छोटी दूधी एक गुणकारी जड़ी-बूटी है. इस पौधे का उपयोग दवाइयां बनाने के लिए किया जाता है. छोटी दूधी के पत्ते, बीज और जूस का इस्तेमाल कई बीमारियों को दूर करने में किया जाता है. इसका वानस्पतिक नाम यूफॉर्बिया थाइमीफोलिया है. इसके औषधीय गुण अस्थमा व कब्ज जैसी समस्या को ठीक करने में बेहतर तरीके से काम करते हैं. वहीं, इसका सेवन करने से कुछ लोगों को एलर्जी की समस्या भी हो सकती है.

आज इस लेख में आप छोटी दूधी के फायदे, औषधीय गुण व नुकसान के बारे में विस्तार से जानेंगे -

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  1. छोटी दूधी के औषधीय गुण
  2. छोटी दूधी के फायदे
  3. छोटी दूधी के नुकसान
  4. सारांश
छोटी दूधी के फायदे व नुकसान के डॉक्टर

छोटी दूधी में एंटी-बैक्टीरियल, एंटी-इंफ्लेमेटरी, एंटीपायरेटिक, एंटी वायरल, एंटी हाइपरग्लाइसेमिक, एंटी-ऑक्सीडेंट व एंटी-फंगल गुण पाए जाते हैं. इसके औषधीय गुणों की वजह से इसका इस्तेमाल स्किन डिजीज को ठीक करने के लिए किया जाता है. मुंह में छाले होने पर, क्रॉनिक कफ डिसऑर्डर, डिसेन्ट्री, पेट में दर्दसूजन व पैर के तलवे में खुजली होने पर भी इसे इस्तेमाल किया जा सकता है.

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छोटी दूधी को गुणकारी आयुर्वेदिक औषधि माना गया है. भारत में इसका इस्तेमाल सदियों से किया जा रहा है. इस दवा के इस्तेमाल से खून को साफ किया जा सकता है, अस्थमा से आराम पाया जा सकता है व कब्ज की समस्या से राहत मिल सकती है. नीचे छोटी दूधी के फायदों के बारे में बताया गया है -

अस्थमा से राहत

छोटी दूधी में एंटी-वायरल गुण होते हैं. इस गुण की वजह से इसका इस्तेमाल अस्थमा जैसी सांस लेने में दिक्कत वाले रोग में किया जा सकता है.

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चेस्ट कंजेशन

जिस तरह छोटी दूधी अस्थमा में फायदा करती है, उसी तरह यह चेस्ट कंजेशन होने की स्थिति में भी लाभकारी है. दवा के तौर पर इसका सेवन चेस्ट कंजेशन से राहत दिलाता है.

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ब्लड प्यूरीफायर

एनसीबीआई की साइट पर पब्लिश एक शोध के अनुसार छोटी दूधी का इस्तेमाल शरीर में रक्त विकार को दूर करने के लिए किया जा सकता है. इसे औषधि के तौर पर लेने से यह ब्लड प्यूरीफायर की तरह काम करती है.

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दस्त व पेचिश

डायरिया यानी दस्त लगने पर इस जड़ी-बूटी का इस्तेमाल किया जा सकता है. इसमें एस्ट्रिजेंट गुण पाया जाता है, जिस कारण यह दस्त व पेचिश से कुछ राहत दिला सकती है.

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कीड़ों को मारे

पेट में कीड़े होने पर कई प्रकार की समस्या का सामना करना पड़ सकता है. ऐसी अवस्था में छोटी दूधी का इस्तेमाल किया जा सकता है. इसमें एंथेलमिंटिक्स गुण होता है. एंथेलमिंटिक्स एक प्रकार की दवा होती है, जो शरीर में परजीवी कीड़ों को मारकर या जीवित ही बाहर निकाल देती है.

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पाचन संबंधी परेशानियां

एंटी-बैक्टीरियल व लैक्सेटिव गुण होने के कारण छोटी दूधी का सेवन पाचन संबंधी रोगों में राहत दिलाता है. यह कब्ज व पेट से जुड़ी अन्य समस्या को ठीक करने में मदद कर सकती है.

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रिंगवर्म

इससे रिंगवर्म का इलाज भी किया जा सकता है. खासकर दक्षिण भारत में छोटी दूधी के पौधे का रस निकालकर इस समस्या को ठीक किया जाता है.

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एंटीपायरेटिक गुण

छोटी दूधी में खासतौर से एंटीपायरेटिक गुण पाया जाता है. इस गुण की वजह से यह बुखारजुकाम व अनियमित मासिक धर्म में फायदेमंद साबित हो सकती है.

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छोटी दूधी का सेवन कुछ खास स्थितियों में नुकसान पहुंचा सकता है, ये स्थितियां निम्न हैं -

  • प्रेगनेंसी में इसका सेवन नहीं करने की सलाह दी जाती है. शोध कहते हैं कि इसके सेवन से यूट्रस कॉन्ट्रैक्ट कर सकता है, जिससे मिसकैरेज होने की आशंका रहती है. 
  • ब्रेस्ट फीड कराने वाली महिलाओं को भी इसका सेवन नहीं करना चाहिए.
  • इसके हाई डोज से पेट में इरिटेशन, उल्टी व कब्ज की समस्या हो सकती है.
  • इसके इस्तेमाल से संवेदनशील लोगों को एलर्जी की समस्या हो सकती है.

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छोटी दूधी का उपयोग दवाइयां बनाने के लिए अस्थमा, बुखार व डाइजेशन की समस्याओं को ठीक करने के लिए किया जाता है. साथ ही गंभीर डायरिया में भी इसका उपयोग किया जा सकता है. स्किन डिजीज को ठीक करने, मुंह में छाले हो जाने पर, पैर के तलवे में खुजली हो जाने पर इसका औषधीय गुण कमाल दिखाते हैं. वहीं, प्रेगनेंसी के दौरान इसका सेवन नुकसान कर सकता है. इसलिए, छोटी दूधी का सेवन करने से पहले स्पेशलिस्ट की सलाह पर ध्यान देने को कहा जाता है.

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