सुपरमार्केट या मॉल तो आप भी जाते ही होंगे। वहां खाने को कितने ही तरह की चीजें होती हैं, जो हमें अपनी तरफ आकर्षित करती हैं। किसी की खूशबू अपनी तरफ खींचती है तो किसी का रंग आकर्षित करता है। बच्चों का मन तो पिज्जा-बर्गर, चाउमिन की तरफ ऐसे भागता है कि बस इनकी एक-एक बाइट पर फना हो जाएं। क्या ऐसे खाने से पोषण मिलेगा? ये प्रश्न कोई और नहीं हम ही खुद से पूछते हैं और फिर वापस मुड़ जाते हैं। किसी अन्य हेल्दी फूड की तलाश करने लगते हैं।

अब हम रुख करते हैं कुछ ऐसे फलों या खाद्य पदार्थों की तरफ जिन्हें आमतौर पर हेल्दी माना जाता है। हमारी तलाश खत्म होती है क्विनोआ और एवोकाडो, ब्लूबेरी जैसे विदेशी अनाज एवं फलों पर जिन्हें बेहद स्वास्थ्यवर्धक माना जाता है, लेकिन ये काफी महंगे होते हैं। ऐसे में अपनी सेहत के प्रति चिंतित लोग कुछ सस्ते भारतीय उत्पादों (वीट ग्रास और आंवला) की तरफ देखते हैं, जिनके स्वास्थ्य लाभों के बारे में किसी को कोई शक नहीं है। वजन कम करने के लिए क्विनोआ के अलावा चिया सीड्स, मसूर और पनीर, ग्रीन टी, हल्दी को भी उत्तम आहार माना जाता है। 

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सुपरमार्केट में मिलने वाले हेल्दी फूड के प्रति हमारे दिमाग को इस तरह से तैयार कर दिया गया है कि हम अपने ही घर में मौजूद हेल्दी फूड को भूल गए हैं। कुछ मामलों में तो घर में उपलब्ध हेल्दी फूड को हम अपने स्वास्थ्य के लिए खराब मानने लगे हैं। चलिए आज ऐसे ही खाद्य पदार्थों के बारे में जानते हैं।

स्वास्थ्य की कुंजी है घी
खाना भले घी में बना हो या घी ऊपर से डाला गया हो, इससे हमारे भोजन का स्वाद कई गुना बढ़ जाता है। आमतौर पर घी को स्वास्थ्य के लिए अच्छा नहीं माना जाता, इस पर वर्षों से बहस होती रही है। हालांकि, घी के बारे में इस झूठ से अब पर्दा उठ चुका है। हमारे खाने में इस्तेमाल होने वाले ज्यादातर तेल अत्यधिक तापमान पर गर्म करने से फ्री रेडिकल्स छोड़ते हैं और ज्यादा मात्रा में फ्री रेडिकल्स हमारे शरीर की कोशिकाओं को नुकसान पहुंचाते हैं, कैंसर के कारक भी बनते हैं।
लगभग 260 डिग्री सेल्सियस पर गर्म होने के बावजूद घी फ्री रेडिकल्स नहीं छोड़ता। घी में कंजुगेटेड लिनोलिक एसिड (मीट और दूध उत्पादों में पाया जाने वाला फैटी एसिड) की भरपूर मात्रा होता है, जो कार्डियोवैस्कुलर डिजीज और कैंसर से लड़ने में मदद करता है। वजन कम करने, बॉडी मास को बनाए रखने और टाइप 2 डायबिटीज को नियंत्रित करने में भी यह मदद करता है। घी में मौजूद ब्यूटिरेट पाचन क्रिया को सुधारता है और इसमें मौजूद विटामिन ए, डी, ई और विटामिन के इसे सुपरफूड बनाते हैं। आपको प्रतिदिन कितना और कब घी खाना चाहिए, इस बारे में अपने डायटीशियन से जरूर बात करें।

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चावल है हेल्दी
ये बात बिल्कुल सही है कि ब्राउन राइस, रेड और ब्लैक राइस के मुकाबले सफेद चावल में बहुत कम डायटरी फाइबर  होता है। इसमें भी कोई शक नहीं कि सफेद चावल में काफी ज्यादा कार्बोहाइड्रेट होता है, लेकिन हम यह भूल जाते हैं कि इसमें थायामीन (विटामिन बी1) जैसे फायटोन्यूट्रीएंट, मैंगनीज, सेलेनियम, नियासिन, विटामिन बी6, फॉस्फोरस और कॉपर की भरपूर मात्रा होती है। सफेद चावल में एंटीऑक्सीडेंट भी होते हैं और यह पचाने में भी आसान होते हैं, इसके साथ ही यह पेट के बैक्टीरिया के लिए मददगार होते है, यही कारण है कि दस्त होने पर डॉक्टर ऑपको दाल-चावल या दही-चावल खाने की सलाह देते हैं। 

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सुपर फूड है केला
केला एक सुपरफूड है, लेकिन इसके मीठेपन और कार्बोहाइड्रेट की अधिकता के कारण मान लिया गया है कि इससे वजन बढ़ता है और यह डायबिटीज व हाई-ब्लड प्रेशर को भी बढ़ाता है। जबकि केले में अच्छी खासी मात्रा में फाइबर और एंटीऑक्सीडेंट्स भी होते हैं। इसमें पोटैशियम, कॉपर, मैग्नीशियम और मैंगनीज जैसे खनिजों के अलावा विटामिन बी6 और विटामिन सी की भी भरमार होती है जो दिल के स्वास्थ्य के लिए अच्छे होते हैं।
केला खाना सुरक्षित है। खासतौर पर मिड मील स्नैक्स, प्रीवर्कआउट स्नैक के अलावा यह एक स्वास्थ्यवर्धक डेजर्ट भी  है। केले में पाई जाने वाली शुगर में प्राकृतिक रूप से ग्लूकोज, फ्रक्टोज और सुक्रोज होते हैं, जिनकी वजह से इसे पचाना आसान होता है। इसके साथ ही केला मूड लिफ्टिंग हार्मोन्स बनाने में भी मदद करता है यानी मूड स्विंग्स या डिप्रेशन के दौरान भी यह काफी अच्छा स्नैक होता है। केले में पेक्टिन की मात्रा भी अधिक होती है, जो ब्लड शुगर के स्तर को नियंत्रित करने में मदद करता है। अगर आप पहले से ही डायबिटीज से ग्रस्त हैं तो केला खाने से परहेज करें।

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अंत में हम यही कहना चाहेंगे कि किसी भी खाद्य पदार्थ को उचित मात्रा में लेने से नुकसान की गुंजाइश कम से कम होती है। पहले से ही आपको स्वास्थ्य संबंधी कोई समस्या है तो घी, चावल और केले के सेवन से पहले अपने डॉक्टर से जरूर संपर्क कर लें।

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