बुरा समय कभी भी बताकर नहीं आता है और जब एक बार वह आ जाता है, तो उससे निपटना भी इतना आसान नहीं होता है। ठीक उसी प्रकार दुर्घटनाएं भी कई बार ऐसे समय में हो जाती हैं, जब हमें उनका अंदाजा तक नहीं होता। रोजाना के व्यस्त जीवन में छोटी-मोटी चोटें लगना अब आम हो गया है, जिन्हें हम अक्सर नजरअंदाज कर देते हैं। लेकिन कई बार ऐसा होता है कि कोई गंभीर चोट लग जाती है, जिसमें व्यक्ति का जीवन भी दांव पर लग जाता है। ऐसे में किसी अपने के जीवन की चिंता, अस्पतालों में भाग-दौड़ और अस्पताल का भारी-भरकम बिल जैसी हजारों मुश्किलें पैदा हो जाती हैं। वैसे तो मेडिकल साइंस ने काफी तरक्की कर ली है, जिनकी मदद से गंभीर रूप से क्षतिग्रस्त व्यक्ति का जीवन बचाने में भी सफलता मिल जाती है, लेकिन इसके साथ-साथ अस्पतालों का खर्च भी बढ़ा है।

यही कारण है कि अस्पतालों के बिल चुकाना आजकल आम आदमी के बस की बात नहीं रही है और इसलिए एक अच्छा विकल्प है हेल्थ इन्शुरन्स। यदि आप एक बीमाधारक हैं, तो ऐसी कोई भी अनहोनी होने पर आपको पैसे की चिंता करने की आवश्यकता नहीं पड़ती है, आप निश्चिंत होकर अपना इलाज करवा सकते हैं। इस लेख में हम इसी बारे में बात करने वाले हैं कि हेल्थ इन्शुरन्स प्लान शारीरिक चोट की स्थितियों में कितनी मदद करता है।

(और पढ़ें - हेल्थ इन्शुरन्स पॉलिसी रिन्यूअल क्या होता है)

  1. चोट क्या है
  2. चोट कितने प्रकार की होती है
  3. चोट लगने की स्थितियों में हेल्थ इन्शुरन्स का क्या महत्व है
  4. हेल्थ इन्शुरन्स में किन चोटों पर कवरेज मिलती है
  5. हेल्थ इन्शुरन्स में किन चोटों पर कवरेज नहीं मिलती है

शरीर में होने वाली कोई भी क्षति चोट कहलाती है जैसे गिरना, फिसलना या किसी वस्तु का तेजी से शरीर से टकराना आदि। चोट के कारण कई बार ऊपरी त्वचा छिल जाती है और खून निकलने लगता है, जबकि कई बार खून नहीं निकलता बस नील पड़ जाता है और दर्द होता है, जिसे गुम चोट कहा जाता है। त्वचा का छिलना, घाव बनना, नील पड़ना, हड्डी टूटना, शरीर का कोई जोड़ खुल जाना, मोच आना, मांसपेशियों में खिंचाव आ जाना और जलना आदि चोट लगने के कुछ प्रमुख उदाहरण हो सकते हैं।

(और पढ़ें - मांसपेशियों में ऐंठन के लक्षण)

myUpchar के डॉक्टरों ने अपने कई वर्षों की शोध के बाद आयुर्वेद की 100% असली और शुद्ध जड़ी-बूटियों का उपयोग करके myUpchar Ayurveda Urjas Capsule बनाया है। इस आयुर्वेदिक दवा को हमारे डॉक्टरों ने कई लाख लोगों को सेक्स समस्याओं के लिए सुझाया है, जिससे उनको अच्छे प्रभाव देखने को मिले हैं।

