेंगे.