अगर आपके घर में किसी बच्चे को खांसी है, तो उसे दवा के रूप में 'कोल्डबेस्ट-पीसी' नाम का सिरप न दें। मीडिया में आई खबरों के मुताबिक, इस दवा के सेवन से कथित रूप से जम्मू-कश्मीर में नौ बच्चों की मौत हो चुकी है। इस सिरप का उत्पादन हिमाचल प्रदेश स्थित फार्मास्यूटिकल कंपनी 'डिजिटल विजन' करती है। खबर सामने आने के बाद कम से कम आठ राज्यों को कंपनी की बिक्री और वितरण पर पाबंदी लगाने को कहा गया है। साथ ही कोल्डबेस्ट-पीसी सिरप का उत्पादन भी रोक दिया गया है।

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क्या है मामला?
मीडिया रिपोर्टों में जम्मू के वरिष्ठ स्वास्थ्य अधिकारियों के हवाले से बताया गया है कि दिसंबर 2019 से 17 जनवरी 2020 के बीच कुल 17 बच्चों को अचानक किडनी फेल होने के चलते अस्पताल में भर्ती कराया गया था। इनमें से नौ की मौत हो गई। बाद में जांच के दौरान पता चला कि इन सभी बच्चों को कोल्डबेस्ट-पीसी सिरप पिलाया गया था। जम्मू-कश्मीर के ड्रग एवं खाद्य नियंत्रण संगठन ने चंडीगढ़ स्थित एक शोध एवं चिकित्सा संस्थान 'पीजीआईएमईआर' के हवाले से बताया है कि शुरुआती जांच में कोल्डबेस्ट सिरप में 'डायाथिलीन ग्लाइकोल' नामक विषैला पदार्थ पाए जाने की पुष्टि हुई है।

खबरों के मुताबिक, जम्मू-कश्मीर के स्वास्थ्य अधिकारियों का कहना है कि प्रथम दृष्टया लगता है कि दवा में मौजूद यही पदार्थ बच्चों की मौत का वजह बना है। अधिकारियों ने कहा कि आगे की जांच के लिए दवा के सैंपल को जम्मू के इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ इंटीग्रेटिव मेडिसिन (आईआईआईएम) भेजा गया है। इसके अलावा चंडीगढ़ की एक परीक्षण प्रयोगशाला में भी कुछ सैंपल को भेजे गए हैं। अधिकारियों ने साफ किया है कि वे क्षेत्रीय ड्रग टेस्टिंग लैब की रिपोर्ट का इंतजार कर रहे हैं, उसके बाद ही मौतों की असल वजह का पता चल पाएगा। इस बीच, आठ राज्यों में कोल्डबेस्ट-पीसी सिरप की लगभग 5,500 यूनिट्स को एहतियातन बाजार से वापस ले लिया गया है।

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क्या खांसी की दवा ले सकती है जान?
myUpchar की टीम से जुड़े डॉक्टर हुसैन अली का कहना है कि अगर खांसी की दवा ज्यादा मात्रा में दी जाती है तो यह जानलेवा हो सकती है। उन्होंने बताया कि खांसी की दवा में मौजूद पदार्थों से मरीज को अत्यधिक नींद आती है। इसलिए अगर ज्यादा मात्रा में यह दवा दी जाए तो इसके सेवन से मौत भी हो सकती है।

क्या डायाथिलीन ग्लाइकोल किडनी फेल होने की वजह बन सकता है?
इस सवाल के जवाब में डॉक्टर हुसैन अली ने कहा कि जिन दवाओं का सेवन हम करते हैं, वे किडनी द्वारा फिल्टर होकर ही शरीर में आगे की ओर जाती है। वहीं, डायाथिलीन ग्लाइकोल पदार्थ की बात करें तो यह खांसी की दवा में एक सीमित मात्रा में इस्तेमाल किया जाता है। लेकिन ज्यादा मात्रा में प्रयोग करने से यह जहर का रूप ले लेता है। डॉक्टर अली ने बताया कि डायाथिलीन ग्लाइकोल के अंदर कुछ ऐसे तत्व होते हैं जिन्हें किडनी फिल्टर नहीं कर पाती। इस कारण किडनी फेल होने का खतरा बढ़ जाता है और अंत में यह जानलेवा भी साबित हो सकता है। देखना होगा कि जम्मू में मारे गए बच्चों के मामले में ऐसा हुआ है या नहीं।

खांसी की दवा पीने से पहले बरतें ये सावधानियां?
इस बारे में डॉक्टर हुसैन लोगों को सलाह देते हैं कि उन्हें मेडिकल स्टोर से अपनेआप कोई दवा नहीं लेनी चाहिए। चूंकि खांसी की दवा में फायदे के साथ दुष्प्रभाव भी होते हैं, इसलिए कोई भी दवा लेने से पहले डॉक्टर की सलाह जरूर लें। मरीज के लिए कौन सी दवा सही है और उसे कितनी मात्रा में लेना उचित है, ये डॉक्टर केमिस्ट से बेहतर बता सकते हैं।

किडनी फेल होना क्या है?
किडनी खराब होने को मेडिकल भाषा में 'एक्यूट किडनी फेलियर' कहते हैं। यह तब होता है जब आपके गुर्दे रक्त से अपशिष्ट उत्पादों को फिल्टर करना अचानक बंद कर देते हैं। गुर्दों की रक्त छानने की क्षमता नष्ट होने से रक्त में अपशिष्ट पदार्थ खतरनाक स्तर पर जमा होने लगते हैं। इससे रक्त की रासायनिक संरचना असंतुलित हो जाती है। यह स्थिति कुछ घंटे या कुछ दिनों में तेजी से विकसित हो सकती है।

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किडनी फेल होने के लक्षण
अगर एक किडनी काम करना बंद कर देती है, तो दूसरी किडनी सामान्य रूप से कार्य कर सकती है। इसके लक्षण तब तक दिखाई नहीं देते, जब तक यह बीमारी अपने हाई स्टेज पर नहीं पहुंच जाती। किडनी फेल होने के निम्नलिखित लक्षण हो सकते हैं-

  • खून की कमी
  • शरीर में सूजन आना
  • मूत्र में रक्त आना
  • मूत्र का रंग गहरा होना
  • मूत्र की मात्रा में कमी आना

इसके अलावा कई अन्य लक्षण हैं जो किडनी फेल होने का संकेत देते हैं। लेकिन डॉक्टरों की कहना है कि किडनी फेल होने की स्थिति में यूरिन (पेशाब) से जुड़ी समस्या का उत्पन्न होना और शरीर में सूजन आने जैसे लक्षण पहले दिखाई देते हैं।

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