चोट को प्रमुख रूप से दो प्रकारों में विभाजित किया जाता है, जिन्हें सामान्य चोट और गंभीर चोट कहा जाता है। आमतौर पर सामान्य चोटों को घर पर ही प्राथमिक उपचार व घरेलू उपायों आदि से ठीक किया जा सकता है या फिर डॉक्टर कुछ दवाएं देते हैं। लेकिन गंभीर चोट लगने पर स्थिति भी गंभीर हो जाती है, ऐसे में मरीज को कई दिनों तक अस्पताल में भर्ती रहना पड़ सकता है और यहां तक कि उसे आईसीयू में भी भर्ती करना पड़ सकता है, जो कि चोट की गंभीरता पर निर्भर करता है। सामान्य व गंभीर चोटों के कुछ उदाहरण नीचे दिए गए हैं -

  • सामान्य चोट
    शरीर के किसी छोटे हिस्से को प्रभावित करने वाली चोट को सामान्य चोट कहा जाता है। सामान्य चोट में चिंता करने की जरूरत नहीं होती और बहुत ही कम मामलों में इनसे कोई जटिलता हो सकती है। ऐसे में डॉक्टर पहले चोट की जांच करते हैं और निर्धारित करते हैं कि उसे मेडिकल उपचार की आवश्यकता है या नहीं। सामान्य चोटों में निम्न शामिल हैं -
    • खरोंच लगना
    • छिल जाना
    • थोड़ी सी त्वचा जलना (फफोला बन जाना)
    • कीट के काटने से घाव बनना
    • किसी चीज से एलर्जी होना
    • हल्की मोच आना
    • छोटा नील पड़ना
       
  • गंभीर चोट
    जब चोट के कारण शरीर का कोई बड़ा हिस्सा प्रभावित हो जाता है, तो उसे गंभीर चोट कहा जाता है। कुछ गंभीर चोटें ऐसी होती हैं, जिनमें जल्द से जल्द मरीज को अस्पताल में भर्ती करना पड़ता है, नहीं तो मरीज की मृत्यु भी हो सकती है। गंभीर चोटों के उदाहरण कुछ इस प्रकार हैं -
    • शरीर के किसी हिस्से पर बड़ा घाव होना
    • घाव से अंदर से हड्डी या ऊतक दिखाई देना
    • अत्यधिक रक्त बहना
    • सिर में गंभीर चोट लगना
    • शरीर का कोई बड़ा हिस्सा जल जाना
    • गिरने या फिसल जाने पर असहनीय दर्द होना
    • किसी भी दुर्घटना के बाद मुंह, नाक या कान से खून आना
    • चोट लगने के बाद व्यक्ति का तुरंत बेहोश हो जाना
    • रीढ़ की हड्डी या गर्दन में चोट लगना
    • दुर्घटना होने के बाद मरीज की पुतली न हिलना या मरीज की सांसें बंद हो जाना

सरल भाषा में कहा जाए तो सामान्य चोट वह होती है, जिसमें मरीज के शरीर का कोई छोटा हिस्सा प्रभावित हुआ हो और मरीज पूरी तरह से होश में हो। इसके विपरीत गंभीर चोट वह है, जिससे शरीर का कोई बड़ा हिस्सा प्रभावित या क्षतिग्रस्त हो जाता है और मरीज को पूरी तरह से होश नहीं होता है।

(और पढ़ें - गर्दन की चोट का प्राथमिक इलाज)

चोट किसी को भी लग सकती है, रोजाना हजारों लोग फैक्ट्रियों, सड़कों और अन्य कई जगह पर दुर्घटनाग्रस्त होते हैं। कई बार चोट इतनी गंभीर हो जाती है, कि व्यक्ति की जान बचाने के लिए उसे आईसीयू में भर्ती करना पड़ जाता है, जिसका बिल चुकाना अपने आप में बहुत बड़ी मुसीबत बन जाती है। ऐसी स्थिति में आपकी सारी सेविंग जा सकती है और यदि सेविंग नहीं है तो आपको कई सालों के लिए कर्जदार होना पड़ सकता है। इन सभी स्थितियों को ध्यान में रखते हुए जरूरी है हेल्थ इन्शुरन्स।

