सर्जरी की जानकारी के लिए फॉर्म भरें।
हम 48 घंटों के भीतर आपसे संपर्क करेंगे।

प्लिकेशन ऑफ डायाफ्राम एक ऐसी सर्जरी है जो डायफ्राम में लकवा की वजह से हो रही सांस लेने में दिक्‍कत से जूझ रहे मरीजों की होती है। छाती और पेट की गुहा के बीच एक मस्‍कुलर शीट डायफ्राम होती है। सांस लेने की प्रक्रिया का यह महत्‍वपूर्ण हिस्‍सा होता है।

हवा में सांस लेने पर डायफ्राम खुद को पेट की गुदा में पुश करता है। इससे फेफड़ोे फैलते हैं और उनमें ज्‍यादा हवा आ पाती है। हालांकि, डायफ्राम में लकवा की स्थिति इसके एक सा दोनों तरफ को प्रभावित करती है जिससे फेफड़ों की फैलने और हवा को भरने की क्षमता प्रभावित होती है।

सर्जरी के दौरान डायफ्राम के लकवे वाले हिस्‍से की एक या दो पसलियों को नीचे लाकर छाती की दीवार की अंदरूनी तरफ टांकों से लगाया जाता है। सर्जरी के बाद मरीज को अस्‍पताल में सात दिनों तक रूकना पड़ सकता है।

  1. प्लिकेशन ऑफ डायाफ्राम क्या है - What is Plication of the diaphragm in Hindi
  2. प्लिकेशन ऑफ डायाफ्राम क्यों की जाती है - Why Plication of the diaphragm is done in Hindi
  3. प्लिकेशन ऑफ डायाफ्राम कब नहीं करवानी चाहिए - When Plication of the diaphragm is not done in Hindi
  4. प्लिकेशन ऑफ डायाफ्राम से पहले की तैयारी - Preparations before Plication of the diaphragm in Hindi
  5. प्लिकेशन ऑफ डायाफ्राम कैसे की जाती है - How Plication of the diaphragm is done in Hindi
  6. प्लिकेशन ऑफ डायाफ्राम के बाद देखभाल - Plication of the diaphragm after care in Hindi
  7. प्लिकेशन ऑफ डायाफ्राम की जटिलताएं - Plication of the diaphragm Complications in Hindi
प्लिकेशन ऑफ डायाफ्राम के डॉक्टर

डायफ्राम में लकवा के मरीजों को सांस लेने में हो रही दिक्‍कत से राहत दिलाने के लिए यह सर्जरी की जाती है। आमतौर पर डायफ्राम गुंबद की शेप में होता है जिसकी उत्तल सतह छाती की गुहा की ओर होती है और अवतल पेट की गुहा की ओर होता है।

सांस अंदर लेने पर डायफ्राम फैलता है और खुद को पेट की गुहा की ओर पुश करता है। इससे छाती की गुहा के अंदर जगह बढ़ जाती है और फेफड़ों को फैलने और हवा भरने में मदद मिलती है। सांस छोड़ने पर डायफ्राम वापिस अपनी ओरिजनल पोजीशन में आ जाता है और हवा को फेफड़ों से बाहर भेजने में मदद करता है।

डायफ्राम पैरालिसिस यानि लकवा एक असामान्‍य स्थिति है जो डायफ्राम की एक या दोनों हिस्‍सों को प्रभावित करता है। इससे फेफड़ों की हवा भरने की क्षमता कम होती है।

कई कारणौं जैसे कि फेफड़ों या लिम्‍फ नोड के कैंसर, डायफ्राम को रिलैक्‍स और संकुचन को नियंत्रित करने वाली नस को नुकसान होने, स्‍पाइनल कॉर्ड विकारों और किसी सर्जरी के ट्रामा के कारण ऐसा हो सकता है।

अगर डायफ्राम पैरालिसिस में कोई लक्षण न दिखे या यह गंभीर न हो, तो बिना सर्जरी के जैसे कि ऑक्‍सीजन के सप्‍लीमेंट और फिजिकल थेरेपी और रिहैबिलिटेशन (ब्रीदिंग एक्‍सरसाइज से संबंधित) से कंट्रोल किया जा सकता है। जब डायफ्राम पैरालिसिस की वजह से सांस लेने में बहुत दिक्‍कत होती है, तब सर्जरी की सलाह दी जाती है।

ऑपरेशन के दौरान डायफ्राम के कमजोर या लकवा वाले हिस्‍से को छाती की दीवार की ओर लाकर टांके से जोड़ दिया जाता है। इससे छाती की गुहा में जगह ज्‍यादा बन जाती है जिससे फेफड़ों के फैलने की क्षमता बढ़ जाती है।

myUpchar के डॉक्टरों ने अपने कई वर्षों की शोध के बाद आयुर्वेद की 100% असली और शुद्ध जड़ी-बूटियों का उपयोग करके myUpchar Ayurveda Urjas Capsule बनाया है। इस आयुर्वेदिक दवा को हमारे डॉक्टरों ने कई लाख लोगों को सेक्स समस्याओं के लिए सुझाया है, जिससे उनको अच्छे प्रभाव देखने को मिले हैं।
Long Time Capsule
₹712  ₹799  10% छूट
खरीदें

जब डायफ्राम पैरालिसिस में निम्‍न लक्षण दिखाई देते हैं, तो इस सर्जरी की सलाह दी जाती है :

  • सांस लेने में हो रही दिक्‍कत का बिना सर्जरी वाले तरीकों से ठीक न हो पाना।
  • बार-बार या जानलेवा निमोनिया होना।
  • बाहरी ऑक्‍सीजन सप्‍लाई पर निर्भरता।
  • नवजात शिशु को जरूरी पोषण न मिल पाना या जीवित न रह पाना।

यदि डायफ्राम पैरालिसिस के मरीज को सांस लेने में दिक्‍कत नहीं हो रही है, तो यह सर्जरी नहीं की जाती है। निम्‍न स्थितियों में भी यह सर्जरी नहीं की जाती है :

  • बीएमआई (शरीर की ऊंचाई और वजन के आधार पर शरीर में अनुमानित फैट होती है) से अधिक वजन होना।
  • पहले डीप वेन थ्रोम्बोसिस होना।
  • लंबे समय से किडनी का फेल रहना
  • डायफ्राम में लकवा के अलावा हार्ट संबंधी परेशानियों और फेफड़ों से जुड़ी बीमारियों की वजह से सांस लेने में दिक्‍कत होना।

सर्जरी ये पहले मरीज को कुछ बार अस्‍पताल जाना होता है। इस दौरान डॉक्‍टर कुछ सवाल पूछते हैं, जैसे कि :

  • पहले या वर्तमान में कोई बीमारी है।
  • एलर्जी
  • पहले कभी एनेस्‍थीसिया लिया हो।
  • कोई दवा ले रहे हैं, जड़ी बूटी और डॉक्‍टर के पर्चे के बिना मिलने वाली दवा ले रहे हैं।

अगर आप प्रेगनेंट हैं तो डॉक्‍टर को इस बारे में बताएं।

इसके अलावा सर्जरी के लिए कुछ टेस्‍ट भी करवाए जाते हैं, जैसे कि :

सर्जरी के लिए निम्‍न निर्देश दिए जाते हैं :

  • सर्जरी से कुछ दिन पहले एस्प्रिन या खून पतला करने वाली दवाएं लेना बंद कर दें।
  • ऑपरेशन से एक रात पहले खाना-पीना बंद करना।
  • सिगरेट पीना बंद करना और शराब छोड़ देना
  • सर्जरी से पहले नहाना और नेल पॉलिश, कान-नाक की ज्‍वेलरी उतारना और मेकअप हटाना
  • ऑपरेशन के बाद घर जाने के लिए दोस्‍त या परिवार के सदस्‍य का होना।
  • अगर सर्जरी से कुछ दिन पहले मरीज को फ्लू, जुकाम या बुखार रहा है, तो डॉक्‍टर को बताएं। ऐसी स्थिति में सर्जरी को टाला जा सकता है।

मरीज को सर्जरी से जुड़ी प्रक्रिया और जोखिमों के बारे में बताया जाएगा। मरीज से ऑपरेशन की अनुमति के लिए एक फॉर्म भी साइन करवाया जाता है।

अस्‍पताल पहुंचने के बाद मरीज को हॉस्‍पीटल गाउन पहनाई जाती है। मरीज को ऑपरेशन थिएटर में ले जाने के बाद सर्जरी के दौरान जरूरी तरल पदार्थ और दवाएं देने के लिए उसकी बांह या हाथ में ड्रिप लगाई जाती है। इसके बाद ओपन या लेप्रोस्‍कोपी तरीके से सर्जरी की जाती है।

लेप्रोस्‍कोपी तरीके में लाइट और कैमरे वाले एक ट्यूब जैसे उपकरण का इस्‍तेमाल किया जाता है। इससे डॉक्‍टर छाती की गुहा को बाहर मॉनिटर पर देख पाते हैं। इसके निम्‍न स्‍टेप्‍स हैं :

