पाठा एक ऐसी आयुर्वेदिक बूटी है जिसका इस्तेमाल कई बीमारियों के इलाज के लिए किया जाता है। हालांकि, यह एक जड़ी बूटी नहीं है बल्कि इसमें अलग-अलग वनस्पतियों वाली दो बूटियां आती हैं, जैसे कि :
- सिसाम्पेलोस परैरा या लघुपाठा, इसे वेल्वेट लीफ कहते हैं
- साइक्लिया पेल्टाटा या राजपाठा, इसे इंडियन मूनसीड कहते हैं
विशेषज्ञ कीते हैं कि राजपाठा को कई आयुर्वेदिक मिश्रणों में लघुपाठा के विकल्प के रूप में इस्तेमाल किया जा सकता है।
आयुर्वेद में पाठा को त्रिदोषिक कहते हैं जिसका मतलब है यह बूटी तीनों दोषों वात, पित्त और कफ को ठीक करती है। इसे पाचक, बुखार-रोधी और घाव को ठीक करने के गुणों से युक्त माना जाता है और दस्त, मूत्राशय से संबंधित बीमारियों, खांसी, सूजन, मासिक धर्म से जुड़ी समस्याओं, बवासीर और त्वचा रोगों के इलाज में उपयोगी है।
पाठा पौधे की जड़ों में मांसपेशियों को आराम देने वाले गुण होते हैं और महिलाओं की स्वास्थ्य समस्याओं जैसे कि डिलीवरी आसान करने और पीरियड्स के दर्द से आराम दिलाने के लिए दक्षिण अमेरिका के कुछ हिस्सों में इसका इस्तेमाल होता है। पाठा की पत्तियां दुनिया के कुछ हिस्सों में सब्जी के रूप में उपयोग होती हैं।
लघुपाठा से जुड़े तथ्य :
- बोटोनिकल नाम : सिसाम्पेलोस परेरा
- परिवार : मेनिसपरमसिएई
- सामान्य नाम : वेल्वेट लीफ, एबुटा, फॉल्स परेरा, पेरिरा रूट
- उपयोगी हिस्से : जड़ और पत्तियां
- भौगोलिक विवरण : सिसाम्पेलोस की लगभग 30 प्रजातियां हैं जो कि पूर्वी अफ्रीका, एशिया, अमेरिका और भारत सहित दुनिया के उष्णकटिबंधीय और उपोष्णकटिबंधीय क्षेत्रों में पाई जाती हैं। भारत में, सिसाम्पेलोस परेरा बिहार, पश्चिम बंगाल, छोटा नागपुर, पंजाब, राजस्थान, महाराष्ट्र (विशेषकर मराठवाड़ा के जंगलों में) और तमिलनाडु में पाया जाता है।