अस्पतालों में बढ़ रही महंगाई को देखते हुए अपने व अपने परिवार के लिए उचित हेल्थ इन्शुरन्स प्लान खरीदना सिर्फ एक अच्छा विकल्प ही नहीं है, बल्कि आवश्यक हो गया है। यदि एक बीमाधारक के साथ कोई भी ऐसी दुर्घटना घट जाती है, तो उसका परिवार बिना पैसे की चिंता किए उसका जीवन बचा सकता है। यदि आपने अभी तक कोई हेल्थ इन्शुरन्स प्लान नहीं खरीदा है, तो जल्द से जल्द किसी अच्छी बीमा कंपनी से संपर्क करें।

यदि आप स्वास्थ्य बीमा योजना खरीदने के बारे में सोच रहे हैं, तो myUpchar बीमा प्लस आपके लिए एक अच्छा विकल्प हो सकता है। myUpchar बीमा प्लस आपको कोरोनावायरस ट्रीटमेंट, प्री एंड पोस्ट हॉस्पिटलाइजेशन, पहले से मौजूद बीमारियां, रोड़, एम्बुलेंस, डे केयर ट्रीटमेंट और अन्य कई महत्वपूर्ण मेडिकल स्थितियों में कवरेज प्रदान करता है। इसके अलावा myUpchar बीमा प्लस हेल्थ इन्शुरन्स पॉलिसी में आपको 24x7 फ्री टेली ओपीडी की भी सुविधा मिलती है। 

(और पढ़ें - बुजुर्गों के लिए myUpchar बीमा प्लस के लाभ)

इसकी पूरी तरह से पुष्टि कर पाना थोड़ा मुश्किल हो सकता है, क्योंकि हर कंपनी अपने अलग मानदंडों के अनुसार काम करती है। हालांकि, कुछ प्रमुख स्थितियों में अधिकतर बीमा कंपनियां चोट के इलाज पर कवरेज देती हैं, जो कुछ इस प्रकार हैं -

  • जिनमें अस्पताल में भर्ती होना पड़े -
    यदि आपको कोई चोट लगी है, जिसके इलाज के लिए आपको 1 दिन से अधिक समय तक अस्पताल में भर्ती रहने की आवश्यकता है, तो ऐसी स्थिति में आपको मेडिकल खर्च पर कवरेज मिल जाती है।
     
  • जिनमें भर्ती होने की आवश्यकता न पड़े -
    यदि कोई ऐसी चोट लगी है, जिसमें आपको अस्पताल में इलाज की जरूरत है, लेकिन भर्ती होने की जरूरत नहीं है। उदाहरण के तौर पर कोई घाव हो जाना, जिसकी अस्पताल में पट्टी की जाती है। हालांकि, यदि आपके प्लान में ओपीडी कवर नहीं की गई है, तो हो सकता है आपको ऐसे मेडिकल खर्च पर कवरेज न मिल पाए।
     
  • डे केयर ट्रीटमेंट -
    यदि चोट लगने पर अस्पताल में आपको सिर्फ एक ही दिन तक ही रुकना है, तो ऐसे में भी आपको हेल्थ इन्शुरन्स से मेडिकल खर्च पर कवरेज मिल जाती है। उदाहरण के तौर पर यदि किसी दुर्घटना में हड्डी टूट जाती है, तो आपको एक दिन तक अस्पताल में रुकना पड़ सकता है।
     
  • घर पर इलाज -
    यदि आपको कोई ऐसी चोट लगी है, जिसमें डॉक्टर आपका इलाज अस्पताल की बजाय आपके घर पर आकर ही करते हैं, तो इन स्थितियों में भी आपकी बीमाकर्ता कंपनी आपको मेडिकल खर्च पर कवरेज प्रदान करती है। इसे डोमिसिलियरी ट्रीटमेंट भी कहा जाता है, जिसकी आवश्यकता आमतौर पर महामारी जैसी स्थितियों में अधिक पड़ती है।
     
