पूजा-पाठ के दौरान अगरबत्ती का इस्तेमाल तो हममें से हर कोई करता है, पर क्या आपने सोचा कि यह बनती कैसे है? इस लेख में हम ऐसी ही एक जड़ी-बूटी के बारे में जानेंगे जो न सिर्फ अगरबत्ती बनाने में महत्वपूर्ण घटक के रूप में प्रयोग में लाई जाती है, बल्कि यह कई मामलों में स्वास्थ्य के लिए भी फायदेमंद है। दक्षिण-पूर्व एशिया के क्षेत्रों में बहुतायत में पाई जाने वाली इस औषधि का नाम है-अगरू या अगरकाष्ठ। इसे कई स्थानों पर ईगल वुड के नाम से भी जाना जाता है। जिस प्रकार से आज के समय में लिखने के लिए कागज का इस्तेमाल किया जाता है उसी प्रकार पुराने समय में अगरू के पेड़ की छाल को प्रयोग में लाया जाता था। इसकी छाल से विशेष प्रकार की खुशबू भी आती है, इसीलिए अगरबत्ती बनाने में भी इसको प्रयोग में लाया जाता है।
आयुर्वेद और पारंपरिक चीनी चिकित्सा पद्धति में भी अगरकाष्ठ का जिक्र मिलता है। इसकी पत्तियां पतली और करीब तीन इंच तक लंबी होती हैं। कई संस्कृतियों में इस जड़ी-बूटी का प्रयोग बुरी ऊर्जाओं को दूर करने के लिए भी किया जाता रहा है। आइए अगरकाष्ठ के बारे में विस्तार से जानते हैं।
वानस्पतिक नाम : एक्यूलारिया अगालोचा
सामान्य नाम : अगरकाष्ठ, ईगलवुड
मूल : थिमिलिएसियायई
मूल क्षेत्र और भौगोलिक वितरण : उत्तर-पूर्व भारत, बांग्लादेश, भूटान और दक्षिण-पूर्व एशिया के कुछ हिस्से
उपयोग : कफ और वात दोष के निवारण के लिए जाना जाता है