अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) की फंडिंग पर रोक लगा दी है। वे कुछ दिनों से कोविड-19 महामारी से निपटने के तरीके को लेकर डब्ल्यूएचओ से खासे नाराज चल रहे हैं। बताया गया है कि इसी के चलते उन्होंने यह कदम उठाया है। स्थानीय मीडिया रिपोर्टों के मुताबिक, मंगलवार को वाइट हाउस में पत्रकारों को संबोधित करते हुए डोनाल्ड ट्रंप ने कहा, 'मैं अपने प्रशासन को निर्देश दे रहा हूं कि वह विश्व स्वास्थ्य संगठन के लिए होने वाली फंडिंग को रोक दे। हम एक समीक्षा के तहत यह जानने में लगे हैं कि कोरोना वायरस के फैलने की बात को छिपाने और इससे खराब तरीके से निपटने में डब्ल्यूएचओ की क्या भूमिका है।' डोनाल्ड ट्रंप ने साफ कहा, 'डब्ल्यूएचओ अपनी बुनियादी जिम्मेदारी निभाने में विफल रहा और इसके उसे जिम्मेदार ठहराया जाना चाहिए।'
अमेरिकी राष्ट्रपति का डब्ल्यूएचओ पर आरोप है कि उसने राजनीतिक रूप से 'विशुद्ध' रहने के चक्कर में लोगों के जीवन से समझौता किया और इस संकट के संबंध में चीन के दावों को ज्यादा महत्व दिया। उन्होंने डब्ल्यूएचओ पर हाल के समय में चीन के प्रति पक्षपातपूर्ण रवैया रखने का आरोप लगाया है।
चीन से दस गुना फंड देता है अमेरिका
जानकारों का कहना है कि डब्ल्यूएचओ को होने वाली फंडिंग में से 15 प्रतिशत हिस्सा अमेरिका का है, जिसे अब रोक दिया गया है। मीडिया रिपोर्टों के मुताबिक, अमेरिका हर साल डब्ल्यूएचओ को 400 से 500 मिलियन डॉलर (3,000 करोड़ से 3,900 करोड़ रुपये के बीच) की फंडिंग करता है। वहीं, चीन केवल 40 मिलियन डॉलर (306 करोड़ रुपये) की राशि देता है, यानी अमेरिका से दस गुना कम।
महामारी के लिए डब्ल्यूएचओ प्रमुख की आलोचना
डोनाल्ड ट्रंप डब्ल्यूएचओ प्रमुख टेड्रोस अधानोम गेब्रेयेसुस को लेकर काफी आलोचनात्मक रहे हैं। उनका कहना है कि कोविड-19 को लेकर कई देशों ने टेड्रोस की बात मानी और अब उनके यहां अविश्वसनीय समस्याएं खड़ी हो गई हैं। ट्रंप ने आरोप लगाया कि टेड्रोस से दुनिया को 'गलत और झूठी' जानकारी मिलती रही। ट्रंप का दावा है कि अगर डब्ल्यूएचओ काफी पहले ही चीन पर भरोसा करने के बजाय वहां खुद जाकर इस संकट को देखता तो कई जानें बच सकती थीं। अमेरिकी राष्ट्रपति का आरोप है कि चीन ने नए वायरस की जानकारी देने में देरी की और डब्ल्यूएचओ ने उसका भरोसा किया, नतीजतन पूरी दुनिया में कोविड-19 के मामलों में 20 गुना बढ़ोतरी हुई जो और ज्यादा हो सकती है। ट्रंप का कहना है, 'उनकी (डब्ल्यूएचओ) गलतियों की वजह से कई मौतें हुईं।'
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ट्रंप की भूमिका पर भी सवाल
हालांकि, अमेरिका में कोरोना वायरस जिस स्तर पर फैल गया है, उसके लिए खुद डोनाल्ड ट्रंप की भूमिका पर सवाल उठाने वालों की भी कमी नहीं है। वहां के मीडिया के मुताबिक, डोनाल्ड ट्रंप ने शुरू में इस स्वास्थ्य संकट को गंभीरता से नहीं लिया। इसके चलते उन्होंने और उनके प्रशासन ने फैसले लेने में देरी की। बीते जनवरी महीने में अमेरिकी सरकार ने कोविड-19 की टेस्टिंग के लिए डब्ल्यूएचओ द्वारा स्वीकृत परीक्षण का इस्तेमाल करने से इनकार कर दिया था। बजाय इसके उसने अपनी सरकारी एजेंसी सेंटर्स फॉर डिसीज एंड प्रिवेंशन (सीडीसी) द्वारा विकसित टेस्ट का इस्तेमाल किया। रिपोर्टों के मुताबिक, इस टेस्ट के कई परिणामों को लेकर उलझन थी और कई मामलों में टेस्ट ठीक प्रकार से नहीं किया गया।
यूएन सचिव ने दी प्रतिक्रिया
बहरहाल, अमेरिका द्वारा डब्ल्यूएचओ की फंडिंग रोके जाने पर संयुक्त राष्ट्र ने प्रतिक्रिया दी है। यूएन महासचिव एंतोनियो गुतेरेस ने कहा है कि यह डब्ल्यूएचओ या किसी भी मानवीय संगठन के संसाधनों में कमी करने का समय नहीं है। उन्होंने कहा है कि यह न तो अतीत में देखने का समय है और न ही यह जानने का कि इस संकट में किसने क्या किया। गुतेरेस ने कहा कि यह एकता दिखाने और इस वायरस को रोकने के लिए अंतरराष्ट्रीय समुदाय के मिलकर काम करने का समय है।
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