  • मरीज को जनरल एनेस्‍थीसिया दिया जाता है। इससे मरीज बेहोश हो जाता है और उसे दर्द महसूस नहीं होता है।
  • इसके बाद सर्जन छाती में दो से चार छोटे कट लगाते हैं और सर्जरी के उपकरण डालने के लिए एक छोटी प्‍लास्टिक की ट्यूबों को डालते हैं।
  • इसके बाद वो पेट को कार्बन डाइऑक्‍साइड की गैस से भर देते हैं।
  • अब डायफ्राम पर पड़ रहे दबाव को कम करने के लिए डायफ्राम पर छोटा-सा छेद किया जाएगा।
  • फिर डॉक्‍टर लकवा वाले हिस्‍से पर पहुंचकर उसे एक या दो पसिलयों से नीचे करते हैं।
  • इसके बाद डायफ्राम के सबसे नीचे के हिस्‍से के सिरे को छाती की अंदरूनी दीवार से जोड़ दिया जाता है। कुछ मामलों में टेफलॉन पैड से टांकों को बांधा जाता है।
  • अब सर्जन टांके से डायफ्राम में लगे छेद को बंद कर देते हैं और सर्जरी वाली जगह की पट्टी कर देते हैं।
  • इसके बाद अगर कोई अतिरिक्‍त हवा या तरल पदार्थ जमा हो, तो उसे निकालने के लिए छाती में ड्रेन लगाया जाएगा।

वहीं ओपन सर्जरी में कई छोटे कट की बजाय एक बड़ा टांका लगाया जाता है।

ओपन सर्जरी की तुलना में लेप्रोस्‍कोपी के कई फायदे होते हैं जैसे कि इसमें ऑपरेशन के बाद दर्द कम होता है, अस्‍पताल में ज्‍यादा दिन रूकना नहीं पड़ता और रिकवरी जल्‍दी हो जाती है और निशान भी कम पड़ते हैं।

ऑपरेशन के बाद मरीज को एक से सात दिनों तक अस्‍पताल में रूकना पड़ सकता है और इस दौरान निम्‍न चीजें हो सकती हैं :

  • ऑपरेशन के बाद मरीज को थकान, बेचैनी या बेसुध महसूस हो सकता है। मुंह में सूखापन और गले में खराश भी हो सकती है। ये जनरल एनेस्‍थीसिया के लक्षण हैं जो कुछ घंटों के अंदर ठीक हो जाते हैं।
  • सर्जरी के तुरंत बाद छाती का एक्‍स-रे किया जाता है ताकि डायफ्राम की स्थिति को देखा जा सके।
  • ऑपरेशन के बाद दर्द को कम करने के लिए दर्द निवारक दवाएं दी जाएंगी। नस में ड्रिप लगाकर या मुंह से दवा दी जाएगी।
  • शुरुआत में मरीज को खाने में सिर्फ तरल पदार्थ ही दिए जाते हैं। हालांकि, अगर मरीज सर्जरी से पहले वेंटिलेटर पर था, जिसमें उसके गले में ब्रीदिंग ट्यूब लगी थी तो उसे ट्यूब निकलने के बाद ही मुंह से कुछ खिलाया जाता है।
  • चेस्‍ट ड्रेन को एक बोतल से कनेक्‍ट किया जाता है जो फ्लूइड लेती है। अगर मरीज को चलना हो तो उसे इस बोतल को अपने साथ छाती के नीचे रखकर ले जाना होता है।
    यदि मरीज को लग रहा है कि ट्यूब छाती से बाहर आ रही है, तो डॉक्‍टर को इस बारे में बताएं। सर्जरी के एक से दो दिनों के बाद ड्रेन को निकाल लिया जाएगा।

ऑपरेशन के बाद घर जाने पर निम्‍न तरीकों से देखभाल की सलाह दी जाती है :

  • दर्द निवारक दवा और मल को पतला करने के रेचक दिए जाएंगे। इसे डॉक्‍टर के बताए अनुसार ही लें।
  • ऑपरेशन वाली जगह को साफ और सूखा रखें।
  • अस्‍पताल के स्‍टाफ ने जिस तरह बताया है, उसी तरह पट्टी बदलें। पट्टी करने से पहले हाथों को अच्‍छे से धोएं।
    ऑपरेशन वाली स्किन को कम केमिकल वाले साबुन या नमक के पानी से धोएं और फिर उसे सुखा लें। अगर कोई ऑइंटमेंट लिखा है तो उसे नई पट्टी लगाने से पहले लगाना हो सकता है।
  • घर पर मरीज नियमित आहार ले सकता है।
  • ओपन सर्जरी के बाद छह हफ्तों तक भारी सामान न उठाएं और कोई कठिन काम न करें। लेप्रोस्‍कोपी में एक से दो हफ्ते तक इसका ध्‍यान रखें।