  • आयुष उपचार -
    यदि चोट लगने पर आप एलोपैथिक दवाएं न लेकर आयुर्वेदिक दवाओं से अपना इलाज करवाते हैं, तो इसमें भी आपको हेल्थ इन्शुरन्स प्लान के तहत कवरेज मिल जाती है। हालांकि, ऐसा सिर्फ तब ही संभव हो पाता है, जब आपकी बीमाकर्ता कंपनी के नेटवर्क में कोई आयुर्वेदिक अस्पताल हो। कुछ कंपनियां आयुर्वेदिक अस्पतालों में कैपिंग लागू करती हैं, जिसका मतलब है कि आपको सम इन्श्योर्ड के प्रतिशत के अनुसार एक निश्चित राशि ही कवरेज के रूप में दी जाती है और बाकी राशि का भुगतान आपको अपनी जेब से करना पड़ता है।

(और पढ़ें - फैमिली हेल्थ इन्शुरन्स क्या है)

myUpchar के डॉक्टरों ने अपने कई वर्षों की शोध के बाद आयुर्वेद की 100% असली और शुद्ध जड़ी-बूटियों का उपयोग करके myUpchar Ayurveda Kesh Art Hair Oil बनाया है। इस आयुर्वेदिक दवा को हमारे डॉक्टरों ने 1 लाख से अधिक लोगों को बालों से जुड़ी कई समस्याओं (बालों का झड़ना, सफेद बाल और डैंड्रफ) के लिए सुझाया है, जिससे उनको अच्छे प्रभाव देखने को मिले हैं।

यदि आप एक बीमाधारक हैं या फिर कोई हेल्थ इन्शुरन्स प्लान खरीदने के बारे में सोच रहे हैं, तो आपको इस बारे में भी जान लेना चाहिए कि किन चोटों को कवर नहीं किया जाता है। कुछ स्थितियां हैं, जिनमें लगी चोटों को आमतौर पर कवरेज नहीं मिलती है -

  • खुद को क्षतिग्रस्त करना या फिर खुदकुशी करने की कोशिश में लगी चोटों को हेल्थ इन्शुरन्स प्लान में कवर नहीं किया जाता है।
  • लड़ाई-झगड़ों में लगी चोटों या फिर फिर यदि आप सेना में हैं, तो वहां पर लगी चोटों को भी हेल्थ इन्शुरन्स प्लान से कवरेज नहीं मिलती है।
  • यदि आप बंजी जंपिंग, स्कूबा डाइविंग, राफ्टिंग, ग्लाइडिंग, रॉक क्लाइंबिंग या अन्य किसी एडवेंचर स्पोर्ट्स में भाग लेते हैं, तो उस दौरान लगी चोटों को आपके हेल्थ इन्शुरन्स प्लान में कवर नहीं किया जाएगा।
  • यदि आप शराब या अन्य कोई नशा करते हैं और नशे में आपको सड़क दुर्घटना या अन्य किसी भी स्थिति में चोट लग जाती है, तो उसे हेल्थ इन्शुरन्स प्लान में कवर नहीं किया जाएगा। उल्टा यदि आप शराब पीकर गाड़ी चला रहे हैं और कोई एक्सीडेंट हो जाता है तो आपका व आपकी गाड़ी दोनों का इन्शुरन्स रद्द कर दिया जाता है। इतना ही नहीं गैर-कानूनी गतिविधि करने के जुर्म में आप पर केस भी दर्ज हो सकता है।

आजकल सड़क व बड़ी-बड़ी मशीनों के कारण होने वाली दुर्घटनाओं के मामले काफी बढ़ गए हैं और इसके साथ ही महंगाई भी दौड़ में किसी से कम नहीं है। इन सभी स्थितियों को ध्यान में रखते हुए इस बात पर निर्णय स्पष्ट हो जाता है कि हेल्थ इन्शुरन्स प्लान खरीदना हर व्यक्ति के लिए अत्यावश्यक है। अच्छा हेल्थ इन्शुरन्स प्लान सिर्फ एक व्यक्ति के जीवन को बचाने में मदद नहीं करता है, बल्कि उसके परिवार पर भी वित्तीय बोझ पड़ने से रोकता है।

(और पढ़ें - हेल्थ इन्शुरन्स और लाइफ इन्शुरन्स में अंतर)

और पढ़ें ...
ऐप पर पढ़ें