बहेड़ा भारत में सबसे आम आयुर्वेदिक जड़ी बूटियों में से एक है। कब्ज और दस्त से लेकर बुखार और अपच तक विभिन्न स्वास्थ्य स्थितियों के उपचार और प्रबंधन के लिए इस जड़ी बूटी का सदियों से उपयोग किया जा रहा है।
बहेड़ा ऐसे सक्रिय जैविक यौगिकों से भरपूर है, जो इसे रोगाणुरोधी, एंटीऑक्सीडेंट और प्रतिरक्षाविज्ञानी गुण प्रदान करते हैं। दिलचस्प बात यह है कि इस जड़ी-बूटी का संस्कृत नाम विभीतकी है जिसे अंग्रेजी में फीयरलेस और हिंदी में 'निर्भय' कहते हैं, जिसका अर्थ है कि यह बीमारी का भय दूर करता है।
क्या आपको पता है?
प्रसिद्ध आयुर्वेदिक जड़ी बूटी त्रिफला के तीन प्रमुख अवयवों में से एक बहेड़ा है, जबकि अन्य दो में आंवला और हरड़ शामिल हैं। आयुर्वेदिक विशेषज्ञों का कहना है कि त्रिफला में पांच (छह में से) स्वाद हैं जो कि त्रिदोष जैसे वात, पित्त और कफ को संतुलित करने में सहायक हैं। यह वजन घटाने, पेट दर्द के प्रबंधन, कब्ज और सूजन और ब्लड शुगर के स्तर को बनाए रखने में सहायक माना जाता है। त्रिफला में जीवाणुरोधी और एंटीऑक्सीडेंट गुण भी होते हैं।
इस लेख में बहेड़ा जड़ी-बूटी के स्वास्थ्य लाभ और दुष्प्रभावों, इसे पहचानने और इसका उपयोग करने के तरीके और सही खुराक सहित विशेषज्ञों द्वारा सुझाए गए सभी तरीकों के बारे में बताया गया है।
बहेड़ा के बारे में कुछ सामान्य जानकारी :
- वानस्पतिक नाम : टर्मिनलिया बेलिरिका (Terminalia bellirica)
- परिवार : कॉम्ब्रेटेकिया (Combretaceae)
- पौधे के इस्तेमाल किए जाने वाले हिस्से : पूरा पौधा
- अंग्रेजी नाम : बेलरिक मायरोबलन (Beleric Myrobalan)
- संस्कृत नाम : अक्सा (Aksa), बिभीतकी (Bibhitaki), विभिता (Vibhita), अक्साका (Aksaka), विभिताकी (Vibhitaki)
- भौगोलिक वितरण : बहेड़ा भारत, श्रीलंका, भूटान, बांग्लादेश, पाकिस्तान और नेपाल सहित पूरे भारतीय उपमहाद्वीप में पाया जाता है। यह चीन, इंडोनेशिया, मलेशिया, कंबोडिया और वियतनाम में भी होता है। यदि भारतीय राज्यों की बात करें तो यह पंजाब, महाराष्ट्र, उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश में भी पाया जाता है।