सर्जरी से लकवा हुए डायफ्राम के कार्य में कोई सुधार नहीं आएगा लेकिन डायफ्राम को अपनी असली स्थिति से नीचे लाकर, सांस लेने में हो रही दिक्‍कत और अन्‍य लक्षणों को कम किया जा सकता है। जो मरीज वेंटिलेटर पर थे, उन्‍हें सर्जरी से बाहरी सपोर्ट न लेने में मदद कर सकती है।

डॉक्‍टर को कब दिखाएं?

अगर सर्जरी के बाद अस्‍पताल से घर जाने पर निम्‍न लक्षण दिख रहे हैं, तो तुरंत डॉक्‍टर को बताएं :

myUpchar के डॉक्टरों ने अपने कई वर्षों की शोध के बाद आयुर्वेद की 100% असली और शुद्ध जड़ी-बूटियों का उपयोग करके myUpchar Ayurveda Urjas Energy & Power Capsule बनाया है। इस आयुर्वेदिक दवा को हमारे डॉक्टरों ने कई लाख लोगों को शारीरिक व यौन कमजोरी और थकान जैसी समस्या के लिए सुझाया है, जिससे उनको अच्छे प्रभाव देखने को मिले हैं।
Power Capsule For Men
₹719  ₹799  10% छूट
खरीदें

सर्जरी के बाद निम्‍न जटिलताएं या जोखिम आ सकते हैं :

डॉक्‍टर के पास फॉलो-अप के लिए कब जाएं?

सर्जरी के दो से चार हफ्ते बाद मरीज को डॉक्‍टर को दिखाने चेकअप के लिए आना पड़ सकता है। इस दौरान डॉक्‍टर देखते हैं कि घाव भर रहा है या नहीं।

नोट : ऊपर दी गई संपूर्ण जानकारी शैक्षिक दृष्टिकोण से दी गई है और यह डॉक्‍टरी सलाह का विकल्‍प नहीं है।

Dr Viresh Mariholannanavar

Dr Viresh Mariholannanavar

श्वास रोग विज्ञान
2 वर्षों का अनुभव

Dr Shubham Mishra

Dr Shubham Mishra

श्वास रोग विज्ञान
1 वर्षों का अनुभव

Dr. Deepak Kumar

Dr. Deepak Kumar

श्वास रोग विज्ञान
10 वर्षों का अनुभव

Dr. Sandeep Katiyar

Dr. Sandeep Katiyar

श्वास रोग विज्ञान
13 वर्षों का अनुभव

संदर्भ

  1. Bains KNS, Kashyap S, Lappin SL. Anatomy, Thorax, Diaphragm. [Updated 2020 Aug 15]. In: StatPearls [Internet]. Treasure Island (FL): StatPearls Publishing; 2020 Jan
  2. Cedars Senai [Internet]. California. US; Paralyzed Diaphragm
  3. Agarwal AK, Lone NA. Diaphragm Eventration. [Updated 2020 Jul 31]. In: StatPearls [Internet]. Treasure Island (FL): StatPearls Publishing; 2020 Jan
  4. National Health Service [Internet]. UK; Having an operation (surgery)
  5. Townsend Courtney, Beauchamp R. Daniel, Evers B. Mark, Mattox Kenneth. Sabiston Textbook of Surgery: The Biological Basis of Modern Surgical Practice. 20th ed. Philadelphia, PA: Elsevier; 2017
  6. Baylor Medicine [Internet]. Baylor College of Medicine. Texas. US; Plication of the Diaphragm
  7. Northshore University Health System [Internet]. Illinois. US; Diaphragmatic Plication
  8. American Pediatric Surgical Association [Internet]. Illinois. US; Conditions A - E
  9. Nicklaus Children's Hospital [Internet]. Florida. US; Diaphragm Plication
  10. Guy's and St. Thomas' Hospital: NHS Foundation Trust [Internet]. National Health Service. UK; Having a chest drain inserted
  11. Smith SF, Duell DJ, Martin BC, Gonzalez L, Aebersold M. Clinical nursing skills: basic to advanced skills. 9th ed. New York, NY: Pearson; 2016. Chapter 25, Wound care and dressings.
ऐप पर पढ़ें
cross
डॉक्टर से अपना सवाल पूछें और 10 मिनट में जवाब पाएँ